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बच्चों के दांत में तार (टीथ ब्रेसेस) लगवाने के फायदे व खर्चा | Bachoo Ke Danto Me Tar Lagane Ke Fayde Aur Kharcha

बच्चों के दांत निकलने पर सबसे ज्यादा खुशी मां-बाप को होती है। ये दांत ही तो हैं, जो न सिर्फ खाने में मदद करते हैं, बल्कि चेहरे की खूबसूरती को भी निखारते हैं। हालांकि, जरुरी नहीं कि हर बच्चे के दांत सही आकार के हो। कभी-कभी कुछ बच्चों में दांत थोड़े बेढंगे आकार में भी निकल आते हैं, जो देखने में बिलकुल भी अच्छे नहीं लगते। साथ ही यह बच्चों की सुंदर मुस्कान को भी प्रभावित करते हैं। ऐसे में बच्चों के टेढ़े दांतों को सीधा करने का सबसे आसान विकल्प हैं, टीथ ब्रेसेस। हालांकि, कई लोगों के मन में टीथ ब्रेसेस को लेकर कई तरह की शंकाएं रहती हैं। इस वजह से कुछ लोग बच्चों के दांतों में ब्रेसेस लगवाने से हिचकते हैं। यही वजह है कि मॉमजंक्शन के इस लेख के माध्यम से हम टीथ ब्रेसेस से जुड़ी कई जरूरी बाते बताने जा रहे हैं। ताकि टीथ ब्रेसेस के फायदे और उपयोगिता को बेहतर तरीके से समझा जा सके।

तो आइए सबसे पहले जानते हैं कि टीथ ब्रेसेस क्या है।

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टीथ ब्रेसेस क्या है?

आसान शब्दों में अगर कहें, तो टीथ ब्रेसेस एक प्रकार का तार होता है। इसका उपयोग दांतों की असामन्यता यानी दांतों की बिगड़ी या बेडौल स्थिति में किया जाता है। इस समस्या को मेडिकल टर्म में मालओक्कलूसन (malocclusion) कहा जाता है (1)टीथ ब्रेसेस बेडौल दांतों के कारण दांतों और जबड़े के विकास में आ रही रुकावट को दूर करने में मदद कर सकते हैं (2) लेख में आगे हम टीथ ब्रेसेस लगवाने के कारणों के बारे में विस्तार से जानेंगे।

अब जानते हैं कि बच्चों को टीथ ब्रेसेस लगवाने की जरूरत क्यों पड़ती है।

बच्चों के दांतों में ब्रेसेस क्यों लगवाते है ?

टीथ ब्रेसेस की उपयोगिता को समझने के लिए उन स्थितियों को जानना भी जरूरी है, जिनमें टीथ ब्रेसेस लगवाना आवश्यक माना जाता है। यह स्थितियां कुछ इस प्रकार हो सकती हैं (1) (2):

  • टेढ़े-मेढ़े दांतो को सही आकार देने के लिए।
  • जब मुंह में मौजूद ऊपर और नीचे के दांत एक दूसरे पर सही से बैठ न रहे हों।
  • दांतों के बीच हुए गैप को ठीक करने के लिए।
  • अगर किसी चीज को दांतों से काटने में असुविधा हो, तो भी ब्रेसेस की जरूरत पड़ सकती है।
  • मैलोऑक्लूशन (malocclusion- दांतों का बेडौल स्थिति में होना) की स्थिति में।
  • होंठों और दांतों को ठीक से संरेखित करने यानी अपनी सामान्य स्थिति में लाने के लिए।
  • जब जबड़ों का आकार एक जैसा नहीं होता है। ऊपर और नीचे के जबड़ों के आकार में अंतर हो, तो उसे ठीक करने के लिए।

यहां हम जानेंगे बच्चों के दांतों में तार लगाने की सही उम्र के बारे में।

ब्रेसेस लगवाने की सही उम्र क्या है?

