बच्चों में हेमाट्यूरिया: प्रकार, कारण, लक्षण व उपचार | Hematuria In Kids In Hindi

बच्चे को अपनी बढ़ती उम्र में कभी छोटी, तो कभी गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ता है। उन्हीं में से एक है बच्चों में हेमाट्यूरिया। माॅमजंक्शन के इस लेख में हम आपको बच्चों में हेमाट्यूरिया के बारे में विस्तार से बताएंगे। साथ ही यहां हेमाट्यूरिया के प्रकार, कारण और लक्षण के साथ ही उपचार की जानकारी भी मिलेगी। बच्चों में हेमाट्यूरिया को समझने के लिए इस लेख को अंत तक पढ़ें।

सबसे पहले समझिए कि हेमाट्यूरिया क्या होता है।

In This Article

बच्चों में हेमाट्यूरिया (Hematuria) क्या है ?

बच्चों के पेशाब में खून नजर आने की स्थिति को हेमाट्यूरिया कहते हैं। इसकी मात्रा पेशाब में इतनी कम हो सकती है कि बिना माइक्रोस्कोप के नजर ही न आए या फिर खून की वजह से पेशाब का रंग लाल या गुलाबी दिख सकता है। साथ ही पेशाब करने के बाद खून के धब्बे भी दिखाई दे सकते हैं (1)। हेमाट्यूरिया थोड़े समय के अंतराल में या लगातार हो सकता है (2)। ऐसे में बच्चे को डॉक्टर के पास ले जाकर इसका कारण जानना और उपचार शुरू करना जरूरी है (3)

नीचे पढ़ें कि क्या बच्चों को हेमाट्यूरिया होना गंभीर समस्या है या नहीं।

क्या बच्चों के मूत्र में रक्त एक गंभीर समस्या है?

हां, बच्चों के पेशाब में खून आने की समस्या कुछ मामलों में गंभीर हो सकती है। इसे वक्त रहते बढ़ने से रोका जा सकता है। इसके लिए हेमाट्यूरिया के कारण जैसे इंफेक्शन और अन्य समस्या का उपचार करने के साथ ही बच्चे को हाइड्रेट रखना जरूरी है (4)

आर्टिकल के अगले हिस्से में जानें हेमाट्यूरिया के प्रकार क्या-क्या हैं।

हेमाट्यूरिया के प्रकार

हेमाट्यूरिया के बाद हम हेमाट्यूरिया के प्रकार बता रहे हैं। एनसीबीआई की वेबसाइट पर प्रकाशित एक शोध में हेमाट्यूरिया दो प्रकार के माने गए हैं (4) :

  1. माइक्रोस्कोपिक हेमाट्यूरिया: इस प्रकार का हेमाट्यूरिया होने पर पेशाब में रक्त कोशिकाएं केवल माइक्रोस्कोप से देखने पर ही नजर आती हैं। इसी वजह से इस प्रकार के हेमाट्यूरिया के बारे में तबतक पता नहीं चलता है, जबतक कि बच्चाें का मूत्र परीक्षण नहीं करवाया जाता। यह हेमाट्यूरिया अपर यूरीनरी ट्रेक के घाव जैसे ग्लोमेरुलस या ट्यूबलोइंटरस्टिटियम के कारण हो सकता है।
  2. ग्रॉस हेमाट्यूरिया: जब बिना माइक्रोस्कोप की सहायता के भी पेशाब में लाल रक्त कोशिकाएं नजर आती हैं, तो उसे ग्रॉस हेमाट्यूरिया कहते हैं। इस हेमाट्यूरिया के प्रकार में खून की मात्रा पेशाब में इतनी होती है कि उसका रंग लाल, भूरा या गुलाबी दिखने लगता है। आम तौर पर यह हेमाट्यूरिया लोअर यूरीनरी ट्रेक जैसे मूत्राशय और मूत्रमार्ग में होने वाले घाव के कारण हो सकता है।

