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12 महीने के बच्चे की गतिविधियां, विकास और देखभाल | 12 Mahine Ke Shishu Ka Vikas

अगर आपका शिशु 12 महीने यानी एक साल का हो चुका है, तो वो जरूर पहले की तुलना में ज्यादा फुर्तीला और शरारती हो गया होगा। अगर बात करें उसके विकास की, तो 12 महीने के शिशु का विकास काफी हो जाता है। ऐसे में, शिशु के 12वें महीने में होने वाले बदलाव और गतिविधियों के बारे में जानने के लिए लगभग हर माता-पिता इच्छुक होते हैं, खासकर के वो जो पहली बार माता-पिता बने हो। इसलिए मॉमजंक्शन के इस लेख में हम आपको न सिर्फ 12 महीने के बच्चे के विकास के बारे में जानकारी देंगे बल्कि उनकी गतिविधियों के बारे में भी बताएंगे।

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12 महीने के बच्चे का वजन और हाइट कितनी होनी चाहिए?

12वें महीने में शिशु का मानसिक और शारीरिक विकास काफी हो जाता है और वो पहले की तुलना में ज्यादा एक्टिव हो जाते हैं। उनका वजन और हाइट भी बढ़ने लगती है। 12 महीने की बेबी गर्ल की बात करें, तो उनका सामान्य वजन लगभग 8.1 से लेकर 10.3 तक और लंबाई करीब 74 सेंटीमीटर तक हो सकती है। वहीं, 12 महीने के बेबी बॉय के वजन की बात करें, तो उनका सामान्य वजन लगभग 8.7 किलो से लेकर 11.2 तक और लंबाई लगभग 75 सेंटीमीटर तक हो सकती है (1)

नोट : शिशु की लंबाई और वजन में थोड़ा-बहुत फर्क हो सकता है क्योंकि हर शिशु एक जैसा नहीं होता है और न ही उनकी लंबाई और वजन। अगर आपको लगे कि अन्य शिशु के मुकाबले आपके शिशु के वजन और लंबाई में ज्यादा विकास नहीं हो रहा है, तो एक बार शिशु विशेषज्ञ से परामर्श कर लें।

अब इस लेख के आगे के भाग में हम 12वें महीने के शिशु के जीवन में महत्वपूर्ण माइलस्टोन के बारे में जानकारी देंगे।

12 महीने के बच्चे के विकास के माइल्सटोन क्या हैं?

आपके 12वें महीने का शिशु अब बहुत कुछ सीखने और समझने भी लगा है। इस स्थिति में शिशु के माता-पिता को शिशु के अंदर शारीरिक, भावनात्मक और मानसिक बदलाव को जानने और समझने की बारी है। इसलिए नीचे हम 12वें महीने के शिशु में क्या-क्या परिवर्तन आते हैं, उनके बारे में बताएंगे।

मानसिक विकास

छिपी हुई वस्तुओं को ढूंढना – 12वें महीने में शिशु का न सिर्फ शारीरिक बल्कि मानसिक विकास भी काफी अच्छे से हो जाता हैं। ऐसे में उन्हें अपनी चीजों का भी काफी ध्यान होने लगता है। अगर उन्हें कोई चीज दी जाए, तो वो उसे ले लेते हैं, और समझ जाते हैं, कि वो उनकी है। पर जब कभी उनकी वस्तुओं को छुपा दिया जाए, तो वो उसे अपने तरीके से ढूंढना शुरू कर देते हैं। वो उन जगहों पर ज्यादा चीजों की तलाश करते हैं, जहां वो ज्यादा वक्त बिताते हैं, या घर के जिस जगह से वो ज्यादा परिचित होते हैं। कई बार माता-पिता शिशु के साथ ढूंढ़ने और छुपाने का भी खेल खेलते हैं, जिसमें उन्हें काफी मजा भी आता है (2)

चीजों को पहचानना – इस उम्र में बच्चे धीरे-धीरे चीजों को उसके नाम से पहचानने लगते हैं। अगर कोई उन्हें किताब दिखाकर बता दे, कि ये किताब है, तो वो उस खास तरह की वस्तु को पहचानने लगते हैं, कि वो किताब है। वैसे ही अन्य वस्तुओं जैसे – बॉल, बोतल, खिलौनों के साथ भी होता है (3)