दांतों में ब्रेसेस लगाने की उम्र की बात की जाए, तो इस विषय में हुए शोध में थोड़ा अंतर पाया गया है। जहां एनसीबीआई की वेबसाइट पर प्रकाशित एक शोध में, 3 से 5 साल की उम्र तक के बच्चों को ब्रेसेस लगाने की बात सामने आई है (3) वहीं, इसी विषय पर हुई एक अन्य स्टडी में 7 से 16 साल की उम्र को ऑर्थोडॉन्टिक उपचार के लिए उपयुक्त माना गया है (4)। ऐसे में ब्रेसेस लगाने की सही उम्र क्या है, इस बारे में स्पष्ट रूप से कुछ नहीं कहा जा सकता है। हालांकि, जब शिशु को पहली बार दांत निकलते हैं  और उनके टूटने के बाद जब परमानेंट दांत आते हैं, उस स्थिति में अगर दांतों के आकार में कोई खराबी है तो वह नजर आ सकती है। इस स्थिति में दांतों को सही आकार देने के लिए टीथ ब्रेसेस सहायक हो सकते हैं। ऐसे में डॉक्टर से सलाह लेकर बच्चे के दांतों में ब्रेसेस लगवाने की सही उम्र और समय का पता लगाना बेहतर विकल्प है। 

अब हम बताएंगे कि बच्चे को ब्रेसेस की जरूरत है, इस बात की जानकारी कैसे मिलेगी।

कैसे पता चलेगा कि क्या बच्चे को ब्रेसेस की आवश्यकता है?

अब सबसे जरूरी सवाल यह है कि माता-पिता को कैसे पता चलेगा कि उनके बच्चे को ब्रेसेस लगवाने की आवश्यकता है। ऐसे में हम यहां कुछ लक्षणों की जानकारी दे रहे हैं, जिस आधार पर माता-पिता इस बारे में जान सकेंगे (1) (2)

  • बच्चे को अगर चबाने में परेशानी हो रही हो।
  • अगर दांतों के वजह से बच्चे को बोलने में असुविधा हो रही हो।
  • अगर बच्चे के दांत सही आकार के नहीं हैं।
  • बच्चे के दांत में गैप हो।

अब जानते हैं कि टीथ ब्रेसेस कितने प्रकार के होते हैं।

टीथ ब्रेसेस के प्रकार?

टीथ ब्रेसेस के प्रकार की अगर बात की जाए, तो इसके 3 से 4 प्रकार है। यहां हम उन्हीं टाइप्स के बारे में जानकारी दे रहे हैं। तो नीचे पढ़ें टीथ ब्रेसेस के प्रकारों के बारे में (5)

  1. मेटल ब्रेसेस : यह टीथ ब्रेसेस के सबसे सामान्य प्रकारों में से एक है। यह धातु से बने तार होते हैं और ये कई सालों से उपयोग किए जा रहे हैं। यह अन्य टीथ ब्रेसेस के प्रकारों की तुलना में कम कीमत के होते हैं।
  1. सेरेमिक ब्रेसेस : यह भी कुछ-कुछ मेटल ब्रेसेस की तरह ही होते हैं। हालांकि, ये पारदर्शी होते हैं और दांतों के रंगो के साथ मिल सकते हैं। ये ब्रेसेस मेटल ब्रेसेस की तुलना में महंगे होते हैं।
  1. लिंगुअल ब्रेसेस : ये भी मेटल ब्रेसेस की तरह ही होते हैं। फर्क बस इतना है कि यह दांतों के पीछे के हिस्से में लगते हैं। इस कारण देखने वाले को इस बात का अंदाजा नहीं होता कि दांतों में ब्रेसेस लगे हुए हैं। इसकी कीमत अन्य ब्रेसेस की तुलना में थोड़ी अधिक होती है।
  1. इंविसिअलाइन ब्रेसेस : ये आधुनिक ब्रेसेस हैं, जिन्हें खाते और ब्रश करते वक्त निकाला जा सकता है। यह पारदर्शी और प्लास्टिक से बने होते हैं, जो टीथ गार्ड जैसे दिखते हैं। हालांकि, इन्हें हर दो हफ्ते में बदलने की जरूरत होती है। इसके अलावा, इनकी कीमत मेटल और सेरेमिक ब्रेसेस के मुकाबले अधिक होती है।

अब जानते हैं टीथ ब्रेसेस के फायदों के बारे में।

बच्चों के दांत में तार लगवाने के फायदे | Bachoo Ke Danto Me Tar Lagane Ke Fayde

जैसे कि हमने टीथ ब्रेसेस से जुड़ी कई सारी जानकारियां ऊपर लेख में दी है। अब सवाल यह उठता है कि बच्चों के दांतों में तार लगाने का फायदा क्या हो सकता है। तो यहां हम जानेंगे कि टीथ ब्रेसेस से बच्चों को क्या फायदे हो सकता है (2)