आगे पढ़ें बच्चों के पेशाब में खून आने के कारण।

बच्चों में हेमाट्यूरिया (पेशाब में खून आना) के कारण

बच्चों में हेमाट्यूरिया यानी पेशाब में खून आने के कारण निम्न हो सकते हैं (5) (4):

  • मूत्राशय, किडनी या प्रोस्टेट (पुरुषों के मूत्रमार्ग को घेरी हुई ग्रंथि) में संक्रमण
  • ट्रॉमा यानी किसी तरह की दुर्घटना
  • अधिक या अनावश्यक व्यायाम करने से
  • वायरल बीमारी जैसे कि हेपेटाइटिस
  • आनुवंशिक विकार एल्पोर्ट सिंड्रोम

इनके अलावा, अन्य गंभीर कारणों से भी हेमाट्यूरिया हो सकता है।

  • मूत्राशय या किडनी का कैंसर
  • किडनी, मूत्रमार्ग, मूत्राशय या प्रोस्टेट में सूजन
  • ब्लड क्लोटिंग डिसऑर्डर, जैसे – हीमोफिलिया
  • असामान्य आकार की लाल रक्त कोशिकाएं बनाने वाला सिकल सेल आनुवंशिक विकार
  • पॉलीसिस्टिक किडनी विकार, जिसमें किडनी पर कई सिस्ट विकसित होते हैं

लेख के इस भाग में हम बता रहे हैं कि बच्चों के पेशाब में खून आने के क्या लक्षण हो सकते हैं।

बच्चों के पेशाब में खून आने  के लक्षण

हेमाट्यूरिया होने पर अधिकतर मामलों में लक्षण नजर नहीं आते। कुछ मामलों में नजर आने वाले लक्षणों के बारे में हम नीचे हेमाट्यूरिया के प्रकार के आधार पर बता दे रहे हैं (4) (5):

  • माइक्रोस्कोपिक हेमाट्यूरिया होने पर:
  • बुखार
  • इंफेक्शन
  • रैशेज
  • ग्रॉस हेमाट्यूरिया होने पर नजर आने वाले लक्षण:
  • पेशाब का लाल या फिर चाय के जैसा रंग होना
  • पेट दर्द
  • पेशाब करते हुए जलन होना (Dysuria)
  • बुखार

इनके अलावा, हेमाट्यूरिया होने पर सामान्य तौर पर निम्न लक्षण दिखाई दे सकते हैं (2):

  • बगल में दर्द
  • पेट के निचले हिस्से में दर्द
  • पेशाब करते हुए दर्द
  • बार-बार और तेज पेशाब आना
  • बुखार
  • गले या त्वचा में संक्रमण होना
  • जोड़ों का दर्द
  • मुंह के छाले 
  • दाने
  • बलगम में खून आना
  • पैर की सूजन
  • कम सुनाई देना
  • पीठ दर्द
  • वजन घटना
  • खाना कम खाना
  • कमजोरी महसूस होना

लेख में आगे बढ़ते हुए पढ़िए बच्चों में हेमाट्यूरिया के जोखिम कारक क्या हो सकते हैं।

बच्चों में हेमाट्यूरिया के जोखिम कारक

बच्चों को हेमाट्यरिया होने के पीछे कई जोखिम कारक हाे सकते हैं, जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं (5):

  • बड़ी हुई प्रोस्टेट ग्रंथी
  • यूरिनरी स्टाेन
  • अधिक मेहनत वाला व्यायाम करना जैसे कि लंबी दूरी की दौड़
  • एंटीबायोटिक्स का सेवन
  • स्ट्रेप्टोकोकस या हेपेटाइटिस के कारण होने वाले बैक्टीरियल या वायरल संक्रमण
  • ब्लड थिनर यानी खून को पतला करने वाली, एस्पिरिन और अन्य दर्द निवारक दवाएं
  • यदि परिवार में किसी को किडनी रोग हुआ हो
  • कोई ऐसी बीमारी, जो एक से अधिक अंगों को प्रभावित करती हो

