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शिशुओं और बच्चों के कान दर्द का इलाज व घरेलू उपचार | Bacho Ke Kan Dard Ka Ilaj

जिस प्रकार पौधे को उचित खाद व पानी देने से वह विशाल और मजबूत पेड़ बनता है, उसी प्रकार शिशु का ध्यान रखना भी जरूरी है। जब भी शिशु रोए, तो समझना चाहिए कि वह कुछ कहना चाह रहा है। हो सकता है कि उसके कान में दर्द या संक्रमण हो, जिस कारण उसे परेशानी हो रही हो। बेशक, कई बार माता-पिता के लिए इसे समझना मुश्किल हो जाता है, लेकिन आपको परेशानी होने की जरूरत नहीं।

मॉमजंक्शन के इस लेख में हम यह बताने का प्रयास कर रहे हैं कि आप किस प्रकार पहचान सकते हैं कि बच्चे के कान में संक्रमण है। साथ ही उसका घरेलू उपचार कैसे किया जा सकता है।

In This Article

मैं कैसे जान सकती हूं कि मेरे बच्चे को कान का संक्रमण है? | Bachon Ke Kaan Dard

अमूमन बच्चों को कान का संक्रमण तब होता है, जब वो बोलना सीख ही रहे होते हैं। आप नीचे दिए गए कुछ लक्षणों से अंदाजा लगा सकते हैं कि उसके कान में समस्या है (1) :

  • कान को खींचना : जब बच्चे को दर्द होता है, तब वह अपने कान को खींचता है।
  • रोना : बच्चा जब दर्द को सहन नहीं कर पता है, तब ऐसा करता है।
  • ठीक से न सोना : जिन बच्चों को कान का दर्द होता है, वो ठीक से सो भी नहीं पाते हैं।
  • कान से तरल पदार्थ आना : कान के संक्रमण के कारण कभी-कभी तरल पदार्थ कान से बाहर भी आ जाता है।
  • सुनने में समस्या : कान के दर्द के कारण बच्चे को सुनने में कठिनाई हो सकती है।

आगे उन कारणों का जिक्र किया जा रहा है, जिनसे कान में संक्रमण होता है।

शिशुओं में कान के संक्रमण का कारण क्या है?

कान का संक्रमण, कान के बीच के हिस्से में होता है। यह बैक्टीरिया या फिर किसी वायरल इंफेक्शन की वजह से होता है। इसके कुछ सामान्य कारणों के बारे में नीचे बताया जा रहा है (1) :

  1. जुकाम : जुकाम की वजह से कान का संक्रमण हो सकता है। जुकाम के बैक्टीरिया यूस्टेशियन ट्यूब के जरिए कान में फैल जाते हैं। फिर सूजन के साथ ही कान से तरल पदार्थ निकलने लगता है।
  1. एलर्जी : ज्यादातर बच्चों को कुछ पदार्थों के खाने से कान के बीच के हिस्से में सूजन हो जाती है। इस वजह से यूस्टेशियन ट्यूब पतली हो जाती है और कान से नाक तक की नली में तरल पदार्थ एक जगह इकट्ठा हो जाता है। इन तरल पदार्थों के इकट्ठा होने से संक्रमण हो सकता है।

आर्टिकल के इस हिस्से में कान में संक्रमण से जुड़ी कुछ जानकारियां दी जा रही हैं।

किन शिशुओं को कान का संक्रमण होने की आशंका ज्यादा होती है?

