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बच्चों को 'गुड टच' और 'बैड टच सिखाने के 10+ टिप्स | Good Touch And Bad Touch For Kids In Hindi

बढ़ते बच्चों को सही और गलत में फर्क समझाना जरूरी है, जिसमें गुड टच और बैड टच भी शामिल है। दरअसल, बच्चे जैसे-जैसे बड़े होते हैं, उन्हें अपने शरीर के अंगों को लेकर जिज्ञासा होने लगती है। ऐसे में बच्चों को बताना जरूरी है कि शरीर के कई अंग ऐसे हैं, जिन्हें छूने का अधिकार सिर्फ उन्हें है, किसी और को नहीं। इसी वजह से मॉमजंक्शन के इस खास लेख में हम ‘गुड टच’ और ‘बैड टच’ से जुड़ी पूरी जानकारी लेकर आए हैं। इसकी मदद से बच्चों को सही और गलत के बीच अंतर समझाया जा सकता है।

लेख की शुरुआत में जानते हैं कि गुड टच और बैड टच क्या होता है।

In This Article

गुड टच और बैड टच क्या होता है?

अगर बच्चों को यौन शोषण से बचाना है, तो इसके लिए जरूरी है कि उन्हें इस विषय में जागरूक किया जाए। बच्चों का यह समझना जरूरी है कि गुड टच और बैड टच में अंतर क्या है। चलिए हम आसान शब्दों में समझने का प्रयास करते हैं (1) :

  • गुड टच : यह ऐसा स्पर्श होता है, जिससे बच्चों को सुखद और सुरक्षित महसूस होता है। इस प्रकार के स्पर्श को बच्चों की देखभाल, प्रेम और स्नेह दिखाने का एक तरीका माना जाता है। ये स्पर्श बच्चों में मुस्कान पैदा करते हैं। उदाहरण के लिए, मां का गले लगाना, पिताजी का गुड नाइट किस, दादा-दादी का अपने बाहों में लेना या फिर खेलते वक्त दोस्त का हाथ पकड़ना। इन सभी से बच्चे खुद को सुरक्षित महसूस करते हैं।
  • बैड टच : यह ऐसा स्पर्श होता है, जिससे बच्चे असहज और बुरा महसूस करते हैं। वह चाहते हैं कि इस प्रकार के स्पर्श को वे उसी समय रोक दें। खासकर बच्चों की अनुमति के बिना उन्हें कोई गलत तरीके से गलत जगह छूता है। उदाहरण के लिए, अगर कोई बच्चे के निजी अंगों को छूता है और किसी को न बताने के लिए कहता है। इस प्रकार के बुरे स्पर्श से बच्चे हमेशा बचना चाहते हैं।

अब लेख के इस हिस्से में जानिए, बच्चों के लिए अच्छे और बुरे स्पर्श में अंतर सीखना क्यों जरूरी है।

बच्चों को गुड और बैड टच में अंतर सिखाना क्यों जरूरी है?

आज के समय में बच्चों के साथ यौन शोषण और छेड़छाड़ की घटनाएं बढ़ती जा रही है। एक अध्ययन की मानें, तो 18 साल की उम्र से पहले 9 लड़कियों में से एक है और 53 लड़कों में से एक को यौन शोषण का शिकार होना पड़ता है। वहीं, 90 प्रतिशत पीड़ितों का यौन शोषण उस व्यक्ति द्वारा किया जाता है, जिसे वे जानते हैं और केवल 10 प्रतिशत बच्चों का ही शोषण अजनबियों द्वारा किया जाता है।

इन सबके पीछे का एक बड़ा कारण बच्चों में यौन शोषण के बारे जागरूकता की कमी है। दरअसल, दैनिक जीवन में बच्चे बहुत से ऐसे लोगों के संपर्क में आते हैं, जो अच्छे या बुरे हो सकते हैं। इसलिए, माता-पिता की जिम्मेदारी है कि वे अपने बच्चों को किसी भी विषम परिस्थिति या उनके रास्ते में आने वाले किसी भी बुरे व्यक्ति का सामना करने और संभालने के लिए अच्छे और बुरे स्पर्श में अंतर सिखाएं (1)।

नीचे स्क्रॉल कर पढ़ें कि बच्चे को किस उम्र से अच्छे और बुरे स्पर्श के बारे में जागरूक करना चाहिए।

बच्चों को गुड टच और बैड टच के बारे में बताने की सही उम्र क्या है?

