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बच्चों को बोतल से दूध पिलाना: फायदे, नुकसान व सही तरीका | Baby Ko Bottle Se Dudh Pilana

नवजात शिशु को एक तय उम्र तक स्तनपान की खास जरूरत होती है। वहीं, कुछ परिस्थितियों में ऐसा संभव नहीं हो पाता और बोतल से दूध पिलाना जरूरी हो जाता है। ऐसे में शिशु के स्वास्थ्य को देखते हुए अधिक सावधानी बरतना जरूरी हो जाता है। मॉमजंक्शन के इस लेख में हम इसी विषय पर चर्चा करेंगे। यहां आप जानेंगे कि बच्चे को बोतल से दूध पिलाना कब शुरू करें और बोतल से दूध पिलाने के फायदे व नुकसान क्या-क्या हो सकते हैं। इस विषय से जुड़ी कई अन्य जरूरी बातों को इस लेख में शामिल किया गया है।

सबसे पहले जानते हैं कि शिशु को बोतल से दूध पिलाना कब शुरू करना चाहिए।

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बच्चों को बोतल से दूध पिलाना कब शुरू करें?

अमेरिकन एकेडमी ऑफ पेडियाट्रिक्स के अनुसार जन्म के बाद 6 महीने तक शिशु को स्तनपान कराना चाहिए। वहीं, 6 महीने के बाद 1 साल तक शिशु को स्तनपान के साथ सॉलिड फूड भी दिए जा सकते हैं (1)। अगर हम बोतल से दूध पिलाने की बात करें, तो इसका कोई निर्धारित समय नहीं होता है, क्योंकि स्वास्थ्य विशेषज्ञ स्तनपान को ही प्राथमिकता देते हैं। वहीं, स्तन में दूध का न बनना या अन्य स्थितियां जिसमें मां स्तनपान कराने में सक्षम हो, तो ऐसे में बोतल से दूध पिलाना ही एक मात्रा विकल्प बचता है। ऐसी स्थिति में डॉक्टरी परामर्श पर बच्चे को बोतल से दूध पिलाना शुरू किया जा सकता है (2)

वहीं, सीडीसी के अनुसार स्तनपान न करा पाने की स्थिति में पहले दिन से ही फॉर्मूला मिल्क दिया जा सकता है, जो कि बोतल के जरिए ही दिया जाता है (3)। अच्छा होगा, इस विषय में बाल चिकित्सक से अच्छी तरह सलाह-मशविरा किया जाए।

स्क्रॉल करके पढ़ें शिशु को बोतल से दूध कितना देना चाहिए।

शिशु को बोतल से कितना और कितनी बार दूध पिलाना चाहिए?

यह पूरी तरह से शिशु की जरूरत पर निर्भर करता है कि उसे कितना और कितनी बार बोतल से दूध पिलाना चाहिए। अगर सीडीसी का मानें, स्तनपान न करा पाने की स्थिति में बोतल से लगभग 29 से 59 एमएल फॉर्मूला मिल्क बच्चे को जन्म के पहले दिन हर दो से तीन घंटे के अंतराल में दिया जा सकता है। वहीं, बच्चे की जरूरत के अनुसार इस मात्रा में बदलाव भी हो सकता है। वहीं, नवजात को एक दिन में 8 से 12 बार फॉर्मूला मिल्क दिया जा सकता है (3)। ध्यान रहे कि यह औसतन मात्रा है। आपके शिशु को दिनभर में कितना और कितनी बार दूध पिलाना है, इस बारे में डॉक्टर ही बेहतर बता सकते हैं।

शिशु को बोतल से दूध पिलाने का सही तरीका नीचे बताया गया है।

बोतल से शिशु को दूध कैसे पिलाएं?

अगर शिशु को बोतल से दूध पिला रहे हैं, तो उसका सही तरीका भी मालूम होना जरूरी है, वरना शिशु को नुकसान पहुंच सकता है। नीचे जानिए इस विषय से जुड़ी जरूरी बातें :

  • स्तनपान की तरह ही बच्चे को बोतल से दूध पिलाने की पॉजिशन को समान रखा जा सकता है। साथ ही सुनिश्चित करें कि बच्चे को कोई असुविधा न हो।
  • ध्यान रहे बच्चे का सिर उठा हुआ हो।
  • शिशु को सीधा बिस्तर पर लेटाकर दूध न पिलाएं।
  • बोतल को सीधा न रखें बल्कि तिरछा करके रखें, इससे बच्चा सही से दूध पी पाएगा।
  • कुछ नवजात तकिए पर सिर रखकर भी दूध पीना पसंद करते हैं। ऐसे में उनका ध्यान ठीक से रखें।

आगे जानिए शिशु के दूध पीने से जुड़े एक जरूरी सवाल का जवाब।

कैसे पता करें कि आपका शिशु आराम से दूध पी रहा है?

