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डिलीवरी के बाद स्तनों से दूध का रिसाव होना | Breast Milk Leakage After Delivery In Hindi

शिशु को जन्म देने के बाद भी महिला के शरीर में कई तरह के बदलाव होते रहते हैं। उन्हीं बदलावों में से एक है स्तनों से जरूरत से ज्यादा दूध निकलना या लगातार रिसाव होते रहना। गर्भावस्था के बाद स्तनों से दूध का रिसाव होना एक आम बात है (1) वहीं, पहली बार मां बनी महिलाओं के लिए यह अवस्था थोड़ी असहज हो सकती है। ऐसे में मॉमजंक्शन के इस लेख से हम स्तनों से दूध का रिसाव होने से संबंधित कई महत्वपूर्ण जानकारियां देने की कोशिश कर रहे हैं। साथ ही स्तनों से दूध के रिसाव से निपटने के लिए कुछ उपयोगी टिप्स देने की भी कोशिश कर रहे हैं।

आइए, सबसे पहले जानते हैं कि स्तनपान कराने वाली महिलाओं से दूध का रिसाव होना क्या है।

In This Article

गर्भावस्था के बाद स्तनों से दूध का रिसाव होने का क्या मतलब है?

दूध का रिसाव अपने आप में कोई समस्या नहीं है, बल्कि ऐसा हाइपरग्लाक्टिया (Hypergalactia) नामक अवस्था के कारण होता है। इसे अंग्रेजी में ब्रेस्ट लीकेज, फास्ट लेटडाउन, हाइपरलैक्टेशन, इनगार्जमेंट या ओवर सप्लाई ऑफ मिल्क जैसे नामों से जाना जाता है (2)

दरअसल, डिलीवरी के बाद गर्भावस्था के हार्मोन तेजी से कम होने लगते हैं और प्रोलैक्टिन नामक हार्मोन अपना काम करना शुरू कर देता है। प्रोलैक्टिन स्तनपान कराने वाली महिलाओं में दूध बनाने में मदद करता है। अगर महिला को स्तनों में दूध होने का अनुभव हो, तो समझना चाहिए कि प्रोलैक्टिन हार्मोन सक्रिय हो गए हैं। जब शिशु स्तनपान करता है, तो उसकी प्रतिक्रिया में ऑक्सीटोसिन नामक हार्मोन जारी होता है, जो दूध के पर्याप्त उत्पादन में मदद करता है (3) (4)

कई बार शिशु दूध न भी पिए, तब भी दूध का उत्पादन होता रहता है, जिससे स्तनों से दूध का रिसाव होने लगता है। कुछ महिलाओं के लिए यह अवस्था असहज हो सकती है (5)। इसके कई कारण हो सकते हैं, जिन्हें लेख में आगे विस्तार से समझाया गया है।

आइए, गर्भावस्था के बाद दूध के रिसाव के कारणों को विस्तार से जानते हैं।

गर्भावस्था के बाद स्तनों से दूध का रिसाव होने के कारण

गर्भावस्था के बाद स्तनों से रिसाव के कारणों को जानना इसलिए जरूरी है, क्योंकि इससे पता चलता है कि यह अवस्था सामान्य है या जोखिमपूर्ण है। गर्भावस्था के बाद दूध के रिसाव के कई कारण हो सकते हैं, जिन्हें नीचे विस्तारपूर्वक बताया गया है।

