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बच्चों के लिए योग के फायदे व 12 आसान योगासन | Importance Of Yoga For Students In Hindi

योग भारत की ऐसी धरोहर है, जो प्राचीन काल से लोगों को निरोगी जीवन देने में मदद करती आई है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बना चुके योग के फायदे सिर्फ व्यस्कों तक ही सीमित नहीं हैं। बच्चे भी रोजाना योगाभ्यास करके योग के फायदे उठा सकते हैं। मॉमजंक्शन के इस लेख में हम बच्चों के लिए योग से जुड़ी पूरी जानकारी लेकर आए हैं। योग करने से बच्चों को होने वाले फायदे और इससे संबंधित शुरुआती टिप्स के साथ ही हम यहां योग करने से पहले बरती जाने वाली सावधानियों के बारे में बता रहे हैं। चलिए, बिना देरी किए लेख शुरू करते हैं।

लेख के पहले भाग में हम कुछ ऐसे टिप्स बता रहे हैं, जिनका पालन बच्चों को करना चाहिए।

In This Article

बच्चों के लिए योग के शुरुआती टिप्स | Yoga For Kids In Hindi

बच्चों के लिए योग के फायदे अनेक हैं। योग को अपनी दिनचर्या में शामिल करने से पहले कुछ बातों पर ध्यान देना जरूरी है। खासकर उन बच्चों के लिए, जिन्होंने हाल ही में योग करना शुरू किया है। चलिए, जानते हैं योग के शुरुआती टिप्स के बारे में (1)

  • योग करने से पहले हल्का वॉर्म अप और स्ट्रेचिंग जरूर कर लें।
  • ऐसे योगासन चुनें, जो आसानी से हो जाएं।
  • कोई भी योगासन पर्फेक्ट हो जरूरी नहीं। पर्फेक्शन के चक्कर में शरीर पर ज्यादा जोर न दें।
  • हर पोज में आवश्यकतानुसार सांस लेने, छोड़ने या फिर सामान्य गति से सांस लेते रहें।
  • सभी पोज का सीक्वेंस जरूर करें। मतलब किसी भी योगासन को शरीर के दोनों हिस्सों से करें, तभी योगासन का चक्र पूरा होता है।
  • योगासन खाली पेट ही करें।
  • योग करते समय ढीले और आरामदायक कपड़े ही पहनें।
  • खुली और शांत जगह पर ही योगाभ्यास करने की कोशिश करें।
  • बच्चों के लिए योगासन मजेदार बनाने के लिए म्यूजिक का सहारा लिया जा सकता है।
  • योगाभ्यास के लिए आदर्श समय सुबह है, लेकिन शाम को भी इसका अभ्यास किया जा सकता है।
  • योग का अभ्यास जल्दीबाजी में न करें और अगर आपको थकावट हो, तो भी योग करने से बचें।
  • योगाभ्यास कभी भी कठोर सतह पर न करें। हमेशा चटाई, कंबल या योग मैट बिछाकर ही करें।
  • योग करने से पहले स्नान करना अच्छा माना जाता है। मौसम और अपनी जरूरत के हिसाब से ठंडे व गर्म पानी से नहा सकते हैं।
  • योगाभ्यास शुरू करने से पहले अपने योग टीचर को अपनी बीमारियों के बारे में जरूर बताएं। कुछ पुरानी बीमारियों व शारीरिक समस्याओं में योग वर्जित है।
  • एक बार योग गुरु से योग के पोज स्कूल या योग क्लास में सीख लेने के बाद ही इसे घर में करें। शुरुआती दौर में परीक्षण के बाद भी माता-पिता को बच्चों की मदद के लिए उनके साथ योग करना चाहिए।

चलिए, अब जानते हैं कि योग करने से बच्चों को क्या-क्या लाभ हो सकते हैं।

बच्चों के लिए योग के फायदे | Importance Of Yoga For Students In Hindi

अगर योग को सही प्रकार से किया जाए, तो बच्चों को इससे विभिन्न तरह के लाभ हो सकते हैं। आइए, इन फायदों के बारे में यहां विस्तार से जानते हैं।