निम्नलिखित बातों से पता कर सकते हैं कि शिशु आराम से दूध पी रहा है या नहीं :

  • अगर दूध पीते समय बोतल की निप्पल से ज्यादा आवाज आ रही है, तो हो सकता है कि निप्पल में हवा भरी हो, इससे बच्चा दूध के साथ हवा भी अंदर ले सकता है। इसलिए, बोतल को तिरछा करके ही दूध पिलाएं, जिससे निप्पल हमेशा दूध से भरी रहे।
  • बच्चा दूध पीने के दौरान बीच-बीच में रुक भी सकता है। इससे पता चलता है कि बच्चा आराम से दूध पी रहा है।
  • अगर बच्चे के मुंह से बार-बार निप्पल हट जा रही है, तो हो सकता है कि बोतल को सही तरीके से पकड़ा नहीं गया है या दूध पिलाने की पॉजिशन ठीक नहीं है।
  • दूध पीने के दौरान अगर बच्चा खुद से निप्पल से मुंह हटा ले रहा है, तो हो सकता है कि उसका पेट भर गया है।

बोतल से दूध पिलाने से जुड़ी समस्याएं नीचे बताई गई हैं।

बोतल से दूध पिलाने से जुड़ी समस्या

स्तनपान के मुकाबले बोतल से दूध पिलाना थोड़ा मुश्किल भरा हो सकता है। नीचे जानिए बोतल से दूध पिलाने के दौरान आने वाली समस्याएं :

  • दूध पिलाने की पॉजिशन पर खास ध्यान देना पड़ता है, नहीं तो इससे शिशु ठीक से दूध नहीं पी पाएगा और उसे कुछ नुकसान भी हो सकते हैं।
  • यात्रा के दौरान बोतल से दूध पिलाने में मुश्किल हो सकती है, क्योंकि इस दौरान बच्चे के मुंह से दूध निकल सकता है और दूध बच्चे के चेहरे पर फैल सकता है या कान में जा सकता है।
  • बोतल को ठीक से साफ और स्टेरलाइज करना जरूरी होता है।
  • बोतल से दूध पिलाना महंगा पड़ता है, क्योंकि इसमें सही बोतल से लेकर फॉर्मूला मिल्क के लिए अच्छी-खासी कीमत चुकानी पड़ती है।
  • फॉर्मूला मिल्क और बोतल के सही ब्रांड के चुनाव में परेशानी आ सकती है।
  • हाइजिन का पूरा ध्यान रखना पड़ता है।

अब आगे बोतल से दूध पिलाने के फायदे भी जान लीजिए।

बोतल से दूध पिलाने के फायदे

बोतल से दूध पिलाने के निम्नलिखित फायदों को देखा जा सकता है :

  • बोतल से दूध पिलाने का सबसे बड़ा फायदा तो यही है कि स्तनपान न कराने की स्थिति में बच्चे को दूध पिलाना जारी रखा जा सकता है।
  • स्तनपान के दौरान कई बार महिला को निप्पल में होने वाले दर्द से भी गुजरना पड़ता है (4)। वहीं, बोतल से दूध पिलाने के दौरान महिला इस चिंता से मुक्त रहती है।
  • बोतल से दूध बच्चे को परिवार का कोई भी सदस्य पिला सकता है। इससे बच्चा परिवार के सदस्यों को पहचानने लगता है (2)
  • बोतल से दूध घर में या बाहर किसी भी जगह आसानी से पिलाया जा सकता है।
  • अगर परिवार का कोई दूसरा सदस्य बच्चे को दूध पिला रहा है, तो मां घर के अन्य काम भी कर सकती है, लेकिन ऐसा स्तनपान के दौरान नहीं किया जा सकता है।
  • भूख लगने के समय और दूध की मात्रा का अंदाजा लगाया जा सकता है, इससे बच्चे के लिए पहले से दूध को तैयार किया जा सकता है।