  • टेढ़े-मेढ़े दांतों का आकार ठीक हो सकता है।
  • दांतों के बीच के गैप ठीक हो सकते हैं।
  • होंठों और दांतों को ठीक से संरेखित (सही आकार और जगह पर लाना) करने में सहायक हो सकता है।
  • अगर दांतों की वजह से खाने को चबाने में असुविधा हो, तो ब्रेसेस लगाने से इस समस्या से राहत मिल सकती है।

अब जानते हैं कि दांतों में टीथ ब्रसेस यानी तार लगाने के क्या नुकसान हो सकते हैं।

बच्चों के दांत में तार लगवाने के नुकसान

बच्चों के दांतो में. ब्रेसेस लगाने के फायदे हैं, तो कुछ नुकसान भी है। लेख के इस भाग में हम इसी के बारे में जानकारी देने की कोशिश कर रहे हैं। बच्चों के दांत में तार लगवाने के नुकसान कुछ इस प्रकार हैं (6):

  • रूट रिजोर्प्शन यानी दांत में चोट या जलन की समस्या है। यह दांत के एक या कई हिस्सों को प्रभावित कर सकता है।
  • दांतो में दर्द की समस्या को भी ब्रेसेस के नुकसानों में गिना जा सकता है।
  • दांतों या मसूड़ों में संक्रमण होने का खतरा हो सकता है।
  • पेरियोडोंटल (मसूड़ों से संबंधित) समस्याएं जैसे – जिंजिवाइटिस (gingivitis- मसूड़ों में सूजन) और अन्य परेशानियां हो सकती है।
  • दांतो पर सफेद धब्बे होना भी ब्रेसेस लगाने के नुकसानों में से एक है।
  • टेम्परोमैंडिबुलर जॉइंट डिसऑर्डर (TMD) यानि जबड़े से संबंधित समस्या हो सकती है। इसमें सिर के दोनों तरफ और कान की नलिका से जोड़ने वाले जोड़ों में दर्द और असुविधा हो सकती है। इस जोड़ के कारण व्यक्ति को बोलने और जबड़े को खोलने या बंद करने में सहायता मिलती है।

यहां आप पढ़ेंगे कि टीथ ब्रेसेस लगवाने के बाद कब और कितनी बार डॉक्टर से मिलना हो सकता है।

डॉक्टर से कितनी बार और कब-कब मिलना होगा?

सामान्य तौर पर ब्रेसेस लगवाने के बाद डॉक्टर मरीज को हर 6 से 8 हफ्ते के अंतराल पर जांच के लिए बुला सकते हैं। ताकि ढीले हुए ब्रेसेस को फिर से टाइट किया जा सके। वहीं जरूरत नजर आने पर डॉक्टर कुछ स्थितियों में मरीज को हर चार हफ्ते के बाद जांच के लिए बुला सकते हैं। इसके अलावा अगर डॉक्टर को जांच में कोई दिक्कत महसूस नहीं होती है तो डॉक्टर मरीज को 10 हफ्ते के अंतराल मिलने के लिए बुला सकते हैं (7)इस आधार पर यह कहा जा सकता है कि ट्रीटमेंट के बाद मरीज की स्थिति के अनुसार डॉक्टर खुद अगली मीटिंग के लिए डेट दे सकते हैं। यहां तक डॉक्टर से पेशेंट को कब-कब मिलना है, इसकी जानकारी भी डॉक्टर पहले ही दे देते हैं। वहीं ब्रेसेस लगाने के बाद किसी तरह की असुविधा होने की स्थिति में मरीज डॉक्टर से तय तिथि से पहले भी मिल सकते हैं।

अब जानते हैं कि टीथ ब्रेसेस में कितना खर्चा हो सकता है।

टीथ ब्रेसेस में होने वाला खर्चा | Danto Me Tar Lagane Ka Kharch

टीथ ब्रेसेस में होने वाले खर्चे की अगर बात की जाए, तो यह ब्रेसेस के प्रकार पर निर्भर करता है। साथ ही अलग-अलग क्लिनिक के अनुसार इसकी कीमत में बदलाव हो सकते हैं। यहां हम केवल अनुमानित सामान्य मूल्य की जानकारी दे रहे हैं, जो कुछ इस प्रकार हो सकती हैं :

  • मेटल ब्रेसेस : 15 से 30 हजार तक का हो सकता है।
  • सेरेमिक ब्रेसेस : 30 से 55 हजार तक का हो सकता है।
  • लिंगग्वल ब्रेसेस : 70 हजार से लाखों तक खर्चा हो सकता है।
  • इंविसिअलाइन ब्रेसेस : वहीं, इंविसिअलाइन ब्रेसेस की कीमत 60 हजार से शुरू होती है।

यहां अब हम जानेंगे कि टीथ ब्रसेस में क्या नहीं खाना चाहिए।

बच्चों को टीथ ब्रेसेस लगने पर क्या नहीं खाना चाहिए?