  1. गर्भावस्था के दौरान बना दूध : प्रसव से पहले ही गर्भवती के स्तन के टिश्यू दूध बनाना शुरू कर सकते हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि 16वें सप्ताह (दूसरी तिमाही के दौरान) से स्तनों में कोलोस्ट्रम (गाढ़ा पीला दूध) का उत्पादन शुरू हो जाता है (6) इसलिए, बच्चे के जन्म के तुरंत बाद स्तनों से दूध का रिसाव शुरू हो सकता है, क्योंकि ऐसी स्थिति में संचय करने की क्षमता से अधिक दूध का निर्माण होता है। वहीं, प्रसव के बाद ऑक्सीटोसिन हार्मोन का स्राव भी इस दूध के रिसने का कारण बन सकता है (7)
  1. शिशु की कम मांग : दूध के रिसाव का यह भी एक बड़ा कारण हो सकता है। डिलीवरी के बाद शुरुआती हफ्तों में दूध का उत्पादन अधिक हो सकता है और शिशु की दूध की मांग कम हो सकती है। इसलिए, स्तनपान कराने के बाद भी दूध का उत्पादन होता है, जो रिसने लगता है (4)। इसके अलावा, शिशु अगर किसी भी कारण से मां का दूध नहीं पीता है, तो भी यह स्थिति बन सकती है।
  1. प्रोलैक्टिन असंतुलन : जैसा कि लेख में ऊपर बताया गया है कि दूध के उत्पादन में प्रोलैक्टिन की अहम भूमिका होती है। इस हार्मोन के ज्यादा होने पर भी दूध के रिसाव की समस्या हो सकती है। प्रोलैक्टिन के बढ़े हुए स्तर के कारण गैलेक्टोरिया नामक समस्या हो सकती है। इसमें गर्भावस्था और स्तनपान की स्थिति न होने पर भी निप्पल से रिसाव हो सकता है। यहां तक कि कुछ पुरुष भी इससे प्रभावित हो सकते हैं। इस अवस्था में डॉक्टर से चेकअप करवाने के बाद इलाज की जरूरत होती है (8)
  1. आहारकुछ विशेष खाद्य पदार्थों के सेवन भी दूध का उत्पादन बढ़ सकता है। आमतौर पर प्रसव के बाद इनका प्रयोग मां के दूध की मात्रा बढ़ाने के लिए तब किया जाता है, जब दूध का उत्पादन कम हो रहा हो। कुछ अध्ययन कहते हैं कि मेथी, सौंफ और शतावरी जैसे हर्बल गैलेक्टागोग्स का सेवन करने से महिलाओं में दूध का उत्पादन बढ़ सकता है (9)। ऐसे में बढ़े हुए दूध की मात्रा स्तनों से रिसाव का कारण बन सकती है, लेकिन इस विषय पर अभी और शोध करने की जरूरत है।
  1. ऑक्सीटोसिन स्राव : प्रोलैक्टिन के अलावा ऑक्सीटोसिन का स्राव भी दूध के रिसाव का कारण हो सकता है। बच्चे को प्यार से देखना, उसकी आवाज सुनना, स्पर्श करना और उसके बारे में सोचना ऑक्सीटोसिन स्राव का कारण बन सकता है। ऐसी स्थिति में शिशु द्वारा दूध पिए बिना ही दूध का रिसाव हो सकता है (4) (7)। कई बार दूध का रिसाव इन कारणों के बिना भी हो सकता है। इसलिए, सटीक कारण जानने के लिए अभी और शोध किए जाने की जरूरत है (10)

लेख के अगले हिस्से में जानते हैं कि स्तनों से दूध का रिसाव किन-किन स्थितियों में ज्यादा हो सकता है।

स्तनों में से दूध का रिसाव होने की संभावना कब अधिक होती है?

इन परिस्थितियों में दूध का रिसाव सबसे ज्यादा हो सकता है :

  • अगर महिला गर्भावस्था के अंतिम दौर में हो।
  • अगर लंबे समय से शिशु ने दूध नहीं पिया हो और दूध की आपूर्ति पर्याप्त मात्रा में हो, तब मां के स्तनों से दूध का स्राव हो सकता है।
  • सिर्फ एक ही तरफ से स्तनपान कराने से दूसरे स्तन से दूध का रिसाव अधिक हो सकता है (1)
  • अपने या किसी अन्य बच्चे को रोते हुए सुनने या बच्चे की तस्वीर देखने से भी दूध का रिसाव हो सकता है।
  • शारीरिक संबंध बनाते समय ऑक्सीटोसिन का स्राव हो सकता है, जिस कारण दूध का रिसाव हो सकता है (11)
  • गर्म पानी से स्नान करते समय भी स्तनों से दूध का रिसाव हो सकता है, क्योंकि गर्म पानी स्तनों को दूध उत्पादन के लिए प्रेरित कर सकता है।

आइए, जानते हैं कि स्तनपान कराने वाली महिलाओं को दूध के रिसाव का सामना कब तक करना पड़ सकता है।

गर्भावस्था के बाद कितने समय तक स्तनों से दूध का रिसाव होगा?

हर मां चाहती हैं कि उसके शिशु को दूध पर्याप्त मात्रा में मिले और बेवजह स्तनों से दूध का रिसाव भी न हो। वैसे शिशु के जन्म के बाद 2 से 4 हफ्तों तक दूध का रिसाव हो सकता है। फिर भी दूध का रिसाव कब तक जारी रहेगा, इसकी पूरी तरह पुष्टि नहीं की जा सकती है, क्योंकि प्रत्येक महिला का शरीर, रिसाव का कारण और हार्मोन का स्तर अलग-अलग होता है।

वहीं, कुछ मामलों में विशेषज्ञों का कहना है कि जब तक शिशु दूध पीता रहता है, तब तक दूध का रिसाव हो सकता है। ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि जितना अधिक दूध शिशु पीता है, उतना ही अधिक दूध का उत्पादन होता है। फिर जब शिशु सॉलिड फूड (ठोस आहार खाना) या बोतल से दूध पीना शुरू करता है, तो मां का दूध कम पीने लगता है। इसके बाद मां में दूध का उत्पादन अपने आप कम होने लगता है। इस स्थिति को वीनिंग (Weaning) कहते हैं। इस आधार पर कहा जा सकता है कि शिशु की वीनिंग अवस्था तक दूध का अधिक उत्पादन और रिसाव हो सकता है (12)

लेख में आगे जानते हैं कि क्या स्तनों से दूध के रिसाव को रोका जा सकता है।

क्या गर्भावस्था के बाद मैं स्तनों से दूध के रिसाव को रोक सकती हूं?

