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बच्चों की खांसी का इलाज और घरेलू उपचार | Bachon Ki Khansi Ka Ilaj

अक्सर छोटे बच्चों को खांसी-जुकाम जैसी समस्याओं से जूझते पाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि बच्चों में रोग-प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है, जिस कारण उन्हें सर्दी जल्दी पकड़ लेती है और खांसी होने लगती है। इसके लिए कुछ लोग घरेलू उपचार अपनाते हैं, तो कुछ डॉक्टर से परामर्श कर बच्चों को दवा देते हैं।

अगर आपके बच्चे को भी अक्सर खांसी होती रहती है, तो मॉमजंक्शन का यह लेख खास आपके लिए है। इस लेख में हम बताएंगे कि बच्चों को खांसी क्यों होती है और इसका इलाज कैसे किया जा सकता है।

आइए, पहले यह जानते हैं कि बच्चों को खांसी होने के पीछे मुख्य वजह क्या है।

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बच्चों को खांसी क्यों होती है?

जब किसी अवरोध के कारण वायुमार्ग बंद होने लगता है, तो खांसने से यह अवरोध हटता है और गले को राहत पहुंचती है। खांसी किसी भी हानिकारक पदार्थ जैसे धूल या खाद्य कणों को साफ करने में मदद करती है, जो किसी वजह से सांस के साथ अंदर चले जाते हैं। यह श्वसन तंत्र के अतिरिक्त स्राव जैसे बलगम को भी दूर करने में मदद करता है। जब स्राव होता है, तो इसे गीली खांसी के रूप में जाना जाता है, वर्ना इसे सूखी खांसी कहा जाता है।

बच्चों को खांसी होने का कारण क्या है?

बच्चों को खांसी होने के पीछे कई कारण हो सकते हैं। नीचे हम नवजात शिशुओं और बच्चों में होने वाली खांसी के 10 कारण बता रहे हैं :

1. सामान्य खांसी : यह आम खांसी होती है और जब ठीक होने लगती है, तो सूखी खांसी रूप लेकर खत्म हो जाती है। सामान्य खांसी के लिए कई वायरस जिम्मेदार होते हैं, जिनमें राइनोवायरस सबसे आम है।

2. काली खांसी : इसमें खांसी के साथ बलगम भी निकलता है। इसी के साथ लंबी सांस लेते समय आवाज भी आती है। बोर्डेटेला पर्टुसिस बैक्टीरिया के कारण काली खांसी होती है, जो कभी कुछ दिन, तो कभी महीनों तक बनी रहती है (1)

3. क्रूप: यह वायुमार्ग में सूजन आने के कारण होने वाली खांसी है। इस वजह से बच्चे को सांस लेने में तकलीफ होती है।

4. लंग या साइनस संक्रमण : फेफड़ों के संक्रमण से फेफड़ों में कफ बनने लगता है, जिससे गीली खांसी होती है। वहीं, साइनस इन्फेक्शन से भी कफ बनता है और गले में आने लगता है। फेफड़ों में संक्रमण होने के निम्न कारण हो सकते हैं :

  • शिशुओं और बच्चों को होने वाले फेफड़े के संक्रमण को ब्रोंकियोलाइटिस कहते हैं, जिससे फेफड़ों के अंदर छोटे वायुमार्ग संक्रमित हो जाते हैं। ब्रोंकियोलाइटिस का सबसे आम कारण रेस्पिरेटरी सिंसिशीयल वायरस (आरएसवी) है (2)
  • कई वायरस और बैक्टीरिया साइनस के संक्रमण का कारण बन सकते हैं। जब संक्रमित स्राव नाक से गले तक जाता है (पोस्ट-नेसल ड्रिप), तो वो गले में जलन पैदा करते हैं और खांसी होती है।

5. एलर्जी : बच्चे को एलर्जी होने पर भी खांसी की समस्या हो सकती है। अधिकतर बच्चों को धूल-मिट्टी से एलर्जी होती है, जिस कारण खांसी हो सकती है।

6. अस्थमा : अस्थमा भी खांसी का एक कारण हो सकता है। इसमें छाती में भारीपन महसूस होता है और सांस लेने में तकलीफ होती है।

7. टीबी : टीबी की बीमारी भी खांसी का मुख्य कारण हो सकती है। अगर लंबे समय से खांसी हो रही है और इलाज के बाद भी ठीक नहीं हो रही है, तो यह टीबी का संकेत हो सकता है।

8. गैस्ट्रोएसोफेगल रिफ्लक्स : इसके कारण होने वाली खांसी गीली होगी, लेकिन इसमें बलगम नहीं बनता। गैस्ट्रोएसोफेगल रिफ्लक्स के कारण खांसी तब होती है, जब पेट का एसिड भोजन नलिका में पहुंचकर गले में जाता है। ऐसे में बच्चे को डकार और हिचकियों की समस्या हो सकती है (3)