चीजों को सही तरीके से उपयोग करना – 12वें महीने के बच्चे चीजों को पहचानने लगते हैं, बल्कि उसका सही उपयोग भी सीखने लगते हैं। जैसे – कंघी का उपयोग बाल झाड़ने के लिए, कप या गिलास का उपयोग पानी पीने के लिए (2), (3)। इसलिए इस दौरान माता-पिता को सावधानी के साथ शिशु के लिए वस्तुओं का चयन करना चाहिए।

हाव-भाव की नकल करना – हमेशा याद रखें, कि आपके बढ़ते बच्चे जो देखेंगे वही सीखेंगे। इस उम्र में शिशु बड़ों को देखकर उनके हावभाव की नकल करना शुरू करने लगते हैं। बड़े अगर शिशु के सामने रोने का भाव प्रकट करें, तो वो भी उदास और रोने जैसा मुंह बनाने लगते हैं। अगर गुस्सा करें, तो शिशु भी ऐसा करने लगते हैं। इसलिए इस दौरान माता-पिता को अपने व्यवहार को लेकर सतर्कता बरतनी जरूरी है (4)

आवाजों को दोहराना – सिर्फ हाव-भाव ही नहीं, वो आवाजों को सुनकर उसकी भी नकल करना सीखने लगते हैं। किसी जानवर या चिड़िया की आवाज सुनकर उसको दोहराने लगते हैं (3)

शारीरिक विकास

आसानी से बैठना – शिशु अपने 12 वें महीने में बिना किसी सहारे के बैठने लगते हैं। इस उम्र में उन्हें बैठने के लिए सहारे की जरुरत नहीं होती है, वो आसानी से बैठकर खेल सकते हैं (2), (3)

कुछ देर के लिए खड़े होना – शिशु सिर्फ बैठना ही नहीं बल्कि इस उम्र में थोड़ी देर के लिए बिना सहारे के खड़ा होना भी सीखने लगते हैं। इसलिए आप अपने 12 महीने के शिशु के लिए अपना कैमरा जरूर तैयार रखें ताकि जब आप अपने शिशु को बिना सहारे खड़ा होते देखें, तो उस पल को अपने कैमरे में कैद कर सकें (2), (3)

फर्नीचर पकड़कर चलने की कोशिश करना – धीरे-धीरे आपका शिशु न सिर्फ खड़ा होना बल्कि सहारे के साथ चलना भी शुरू करने लगते हैं। कई बार आपने देखा होगा, कि जब आप अपने शिशु को किसी फर्नीचर जैसे – टेबल-कुर्सी के सहारे खड़ा कर देते हो, तो वो उसे पकड़कर चलना शुरू कर देता है। इस दौरान, ध्यान रहे कि आपके शिशु को चोट न लगे (2), (4)

बिना सहारे के कदम बढ़ाना – अपना कैमरा आपने बंद तो नहीं किया, क्योंकि यह वो वक्त होता है, जब आप शिशु के पहले कदम को हमेशा के लिए अपने कैमरे में कैद कर सकते हैं। 12वें महीने में शिशु चलना सीखने लगते हैं और फिर अचानक से कभी भी वो बिना सहारे के अपना कदम बढ़ा सकते हैं। यह किसी भी माता-पिता के लिए एक यादगार पल बन जाता है, जब उनके बच्चे ने बिना सहारे कदम बढ़ाकर अपने माता-पिता को गले से लगाया होगा। कई बार माता-पिता शिशु को ऐसा करने के लिए उत्साहित भी करते हैं ताकि वो जल्दी चलना सीखे (2) (4)

चीजों को पकड़ना-रखनाशिशु चीजों को अपनी उंगलियों से या मुट्ठी से पकड़ने लगते हैं और कभी-कभी तो उनकी पकड़ बहुत ही मजबूत होती है। इतना ही नहीं वो चीजों को डब्बे से निकालना और डालना भी सीखने लगते हैं, लेकिन तब जब उनके सामने कोई डिब्बा खोलकर रख दे (4)

