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बच्चों में टाइफाइड के लक्षण, कारण व इलाज | Baccho Me Typhoid Ke Lakshan

हर माता-पिता चाहते कि उनके बच्चे हंसते-खेलते और स्वस्थ रहें। इसके लिए वो हर वक्त अपने बच्चे की देखभाल करते हैं, लेकिन बड़ों की तुलना में बच्चों की रोग-प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है (1)। ऐसे में उन्हें बैक्टीरियल और वायरल संक्रमण के कारण कुछ बीमारियों का खतरा हो सकता है। टाइफाइड भी एक बैक्टीरियल संक्रमण होने वाली बीमारी है। बच्चे आसानी से इसकी चपेट में आ सकते हैं। टाइफाइड को मियादी बुखार भी कहा जाता है। बच्चों में टाइफाइड का इलाज कैसे हो सकता है, मॉमजंक्शन के इस लेख में हम इसी बारे में जानकारी देने का प्रयास करेंगे। साथ ही टाइफाइड से जुड़े अन्य महत्वपूर्ण तथ्यों के बारे में भी जानकारी देंगे।

आइए, सबसे पहले टाइफाइड के बारे में जानते हैं।

In This Article

टाइफाइड क्या है?

टाइफाइड एक गंभीर बीमारी है, जो कभी-कभी जानलेवा भी हो सकती है। यह बुखार साल्मोनेला टाइफी (Salmonella Typhi) नामक बैक्टीरिया के कारण होता है। यह बैक्टीरिया आमतौर पर मनुष्य के शरीर में रहते हैं और उनके मल-मूत्र के जरिए बाहर निकल जाते हैं (2) इसके अलावा, दूषित भोजन या पानी के सेवन से भी टाइफाइट हो सकता है। टाइफाइड दुनिया भर में हर साल लगभग 2.1 करोड़ लोगों को होता है और लगभग 2 लाख लोग इसके कारण मौत का शिकार होते हैं (3)

नोट – एक वैज्ञानिक अध्ययन के अनुसार, 5 साल से कम उम्र के बच्चों और बड़ों में टाइफाइड के बुखार की अवधि, लक्षण, कारण व उपचार आदि की प्रक्रिया लगभग एक समान हो सकती है (4)

लेख के इस भाग में जानते हैं कि बच्चों में टाइफाइड होने के क्या कारण हो सकते हैं।

बच्चों में टाइफाइड होने के कारण

टाइफाइड होने का मुख्य कारण है स्वछता में कमी होना। नीचे जानिए कि कैसे यह बीमारी बच्चों को अपना शिकार बना सकती है (5)

  • दूषित भोजन – अगर आपका बच्चा किसी ऐसे खाद्य पदार्थ का सेवन करता है, जो एस टाइफी से बैक्टीरिया से संक्रमित है, तो यह टाइफाइड का कारण बन सकता है।
  • दूषित पानी टाइफाइड दूषित पानी या पेय पदार्थों के जरिए भी आपके बच्चों में हो सकता है। एस टाइफी बैक्टीरिया से संक्रमित पेय पदार्थ के सेवन से बच्चे को यह बीमारी हो सकती है।
  • संक्रमित व्यक्ति के जरिए – कुछ लोग एस टाइफी (टाइफाइड के बैक्टीरिया) के फैलने का कारण बन जाते हैं। ऐसे लोग के मल में यह बैक्टीरिया लंबे समय तक रहता है।

टाइफाइड के कारण जानने के बाद आइए अब टाइफाइड के लक्षण को भी जान लेते हैं।

बच्चों में टाइफाइड के लक्षण | Bacho Me Typhoid Ke Lakshan

बच्चों में टाइफाइड के लक्षण कुछ इस प्रकार हो सकते हैं (2), (5), (6), (7)

  • तेज बुखार
  • थकान
  • कमजोरी
  • पेट में दर्द
  • सिरदर्द
  • भूख न लगना
  • शरीर पर दाने निकलना
  • बुखार
  • अस्वस्थता (सामान्य अस्वस्थता की भावना)
  • गले में खराश
  • लगातार खांसी
  • सामान्य हृदय गति की तुलना में गिरावट
  • पसीना आना
  • खराब पाचन क्रिया, जैसे – कब्ज या डायरिया
  • वजन कम होना
  • सीने और पेट पर लाल चकत्ते पड़ना
  • मानसिक बदलाव जैसे भ्रम
  • ब्लड पॉइजिनिंग (septicemia – सेप्टीसीमिया)
  • प्लीहा का बढ़ जाना (splenomegaly – स्प्लेनोमेगाली)
  • लीवर का बढ़ जाना (hepatomegaly – हेपेटोमेगाली)