कान का संक्रमण बड़ों की तुलना में, बच्चों को ज्यादा होता है। मुख्य रूप से इन बच्चों में यह संक्रमण होने का खतरा ज्यादा होता है :

  • छोटे बच्चे : 6 महीने से 2 वर्ष के बीच के बच्चों को कान का संक्रमण होने की आशंका ज्यादा होती है। इन बच्चों का इम्यून सिस्टम मजबूत नहीं होता और यूस्टेशियन ट्यूब का आकार भी छोटा होता है।
  • मौसम बदलने पर एलर्जी : कान के संक्रमण ज्यादातर ठंड के मौसम में होते हैं। जिन बच्चों को मौसम बदलने पर एलर्जी हो जाती है, उन बच्चों को कान का संक्रमण होने की आशंका ज्यादा होती है।
  • प्रदूषित हवा : प्रदूषित हवा के कारण भी बच्चे को कान का संक्रमण हो सकता है (2)

शिशुओं में कान के संक्रमण के संकेत और लक्षण

आप इन संकेतों के जरिए समझ सकते हैं कि बच्चे के कान में कुछ परेशानी है (3) :

  • बुखार : जब बच्चे के शरीर का तापमान 100 फारेनहाइट से ज्यादा हो, तब ध्यान देना चाहिए कि कहीं बच्चे को कान का संक्रमण तो नहीं हो गया है।
  • चक्कर आना : कान में संक्रमण होने पर कान में दबाव बनता है और तरल पदार्थ एकत्र हो जाने के कारण शिशु को चक्कर या कमजोरी महसूस हो सकती है।
  • दस्त, उल्टी और कम खाना : कान में वायरस होने की वजह से संक्रमण होता है। इस वजह से बच्चों को उल्टी व दस्त हो सकते हैं। साथ ही भूख भी कम होने लगती है।

आइए, अब जान लेते हैं शिशुओं के कान में संक्रमण होने पर जांच कैसे की जाती है।

शिशुओं में कान के संक्रमण का निदान

अगर बच्चों के कान के संक्रमण का सही समय पर पता लगा लिया जाए, तो जल्द ही इस समस्या को ठीक किया जा सकता है। यहां हम कुछ ऐसे ही निदानों के बारे में बता रहे हैं (4) :

  • ओटोस्कोप : डॉक्टर ओटोस्कोप (कान में देखने वाला उपकरण) के जरिए पता लगाते हैं कि बच्चे के कान में संक्रमण है या नहीं। इस उपकरण में छोटी-सी लाइट लगी होती है। अगर बच्चे के कान का पर्दा लाल व सूजा हुआ नजर आए और कोई तरल पदार्थ दिखाई, तो यह संक्रमण होता है।
  • टाइम्पेनोमेट्री : डॉक्टर बच्चे के कान के पास एक स्पीकर रखते हैं, जिसमें सेंसर लगा होता है। यह स्पीकर एक उपकरण के साथ जुड़ा होता है, जिसमें से अलग-अलग फ्रीक्वेंसी पर आवाज निकलती हैं। इसके बाद सेंसर कान के पर्दे में हवा के दबाव से होने वाली मूवमेंट को देखता है। अगर कान के पर्दे की मूवमेंट ठीक नहीं होती है, तो यह संक्रमण का संकेत होता है।

हमारे लिए यह जानना भी जरूरी है कि इस समस्या का इलाज कैसे किया जाता है।

शिशुओं में कान के संक्रमण का इलाज | Bacho Ke Kan Dard Ka Ilaj

कान के संक्रमण का उपचार करने से पहले डॉक्टर निम्नलिखित बातों पर गौर करते हैं :

  • कान का संक्रमण कितना गंभीर है?
  • बच्चे को कितनी जल्दी कान का संक्रमण होता है?
  • यह कान का संक्रमण कितने समय से है?
  • बच्चे की उम्र देखी जाती है।
  • क्या संक्रमण की वजह से, बच्चा सुनने में असमर्थ है?