अब जानिए बोतल से दूध पिलाने के नुकसान क्या-क्या हो सकते हैं।

बोतल से दूध पिलाने के नुकसान

बोतल से दूध पिलाने के निम्नलिखित नुकसान देखे जा सकते हैं :

  • सबसे पहला नुकसान तो यह है कि बच्चा मां के दूध से मिलने वाले प्राकृतिक पोषक तत्वों से वंचित रह जाता है। दरअसल, मां का दूध बच्चे को प्राकृतिक रूप से बढ़ने में मदद करता है और एंटीबॉडी की तरह काम कर बच्चे को बीमार होने से बचाता है। वहीं, बोतल से दूध पिलाना बच्चे को पोषण देने का एक अप्राकृतिक तरीका है (2)
  • अगर गलती से बोतल को बच्चे के मुंह से लगा छोड़ दिया गया, तो चोकिंग, कान के संक्रमण के साथ-साथ बच्चे के दांत टूटने का जोखिम बढ़ सकता है (5)
  • बच्चा जरूरत से अधिक दूध का सेवन कर सकता है, जिससे शारीरिक समस्या पैदा हो सकती है (5)
  • स्तनपान के दौरान मां और शिशु में आपसी लगाव पैदा हो जाता है, लेकिन बोतल से दूध पिलाने के दौरान इस लगाव में थोड़ी कमी आ सकती है।
  • दूध की बोतल को ठीक से स्टेरलाइज नहीं किया गया, तो बोतल में जमे बैक्टीरिया बच्चे के शरीर में दाखिल हो सकते हैं और शारीरिक समस्या का कारण बन सकते हैं।
  • जरूरत पड़ने पर बच्चे को तुरंत स्तनपान कराया जा सकता है, लेकिन ऐसा बोतल के साथ नहीं है। बोतल से दूध पिलाने से पहले दूध को तैयार करना पड़ता है।

स्क्रॉल करके जानिए बोतल से दूध पिलाने के दौरान बरतने वाली सावधानियां।

बच्चे को बोतल से दूध पिलाते समय ध्यान देने वाली बातें

बोतल से दूध पिलाते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना जरूरी है (5) :

  • ऐसे समय का चुनाव करें जिस दौरान बच्चा शांत हो, न ज्यादा भूखा हो और न ज्यादा उसका पेट भरा हो।
  • पहले कम मात्रा में ही दूध पिलाएं और जरूरत के अनुसार ही दूध की मात्रा को बढ़ाएं।
  • यह सुनिश्चित करें कि मां और बच्चे की पॉजिशन सही हो। साथ ही बोतल की भी पॉजिशन सही रखें यानी उसे तिरछा रखें, सीधा नहीं। बच्चे को किस पॉजिशन में दूध पिलाना है, इस बारे में लेख में ऊपर बताया गया है।
  • अगर दूध पीने के दौरान बच्चा कुछ सेकंड का आराम लेता है, तो उसे लेने दें।
  • इस दौरान पूरा ध्यान रखें कि बच्चे का पेट भर गया है या नहीं।
  • बच्चे को दूध की बोतल के साथ अकेला न छोड़ें।
  • बिस्तर पर सीधा लेटाकर बच्चे को दूध न पिलाएं।
  • दूध पिलाने के दौरान किसी भी तरह की जबरदस्ती न करें। बच्चा जितना दूध पिए, उसे पीने दें।

आगे जानिए अगर बच्चा बोतल से दूध पीने में आनाकानी करे, तो क्या करना चाहिए।

अगर बच्चा बोतल से दूध न पिए, तो क्या करें?

बच्चा बोतल से दूध पीने में आनाकानी कर सकता है। ऐसी स्थिति में धैर्य से काम लें और नीचे दी गई बातों का पालन करें :

  • बच्चा ऐसा पेट भरने की स्थिति में कर सकता है। इसलिए, जबरदस्ती न करें और भूख लगने के संकेत तक इंतजार करें।
  • बच्चे को किसी शांत कमरे में ही दूध पिलाएं, क्योंकि अन्य सदस्य की मौजूदगी या शोर बच्चे का ध्यान भटका सकते हैं और वो दूध पीने में अनाकानी कर सकता है।
  • अगर बच्चा बार-बार ऐसा कर रहा है और सही से दूध नहीं पी रहा है, तो बाल चिकित्सक से संपर्क करें।

स्क्रॉल करके जानिए बच्चे की बोतल को स्टेरलाइज करने का सही तरीका।

बच्चे की बोतल को सही ढंग से स्टेरलाइज कैसे करें?