ऐसे लक्षण दिखने पर लापरवाही न बरतें और शीघ्र ही बच्चे को डॉक्टर के पास उपचार के लिए ले जाएं।

आइए, अब इस बुखार से होने वाले स्वास्थ्य जोखिम के बारे में भी जान लेते हैं।

बच्चों को टाइफाइड से होने वाली जटिलताएं

अगर टाइफाइड का समय रहते इलाज न किया जाए, तो करीब 30% मरीजों की इसके कारण मौत हो सकती है (2)। वहीं, कई अन्य स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं भी हो सकती हैं, जो इस प्रकार हैं (5):

  • आंत से खून निकलना (Intestinal hemorrhage)
  • आंतों में सुराख होना (Intestinal perforation)
  • किडनी की समस्या (Kidney failure)
  • पेरिटोनाइटिस (Peritonitis – बैक्टीरिया के कारण पेट में एक प्रकार की सूजन)

लेख के इस भाग में बच्चों में टाइफाइड की जांच से जुड़ी जानकारी दी जा रही है।

बच्चों में टाइफाइड का निदान

बच्चों में टाइफाइड के लक्षण नजर आते ही तुरंत डॉक्टर से उसका चेकअप करवाना चाहिए। चेकअप के दौरान डॉक्टर निम्नलिखित प्रक्रिया का पालन कर सकते हैं (6):

  • बच्चे की शारीरिक जांच की जाएगी।
  • डॉक्टर बच्चे के बारे में माता-पिता से कुछ सवाल या बच्चे की मेडिकल हिस्ट्री के बारे में पूछ सकते हैं।
  • ब्लड टेस्ट किया जा सकता है।
  • मल की जांच भी की जा सकती है।
  • मूत्र की जांच हो सकती है।
  • जरूरत पड़ने पर बोन-मैरो टेस्ट भी हो सकता है।

आइए, अब यह जान लेते हैं कि बच्चों में टाइफाइड का इलाज कैसे किया जाता है।

बच्चों मे टाइफाइड का इलाज

मेडिकल ट्रीटमेंट के बिना टाइफाइड बुखार जोखिम भरा हो सकता है। नीचे पढ़ें टाइफाइड उपचार के कुछ विकल्प (2), (6)

  • एंटीबायोटिक्स – बैक्टीरिया को मारने के लिए और टाइफाइड के असर को कम करने के लिए डॉक्टर बच्चे को एंटीबायोटिक्स दवा देते हैं। यह दवा बच्चे के ठीक होने के बाद भी कुछ समय तक निरंतर दी जाती है, ताकि बैक्टीरिया फिर से सक्रीय न हो जाए।
  • तरल पदार्थ – टाइफाइड के दौरान दस्त और शरीर में पानी की कमी हो सकती है। इस स्थिति से बचने के लिए और शरीर में पानी की कमी की पूर्ति के लिए बच्चे को ज्यादा से ज्यादा तरल पदार्थ देना चाहिए। जिन बच्चों को गंभीर डिहाइड्रेशन है, उन्हें अस्पताल में भर्ती कराके सूई के जरिए शरीर में तरल पदार्थ दिया जा सकता है।
  • एसिटामिनोफेन (acetaminophen) – यह बुखार को कम करने की दवा होती है। इसे खाने के बाद बच्चे को आराम महसूस हो सकता है। इसे पैरासीटामोल भी कहा जाता है। हालांकि, इस बात का विशेष ध्यान रखें कि बताई गई इस दवा को केवल डॉक्टर की सलाह पर ही बच्चों को दें। अगर दवा देने के बाद भी बच्चे में कुछ फर्क नजर न आए, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
  • हॉस्पिटल ले जाएं – कभी-कभी परिस्थिति गंभीर हो सकती है और कुछ बच्चों को ज्यादा देखभाल की जरूरत होती है। ऐसे में उन्हें हॉस्पिटल में भर्ती किया जा सकता है।
  • बच्चों को बाहर जानें न दें – जब तक टाइफाइड का इलाज चल रहा हो और बच्चा पूरी तरह से ठीक न हो जाए, उसे बाहर न जाने दें। डॉक्टर के कहने पर ही उसे स्कूल, कोचिंग या खेलने के लिए बाहर भेजें।