  1. आत्मविश्वास बढ़ाने में सहायक : एक रिसर्च में लिखा है कि योग करने वाले छात्रों में आत्मविश्वास के स्तर में, शिक्षकों के साथ सामाजिक आत्मविश्वास में, साथियों के साथ संचार से संबंधित कॉन्फिडेंस में और कक्षा में योगदान में हल्का, लेकिन महत्वपूर्ण सुधार पाया गया (2) इसके अलावा, यह भी कहा जाता है कि योग आत्मसम्मान बढ़ाने में भी मदद कर सकता है (1)
  1. ध्यान और एकाग्रता के लिए : अक्सर बच्चों के लिए किसी भी काम में फोकस करना मुश्किल हो जाता है। इसे अटेंशन डेफिशिट हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर (Attention deficit hyperactivity disorder) कहा जाता है। इस समस्या को योग के जरिए कम किया जा सकता है (1)। साथ ही यह बच्चों की याददाश्त को बढ़ाने में भी मदद कर सकता है (2)
  1. शरीर का लचीलापन बढ़ाने के लिए योग : योग करने से बच्चों में लचीलापन भी बढ़ सकता है। इसी वजह से बच्चे को योग करने के लिए प्रेरित करें, जिससे वह स्वस्थ और लचीले बने रहे। योग कार्डियोपल्मोनरी फिटनेस यानी हृदय और फेफड़ों को स्वस्थ रखने में भी मदद कर सकता है। इसके अलावा, यह मांसपेशियों को मजबूत बनाने में भी सहायक हो सकता है (2)
  1. स्ट्रेस लेवल को कम कर सकता है : स्कूल और घर के परिवेश की वजह से कई बार बच्चे तनाव का शिकार हो जाते हैं। बताया जाता है कि योग करने से बच्चे में होना वाला स्ट्रेस कम हो सकता है। इससे तनाव को खत्म करने में मदद मिल सकती है। साथ ही बच्चों के नकारात्मक व्यवहार को भी कम किया जा सकता है (1)
  1. संतुलन और समन्वय में सुधार : योग बच्चों के बैलेंस और कॉर्डिनेशन यानी संतुलन व समन्वय में सुधार कर सकता है। खासकर यंग एथलिट्स में यह सुधार देखा जाता है, जिन्हें एकसाथ बैलेंस और कॉर्डिनेशन बनाए रखने की जरूरत पड़ती है (1)
  1. भावनात्मक संतुलन के लिए योग : योग भावनात्मक संतुलन बनाए रखने में भी मदद कर सकता है। योग से दिमाग और शरीर दोनों की एक्सरसाइज होती है। हाल ही में हुए एक रिसर्च से साबित हुआ है कि योग दिल की बात सुनने का एक उपकरण है (3)
  1. अच्छी नींद के लिए योग : स्कूल जाने वाले कई बच्चों को अच्छी और गहरी नींद न आने की समस्या होती है। इस परेशानी का हल भी योग में ही छुपा है। एक रिसर्च में कहा गया है कि नींद न आना भी एक मनोवैज्ञानिक विकार है, जिसे योग की मदद से कुछ हद तक कम किया जा सकता है। योग करने से बच्चों की नींद की क्वालिटी में सुधार हो सकता है (3)
  1. शैक्षिक प्रदर्शन (Academic Performance) को बेहतर करने के लिए योग : बच्चों का शैक्षिक प्रदर्शन अच्छा हो, इसकी चाहत हर माता-पिता को होती है। इसमें सुधार लाने में भी योग सहायक हो सकता है। रिसर्च में कहा गया है कि रोजाना योग करने से बच्चे की एकेडमिक परफॉर्मेंस बेहतर हो सकती है। बच्चों के दिमाग पर पड़ने वाले पढ़ाई के दबाव को योग से नियंत्रित करके बच्चे को स्कूल में सर्वश्रेण प्रदर्शन करने में मदद मिल सकती है (3)
  1. बच्चों को शांत और रिलैक्स रखने के लिए योग : बढ़ती उम्र में बच्चों का रिलैक्स रहना और हर बात पर प्रतिकार किए बिना उसे समझना और शांत बने रहना जरूरी होता है। इसमें भी बच्चों की मदद योग कर सकता है। योग बच्चों को अंदर से शांत और रिलैक्स रखने में मदद कर सकता है। इससे बच्चों को बार-बार आने वाला गुस्सा भी नियंत्रित हो सकता है। बस जरूरी है, तो योग को अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाने की (4)