शिशुओं में कान के संक्रमण अलग-अलग प्रकार के होते हैं, जिनके ट्रीटमेंट भी अलग-अलग होते हैं। हर तरह के कान के संक्रमण को एंटीबायोटिक्स से ठीक नहीं किया जा सकता है। कुछ अपने आप ही ठीक हो जाते हैं और कुछ मामलों में डॉक्टर सिर्फ दर्द को कम करने की दवा दे सकते हैं। अगर इसके बावजूद भी कान का दर्द दूर नहीं होता है, तो डॉक्टर एंटीबयोटिक से भी इलाज कर सकते हैं।

एंटीबायोटिक्स को नियमित रूप से बच्चों को खाने के लिए नहीं दिया जाता है, क्योंकि:

  • वायरस की वजह से होने वाले संक्रमण में एंटीबायोटिक्स काम नहीं कर पाते हैं।
  • एंटीबायोटिक्स कान के बीच वाले हिस्से के तरल पदार्थ को ठीक नहीं कर पाते हैं।
  • एंटीबायोटिक्स के नुकसान भी हो सकते हैं।
  • ज्यादातर एंटीबायोटिक्स पहले 24 घंटों में दर्द से राहत नहीं दे पाते हैं।

जो बच्चे 6 वर्ष से बड़े होते हैं और गंभीर संक्रमण नहीं होता है, तो डॉक्टर उन्हें 5-7 दिन की एंटीबायोटिक्स दवा दे सकते हैं। वहीं, जिन बच्चों को बार-बार कान का संक्रमण होता है और सुनने व बोलने में दिक्कत होती है, उन बच्चों को सर्जरी की जरूरत होती है। ऐसे बच्चों की सर्जरी के समय एक ट्यूब कान, नाक या गले के जरिए अंदर डालते हैं। फिर कान के अंदर के हिस्से से तरल पदार्थ को बाहर निकाला जाता है। इसकी वजह से बच्चे के कान में सही मात्रा में दबाव बनता है (5)

आगे हम कान के संक्रमण से निपटने के लिए कुछ घरेलू उपचार बता रहे हैं।

बच्चों के कान में दर्द का घरेलू उपचार

कान के दर्द को कुछ घरेलू उपचार के जरिए भी ठीक किया जा सकता है। नीचे कुछ खास घरेलू उपायों के बारे में बता रहे हैं। हालांकि, ध्यान रहे कि बच्चे के कान में किसी भी तरह का तेल या कोई भी अर्क सीधे तौर पर न डालें। तो आइये अब जानते हैं कान दर्द के घरेलू उपाय जो कुछ इस प्रकार हैं:

  1.  गर्म सिकाई : गर्म पानी को बोतल में डालकर कान के ऊपरी हिस्से पर रखकर सिकाई की जा सकती है। इससे कान में जो तरल पदार्थ होता है, वह बाहर आ जाता है और बच्चे को दर्द से राहत मिल सकती है। यह करने से सूजन भी काम हो सकती है (6)। ध्यान रहे कि पानी ज्यादा गर्म न हो।
  1. टी ट्री आयल : टी ट्री ऑयल की कुछ बूंदें लें और उसे बच्चे के दर्द प्रभावित कान के आस-पास बाहर से लगाएं (7)
  1. लहसुन या प्याज का रस : लहसुन या प्याज का रस काफी पुरानी तरकीब है। लहसुन या प्याज की 2-3 बूंदें दर्द प्रभावित कान के आसपास लगाएं (7)
  1. यूकलिप्टस या पेपरमिंट ऑयल: यूकलिप्टस या पेपरमिंट ऑयल की कुछ बूंदें पानी में डालकर गर्म करें, फिर सिर को कपड़े से ढक कर स्टीम लेने दें। इससे बंद कान खुल जाएगा और दर्द में कुछ राहत मिलेगी (7)

नोट : ये उपचार काफी पुराने हैं, लेकिन इन्हें डॉक्टर की सलाह के बिना प्रयोग न करें।

आइए, अब यह जान लेते हैं कि इस बीमारी की रोकथाम कैसे की जा सकती है।

शिशुओं में कान के संक्रमण की रोकथाम

आप अपने बच्चे के कानों में होने वाले संक्रमण को नीचे दिए गए इन उपायों से रोक सकते हैं (6):