आर्टिकल के इस अहम हिस्से में हम बता रहे हैं कि टाइफाइड से बच्चों का बचाव कैसे किया जा सकता है।

बच्चों को टाइफाइड से कैसे बचाएं

नीचे पढ़ें बच्चों को टाइफाइड से बचाने के कुछ टिप्स (2) (8) (9)

  • बच्चों को साफ, बोतलबंद या उबला हुआ पानी दें। जब वो ब्रश करें, तब भी उन्हें कुल्ला करने के लिए पानी उबालकर दें।
  • बच्चे को बर्फ, बर्फ वाला पानी या कोई अन्य बर्फ वाला पेय पदार्थ न दें। बर्फ का गोला, कुल्फी, आइसक्रीम आदि से बच्चों को दूर रखें।
  • ध्यान रखें कि नहाते वक्त पानी बच्चे के मुंह में न जाए।
  • सीधे नल का पानी या बाहर का पानी पीने के लिए न दें।
  • बाहर या स्ट्रीट वेंडर के खाद्य पदार्थ बच्चे को न दें।
  • अच्छे से पका हुआ गर्म खाना दें।
  • कच्चा खाना या ऐसे फल न दें, जिसे आप ठीक से छील न सकें।
  • अनपाश्चराइज्ड डेयरी उत्पाद न दें।
  • जब भी बच्चे बाहर से आए उनके हाथ अच्छे से धुलवाएं।
  • खाना बनाने से पहले अच्छे से हाथ धोएं।
  • अगर कहीं बाहर यात्रा कर रहे हों, तो अपने साथ विकल्प के रूप में हैंड सैनिटाइजर जरूर रखें।
  • टॉयलेट से आने के बाद बच्चे के हाथ अच्छे से साफ करें। उन्हें आंख, नाक और कान को न छूने दें, जब तक कि उनके हाथ अच्छी तरह से साफ न हो जाएं।
  • बच्चे को किसी भी व्यक्ति के ज्यादा समीप न जाने दें। गले मिलना व किसिंग आदि से बच्चों को बचाकर रखें।

वैक्सीन के जरिए बचाव – हालांकि टाइफाइड का टीका, बचपन में लगने वाला जरूरी टीकाकरण नहीं है। हां, अगर आपका बच्चा ऐसे क्षेत्र/देश की यात्रा कर रहा है, जहां टाइफाइड बुखार आम है या होने की आशंका है, तो वैक्सीन के लिए एक बार डॉक्टर की सलाह ले सकते हैं। वैक्सीन के बाद दवा को सक्रिय होने में कम से कम 1 से 2 सप्ताह का समय लग सकता है (2)। इसलिए, कोशिश करें कि 1-2 हफ्ते पहले ही वैक्सीन के लिए डॉक्टर के पास जाएं और उनसे सलाह लें।

लेख के इस भाग में हम टाइफाइड वैक्सीन इंजेक्शन के बारे में थोड़ी और जानकारी देने की कोशिश कर रहे हैं।

टाइफाइड वैक्सीन इंजेक्शन

टाइफाइड का टीका टाइफाइड से बचाव कर सकता है। टाइफाइड से बचाव के लिए दो प्रकार के टीके उपलब्ध हैं, जिनके बारे में हम नीचे जानकारी दे रहे हैं (2)

  1. इन-एक्टिवेटिड टीका – इसे इंजेक्शन के रूप में दिया जाता है।
  1. लाइव टीका – इसे दवा के रूप में ओरली दिया जाता है।

टाइफाइड का टीका किसे और कब लगवाना चाहिए?