तर्जनी से चीजों को दिखाना – इस उम्र में शिशु चीजों को पहचानने लगते हैं, उन्हें क्या चाहिए उनके बारे में भी वो इशारे से समझाने लगते हैं। ऐसे में, अगर उनके सामने कोई चीज रखी हो और उन्हें वो चाहिए, तो वो अपने तर्जनी यानी इंडेक्स फिंगर से इशारा करके वो चीज मांगने लगते हैं (4)

दांत आना – 12वें महीने में शिशु कई चीजों का सेवन करने लगते हैं, उनके पहले दांत लगभग 6 महीने में आते हैं (5)। 12वां महीना आते-आते उनके 1 से 8 दांत आ जाते हैं (3)

दृष्टि में सुधार – शिशु जैसे-जैसे बड़े होते हैं, उनकी दृष्टि में भी सुधार होने लगता है। 12वें महीने /के शिशु दूर और पास की चीजें तो देख सकते ही हैं, साथ ही साथ चलती चीजों पर भी आसानी से ध्यान केंद्रित कर सकते हैं। किताबों में तस्वीरें देखने लगते हैं और कई बार तो बहुत देर तक किसी एक चीज को एक टक देखते रहते हैं (6)

सामाजिक और भावनात्मक विकास

बोलने की कोशिश करना – 12वें महीने के शिशु धीरे-धीरे कई चीजें न सिर्फ इशारों से समझाते हैं बल्कि थोड़ा बहुत बोलना भी शुरू कर देते हैं। ‘मामा’, ‘दादा’, ‘मां’, ‘बाबा’ जैसे शब्द तो बोलने ही लगते हैं बल्कि अगर कोई बड़ा कुछ कहे, तो उनके कहे शब्द को भी बोलने की कोशिश करने लगते हैं (2)

निवेदन सुनना – शिशु बातों को सुनने और समझने लगते हैं, अगर कोई उनसे प्यार से कुछ मांगे, किसी चीज के लिए ना कहे या उनसे कुछ अनुरोध करें, तो वो उस इशारे और बातों को समझते हैं (2)

डर व्यक्त करना12वें महीने में शिशु अपने हाव-भाव से अपनी भावनाओं को व्यक्त करने लगते हैं। अगर वो किसी चीज से डरते हैं, तो वो रोकर या अपने चेहरे के भाव से डर व्यक्त करने लगते हैं (2)

अजनबी के सामने चिंतित या शर्मिला स्वभाव – जब शिशु छोटे होते हैं, तो कई बार अजनबियों के सामने असहज महसूस करने लगते हैं। हालांकि, जब वो बड़े होने लगते हैं, तो उनके अंदर शर्मीला भाव भी आने लगता है। ऐसे में जब वो किसी अजनबी व्यक्ति से मिलते हैं, तो वो उनके सामने असहज या उनसे शर्माते हैं (2)

किसी खास व्यक्ति या वस्तु की तरफ रुझान – शिशु जब बड़े होने लगते हैं, तो धीरे-धीरे वो चीजों को और संबंधों को समझने लगते हैं। उनके अंदर लगाव की भावना उत्पन्न होने लगती है, उन्हें किसी खास खिलौने से लगाव हो जाता है। उनकी पसंद के चीजों को कोई छुए, तो वो गुस्से का भाव दिखाते हैं या चिड़चिड़े हो जाते हैं। इसके अलावा वो अपने आसपास हर वक्त रहने वाले से भी लगाव जताने लगते हैं, खासतौर पर माता-पिता। अगर माता-पिता उनकी आंखों के सामने से ओझल हो जाएं तो शिशु रोकर अपना भाव व्यक्त करते हैं (2)

लेख के आगे के भाग में जानिए आपके 12 महीने के शिशु के लिए कौन से टीके आवश्यक हैं।

12 महीने के बच्चे को कौन-कौन से टीके लगाए जाते हैं?