आर्टिकल में यहां हम बता रहे हैं कि बच्चों में हेमाट्यूरिया का निदान कैसे किया जाता है।

बच्चों में हेमाट्यूरिया के निदान

बच्चों में हेमाट्यूरिया का निदान करने के लिए निम्न परीक्षण किए जा सकते हैं (4) (5):

  • मेडिकल हिस्ट्री – डाक्टर को मेडिकल हिस्ट्री की सहायता से हेमाट्यूरिया के कारण का निदान करने में मदद मिल सकती है। इसके लिए वह वर्तमान और पिछली चिकित्सकिय स्थितियों के बारे में भी पूछ सकते हैं।
  • शारीरिक परीक्षण – शारीरिक परीक्षा के दौरान, विशेषज्ञ पेट और पीठ के हिस्से को छूकर चेक कर सकते हैं। साथ ही मूत्राशय और किडनी के क्षेत्र में दर्द की जांच की जा सकती है।
  • डिजिटल रेक्टल टेस्ट – डॉक्टर किसी भी प्रकार की प्रोस्टेट समस्याओं को देखने के लिए डिजिटल रेक्टल टेस्ट कर सकते हैं। इस टेस्ट से प्रोस्टेट में सूजन, प्रोस्टेट कैंसर और अन्य समस्याओं का पता चलता है, जो हेमाट्यूरिया का कारण हो सकते हैं।
  • पैल्विक परीक्षण – पेशाब में नजर आने वाले खून यानी लाल रक्त कोशिकाओं के स्रोत का पता लगाने के लिए पैल्विक टेस्ट भी किया जा सकता है।
  • मूत्र परीक्षण – इस परीक्षण के दौरान पेशाब को लैब में भेजकर माइक्रोस्कोप से चेक किया जाता है। इससे पता चलता है कि पेशाब में लाल रक्त कोशिकाएं मौजूद हैं या नहीं।

इनके अलावा, निदान के लिए अन्य परीक्षण भी किए जा सकते हैं, जिनमें निम्न टेस्ट शामिल हैं:

  • रक्त परीक्षण: ब्लड सैंपल को प्रयोगशाला भेजकर क्रिएटिनिन के उच्च स्तर का पता लगाया जाता है। क्रिएटिनिन मांसपेशियों के टूटने पर बनने वाला एक अपशिष्ट होता है, जो किडनी की बीमारी का संकेत दे सकता है। इसके अलावा, रक्त परीक्षण से ऑटोइम्यून बीमारियों के लक्षणों का पता लगया जा सकता है, जैसे कि ल्यूपस और प्रोस्टेट कैंसर, जो हेमाट्यूरिया का कारण बन सकते हैं।
  • कंप्यूटेड टोमोग्राफी (सीटी) स्कैन: सीटी स्कैन के माध्यम से यूरिनरी ट्रैक्ट में पथरी, ब्लॉकेज, संक्रमण, अल्सर, ट्यूमर और दर्दनाक चोट का निदान करने में मदद मिलती है। ये सभी हेमाट्यूरिया की वजह बन सकते हैं।
  • सिस्टोस्कोपी: इसमें यूरोलॉजिस्ट मूत्र संबंधी विकार के बारे में ट्यूब जैसे उपकरण यानी सिस्टोस्कोप से पता लगाता है। सिस्टोस्कोप से मूत्राशय और मूत्रमार्ग को देखकर परेशानी का सटीक पता लगा सकता है। खासकर मूत्राशय के कैंसर का पता लगाने के लिए यह टेस्ट किया जाता है।
  • किडनी बायोप्सी: किडनी बायोप्सी एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें किडनी से टिश्यू का एक छोटा सा टुकड़ा लेकर प्रयोगशाला में भेजा जाता है। बायोप्सी से इस बात का निदान करने में मदद मिलती है कि हेमाट्यूरिया का कारण गुर्दे की बीमारी है या नहीं।
  • एमआरआई: एमआरआई यानी मेगनेटिक रेसोनेंस इमेजिंग एक ऐसा परीक्षण है, जिसमें एक्स-रे से रोगी के आंतरिक अंगों और ऊतकों से संबंधी रोग का निदान किया जाता है। खासकर ब्लेडर और किडनी समस्याएं।