अब हम बच्चों के लिए योगासन और उसे करने की विधि के बारे में बता रहे हैं।

बच्चों के लिए 12 योगासन | Easy Yoga Poses For Kids In Hindi

1. प्राणायाम (Prayanam)

Prayanam

Image: Shutterstock

प्राणायाम श्वास संबंधी योग है। इसमें सांस छोड़ने और लेने की क्रिया की जाती है। प्राणायाम को योगिक ब्रीथिंग भी कहा जाता है। इसमें श्वसन के साथ ही हृदय और तंत्रिका तंत्र की एक्सरसाइज होती है। इससे भावनात्मक स्थिरता और मन की शांति आती है। वैसे तो प्राणायाम के कई प्रकार हैं, लेकिन यहां हम सबसे सरल प्राणायाम करने का तरीका बता रहे हैं (5)

प्राणायाम करने की विधि:

  • सबसे पहले बैठने के लिए साफ जगह पर मैट या कोई अन्य कपड़ा बिछा लें।
  • अब दोनों घुटनों को मोड़कर (पद्मासन, सुखासन या वज्रासन में) बैठ जाएं।
  • फिर अपने दोनों हाथों को घुटनों के ऊपर रखें।
  • इस दौरान रीढ़ की हड्डी सीधी होनी चाहिए।
  • अब आंखें बंद करके मन में एकाग्र करें।
  • एकाग्रचित होते ही हल्के-हल्के लंबी गहरी सांस लें। इस दौरान मुंह बिल्कुल भी नहीं खोलना है।
  • फिर सांस को धीरे-धीरे छोड़ें। सांस को छोड़ते समय पेट को अंदर की ओर जरूर खींचें।
  • अब इस क्रिया को दोहराते रहें।
  • करीब 5 से 10 मिनट तक या फिर अपनी सुविधानार इसे करें।

2. बालासन (Balasana)

Balasana

Image: Shutterstock

मन को शांत करने वाली मुद्राओं में से एक बालासन भी है। इसे अंग्रेजी में चाइल्ड पोज भी कहा जाता है। यह आसन शरीर को फायदा पहुंचाने के साथ ही स्ट्रेस को कम करके मस्तिष्क स्वास्थ्य को बेहतर कर सकता है। सकारात्मक विचार लाने को बढ़ावा देने में मदद कर सकता है, जिससे चिंता और तनाव कम हो सकता है (6)

बालासन करने की विधि :

  • शांत जगह पर मैट बिछाकर बैठ जाएं।
  • अब वज्रासन (दाएं और बाएं घुटने को मोड़कर कुल्हे के नीचे) में बैठें।
  • ध्यान दें कि रीढ़ की हड्डी सीधी होनी चाहिए।
  • अच्छे से बैठने के बाद गहरी सांस लेते हुए दोनों हाथों को सीधे आसमान की तरफ ऊपर उठा लें।
  • अब सांस को छोड़ते हुए शरीर को आगे की ओर झुकाएं।
  • शरीर को झुकाने के बाद माथे से फर्श छूने की कोशिश करें और हाथों से जमीन को छुएं। कोहनियां जमीन से स्पर्श करनी चाहिए।
  • इस दौरान आंखें बंद रखें और सामान्य गति से सांस लेते रहें।
  • फिर कुछ देर के लिए इस मुद्रा में बने रहें।
  • इसके बाद सांस लेते हुए ऊपर उठें और कुछ सेकंड आराम करने के बाद फिर से करें। ऐसा आप 3 से 5 बार कर सकते हैं। 

3 . ताड़ासन (Tadasana)

Tadasana

Image: Shutterstock

ताड़ासन को अंग्रेजी में माउंटेन पोज और पाम ट्री पोस्चर कहा जाता है। इसमें बच्चे का आकार पहाड़ और पेड़ जैसा बनता है। इससे पूरे शरीर की मांसपेशियों स्ट्रेच होती है। यह बच्चों की पूरी फिटनेस को बनाए रखने में मदद कर सकता है (7)यह भी कहा जाता है कि बच्चों की लंबाई में सुधार करने में भी यह योगासन सहायक हो सकता है। साथ ही एकाग्रता को बेहतर करने में भी ताड़ासन अहम भूमिका निभा सकता है (8) 