शिशु के सही विकास के लिए उन्हें सही वक्त पर सही टीका लगाना बहुत जरूरी होता है। टीकों की वजह से ही शिशु की रोग-प्रतिरोधक क्षमता में सुधार होता है, जिससे उनका बीमारियों से बचाव होता है। इसलिए नीचे हम 12वें महीने के बच्चे को लगने वाले टीकों के बारे में जानकारी दे रहे हैं (7)

  • टाइफाइड कॉन्जुगेट वैक्सीन (6 महीने के बाद)
  • हेप – ए 1
  • इन्फ्लूएंजा वैक्सीन (यदि 6 महीने में नहीं दिया गया है)
  • मेनिंगोकोकल मेनिन्जाइटिस (Meningococcal meningitis)
  • जापानी इन्सेफेलाइटिस वैक्सीन (Japaneese encephalitis vaccine)

नोट : 2018-19 के लेटेस्ट आईएपी दिशानिर्देशों के अनुसार, टाइफाइड कॉन्जुगेट वैक्सीन, शिशु को 6 महीने के बाद लगवाया जाता है। लेकिन इसके बारे में अधिक जानकारी के लिए शिशु विशेषज्ञ या डॉक्टर से जरूर मिलें।

आगे जानिए आपके 12 महीने के शिशु के लिए कितना दूध आवश्यक है।

12 महीने के बच्चे के लिए कितना दूध आवश्यक है?

मां का दूध – शिशु के बेहतर विकास के लिए मां का दूध आवश्यक है, लेकिन 12 महीने में शिशु ठोस खाद्य पदार्थों का सेवन भी करने लगते हैं। ऐसे में अब शिशु, मां के दूध का सेवन धीरे-धीरे कम करने लगता है। शिशु पूरे दिन में 3 से 4 बार में 710 से 887 मिलीलीटर (24 to 30 ounces ) दूध का सेवन कर सकते हैं (8)

फॉर्मूला फीड – अगर आपके शिशु को फॉर्मूला फीड पीने की आदत है, तो आप उसे उसकी इच्छानुसार 3 से 4 बार फॉर्मूला फीड दे सकते हैं। आप दिनभर में 710 मिलीलीटर (16-24 oz) तक दे सकते हैं (9)

नोट : शिशु के दूध पीने की मात्रा उसके भूख के साथ-साथ स्वास्थ्य पर भी निर्भर होती है। हर शिशु की खाने की आदत और उनकी भूख एक-दूसरे से अलग होती है, इसलिए दूध पीने की मात्रा कम या ज्यादा हो सकती है।

आगे जानिए 12 महीने के बच्चे के लिए सही आहार।

12 महीने के बच्चे के लिए कितना खाना आवश्यक है?

बच्चे के सही विकास के लिए उनका सही खान-पान भी जरूरी है। छह महीने के बाद से शिशु मां के दूध के अलावा थोड़ा बहुत ठोस आहार लेने लगते हैं और 12 महीने के होने तक वे लगभग कई चीजों का सेवन कर सकते हैं। इसलिए हम आपको 12 महीने के बच्चे के लिए क्या खाना और कितना खाना आवश्यक है, उसकी सूची नीचे बता रहे हैं (9)

खाद्य पदार्थ मात्रा
आप बेबी सीरीयल दे सकते हैं। पूरे दिन में लगभग 6 से 10 चम्मच या उससे ज्यादा भी दे सकते हैं।
हरी पत्तेदार सब्जियां एक चौथाई कप से आधा कप तक, हर दिन आप दो से तीन बार सेवन करा सकते हैं।
शिशु की पसंदीदा फल एक चौथाई कप से आधा कप तक हर दिन दो से तीन बार तक दे सकते हैं।
डेयरी उत्पाद जैसे – दही या पनीर दिनभर में एक से दो बार, एक चौथाई कप दही या पनीर के छोटे टुकड़े दे सकते हैं ।
प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थ जैसे – अंडे की जर्दी, चिकन, बीन्स एक से दो बार, एक चौथाई कप तक दे सकते हैं।
पानी आधा से एक कप (लगभग 60 से 118 मिलीलीटर – 2–4 oz) मतलब पूरे दिन में आधा से कप। लेकिन बेहतर होगा, इसके बारे में आप एक बार डॉक्टर से सलाह करें क्योंकि कुछ बच्चों को ज्यादा पानी की और कुछ को कम पानी की जरूरत हो सकती है।
फलों का जूस शिशु के एक साल का होने के बाद ही फलों का जूस दें।