आगे जानें बच्चाें में हेमाट्यूरिया होने पर क्या उपचार किया जा सकता है।

बच्चों में हेमाट्यूरिया का उपचार

कुछ मामलों में हेमाट्यूरिया के दौरान उपचार की जरूरत नहीं पड़ती। अगर हेमाट्यूरिया केवल एक बार होता है, तो चिंता की बात नहीं है। हां, ऐसा बार-बार होता है, तो गंभीर स्थिति से बचने के लिए उपचार की जरूरत पड़ सकती है। डॉक्टर हेमाट्यूरिया के कारण और लक्षण का इलाज करके इस परेशानी का उपचार कर सकते हैं (4) (2)

  • बच्चों के मूत्र पथ संक्रमण के इलाज के लिए एंटीबायोटिक दवाओं को 7 से 14 दिनों तक मौखिक या इंजेक्शन के रूप में दिया जा सकता है।
  • किडनी स्टोन की समस्या होने पर लिथोट्रिप्सी या नेफ्रोस्टॉमी की आवश्यकता हो सकती है।
  • किडनी रोग जैसे कि सूजन और इसमें होने वाले घाव से राहत पाने के लिए एंटीप्रोटीन्यूरिक और इम्यूनोसप्रेसिव थेरेपी की जरूरत पड़ सकती है।
  • सिकल सेल जैसे आनुवंशिक विकार के उपचार के लिए सिकल सेल नेफ्रोपैथी का उपयोग किया जा सकता है।

लेख के अंत में जानते हैं कि बच्चों को हेमाट्यूरिया होने पर डॉक्टर के पास कब जाना चाहिए।

डॉक्टर से मदद कब लें?

बच्चों को हेमाट्यूरिया होने पर तुरंत डॉक्टर के पास चेकअप के लिए ले जाना चाहिए। पेशाब में रक्त दिखाई देने के साथ ही नीचे बताए गए लक्षण नजर आएं, तो एक सेकंड की देरी भी न करें (1)

  • बार-बार पेशाब जाना
  • अचानक से बहुत तेज पेशाब आना
  • वजन का तेजी से कम होना
  • पेशाब करते समय दर्द होना
  • बुखार आना, कपकपी होना और जीमिचलाना
  • पेशाब करते समय या बाद में रक्त के थक्कों का निकलना
  • संक्रमण की शिकायत या फिर अन्य लक्षण दिखाई देना

बच्चों को हेमाट्यूरिया होने पर चिंता करने के बजाय इसके उपचार पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। यहां हमने बच्चों में हेमाट्यूरिया से जुड़ी तमाम जानकारी दी है। सर्तकता और वक्त रहते सही कदम उठाने के लिए हेमाट्यूरिया से जुड़ी इन जानकारियों पर गौर करना जरूरी है। इससे समय पर चिकित्सक से संपर्क करने और हेमाट्यूरिया के कारण जानने व लक्षणों को पहचानने में मदद मिल सकती है। बस इस स्थिति में किसी भी तरह की लापरवाही न बरतें, वरना समस्या गंभीर हो सकती है। खुद सतर्क रहें और बच्चे को सुरक्षित रखें।

References

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1. Urine – bloody By MedlinePlus
2. Hematuria By NCBI
3. Hematuria in children By PubMed
4. Management of Hematuria in Children By NCBI
5. Hematuria (Blood in the Urine) By NIH

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