ताड़ासन करने की विधि :

  • समतल और शांत जगह पर सबसे पहले मैट बिछाएं।
  • अब दोनों पैरों को जोड़कर सीधे खड़े हो जाएं।
  • फिर दोनों हाथों की उंगलियों को एक-दूसरे में फंसाएं और बाजुओं को ऊपर की ओर तानें।
  • इस दौरान हथेलियों आसमान की तरफ होनी चाहिए।
  • अब सांस लेते हुए एड़ियों को ऊपर की ओर उठाते हुए पंजों पर खड़े हो जाएं।
  • करीब 5 से 10 सेकंड इस मुद्रा में रहें और सामान्य गति से सांस लेते रहें।
  • फिर प्रारंभिक अवस्था में वापस आ जाएं।

4. सेतुबंधासन (Setu Bandhasana)

Setu Bandhasana

Image: Shutterstock

सेतुबंधासन को अंग्रेजी में ब्रिज पोज कहा जाता है। इस आसन में शरीर पुल जैसा नजर आता है। इस आकृति की वजह से इसे सेतुबंधासन कहा जाता है। तनाव और अवसाद कम करने और मांसपेशियों की मजबूती के लिए सेतुबंधासन करने की सलाह दी जाती है। पाचन को बेहतर करने और कब्ज से छुटकारा पाने में भी यह आसान मदद कर सकता है (6) (8) 

  • योग मैट को समतल जगह पर बिछा लें।
  • अब सीधे पीठ के बल लेट जाएं।
  • फिर घुटनों को मोड़कर एड़ियों को हिप्स के पास ले आएं।
  • ध्यान दें कि तलवे जमीन से सटे हों।
  • अब हाथों को सीधा रखते हुए एड़ियों के पास ले जाएं।
  • हो सके तो हाथों से एड़ियों को पकड़ लें वरना हाथ को जमीन पर ही रखें।
  • इसके बाद सांस लेते हुए अपनी कमर को धीरे-धीरे ऊपर की ओर उठाएं।
  • इस दौरान ठुड्डी छाती से सटी और कंधे, सिर व गर्दन जमीन पर टीके होने चाहिए।
  • शरीर के साथ किसी तरह की जोड़-जबरदस्ती न करें। बच्चों को उतना ही करना चाहिए, जितना वो आसानी से कर सकें।
  • कुछ सेकंड इस मुद्रा में बने रहें और सामान्य रूप से सांस लेते रहें।
  • फिर प्रारंभिक मुद्रा में हल्के-हल्के वापस आएं।

5. वृक्षासन (Vriksasana)

Vriksasana

Image: Shutterstock

इस आसन को एकपादासन भी कहा जाता है। इंग्लिश में इसे ट्री-पोज नाम से जाना जाता है। इस योगासन में शरीर को एक पैर पर ही संभालना होता है और शरीर की आकृति वृक्ष जैसी लगती है। यह योगासन दिमाग को एकाग्रचित कर सकता है (8)। माना जाता है कि वृक्षासन करने से चिंता और तनाव भी दूर हो सकता है। इस योगासन से कमर व पीठ का दर्द भी कम हो सकता है। इतना ही नहीं यह स्पाइन को लचीला बनाने में भी मदद कर सकता है (6)।

योग करने का तरीका:

  • समतल जगह पर योग मैट या कोई मोटा कपड़ा बिछाकर सीधे खड़े हो जाएं।
  • अब दोनों पैरों को आपस में जोड़ लें।
  • फिर शरीर का संतुलित बनाए रखते हुए बाएं घुटने को मोड़ते हुए तलवे को दाईं जांघ पर अंदर की तरफ रखें।
  • इसके बाद दोनों हाथों को ऊपर आसमान की तरफ उठाएं और नमस्कार की मुद्रा बनाएं।
  • जितनी देर तक हो सके इस मुद्रा में बने रहें। हो सकता शरीर का संतुलन बिगड़ जाए और आपका पैर जमीन पर लग जाए।
  • ऐसा होने पर शरीर का संंतुलन बनाकर दोबारा मुद्रा में आने की कोशिश करें।
  • कुछ सेकंड इस अवस्था में बने रहने के बाद प्रारंभिक अवस्था में आ जाएं।
  • फिर इस प्रक्रिया को दूसरे पैर से दोहराएं।
  • इस योगासन को दो से तीन बार किया जा सकता है।