9. सिस्टिक फाइब्रोसिस : इस कारण लगातार खांसी होती है, जिसमें काफी सारा बलगम बाहर आता है (4), जो टिशू बलगम, पसीना और पाचन रस बनाते हैं, सिस्टिक फाइब्रोसिस से इन्हें नुकसान पहुंचता है।

10. एस्पिरेशन : यह कुछ भी खाने या पीनी के बाद अचानक से होने वाली खांसी है। इसके अलावा, अगर बच्चे के गले में कुछ फंस जाए, तो भी ऐसी खांसी हो सकती है।

बच्चों में खांसी का इलाज कैसे किया जाता है? | Bachon Ki Khansi Ka Ilaj

बच्चों में खांसी का इलाज नीचे बताए गए तरीकों से किया जा सकता है :

  1. बैक्टीरियल इन्फेक्शन के कारण होने वाली खांसी में डॉक्टर आपके बच्चे का एंटीबायोटिक कोर्स चला सकते हैं। यह कितने दिन और कितनी मात्रा में चलाना है, यह बीमारी और बच्चे की उम्र पर निर्भर करता है।
  1. खांसी और बुखार से राहत दिलाने के लिए एनाल्जेसिक दवा जैसे एक्टेमिनोफेन दी जा सकती है (5)
  1. अस्थमा और सिस्टिक फाइब्रोसिस जैसी स्थितियों के लिए भी डॉक्टर दवा देते हैं। ये दवाएं बीमारी की तीव्रता को कम करने में मदद करती हैं, जो खांसी से राहत दिलाती हैं। इसके अलावा, एसिड रिफ्लक्स के असर को कम करने के लिए इन दवाओं का इस्तेमाल किया जा सकता है।
  1. इसके अलावा, जन्मजात हृदय दोष, गंभीर गैस्ट्रोओसोफेगल रिफ्लेक्स और क्रानियोफेशियल असामान्यताएं जैसे गंभीर परिस्थितियों में सर्जरी भी की जा सकती है।
  1. खांसी होने पर बच्चे को भरपूर आराम कराना चाहिए। इससे वायरल इन्फेक्शन से लड़ने में मदद मिलती है।

नोट – आप बच्चे को बिना डॉक्टर की सलाह के कोई दवा न दें।

शिशुओं में खांसी के लिए घरेलू उपचार | Bacho Ki Khansi Ka Desi Ilaj

इसके अलावा, कुछ घरेलू उपचार अपनाकर भी आप बच्चे को खांसी से राहत दिलाने में मदद कर सकते हैं। नीचे हम बच्चों में खांसी से राहत पाने के कुछ आसान और घरेलू उपाय बता रहे हैं :

  1. एसेंशियल ऑयल के साथ स्टीम बाथ : रात के समय बच्चे को भांप दिलाने से खांसी में राहत मिलेगी। इसके लिए आपको करना है :
  • बाथरूम में स्टीम बनाएं और बच्चे को बाथ टब में ले जाएं।
  • अब कुछ देर बच्चे को टब में ही खेलने दें, ताकि वो ठीक से स्टीम ले सके। बेहतर परिणाम के लिए बाथटब में मेंथोल व यूकेलिप्टस ऑयल की कुछ बूंदें डाल दें।
  • इससे बच्चे की छाती खुलेगी और खांसी से राहत मिलेगी।
  1. विक्स वेपोरब : हल्के यूकेलिप्टस और मेंथोल से बना बेबी विक्स वेपोरब लें। इसे रात को सोने से पहले बच्चे की पीठ, छाती और गले पर लगाएं। इससे बच्चे को राहत मिलेगी।
  1. तरल डायट : जब बच्चे को खांसी से थोड़ी राहत मिल जाए, तो उसे पर्याप्त तरल डायट दें, क्योंकि डिहाइड्रेट होने पर भी बच्चे की खांसी बढ़ सकती है। इसके लिए आप बच्चे को सूप, स्मूदी व फलों का ताजा जूस जैसी चीजें दे सकती हैं।
  1. औषधीय उपचार : पीढ़ियों से खांसी को ठीक करने के लिए घर में हर्बल उपचार को अपनाया जा रहा है। अगर आपका बच्चा 12 महीने से ज्यादा का है, तो नीचे बताए उपचार का सहारा ले सकते हैं :
  • तुलसी के कुछ पत्ते पीसकर इसमें शहद मिलाएं और अपने बच्चे को चटाएं। इससे बच्चे को राहत मिलेगी।
  • गुनगुने पानी में अदरक का रस और नींबू का रस मिलाकर पीने से बच्चे के गले को राहत मिल सकती है।

क्या मैं अपने बच्चे को ओवर द काउंटर दवा दे सकती हूं?