एनसीबीआई (नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफॉर्मेशन) की वेबसाइट पर प्रकाशित शोध के मुताबिक, 4 और 5 वर्ष की आयु तक के बच्चे विभिन्न व्यवहारों के माध्यम से दुर्व्यवहार के प्रति अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त कर सकते हैं ( 2)। इस आधार पर माना जा सकता है कि 4 से 5 साल की उम्र से बच्चों को गुड टच और बैड टच के बारे जानकारी देना शुरू कर देना चाहिए।

यहां जानिए बच्चों को गुड टच और बैड टच के बारे में बताने से जुड़े कुछ टिप्स।

बच्चों को गुड टच और ‘बैड टच सिखाने के 10+ टिप्स  | Bacchon Ko Sikhaye Good Or Bad Touch

बच्चों को गुड टच और बैड टच के बारे में बताना एक संवेदनशील कार्य है। इसके बारे में बच्चों को समझाना आसान नहीं होता है। ऐसे में यहां हम 10 से भी अधिक ऐसे टिप्स बता रहे हैं, जो बच्चों को गुड टच और बैड टच के बारे में बताने में माता-पिता के लिए मददगार साबित हो सकते हैं (1) :

  1. खुलकर बात करें – बच्चा जब चीजों को समझने लायक हो जाए, तो जितना जल्दी हो सके उससे अच्छे और बुरे स्पर्श के बारे में खुलकर बात करें। माता-पिता को कभी भी इन संवेदनशील विषयों के बारे में बात करने में संकोच नहीं करनी चाहिए, क्योंकि बच्चों के लिए वे ही पहले शिक्षक होते हैं, जो उन्हें उनकी सुरक्षा के बारे में बताते हैं।
  1. अपने शरीर का मालिक – बच्चों को यह समझाना जरूरी है कि, उनका शरीर केवल उन्हीं का है और वो ही उसके मालिक हैं। किसी भी दूसरे को यह हक नहीं है कि वह उनके अनुमति के बिना उनके शरीर को छुए। अगर फिर भी कोई ऐसा करता है, तो उसे उसी समय कड़े शब्दों में मना करें या वो चिल्ला कर किसी अपने को इस बारे में बताएं।
  1. अंगों का सही नाम-  कई बार ऐसा होता है कि माता-पिता शरीर के अंगों के लिए सही नाम का प्रयोग नहीं करते, खासकर निजी अंगों के लिए। यही कारण है कि बच्चों को भी उन अंगों के सही नाम की जानकारी नहीं मिल पाती। वहीं, आगे जाकर बच्चों को जब इन अंगों के नामों को बोलना पड़ता है, तो वो शर्माते हैं और इस बारे में बात करने से भी कतराते हैं।
  1. स्पर्श का अंतर समझाएं – आज के समय में इंटरनेट के माध्यम से बच्चों को पढ़ाना और भी आसान हो गया है। माता-पिता, इसके माध्यम से बच्चों को सही और गलत स्पर्श में अंतर समझा सकते हैं। बच्चों को यह समझाना जरूरी है कि अगर कोई उन्हें जबरदस्ती गोद लेता है या फिर किस करने की कोशिश करता है, तो उसे तुरंत रोकने का प्रयास करें और मदद के लिए आवाज लगाएं।
  1. स्विमसूट नियम अपनाएं –  स्विमसूट रूल छोटे बच्चों को बैड टच के बारे में समझाने का एक आसान नियम है। इसकी मदद से बच्चे को समझाया जा सकता कि उनके शरीर का अंग एक तैराकी पोशाक से ढका हुआ है, जो उनका निजी अंग है। इन्हें उनके अलावा किसी को भी छूने या देखने की अनुमति नहीं देनी चाहिए। इस तरह बच्चे को पता चल जाएगा कि उसे कब गलत तरीके से छुआ जा रहा है और वह अपनी प्रतिक्रिया दे सकेगा।
  1. बच्चों के दोस्त बनें – बच्चों को गुड टच और बैड टच के बारे में बताने के लिए यह भी जरूरी है कि बच्चे के संबंध माता-पिता के साथ अच्छे हों। वो उनके साथ दोस्तों की तरह पेश आएं। कई बार ऐसा देखा गया है कि बच्चे अपने माता-पिता से डर के चलते कई बातों को छिपा लेते हैं। उन्हें लगता है कि वो उन्हें डांटेंगे। इसलिए हमेशा कोशिश करें कि बच्चों के लिए आप अच्छे माता-पिता बनें, ताकि वे आपसे कुछ भी न छुपाएं।