6. सुखासन (Sukhasana)

Sukhasana

Image: Shutterstock

सुखासन भी बच्चों के लिए लाभदायक है। इसे अंग्रेजी में इजी आसन के नाम से जाना जाता है। यह मानसिक और शारीरिक रूप से बच्चों को चुस्त बना सकता है। कहा जाता है कि हृदय गति और रक्तचाप के लिए यह अच्छा हो सकता है। इसके अलावा, यह तनाव को भी कम कर सकता है (6) (9)

  • सबसे पहले योग मैट बिछा लें।
  • अब घुटनों को मोकर पालथी मार लें।
  • पालथी मारकर बैठने के बाद पीठ को सीधा रखें।
  • अब हाथों को घुटनों के ऊपर रखें।
  • फिर आंखें बंद करके सामान्य रूप से सांस लेते रहें।
  • हो सके तो कुछ न सोचें और दिमाग को एकाग्रचित रखें।
  • 15 से 20 मिनट तक इसी मुद्रा में रहें। 

7. भुजंगासन (Bhujangasana)

Bhujangasana

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भुजंगासन को इंग्लिश में कोबरा पोज भी कहा जाता है। यह स्पाइनल कॉलम को सकारात्मक तरीके से प्रभावित करता है और इसे लचीला बना सकता है। बताया जाता है कि यह आसान स्ट्रेस को कम करने में मदद कर सकता है। इससे शरीर और मन दोनों को रिलेक्स रहते हैं। साथ ही यह इम्यूनिटी बढ़ाने में भी मदद कर सकता है (8)

योग करने का तरीका:

  • समतल जगह पर भुजंगासन करने के लिए पहले मैट बिछाएं।
  • मैट बिछाने के बाद पेट के बल सीधे उस पर लेट जाएं।
  • लेटे हुए भी पूरा शरीर तना हुआ होना चाहिए।
  • फिर हथेलियों को जमीन की तरफ करते हुए कंधे के पास फर्श से सटा लें।
  • अब सांस लेते हुए सिर को जितना हो सके उतना ऊपर की ओर उठाएं और आकाश की तरफ देखें।
  • इस आसन में शरीर का ऊपरी भाग नाभि तक उठाया जाता है।
  • शरीर के साथ जबरदस्ती न करें। शरीर का जितना हिस्सा और जितनी देर तक उठा सकते हैं, उतनी देर तक ही इस मुद्रा में बने रहें। साथ ही सामान्य रूप से सांस लेते रहें।
  • अब सांस छोड़ते हुए प्रारंभिक मुद्रा में वापस आएं।
  • कुछ सेकंड आराम करने के बाद दोबारा इस योगासन को करें।
  • इसे दो से तीन बार किया जा सकता है।

8. धनुरासन (Dhanurasana)

Dhanurasana

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पेट के बल किए जाने वाले इस योगासन में शरीर की आकृति धनुष जैसी होती है, जिस वजह से इसे धनुरासन कहा जाता है। इंग्लिश में इसका नाम बो (Bow) पोज है। धनुरासन को कंधे, घुटने, रीढ़ और टखने जैसे जोड़ के लिए अच्छा माना जाता है। इससे अग्न्याशय (Pancreas) और लिवर की मसाज होती है। यह कमर व नितंब यानी कुल्हे की चर्बी को कम कर सकता है। साथ ही कमर दर्द और पेट दर्द से राहत दिला सकता है। इसके अलावा, यह पेट, पैर और हाथ की मांसपेशियों को मजबूत बना सकता है (6)

योग करने का तरीका :

  • योग मैट को शांत व समतल जगह पर बिछाकर पेट के बल लेट जाएं।
  • फिर घुटने मोड़कर हाथों से टखनों को मजबूती से पकड़ें।
  • फिर सीने, सिर और जांघ को सांस लेते हुए ऊपर उठाएं।
  • ऐसा करने पर शरीर की आकृति धनुष जैसी बन जाएगी।
  • अब अपनी शारीरिक क्षमता के अनुसार कुछ देर इसी पोज में रहें और सामान्य गति से सांस लेते रहें।
  • फिर सांस छोड़ते हुए प्रारंभिक मुद्रा में धीरे-धीरे वापस आएं।
  • इस आसन को आप दो से तीन बार कर सकते हैं।