नहीं, आप अपने बच्चे को अपनी मर्जी से कोई कफ सिरप या दवा न दें। यूएस फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन ने खासतौर पर दो साल से कम उम्र के बच्चों को बिना डॉक्टर की सलाह के खांसी की दवा न देने की सलाह दी है (5)। यह दवाएं बच्चे के स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती हैं। अमेरिकन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स का कहना है कि चार वर्ष तक के बच्चों को खांसी की दवा सिर्फ डॉक्टर की सलाह पर ही देनी चाहिए (6)

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि ओवर द काउंटर दवा (ओटीसी) वो होती है, जिन्हें डॉक्टर की पर्ची के बिना खरीदा जा सकता है।

बच्चों में खांसी को कैसे रोकें?

नीचे हम कुछ जरूरी बातें बता रहे हैं, जिन्हें ध्यान में रखकर अपने बच्चे को खांसी से बचा सकते हैं :

  • साफ-सफाई का ध्यान रखें : जब कोई संक्रमित व्यक्ति छींकता या खांसता है, तो बैक्टीरिया हवा के माध्यम से दूसरों तक पहुंच सकते हैं, जिससे वायरल फैलता है। अगर परिवार में किसी को सर्दी या फेफड़ों का संक्रमण है, तो अपने बच्चे को उनसे दूर रखें। उन्हें छींकते या खांसते समय नैपकिन या फिर रूमाल इस्तेमाल करने के लिए कहें। हमेशा बच्चे और बच्चे की वस्तुओं को छूने से पहले अपने हाथ धोएं, ताकि वायरस न फैले।
  • खांसी होने पर नजर रखें : अगर बच्चे को धूएं और धूल के कारण खांसी हो रही है, तो उसे इनके संपर्क में आने से बचाएं। अगर बच्चे को अस्थमा की शिकायत है, तो धूल-मिट्टी व प्रदूषण जैसी जगह से दूर रखें।
  • मुंह में फंसने वाली चीजें दूर रखें : बच्चों को हाथ में आए कोई भी चीज मुंह में लेने की आदत होती है। इससे उनके गले में चीज फंस सकती हैं, जो परेशानी का कारण बन सकती हैं। इसलिए, ऐसी चीजों को बच्चों की पहुंच से दूर रखें।
  • दवाओं को संभालकर रखें : अस्थमा और सिस्टिक फाइब्रोसिस जैसी आनुवंशिक बीमारियों के कारण होने वाली खांसी की रोकथाम के लिए समय पर दवाई देना जरूरी है। जब भी उसे खांसी हो, तुरंत दवा दें। इसके लिए दवाएं आप अपने पास संभालकर रखें।

बच्चे को डॉक्टर के पास कब ले जाएं?

यूं तो सही इलाज और पर्याप्त आराम करने से बच्चों को खांसी में राहत मिल जाती है, लेकिन अगर आपको नीचे बताए गए लक्षण नजर आएं, तो बच्चे को तुरंत डॉक्टर के पास ले जाएं –

  • अगर बच्चे को 100.4 डिग्री फारेनहाइट से ज्यादा बुखार हो।
  • अगर बच्चा सुस्त लगे और बहुत ज्यादा रोए।
  • अगर खांसते समय घरघराहट या सांस के साथ सीटी जैसी आवाज आए।
  • अगर बच्चा ठीक से न खाए और उसकी भूख कम हो जाए।
  • अगर खांसी के साथ हरे रंग, लाल थक्कों वाला या दुर्गंध वाला बलगम निकले।
  • अगर बच्चे को खांसने के बाद छाती में दर्द होने लगे।
  • अगर सीढ़ियां चढ़ते या चलते समय बच्चा खांसने लगे।
  • अगर खांसते समय बच्चे को उल्टी होने लगे।
  • अगर खांसते-खांसते बच्चा हांफने लगे।
  • अगर खांसने के बाद बच्चे के होंठ कुछ देर के लिए नीले पड़ जाएं।
  • अगर बहुत तेज खांसी आने के बाद बच्चा बेहोश होने लगे।

अगर बच्चे में इनमें से कोई भी लक्षण नजर आएं, तो डॉक्टर से तुरंत संपर्क करें, ताकि लक्षण पहचानकर उसका सही इलाज किया जा सके।

भले ही खांसी एक आम बीमारी है, लेकिन कई बार तकलीफदेह साबित हो सकती है। ऐसे में इसका सही समय पर सही उपचार करना जरूरी है। इस लेख में हमने बच्चों में होने वाली खांसी से जुड़े जरूरी सवालों का जवाब देने का प्रयास किया है। यहां बताए गए तरीके बच्चे की खांसी दूर करने में आपकी मदद करेंगे। बच्चों के स्वास्थ्य से जुड़े ऐसे ही अन्य पोस्ट पढ़ने के लिए जुड़े रहिए मॉमजंक्शन से।

References

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1. Whooping cough can kill By Health university of Utah
2. Respiratory Syncytial Virus (RSV) By children hospital of philadelphia
3. What are the symptoms of GERD in infants? By National institute of diabetes and digestive and kidney diseases
4. About Cystic Fibrosis By Cystic fibrosis foundation
5. When to Give Kids Medicine for Coughs and Colds By FDA
6. Coughs and Colds: Medicines or Home Remedies? By Healthy Children

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