बच्चे की दूध की बोतल को स्टेरलाइज करने का सही तरीका नीचे बताया गया है (6) :

  • सबसे पहले दूध की बोतल के सभी पार्ट्स (बोतल, कैप, रिंग, निप्पल और वाल्व) को अलग कर दें।
  • अब नल चलाएं और पानी से सभी पार्ट्स को अच्छी तरह धोएं।
  • इसके बाद साबुन के पानी से बोतल के सभी पार्ट्स को अच्छी तरह धोएं।
  • फिर और एक बार साफ पानी से बोतल के सभी पार्ट्स को धोएं।
  • अब स्टेरलाइज करने के लिए बोतल के सभी पार्ट्स को लगभग 5 मिनट तक पानी में उबालें।
  • फिर इन्हें निकालकर किसी साफ और सुरक्षित जगह पर रख दें।

आगे जानिए बच्चों के लिए फीडिंग बोतल का चुनाव किस प्रकार करें।

शिशु के लिए फीडिंग बोतल का चुनाव कैसे करें?

शिशुओं के लिए फीडिंग बोतल खरीदते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना जरूरी है :

  • बोतल किसी अच्छे ब्रांड की हो।
  • इस बात का ध्यान जरूर रखें कि लीक प्रूफ हो।
  • निप्पल को फूड ग्रेड सिलिकॉन से बनाया गया हो।
  • फीडिंग बोतल को बनाने में एवीएस तकनीक यानी एयर वेंटिलेशन सिस्टम का इस्तेमाल किया गया हो।
  • बोतल का मटीरियल बीपीए रहित हो।
  • किसी भरोसेमंद डीलर या दुकान से ही बोतल खरीदें।
  • बोतल को बनाने में फ्थालेट जैसे हानिकारक रसायन का इस्तेमाल न किया गया हो।
  • ऑनलाइन खरीदते समय ग्राहकों के रिव्यू जरूर पढ़ें।

स्क्रॉल करके जानिए बोतल के दूध को गर्म करने का तरीका।

बोतल का दूध गर्म करने का सुरक्षित तरीका क्या है?

यहां हम दूध को गर्म करने के तीन तरीके बता रहे हैं (7):

  • सीडीसी की मानें, तो बेबी मिल्क और फॉर्मूला मिल्क को पिलाने से पहले गर्म करने की जरूरत नहीं होती। वहीं, कुछ माता-पिता दूध की बोतल को गर्म करना पसंद करते हैं। ऐसे में फॉर्मूला मिल्क को बोतल में भरकर फिर बोतल को कुछ देर गर्म पानी में रखा जा सकता है।
  • इसके अलावा, पानी को गर्म करके उसमें फॉर्मूला मिल्क मिलाया जा सकता है। बस बेबी को दूध देने से पहले यह जरूर चेक कर लें कि दूध पिलाने योग्य गुनगुना है या नहीं। इसके लिए आप अपनी हथेली में दूध की दो-तीन बूंद लेकर चेक कर सकते हैं कि वह शिशु के पीने लायक है या नहीं।
  • भूल से भी दूध की बोतल को माइक्रोवेव में गर्म न करें, इससे बोतल के साथ दूध अधिक गर्म हो सकता है।

उम्मीद करते हैं कि बच्चे को बोतल से दूध पिलाने से जुड़ी जरूरी बातें आप अच्छी तरह समझ गए होंगे। खासकर, वो महिलाएं इस लेख में दी गईं बातों को गंभीरता से लें, जो किसी कारण से स्तनपान कराने में समर्थ नहीं हैं और बच्चे को बोतल से दूध पिलाने की तैयारी में हैं। इसके अलावा, शिशु को बोतल से दूध पिलाने से पहले डॉक्टरी सलाह जरूर लें। साथ ही बोतल से दूध पिलाने से जुड़ी सावधानियों का भी पालन करें। आशा करते हैं कि यह लेख आपके लिए मददगार साबित होगा।

References

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1. What are the recommendations for breastfeeding? by nih
2. Breastfeeding vs. formula feeding by medlineplus
3. How Much and How Often to Feed Infant Formula by cdc
4. Overcoming breastfeeding problems by medlineplus
5. Feeding From a Bottle by cdc
6. How to Clean, Sanitize, and Store Infant Feeding Items by cdc
7. Infant Formula Preparation and Storage by cdc

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