  • बच्चे के हाथों और खिलौनों को अक्सर धोएं, क्योंकि गंदे हाथ और गंदे खिलौनों की वजह से बैक्टीरिया फैलता है।
  • अगर बच्चे को डे केयर में रखने को मजबूर हैं, तो ऐसा डे केयर ढूंढें जहां बच्चों की संख्या ज्यादा न हो। इससे आपके बच्चे को संक्रमण होने का खतरा काफी कम हो जाएगा।
  • अगर शिशु मां का दूध पीता है, तो उसे कान में संक्रमण होने का खतरा कम होता है।
  • अपने बच्चे को धूल-मिट्टी व प्रदूषण से दूर रखें।
  • समय-समय पर बच्चे का टीकाकरण करवाते रहें। इससे बच्चे को संक्रमण होने की आशंका काफी कम हो जाती है। हीमोफिलस इन्फ्लुएंजा बी या एचआईबी और न्यूमोकोकल 13 या फिर प्रेवनार वैक्सीन मुख्य रूप से कान में होने वाले संक्रमण से बचाते हैं (8)
  • बच्चों को ज्यादा मात्रा में एंटीबायोटिक्स देने से बचें। ऐसा करने से बच्चों का शरीर बैक्टीरिया से लड़ने में असमर्थ हो जाता है।
  • जब बच्चों को कान का संक्रमण हो, तो उन्हें हवाई यात्रा न कराएं। संक्रमण की स्थिति में कान के बीच में हवा का ज्यादा दबाव होता है और हवाई जहाज के अंदर कम हवा का दबाव होता है। इस वजह से बच्चे को और ज्यादा दर्द हो सकता है।

शिशुओं में कान के संक्रमण से जुड़ी जटिलताएं

अगर कान का संक्रमण लंबे समय तक रहे, तो इससे बच्चे के कान के पर्दे फट भी सकते हैं। नीचे हम कुछ ऐसी ही समस्याओं के बारे में बता रहे हैं :

  1. मास्टोइडाइटिस : कान के नीचे वाली हड्डी को मास्टोइड कहा जाता है। वहां हवा के पहुंच जाने पर मास्टोइड हड्डी संक्रमित हो जाती है (9)
  1. कोलेस्टेटोमा : यह कान में बार-बार संक्रमण होने की वजह से होता है। कोलेस्टेटोमा में कान के पर्दों के ठीक पीछे ज्यादा सेल बनने लगते हैं। ये सेल कान के बीच के हिस्से की हड्डियों को नुकसान पहुंचा सकते हैं (10)
  1. लैबीरिंथाइटिस: लैबीरिंथाइटिस कान के अंदर के हिस्से में होने वाली सूजन है। इस अवस्था में चक्कर आ सकते हैं और सुनने की क्षमता पर भी असर पड़ सकता है (11)

कान के संक्रमण से उबरने में कितना समय लगता है?

आमतौर पर कान का संक्रमण 2 से 3 दिन में सही हो जाता है, लेकिन कुछ मामलों में 2 हफ्ते भी लग सकते हैं।

आगे हम इस बीमारी में एंटीबायोटिक्स की भूमिका बता रहे हैं।

क्या शिशुओं में कान के संक्रमण को रोकने के लिए एंटीबायोटिक्स की आवश्यकता है?