टीथ ब्रेसेस लगाने के बाद क्या खाना चाहिए और क्या नहीं, इस बात का ध्यान रखना भी जरूरी है। ऐसे में हम यहां जानकारी दे रहे हैं कि ब्रेसेस लगने के बाद डॉक्टर किन चीजों के सेवन में परहेज करने की सलाह दे सकते हैं (8)

  • पॉपकॉर्न।
  • नट्स, ड्राई फ़्रूट्स, बीज के सेवन से बचें। ये कठोर होते हैं, जिस कारण इन्हें खाना असुविधाजनक हो सकता है।
  • मीट न खाएं।
  • पिज्जा का सेवन न करें।
  • बिस्किट।
  • मकई।
  • कठोर या चिपचिपे खाद्य पदार्थ जैसे – च्युइंग गम या चिपकने वाले चॉकलेट्स।
  • शुगर युक्त सोडा, ये सब ब्रेसेस को खराब कर सकते हैं।

नोट : क्या खाना है और क्या नहीं, इस बारे में डॉक्टर ब्रसेस लगाने के बाद ही जानकारी दे देंगे।

यहां हम बताएंगे ब्रेसेस लगाने से पहले कुछ ध्यान देने वाली बातों के बारे में।

बच्चे को ब्रेसेस (Braces) लगवाने से पहले धयान रखने योग्य बातें

बच्चों को ब्रेसेस लगवाने से पहले माता-पिता को कुछ बातों का ध्यान रखने की जरूरत हो सकती है। इसलिए यहां हम टीथ ब्रसेस लगाने से पहले ध्यान रखी जाने वाली कुछ जरूरी बातों के बारे में जानकारी दे रहे हैं :

  • बच्चे को पहले डेंटिस्ट से चेकअप कराएं।
  • अगर डेंटिस्ट सलाह दे, तो ही ऑर्थोडोन्टिस्ट को दिखाएं।
  • ध्यान रहे, ब्रेसेस लगवाने के बाद बच्चे को नियमित चेकअप के लिए ले जाने की जरूरत पड़ सकती है।
  • बच्चे का मन बहलाएं और उन्हें टीथ ब्रेसेस लगवाने के लिए तैयार करें।
  • टीथ ब्रेसेस से दर्द हो सकता है, तो उसके लिए भी तैयार रहें। सभी जरूरी दवाइयों के बारे में डॉक्टर से सलाह लें।
  • ब्रेसेस लगवाने के बाद बच्चे की डाइट से जुड़ी सभी जानकारियां डॉक्टर से पहले ही पूछ लें।
  • खुद को तैयार करें, क्योंकि ब्रेसेस लगवाने के बाद बच्चे का पूरा ध्यान रखना होगा और नियमित रूप से देखभाल की भी आवश्यकता होगी।
  • हो सकता है शुरूआत में ब्रेसेस से बच्चे को असुविधा हो, तो इसके लिए भी अपने साथ ही बच्चे को भी तैयार करें।
  • किस प्रकार के ब्रेसेस लगवाने है, उसकी सलाह और जानकारी ब्रेसेस लगवाने से पहले ही ले लें।
  • बजट बनाएं, क्योंकि ब्रेसेस महंगे होते हैं।
  • ब्रेसेस लगवाने से पहले बच्चे की एक स्माइलिंग फोटो लें, ताकि लगवाने के बाद हुए बदलाव की तुलना आसानी से की जा सके।

अब जानते हैं ब्रेसेस के लिए कुछ केयरिंग टिप्स।

ब्रेसस की रखरखाव व सफाई की टिप्स

ऊपर हमने ब्रेसेस से जुड़ी कई जानकारियां आपके साथ साझा की हैं। अब बारी आती है ब्रेसेस लगवाने के बाद उसका ध्यान रखने की। ब्रसेस लगवाने के बाद बच्चे को ब्रेसेस का ज्यादा ध्यान रखने की आवश्यकता है। ऐसे में नीचे बताई गई बातों पर जरूर ध्यान दें (9):