9. नटराजासन (Natarajasana)

Natarajasana

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नटराजासन को लॉर्ड ऑफ द डांस पोज व डांसर पोज के नाम से भी जाना जाता है। यह आसन बच्चों की एकाग्रता को बढ़ाने का कार्य कर सकता है (10)। यह योगासन बच्चों में स्थिरता पैदा करता है, लेकिन शुरुआत में बच्चों को बड़ों की देखरेख में ही इस आसन को करना चाहिए (9)। योग गुरु से प्रशिक्षण लेने के बाद भी प्रारंभिक समय में माता-पिता के साथ ही इस योगासन को करें।

  • नटराजासन को करने के लिए पहले समतल जगह पर योग मैट बिछाएं।
  • अब सीधे खड़े हो जाएं और सांस लेते हुए दाएं घुटने को मोड़कर पैर पीछे ले जाएं।
  • फिर गहरी सांस लेकर दाएं हाथ से ही दाएं पैर के अंगूठे को पकड़ने का प्रयास करें।
  • अब दाएं पैर को हल्का-हल्का ऊपर उठाएं।
  • जितना हो सके उतना पैर को उठाने के बाद शरीर के ऊपरी हिस्से को हल्का आगे झुकाएं।
  • फिर बाएं हाथ को आगे की ओर सीधे लाएं और कुछ देर इस मुद्रा में बने रहें।
  • इस दौरान पूरे शरीर को बाएं पैर से संभालना होगा।
  • संतुलन बनाने के लिए शुरुआत में माता-पिता मदद कर सकते हैं।
  • कुछ सेकंड मुद्रा में बने रहने के बाद धीरे-धीरे प्रारंभिक अवस्था में वापस आ जाएं।
  • एक पैर से करने पर यह चक्र आधा होता है, इसलिए फिर बाएं पैर से इसे दोहराएं।
  • शुरुआती दौर में बच्चे इसके एक से दो चक्र क्षमतानुसार कर सकते हैं।

10. त्रिकोणासन (Trikonasana)

Trikonasana

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त्रिकोणासन को ट्रायंगल पोज भी कहा जाता है। यह ट्रंक (मानव शरीर का मध्य भाग), पैर और कूल्हों की मांसपेशियों को टोन करने और रीढ़ के लचीलेपन में सुधार करने के लिए जाना जाता है। यह योगासन शारीरिक फिटनेस के साथ ही शरीर में पोषक तत्वों के अवशोषण में भी मदद कर सकता है (7)।  तनाव और  गर्दन और पीठ दर्द से भी राहत पाने के लिए इस योग को किया जाता है (11)

त्रिकोणासन करने की विधि :

  • समतल जगह पर मैट या कोई अन्य कपड़ा बिछा लें।
  • उस पर सीधे खड़े होकर पैरों को 2-3 फीट तक फैलाएं।
  • फिर बाएं पैर को 90 डिग्री बाहर निकालें और दाएं पैर को 45 डिग्री तक अंदर की ओर घुमाएं।
  • इसके बाद बाजुओं को बगल में फैलाएं और उन्हें कंधे के स्तर तक उठाएं।
  • अब कमर से दाईं ओर झुकें। इस दौरान शरीर को आगे बेंड नहीं करना है।
  • इसके बाद दाहिने हाथ को दाहिने पैर पर रखें। हो सके तो हथेली को योग मैट पर रखें।
  • फिर बाएं हाथ को धीरे-धीरे ऊपर की ओर लेकर जाएं
  • इस दौरान गर्दन मुड़ी हुई होगी।कोशिश करें कि बाएं हाथ की उंगलियां दिख जाए यानी गर्दन की पोजिशन ऐसी होनी चाहिए की ऊपर की ओर उठा हाथ और उंगलियां दिखें।
  • कुछ क्षण इस मुद्रा में बने रहें और सामान्य गति से सांस लेते रहें।
  • थक जाने पर सांस लेते हुए ऊपर की ओर उठें और प्रारंभिक अवस्था में आ जाएं।
  • फिर इस प्रक्रिया को दूसरी ओर से भी करें।
  • इस आसन को तीन से पांच बार किया जा सकता है।