शिशुओं में कान के संक्रमण को रोकने के लिए एंटीबायोटिक्स की आवश्यकता बीमारी के कारण पर निर्भर करती है, क्योंकि यह शिशुओं के लिए नुकसानदेह भी हो सकती हैं। अगर बच्चे को कान में संक्रमण की वजह से बहुत दर्द हो रहा हो या कान का संक्रमण कुछ दिन बीत जाने पर भी ठीक न हो, तो तुरंत इलाज की जरूरत होती है। इस दौरान बच्चों को एंटीबायोटिक्स दिए जाते हैं। नीचे हम कुछ खास स्थितियों के बारे में जिक्र कर रहे हैं, जिनमें एंटीबायोटिक्स दी जाती हैं (1) :

जिन बच्चों की उम्र 6 महीने से 2 साल के बीच होती और उनका कान दर्द 48 से 72 घंटे के बीच ठीक न हो, तो डॉक्टर उन्हें एंटीबायोटिक दवा दे सकते हैं।

  • जिन बच्चों की उम्र 2 साल या उससे ज्यादा होती है और साथ ही उन्हें बुखार भी होता है, तो एंटीबायोटिक दवा दी जाती हैं।
  • जब वायरस की वजह से कान का संक्रमण होता है, तब एंटीबायोटिक दवाइयां काम नहीं करती हैं।
  • कभी-कभी ऐसी अवस्था आ जाती है, जब डॉक्टर के पास जाना पड़ता है। आगे उसी बारे में बताया जा रहा है।

डॉक्टर के पास कब जाएं?

यहां हम कुछ लक्षण बता रहे हैं, जिनके नजर आने पर शिशु को तुरंत डॉक्टर के पास ले जाना चाहिए :

  • जब बच्चे के कान से सफेद या पीले रंग का मवाद या खून निकले।
  • किसी चोट की वजह से भी बच्चे के कान से मवाद निकले।
  • अगर, बच्चे के कान में 5 दिन से ज्यादा हो जाने पर मवाद निकले।
  • अगर बच्चे के कान में बहुत ज्यादा दर्द हो, तो भी डॉक्टर के पास ले जाना चाहिए।
  • अगर मवाद निकलने के साथ-साथ बुखार और सिर दर्द हो।
  • अगर बच्चे को सुनाई देना बंद हो जाए।
  • कान में किसी तरह की सूजन नजर आए।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

क्या कान की नलियों (ईयर ट्यूब) में बार-बार होने वाले संक्रमण से बचा जा सकता है?

हां, अगर आप अपने बच्चे के कान को साफ रखते हैं, नियमित रूप से डॉक्टर से चेक करवाते हैं और साथ ही अन्य सावधानियां बरतते हैं, तो इंफेक्शन को बार-बार होने से रोका जा सकता है।

मेरे शिशु के कान से मवाद (पीप) क्यों निकल रही है?

कान में संक्रमण होने के कारण शिशु के कान से मवाद निकल सकता है। इसके अलावा, ईयर ड्रम में जख्म होने या कट लगने पर भी मवाद निकल सकता है।

मेरे बच्चे के कान का संक्रमण ठीक नहीं हो रहा है। मुझे क्या करना चाहिए?

अगर बच्चे के कान का संक्रमण लगातार कई दिनों तक रहे और गंभीर रूप लेने लगे, तो सीधा डॉक्टर से संपर्क करें।

कान में संक्रमण होने पर शिशु तेज दर्द का सामना करते हैं और चिड़चिड़े होकर रोने लगते हैं। इसी स्थिति में आपको उसका विशेष ध्यान रखना चाहिए। आप घबराएं नहीं, बल्कि उसके दर्द को कम करने की कोशिश करें या डॉक्टर के पास ले जाएं। उम्मीद है कि इस लेख में दी गई जानकारी आपके लिए उपयोगी होगी। इस आर्टिकल को अपने परिचितों के साथ जरूरी शेयर करें।

References

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1. Ear Infections in Children By NIDCD
2. Children’s Health: Less Pollution, Less Earache? By Ncbi
3. Middle ear infection: Overview By NCBI
4. Ear Infections in Children By NIDCD
5. Middle Ear Infections By Kidshealth
6. Ear infection – acute By Medline Plus
7. Ear Infections By Google Books
8. Preventing Ear Infections In Young Children By Health Care
9. Mastoiditis By Medline Plus
10. Cholesteatoma By Medline Plus
11. Labyrinthitis By Medline Plus

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