  • जो ऐसी जगह पर रहते हैं या यात्रा करते हैं, जहां टाइफाइड होना आम है।
  • जो उन लोगों के संपर्क में आते हैं, जिन्हें टाइफाइड है या इस बैक्टीरिया को फैलाने का कारण बन सकते हैं।

इन-एक्टिवेटिड टिका

  • इसकी एक खुराक ही काफी है। इस टिके को यात्रा पर जाने से कम से कम 2 सप्ताह पहले लगवाएं, क्योंकि इसका असर होने में दो हफ्ते लग सकते हैं।
  • जो टाइफाइड के जोखिम में रहते हैं, उनके लिए हर 2 साल में बूस्टर खुराक की जरूरत होती है।

लाइव टाइफाइड टीका

  • चार खुराक दी जाती हैं। एक बार में एक कैप्सूल लिया जाता है, जिसे हर दूसरे दिन खाना चाहिए। अंतिम खुराक को कम से कम 1 सप्ताह पहले लेना जरूरी है, क्योंकि इसका असर शुरू होने में वक्त लगता है।
  • खाने के एक घंटे पहले ठंडे या गुनगुने पानी के साथ लेना चाहिए। ध्यान रहे कि यह चबाने के लिए नहीं बल्कि निगलने के लिए है।
  • टाइफाइड के जोखिम वाले लोगों को हर 5 साल में बूस्टर खुराक की आवश्यकता होती है।

नोट : ध्यान रहे इन वैक्सीन का इस्तेमाल सिर्फ डॉक्टर की देखरेख में ही किया जाना चाहिए। साथ ही इस बात का भी ध्यान रहे कि टाइफाइड का टीका 100% प्रभावी नहीं है। इसके साथ-साथ आपका बच्चा क्या खाता-पीता है, यह भी महत्व रखता है।

किसे टाइफाइड का टीका नहीं लगवाना चाहिए ?

इन-एक्टिवेटिड टिका

  • 2 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को नहीं दिया जाना चाहिए।
  • जिस किसी को भी इस टीके की पिछली खुराक से गंभीर रिएक्शन या एलर्जी हुई हो, उसे इसकी दूसरी खुराक नहीं देनी चाहिए।
  • अगर कोई इंजेक्शन लगवाने के समय गंभीर रूप से बीमार है, तो उसे पहले ठीक होने का इंतजार करना चाहिए।

लाइव टाइफाइड का टीका (मौखिक)

  • 6 साल से कम उम्र के बच्चों को यह नहीं दिया जा सकता है।
  • जिन्हें इस वैक्सीन के पहले डोज से गंभीर रिएक्शन या एलर्जी हुई हो, उन्हें इसकी दूसरी डोज नहीं देनी चाहिए।
  • अगर वैक्सीन लगवाने के तिथि में बच्चा बीमार है, तो यह वैक्सीन न लगवाएं, बल्कि बच्चे के पूरी तरह ठीक होने का इंतजार करें।
  • जिनका इम्यून सिस्टम कमजोर है, उन्हें यह टीका नहीं लगवाना चाहिए।
  • कुछ खास एंटीबायोटिक्स लेने के कम से कम 3 दिन बाद तक ओरल टाइफाइड का टीका नहीं दिया जाना चाहिए।

वैक्सीन से होने वाले जोखिम या जटिलताएं।

किसी भी दवा की तरह, यह वैक्सीन के भी कुछ जोखिम कारक हो सकते हैं। हालांकि, इसकी जटिलताएं काफी दुर्लभ है, लेकिन हम सावधानी के तौर पर इनके बारे में आपको जानकारी दे रहे हैं।

इन-एक्टिवेटिड टीका

  • बुखार (100 में से किसी 1 व्यक्ति को)
  • सिरदर्द (30 में 1 किसी व्यक्ति को)
  • इंजेक्शन की जगह पर लालिमा या सूजन (15 में लगभग किसी 1 व्यक्ति को)

लाइव टाइफाइड का टीका (मौखिक)

  • हल्का रिएक्शन या एलर्जी
  • बुखार या सिरदर्द (20 में से किसी 1 व्यक्ति को)
  • पेट दर्द, मतली, उल्टी, दाने (दुर्लभ)

आइए अब लेख के इस भाग में जानते हैं कि टाइफाइड से बचने के लिए बच्चों को क्या खाना या पीना चाहिए ?

टाइफाइड पीड़ित बच्चों को क्या खाना चाहिए और क्या नहीं?