  1. लोगों की पहचान –  छोटे बच्चे अपने और पराए में फर्क नहीं समझते। उनके साथ जो भी खेलता है या फिर उन्हें चॉकलेट देता है, वो उसे अपना मान लेते हैं। ये चीजें यौन शोषण जैसे अपराध को बढ़ावा देती हैं। इसलिए, जरूरी है कि बच्चे को लोगों की पहचान करना सिखाएं। उन्हें बताएं कि अगर कोई अजनबी उन्हें चॉकलेट देता है या अपने साथ जाने के लिए कहता है, तो उसे तुरंत न कहें।
  1. किताबों का सहारा – चित्रों में बच्चों की अधिक रुचि रहती है। इसलिए माता-पिता बच्चों को अच्छे और बुरे स्पर्श में अंतर बताने के लिए चित्रों वाली किताब का भी सहारा ले सकते हैं। माता-पिता बच्चे को बॉडी पार्ट्स के किताब या चार्ट के जरिए उन्हें शरीर के अंगों से जुड़ी जानकारी दे सकते हैं। इसके अलावा, एनिमेटेड फिल्म या कार्टून फिल्म के जरिए भी उन्हें जागरूक कर सकते हैं। इससे बच्चों को गुड टच और बैड टच के बारे में जानकारी देना आसान हो सकता है।
  1. ‘न’ कहना सिखाएं – बच्चे को ‘न’ कहना सिखाना जरूरी है। माता-पिता के लिए यह जरूरी है कि वह बच्चे को बताएं कि अगर कोई उनके निजी अंगों को छुए और बिना वजह कपड़े उतारने के लिए कहे, तो यह सही नहीं है। इसके लिए वो तुरंत न कहें।
  1. बच्चों का भरोसा जीतें – माता-पिता के लिए यह भी जरूरी है कि वह अपने बच्चे का भरोसा जीतें। वे बच्चों को यकीन दिलाएं कि उन्हें उनकी हर बात पर विश्वास है। अगर बच्चे अपने माता-पिता से छोटी-सी बात की भी शिकायत करते हैं, तो तुरंत उस पर अमल करें। इससे बच्चे को यह विश्वास होगा कि माता-पिता उनकी बातों को सुनते हैं। वे किसी भी मुसीबत में हों, तो माता-पिता उनके साथ हैं उनकी सुरक्षा करने के लिए। ऐसे में आगे जाकर वो हर बात माता-पिता से शेयर करेंगे।
  1.  सार्वजनिक जगहों पर सावधान- छोटे बच्चों को यह भी बताना जरूरी है कि सार्वजनिक जगहों पर उन्हें किस प्रकार सतर्क रहना चाहिए। खासकर जब वे बस, ट्रेन या फिर किसी अन्य पब्लिक ट्रांसपोर्ट से यात्रा कर रहे हो। ऐसा देखा गया है कि इन जगहों पर शोषण की घटनाएं अधिक होती हैं। इसलिए, जरूरी है कि इन जगहों पर बच्चों को सतर्क और सावधान रहना सिखाएं। बच्चों को बताएं कि अगर कोई अपरिचित उन्हें गलत तरीके से छूता है या फिर उनके शरीर के किसी अंग पर हाथ रखता है, तो वह उसी समय जोर से चिल्लाएं और अपने माता-पिता को बताएं।

बच्चे मासूम होते हैं, जिस कारण उन्हें लोगों की बुरी मानसिकता के बारे में पता नहीं चल पाता। इसलिए, यह जरूरी है कि उन्हें बचपन से ही गुड टच और बैड टच का अंतर समझाया जाए। इसकी जानकारी बच्चों को यौन शोषण से बचाने में अहम भूमिका निभा सकती है। हम उम्मीद करते हैं कि मॉमजंक्शन की यह जानकारी हर माता-पिता के लिए मददगार साबित होगी। साथ ही यह लेख अन्य माता-पिता के साथ भी जरूर शेयर करें।

References

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1. Awareness Of Good And Bad Touch Among Children
2. Behavioural consequences of child abuse

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