नोट : यह डाइट चार्ट उदाहरण के तौर पर दिया गया है, हर शिशु एक दूसरे से अलग होता है और उनके खाने की आदतें और जरूरतें भी। इसलिए इस डाइट चार्ट में बदलाव हो सकते हैं और आप चाहें तो शिशु विशेषज्ञ के सलाह के साथ अपने शिशु के जरूरत अनुसार डाइट चार्ट तैयार कर सकते हैं।

आगे जानिए आपके 12 महीने के बच्चे के लिए कितनी नींद आवश्यक है।

12 महीने के बच्चे के लिए कितनी नींद आवश्यक है?

खाने के साथ-साथ, बच्चे के सही विकास के लिए उन्हें पूरी नींद की भी जरूरत होती है। जन्म के बाद और जब वो धीरे-धीरे बड़े होते हैं, तब उनके सोने के आदतों में काफी बदलाव आते हैं। अगर बात करें 12 महीने के बच्चे की, तो उनके लिए 24 घंटे में से 12-16 घंटे की नींद जरूरी है। इसमें कुछ-कुछ वक्त की झपकियां भी शामिल है (10)

12 महीने के बच्चे के लिए खेल और गतिविधियां

अन्य चीजों के साथ-साथ शिशु के बेहतर विकास के लिए शिशु का खेल-कूद और अन्य गतिविधियों पर भी ध्यान देना जरुरी है। इसलिए लेख के इस भाग में हम आपको शिशु के खेल-कूद और अन्य गतिविधियों के बारे में जानकारी देंगे (11)

पजल या ब्लॉक खेल – बाजार में बच्चों के लिए छोटे-छोटे ब्लॉक या पजल मिलते हैं, जिसे माता-पिता को अपने बच्चों के लिए लेना चाहिए। पजल बॉक्स को देख-देखकर आपके साथ शिशु बैठकर खेल सकते हैं। किताब को देख-देखकर पजल को जोड़ने से शिशु का दिमाग काफी तेज हो सकता है।

शिशु से बात – शिशु के साथ वक्त बिताना सबसे बड़ा और अहम् काम है। अपने बच्चे को वक्त दे, उनके साथ खेले-कूदें। ऐसा करने से वो न सिर्फ आपके और करीब आएंगे बल्कि चीजों को समझने भी लगेंगे।

संगीत सुनाए – शिशु को गाने सुनाएं लेकिन ध्यान रहे, कि गाने ज्यादा तेज नहीं होने चाहिए। उन्हें कविताएं, लोरियां और हल्के ध्वनि वाले संगीत सुनाएं।

आकार और गिनती के बारे में बताएं – आपका 12 महीने का बच्चा चीजों को समझने लगता है, इसलिए आप अब धीरे-धीरे खेल-खेल में उन्हें आकार और गिनती के बारे में सिखाना शुरू कर सकते हैं।

फलों और सब्ज़ियों के बारे में – आप अपने बच्चे को फल, सब्जी, जानवर, पक्षियों की तस्वीरें दिखाकर उन्हें उनके बारे में बता सकते हैं। इससे धीरे-धीरे वो चीजों को पहचानने और समझने लगेंगे।

शरीर के अंगों के बारे में – अब आप अपने बच्चे को शरीर के अंगों के बारे में भी बताना शुरू कर सकते हैं। उनके साथ खेलते-खेलते आप उन्हें आंख, नाक, हाथ के बारे बताना शुरू करें और बाद में उनसे भी पूछे। ऐसे में वो अपने शरीर के अंगों के बारे में जानने और समझने लगेंगे।

इस लेख के आगे के भाग में जानिये,12 महीने के बच्चों के माता-पिता को कौन सी स्वास्थ्य संबंधी चिंताएं सताती हैं।