11. वीरभद्रासन (Virabhadrasana)

Virabhadrasana

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वीरभद्रासन का अंग्रेजी नाम वॉरियर पोज भी है। इस योगासन में शरीर की आकृति वीर योद्धाओं जैसी बनती है। पीठ के निचले हिस्से और गर्दन के दर्द को कम कर सकता है। साथ ही घुटनों और कूल्हे के जोड़ों में लचीलेपन को बढ़ाने और गर्दन व कंधों की जकड़न को कम कर सकता है (6)। इस योगासन के एक चक्र को पूरा करने के लिए तीन पोज करने पड़ते हैं। नीचे हम वीरभद्रासन के सभी पोज के बारे में बता रहे हैं।

वीरभद्रासन-1 करने की विधि:

  • सबसे पहले समतल जमीन पर मैट बिछाएं।
  • अब उस पर सीधे खड़े हो जाएं यानी माउंटेन पोज बना लें।
  • फिर अपने दोनों पैर को करीब दो फीट फैला लें।
  • ऐसा करने के बाद अपने धड़ को बाएं ओर हल्का घुमाए यानी 90 डिग्री घुमा लें।
  • अब अपने बाएं घुटने को आगे की ओर मोड़ें।
  • इस दौरान अपने तलवे जमीन से सटाकर रखें।
  • फिर दोनों भुजाओं को सीधे ऊपर की ओर लेकर जाएं।
  • ध्यान रखें की पीठ सीधी हो।
  • अब दोनों हाथों से ऊपर नमस्कार मुद्रा बना लें।
  • कुछ सेकंड इस मुद्रा में रहने के बाद दूसरे पैर से इसे दोहराएं।

वीरभद्रासन-2 करने की विधि:

वीरभद्रासन-2 करने की विधि

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  • वीरभद्रासन-1 से 2 पर आने के लिए धीरे-धीरे अपने हाथों को नीचे लेकर आएं।
  • अब अपने घुटने को सीधा कर लें।
  • इस दौरान दोनों पैर बराबर में और करीब दो फीट की दूर में हों।
  • अब दाएं पैर को बाहर की ओर मोड़ें और उसे तब तक मोड़े जब तक कि वह टखने के ऊपर न आ जाए।
  • बस ध्यान दें कि दोनों पैर एक ही रेखा में हों और गर्दन आगे की ओर मोड़े हुए घुटने की ओर हो।
  • फिर अपनी दोनों बाजुओं को अपने बगल में फैला लें।
  • दोनों हाथों की ऊंचाई कंधे के बराबर होनी चाहिए। साथ ही हाथ एक दम सीधे और दोनों एक ही लाइन में हों।
  • कुछ देर इसी मुद्रा में रहें और फिर दूसरे पैर से इसे दोहराएं।

वीरभद्रासन-3 करने की विधि:

Method of performing Virabhadrasana-3

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  • वीरभद्रासन-3 करने के लिए योग मैट पर सीधे खड़े हो जाएं।
  • फिर एक पैर को पीछे की ओर और एक हाथ को आगे की ओर फैलाएं।
  • इस दौरान शरीर को आगे की ओर हल्का झुकाएं।
  • अब दूसरे हाथ को भी आगे की ओर बढ़ाएं। दोनों हाथ सीधे होने चाहिए।
  • पैर को पीछे की ओर से जितना हो सके उतना ऊपर उठाएं।
  • ध्यान दें कि धड़, पीछे का पैर और दोनों हाथ एक लाइन में हों।
  • कुछ देर इसी मुद्रा में रहें और सामान रूप से सांस लेते रहें।
  • इसके बाद दूसरे पैर से संतुलन बनाकर इस प्रक्रिया को दोहराएं।

12. उष्ट्रासन (Ustrasana)

Ustrasana

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संस्कृत में उष्ट्र का अर्थ है ‘ऊंट’ होता है, इसी वजह से इंग्लिश में इसे कैमल पोज कहा जाता है। इसमें शरीर की आकृति ऊंट जैसी दिखती है। कंधे से झुके हुए बच्चों के शरीर के पोस्चर को बेहतर करने में यह आसन मदद कर सकता है। इस आसन को पाचन तंत्र के साथ श्वसन प्रणाली को भी ठीक करने के लिए जाना जाता है। गर्दन और पेट को लचीला बनाने के लिए भी यह योगासन किया जाता है (1) (12)