नीचे तालिका के माध्यम से टाइफाइड के दौरान बच्चों को सेवन करने और न करने वाले खाद्य और पेय पदार्थों के बारे में जानकारी दी जा रही है (9)

क्या खाएं व पिएं क्या न खाएं व पिएं
भोजन जो अच्छी तरह से पकाया गया हो और गर्म हो। जो भोजन ठंडा हो।
अच्छी तरह से पका हुआ अंडा। कच्चा या हल्का पका हुआ अंडा।
फल और सब्जियां, जिन्हें साफ पानी में धोया गया हो या जिन्हें खुद से छीलकर साफ किया गया हो। ठीक तरह से न धुली व कटी हुई सब्जियां और सलाद का सेवन न करें।
पाश्चरीकृत (Pasteurized) डेयरी उत्पाद, जैसे दूध आदि। बिना पाश्चुरीकृत (Unpasteurized) डेयरी उत्पाद न पिलाएं।
बोतल बंद या फिर उबला हुआ पानी। बर्फ के खाद्य पदार्थ या गोले या बाहर नल का पानी न पिलाएं।
गर्म कॉफी और चाय दे सकते हैं। ठंडे खाद्य पदार्थ या ड्रिंक न पिलाएं
अच्छी तरह से पका हुआ मांस या मछली कच्चा या आधा पका हुआ मांस या मछली खाने से बचें।
पके हुए और सफाई से रखे गए फल और सब्जियों का इस्तेमाल कर सकते हैं। बिना ढके या बिना पके कच्चे फल और सब्जियां खाने से बचें।

आइए, अब जानते हैं कि टाइफाइड बुखार कितने दिनों मे ठीक हो सकता है।

टाइफाइड बुखार को ठीक होने में कितने दिन लगते हैं?

ज्यादातर मामलों में बच्चे इलाज शुरू होने के दो से तीन दिन में बेहतर महसूस करने लगते हैं (2)। साथ ही यह बच्चे की स्थिति पर भी निर्भर करता है। हालांकि, अगर सही वक्त पर इलाज शुरू हो जाए, तो बच्चे को ठीक होने में कुछ हफ्ते लग सकते हैं। इसके अलावा 20% मामलों में यह ठीक होने के बाद भी दोबारा हो सकता है (8)। इसलिए, अगर बच्चा ठीक भी हो जाए, तो जब तक डॉक्टर दवा बंद करने को न कहे, तब तक बच्चे को दवा देते रहें।

डॉक्टर के पास कब जाएं?

जैसा कि आपको ऊपर टाइफाइड बुखार के लक्षणों के बारे में बताया गया है, उसे ध्यान में रखते हुए जैसे ही आपको अपने बच्चे में प्रारंभिक लक्षण दिखे, तुरंत डॉक्टर के पास जाएं। अगर उपचार के बाद भी इसके लक्षण बच्चों में दोबारा दिखें, तो बिना देरी किए बच्चे का चेकअप करवाएं। इसके अलावा, अगर बच्चे को गंभीर पेट दर्द, कम पेशाब या कोई नए लक्षण दिखे, तो बच्चे को तुरंत डॉक्टर के पास ले जाएं (5)

इस लेख से आपको यह तो पता चल ही गया कि टाइफाइड एक गंभीर बीमारी है। अगर इसका वक्त रहते इलाज न किया गया, तो यह बच्चे के लिए परेशानी पैदा कर सकता है। हालांकि, इस लेख में बताई गई जानकारी को ध्यान में रखकर उसका पालन करने से आप इस बीमारी के जोखिम को कम कर सकते हैं। इसलिए, इस लेख को अपने परिवार और दोस्तों के साझा करके इस बीमारी के बारे में ज्यादा से ज्यादा जागरूकता बढ़ाएं।

References

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1.Evolution of the immune system in humans from infancy to old age By NCBI
2.Typhoid fever By Kidshealth
3.Typhoid Vaccine By Medline
4.Typhoid fever in children aged less than 5 years By NCBI
5.Typhoid fever By Medline
6.Typhoid and paratyphoid By Betterhealth
7.Typhoid fever in children in Africa By NCBI
8.Typhoid and Paratyphoid Fever By Queensland Government
9.Typhoid Fever By CDC

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