12 महीने के बच्चों के माता-पिता की आम स्वास्थ्य चिंताएं

दस्त या कब्ज – अब आपका बच्चा ठोस आहार लेना शुरू कर चुका है, इसके साथ ही उनमें कुछ भी मुंह में लेने की आदत भी आ जाती है। ऐसे में कभी-कभी अनजाने में अगर वो कुछ उल्टी-सीधी चीजें मुंह में ले ले, तो पेट संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। इसलिए अगर आपके बच्चे को लगातार दस्त हो रहे हैं या इसके विपरीत कब्जियत हो और आपका बच्चा लगातार रो रहा है, तो समझ जाएं उसे पेट संबंधित समस्या हो रही है और उसे तुरंत डॉक्टर के पास ले जाएं।

अस्थमा या दमा – अगर आपका बच्चा लगातार खांस रहा है, रात में ज्यादा खांसी हो रही है या उसे सांस लेने में तकलीफ हो रही है, तो यह दमा के लक्षण हो सकते हैं। ऐसे में डॉक्टर से परामर्श जरूर करें।

टीबी – अगर आपके नन्हें को लगातार बुखार, खांसी और ठंड लगने की समस्या हो रही है, तो आप तुरंत डॉक्टर की सलाह लें क्योंकि ये टीबी के लक्षण हो सकते हैं।

12 महीने के बच्चे की कुछ और जानकारियां।

बच्चे की सुनने की क्षमता, दृष्टि और अन्य इंद्रियां

मेरा बच्चा क्या देख सकता है?

बढ़ती उम्र के साथ-साथ आपके बच्चे की दृष्टि भी विकसित होने लगती है, वो दूर के चीजों को अच्छे से देखने लगता है। यहां तक की गतिशील चीजों पर भी अच्छे से ध्यान केंद्रित करने लगता है। जो उनके आस-पास हर वक्त रहते हैं उन चेहरों को वो देखते ही पहचान लेते हैं, इतना ही नहीं वो किताबों में रंग-बिरंगी तस्वीरें देखना भी पसंद करने लगते हैं (12)

मेरा बच्चा क्या सुन सकता है?

जन्म के साथ ही शिशु की सुनने की क्षमता विकसित होने लगती है। जैसे-जैसे वो बड़ा होता है, वैसे-वैसे उनके सुनने और समझने की शक्ति भी बढ़ने लगती है। वो और अच्छे से चीजों को सुनने और समझने लगते हैं। वो आप के नाम को सुनकर प्रतिक्रिया देते हैं, आवाजों और बातों को सुनकर उसे दोहराने की कोशिश करते हैं (12)

मेरे बच्चे का स्वाद और गंध क्या हो सकता है?

इस उम्र में शिशु ठोस आहार लेने लगते हैं और धीरे-धीरे वो स्वाद को पहचानने और जानने लगते हैं। वो अपनी पसंदीदा खाने की चीजों को चुनना शुरू करते हैं। इसलिए आप उन्हें अलग-अलग स्वाद और गंध के खाद्य पदार्थ से परिचित कराएं। लेकिन एक बार आप डॉक्टर से भी इस बारे में बात कर लें। हर शिशु और उनका स्वास्थ्य एक जैसा नहीं होता इसलिए डॉक्टर की परामर्श लें। इसके साथ ही उन्हें बाहर ले जाएं ताकि वो अलग-अलग तरह के गंध से परिचित हो सकें (12)

नीचे जानिए 12 महीने के बच्चे की सफाई से संबंधित कुछ टिप्स।

बेबी स्वच्छता से जुड़ी कुछ बातें

नहाना – शिशु को हर रोज नहलाएं, अगर रोज नहलाना संभव न हो, तो कम से कम साफ तौलिये को भिगोकर उनके शरीर को पोछें। मौसम के अनुसार गर्म या ठंडे पानी का उपयोग करें।

दांत की सफाई – 12 महीने में शिशु के दांत आ जाते हैं और शिशु ठोस आहार भी खाना शुरू कर देते हैं। ऐसे में शिशु के मुलायम ब्रश का सावधानी से, बिना किसी पेस्ट का उपयोग कर दांत को धीरे-धीरे से साफ करें (13)