  • योग मैट बिछाकर उष्ट्रासन के लिए पहले वज्रसान में आ जाएं।
  • अब घुटनों के बल खड़े हो जाएं।
  • फिर गहरी सांस लेते हुए धड़ को पीछे की ओर झुकाएं।
  • शरीर झुकाते हुए बाएं टकने को बाएं हाथ से और दाएं टकने को दाएं हाथ से पकड़ लें।
  • ज्यादा न मुड़े और शरीर पर अधिक जोर न डालें।
  • सिर को इस दौरान ऊपर आसमान की तरफ रखें।
  • इस आसन में शरीर का भार हाथों और पैरों पर पड़ेगा।
  • कुछ सेकंड इस स्थिति में सामान्य सांस लेते हुए बने रहें।
  • फिर कुछ देर बाद धीरे-धीरे प्रारंभिक मुद्रा में आ जाएं।
  • बच्चे दो से तीन बार इस आसन को कर सकते हैं।

अब हम योग करते समय बरती जाने वाली सावधानियों के बारे में बता रहे हैं।

बच्चे योग करने से पहले बरतें ये सावधानी

शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए बच्चे 6 साल की उम्र से योगासन करना शुरू कर सकते हैं, लेकिन माता-पिता की निगरानी में (13)। बच्चों के लिए योग करना सुरक्षित और लाभकारी तभी होता है, जब कुछ बातों का खास ध्यान रखा जाए (3)। क्या हैं वो बातें नीचे जानते हैं:

  • बच्चा अगर ताड़ासन कर रहा हो और इस दौरान उसके शरीर में खिंचावट से दर्द होने लगे, तो बच्चे को आसन नहीं करना चाहिए। पूरी तरह से ठीक होने के बाद योगासन कर सकते हैं।
  • सेतुबंधासन, उष्ट्रासन और त्रिकोणासन बच्चों को तब नहीं करना चाहिए, जब उसे अनिद्रा, माइग्रेन या सिरदर्द की समस्या हो।
  • अगर किसी बच्चे को चक्कर आने की समस्या हो, तो उन्हें सेतुबंधासन और अन्य जटील आसन करने से बचना चाहिए।
  • घुटने, जोड़ों व टखने के दर्द की समस्या वाले बच्चों को सेतुबंधासन और भुजंगासन करने से बचना चाहिए।
  • भुजंगासन में शरीर को उठाना होता है, तो इस आसन में शरीर को जितना आसानी से उठाया जा सके उतना ही उठाना चाहिए। अधिक जोर लगाने से मांसपेशियों में दर्द हो सकता है।
  • अगर किसी बच्चे को हर्निया और अल्सर जैसी समस्या हो, तो धनुरासन व भुजंगासन से बचना चाहिए।
  • गर्दन की समस्या से पीड़ित बच्चों को त्रिकोणासन नहीं करना चाहिए।
  • दिल की समस्या से ग्रस्त बच्चों को धनुरासन नहीं करना चाहिए।
  • उष्ट्रासन को भी किसी तरह के दर्द में करने से बचना चाहिए।
  • नटराजासन करते वक्त कमर में दर्द हो, तो इसे न करें।
  • नटराजासन करते हुए घुटनों और कंधों में दर्द होने लगे, तो भी इसे करना बंद कर दें।

यह थे कुछ ऐसे योग जिन्हें करने से बच्चे स्वस्थ और तंदुरुस्त रह सकते हैं। बेशक, योग फायदेमंद है, लेकिन इससे जुड़ी सावधानियों को बिल्कुल भी नजरअंदाज न करें। यह भी ध्यान दें कि योग के फायदे रातों-रात नजर नहीं आते हैं। योग करने के लिए लगन के साथ ही निरंतरता की आवश्यकता होती है। नियमानुसार रोजाना बच्चों को योग करने के लिए प्रेरित किया जाए, तो वह छोटे-मोटे रोगों से बचे रहेंगे। साथ ही वो हमेशा ऊर्जा से भरे रहेंगे।

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