  • नियमित तौर पर मुंह की सफाई करें।
  • खाने के बाद दांतों को ब्रश करना और फ्लॉस करना आवश्यक है।
  • कुछ भी ऐसा न खाएं, जो चिपचिपा हो और दांतों और ब्रेसेस में अटक जाए।
  • नियमित रूप से डॉक्टर से रूटीन चेकअप कराते रहना जरूरी है।
  • सॉफ्ट खाद्य पदार्थों का सेवन करें।
  • अगर बच्चे को ब्रेसेस के तार से चुभन महसूस हो, तो तुरंत डॉक्टर को इस बारे में बताएं।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

क्या दांत के ब्रेसेस से दर्द होता है?

हां, ब्रेसेस लगाने के बाद दर्द होने की शिकायत हो सकती है (6)

क्या ब्रेसेस से एलर्जी होना संभव है?

हां, ब्रेसेस से एलर्जी की समस्या हो सकती है। वजह यह है कि ब्रेसेस धातु से बने होते हैं और कुछ लोगों को किसी खास धातु से एलर्जी की शिकायत हो सकती है (10)

मेरे बच्चे को कब तक ब्रेसेस पहनने की आवश्यकता है?

आमतौर पर, कम से कम डेढ़ से दो साल तक ब्रेसेस लगाने की जरूरत हो सकती है (11)। हालांकि, बच्चे की दांत की स्थिति पर यह अवधि कम या ज्यादा भी हो सकती है।

मेरे बच्चे को रिटेनर पहनने की आवश्यकता कब तक है?

बता दें रिटेनर एक उपकरण है, जो कुछ कुछ ब्रेसेस से मिलता जुलता ही लगता है, लेकिन इन्हें दांतों पर से खुद से हटाया और साफ किया जा सकता है। ब्रेसेस हटाने के बाद यह दांतों को सुरक्षा प्रदान करने का काम करता है। अब बच्चे को रिटेनर कब तक पहनना है, यह बच्चे की दांत की स्थिति पर निर्भर करता है। मगर, सामन्य तौर पर करीब 19 से 24 महीने तक इन्हें पहनने की सलाह दी जाती है (12)। हालांकि, इसकी सटीक सलाह डॉक्टर से ली जा सकती है।

तो ये थीं टीथ ब्रेसेस से जुड़ी कुछ मुख्य जानकारियां, जिनके माध्यम से आपको पता चला कि टीथ ब्रेसेस बच्चों के टेढ़े दांतों को ठीक करने में सहायक हो सकते हैं। हालांकि, बच्चों को टीथ ब्रेसेस की जरूरत है या नहीं, यह केवल एक ऑर्थोडोन्टिस्ट ही तय कर सकता है। ऐसे में अगर आपको लगे कि आपके बच्चे के दांत या जबड़े से जुड़ी कोई परेशानी है, तो बेझिझक ऑर्थोडोन्टिस्ट की सलाह लें। उम्मीद है कि इस लेख के माध्यम से आपको ब्रेसेस से जुड़ी सभी आवश्यक जानकारियां मिल गई होंगी। ऐसे में इस लेख को अन्य लोगों के साथ भी जरूर शेयर करें। ताकि आपके माध्यम से अन्य लोग भी टीथ ब्रेसेस के फायदे समझ सकें।

References

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1. Malocclusion of teeth By Medlineplus
2. Orthodontia By Medlineplus
3. Need for preventive and interceptive orthodontic treatment in 3-5 year-old Nigerian children in two major cities By NCBI
4. Prevalence of Need of Orthodontic Treatment in 7–16-Year-Old School Children in Udaipur City, India By NCBI
5. Dental Braces & It’s types By Academia
6. Adverse effects of orthodontic treatment: A clinical perspective By NCBI
7. How Often Should We See Our Orthodontic Patients By Clinicaltrials
8. DIET & NUTRITION: CONCEPTUAL IMPORTANCE IN THE SPECIALITY OF ORTHODONTICS-A REVIEW. By Academia
9. The Basics of Braces By Kidshealth
10. Allergy and orthodontics By NCBI
11. Orthodontic treatment time: can it be shortened? By NCBI
12. Retainer wear and compliance in the first 2 years after active orthodontic treatment  By NCBI

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