हाथ धोना – शिशु को छूने, खाना खिलाने के पहले, आप हाथ धोएं। इतना ही नहीं, जब शिशु को खाना खिलाएं, तो उससे पहले शिशु के भी हाथ धुलाएं क्योंकि शिशु खाना खाते वक्त खुद से खाने की भी कोशिश कर सकते हैं। ऐसे में उनके हाथ साफ रहना भी जरूरी है।

घर और खिलौनों की सफाई – आपका शिशु अब चलने की कोशिश करने लगा है इसलिए वो ज्यादातर नीचे रहते हैं, ऐसे में घर साफ रखना भी बहुत जरूरी है। इसके अलावा, वो खाना सीखते हैं, तो हो सकता है, नीचे पड़ी चीजें वो उठाकर मुंह में डालें लें। इसके साथ ही उनके खिलौनों को भी ठीक से साफ करें क्योंकि खेलते-खेलते वो खिलौने भी मुंह में डाल सकते हैं।

कपड़ों और बर्तन को साफ रखेंशिशु के कपड़े, उनकी तौलिया और उनके बिस्तर पर बिछाई जाने वाली चादर को नियमित तौर से एंटीसेप्टिक लिक्विड से धोएं। इसके अलावा जिन बर्तनों से आप उन्हें खाना खिलाते हैं, उन्हें भी नियमित तौर पर अच्छी तरह धोएं।

आगे जानिये कि कैसे माता-पिता शिशु के विकास में मदद कर सकते हैं।

माता-पिता बच्चे के विकास में कैसे मदद कर सकते हैं?

बिना माता-पिता के सहयोग के शिशु का सही विकास संभव नहीं है। इसलिए नीचे जानिए, कैसे माता-पिता शिशु के विकास में सहयोग दे सकते हैं।

  • आपका बच्चा अब बड़ा हो रहा है और चीजों को समझ रहा है इसलिए उनके साथ ज्यादा से ज्यादा वक्त बिताकर उन्हें नई-नई चीजें सिखाएं।
  • उन्हें फल, फूल, आकार, अंकों की किताबें दिखाकर, चीजों के बारे में बताएं और उन्हें उन वस्तुओं को पहचानने का मौका दें।
  • घर को बेबी प्रूफ बनाएं – कोई भी खतरनाक चीज जैसे – चाकू, कैंची या ऐसे ही अन्य चीजें, ऐसी जगह पर न रखें जहां शिशु आसानी से पहुंचते हो। ध्यान रहे, आपके घर में टेबल या कुर्सी के कोने न निकले हो जिससे आपके शिशु को चोट लग जाए। साथ ही इस बात
  • का ध्यान रखें, कि रैक पर कोई भारी चीज न रखी हो।
  • उन्हें नीचे खेलने दें, क्रॉल करने दें और बिना सहारे के चलने के लिए प्रोत्साहित करें।
  • उनके सामने लोरियों और कहानियों की किताबें पढ़ें ताकि वो शब्दों को सुनकर बोलना शुरू कर दें।

आगे हम आपको 12 महीने के बच्चे के कुछ लक्षण बताएंगे, जिसपर ध्यान देना जरूरी है क्योंकि इनको अनदेखा करना माता-पिता के लिए चिंता का कारण बन सकता है।

महीने के बच्चे के विकास के बारे में माता-पिता को कब चिंतित होना चाहिए?

अगर आपके 12 महीने के बच्चे में दिखे ये लक्षण (2)

  • अगर आपका बच्चा क्रॉल न करे।
  • अगर वो सहारे के साथ भी खड़ा न हो पा रहा हो।
  • अगर आपका बच्चा कुछ भी बोलना न सिखा हो।
  • हर वक्त रोता रहता हो या चिड़चिड़ा हो।
  • कोई हाव-भाव न देता हो।
  • अगर चीजों की तरफ इशारा न करता हो।
  • छुपाई हुई चीजों को न ढूंढ पा रहा हो।
  • जरूरत से ज्यादा सुस्त और शांत हो।

इस महीने के लिए चेकलिस्ट

शिशु के दूसरे महीनों की तरह माता-पिता को 12 महीने के लिए भी चेकलिस्ट जरूरी है, जिससे उन्हें अपने बच्चे के बेहतर विकास की जानकारी हो सके। अगर आपको उसकी जानकारी नहीं है तो नीचे जानिए चेकलिस्ट के बारे में।