हां, स्तनों से दूध के रिसाव को रोकने के लिए कुछ प्राकृतिक, होमोपैथी और एलोपैथिक दवाओं का सेवन किया जा सकता है। ये दवाएं उन महिलाओं के लिए जरूरी होती हैं, जिन्हें दूध का उत्पादन पूरी तरह बंद होने में समस्या हो रही हो (5)। इसलिए, दूध के उत्पादन को बंद करने का निर्णय तभी लें, जब आपको लगे कि शिशु को अब मां के दूध की जरूरत नहीं है। साथ ही किसी भी उपचार को डॉक्टर के परामर्श पर ही शुरू करें।

लेख के अंतिम हिस्से में दूध के रिसाव को नियंत्रित और प्रबंधित करने के कुछ टिप्स दिए गए हैं।

गर्भावस्था के बाद स्तनों के रिसाव से निपटने के लिए टिप्स

यहां दिए गए टिप्स का पालन कर इस समस्या से कुछ हद तक निपटा जा सकता है:

  • दूध के रिसाव से कपड़ों को बचाने के लिए ब्रा के अंदर नर्सिंग पैड पहनें। ये पैड दूध को सोख लेते हैं।
  • समय-समय पर शिशु को स्तनपान कराते रहें, ताकि स्तनों में दूध क्षमता से अधिक न रहे। इससे भी दूध के लीक होने की आशंका कम हो सकती है।
  • स्तनों से अतिरिक्त दूध को निकालने के लिए ब्रेस्ट पंप का इस्तेमाल करें। बाहर जाने से पहले शिशु को दूध पिलाएं और बचे हुए दूध को ब्रेस्ट पंप की मदद से बोतल में इकट्ठा कर लें।
  • जब भी यह महसूस हो कि दूध का रिसाव शुरू होने वाला है, तो निप्पल पर हथेली से दबाव बनाएं। इससे दूध बहने से रुक सकता है।
  • सफेद और प्लेन कपड़े न पहनें, क्योंकि इनमें गीलापन छिपाना मुश्किल है। इनके स्थान पर प्रिंटेड कपड़ों का चुनाव करें।
  • घर से बाहर जाते समय अतिरिक्त ब्रा और टॉप या कुर्ती साथ ले जाएं।
  • जिन माताओं के स्तन से रिसाव होता है, उन्हें अपने पास दुप्पटा या जैकेट रखनी चाहिए, ताकि जरूरत पड़ने पर कपड़ों पर दूध के धब्बे छिपाए जा सकें।
  • अगर यह समस्या कुछ ज्यादा ही बढ़ जाए, तो डॉक्टर से सलाह लें। डॉक्टर की सलाह लिए बिना किसी दवा या दूध घटाने वाली जड़ी-बूटी का सेवन नहीं करना चाहिए।

इस लेख में आपने जाना कि स्तनों से दूध के रिसाव की समस्या क्यों होती है और इससे किस प्रकार निपटा जा सकता है। यहां उपलब्ध जानकारी के आधार पर यह कहा जा सकता है कि गर्भावस्था के बाद भी एक मां के सामने कई प्रकार की चुनौतियां होती हैं। दूध के रिसाव का सही प्रबंधन भी उनमें से एक है, इसलिए इस समस्या का सामना धैर्यपूर्वक और समझदारी से करें। यदि यह अवस्था बहुत गंभीर हो जाए, तो किसी भी प्रकार के जोखिम से बचने के लिए स्त्री रोग विशेषज्ञ के पास जाना जरूरी है। उम्मीद करते हैं कि यह लेख आपको पसंद आया होगा। ऐसी ही महत्वपूर्ण जानकारी के लिए मॉमजंक्शन के अन्य आर्टिकल भी जरूर पढ़ें।

References

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1. Overabundant milk supply: an alternative way to intervene by full drainage and block feeding by NCBI
2. Treatment of Maternal Hypergalactia by NCBI
3. How Breastmilk is Made by University of Rochester
4. The physiological basis of breastfeeding by NCBI
5. Breast Care For the Breastfeeding Mom by University of Rochester
6. Anatomy, Colostrum by NCBI
7. HOW MILK GETS FROM BREAST TO BABY by NCBI
8. Hyperprolactinemia with normal serum prolactin: Its clinical significance by NCBI
9. A Review of Herbal and Pharmaceutical Galactagogues for Breast-Feeding by NCBI
10.Management of hyperlactation syndrome by full drainage and block feeding methods by ResearchGate
11. Sex and Breastfeeding: An Educational Perspective by NCBI
12. Weaning by CDC

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