  • अपने शिशु की तस्वीर खींचकर रखें और पहले के तस्वीरों से तुलना कर जानें, कि आपके बच्चे की लंबाई में कितना अंतर आया है।
  • बच्चे अब ठोस आहार लेने लगें हैं, तो कोशिश करें, कि उनकी बोतल में दूध पीने की आदत धीरे-धीरे छूट जाए। इसके लिए उन्हें कप या गिलास में दूध पीने की आदत लगवाएं।
  • बच्चे को कौन से वैक्सीन लगवाने हैं, उसकी जानकारी रखें और सही वक्त पर वैक्सीन लगवाएं।
  • डॉक्टर से शिशु की रूटीन चेकअप कराएं।

आगे जानिए उन सवालों के जवाब जो अक्सर माता-पिता के मन में आते हैं।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

1 साल की उम्र में प्रति दिन कितनी कैलोरी होनी चाहिए?

एक साल के बच्चे को एक दिन में 1000 कैलोरी की जरूरत होती है। इतनी कैलोरी उन्हें तीन वक्त के भोजन (नाश्ता, दोपहर का खाना और रात का खाना) और दो वक्त के स्नैक्स को मिलाकर देने की जरूरत होती है। हालांकि, शिशु की खाने की आदतें उनके स्वभाव के अनुसार बदलती रहती है (14)

मैं अपने बच्चे को बात करना कैसे सिखा सकता हूँ?

अपने बच्चे के सामने धीरे-धीरे और साफ-साफ बात करें, उनके सामने हाव-भाव से बात करें, अगर उन्हें कुछ चाहिए तो आप उनसे प्यार से सवाल-जवाब करें। उन्हें कहानियों की किताबें पढ़कर सुनाएं (15)

1 वर्ष की आयु के लिए किस प्रकार का दूध सबसे अच्छा है?

आप अपने बच्चे को होल मिल्क दे सकते हैं। इसमें मौजूद फैट आपके शिशु के दिमागी विकास के लिए आवश्यक है। इसके अलावा आप अपने बच्चे को सीमित मात्रा में फोर्टिफाइड गाय का दूध दे सकती हैं। इसमें कैल्शियम और विटामिन जैसे पोषक तत्व होते हैं, जो बच्चे के विकास के लिए फायदेमंद माने जाते हैं। लेकिन ध्यान रहे, बच्चे को एक साल होने के पहले गाय का दूध न पिलाएं (16), (17)

शिशु को हर वक्त और हर कदम में देखभाल की जरूरत होती है और इसमें सबसे बड़ा योगदान उनके माता-पिता और आस-पास के लोगों का होता है। इसलिए आशा करते हैं, इस लेख के जरिए आपको अपने 12 महीने के बच्चे की देखभाल में और ज्यादा मदद मिलेगी। साथ ही इस लेख को अन्य लोगों के साथ भी जरूर शेयर करें।

References

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1. Data Table of Infant Weight-for-age Charts By CDC
2. Important Milestones: Your Child By One Year By CDC
3. Developmental milestones record – 12 months By Medlineplus
4. Developmental Milestones: 12 Months By Healthy Children
5. Baby’s First Tooth: 7 Facts Parents Should Know By Healthy Children
6. Your Baby’s Hearing, Vision, and Other Senses: 12 Months By KidsHealth
7. IAP Immunization Schedule 2016 By ACVIP
8. Feeding Guide for the First Year By URMC
9. Food for Baby’s First Year By FloridaHealth
10. Healthy Sleep Habits: How Many Hours Does Your Child Need? By Healthy Children
11. Child development 1–2 years By Healthy WA
12. Your Baby’s Hearing, Vision, and Other Senses: 12 Months By KidsHealth
13. Infant and Children’s Oral Health By Department of Health
14. Feeding & Nutrition Tips: Your 1-Year-Old By Healthy Children
15. Communication and Your 1- to 2-Year-Old By KidsHealth
16. Cow’s milk and children By Medlineplus
17. Fortified Cow’s Milk and Milk Alternatives By CDC

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