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ब्रेस्ट पंप के 5 फायदे व इस्तेमाल करने का तरीका | Breast Pump Kaise Use Kare

मां बनने से ज्यादा खूबसूरत एहसास शायद ही महिला के लिए कुछ और हो। इस दौरान बच्चे के साथ ही घर में नई खुशियां और जिम्मेदारियां भी आती हैं। एक मां का सबसे बड़ा जिम्मा बच्चे को समय-समय पर स्तनपान कराना होता है। वहीं, कुछ महिलाओं के लिए ऐसी परिस्थिति बन जाती है कि उनके लिए स्तनपान करना मुश्किल हो जाता है। ऐसे में ब्रेस्ट मिल्क पंप का सहारा लिया जाता है, लेकिन क्या इस पंप का उपयोग करना सुरक्षित है? मॉमजंक्शन के इस लेख में हम इसी मुद्दे पर चर्चा करेंगे।

सबसे पहले जानते हैं कि ब्रेस्ट मिल्क पंप क्या होता है।

In This Article

ब्रेस्ट पंप क्या है?

ब्रेस्ट पंप एक तरह का उपकरण है। इस डिवाइस की मदद से मां के स्तन के दूध को निकालकर शिशु के लिए स्टोर किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि इससे दूध के अधिक स्राव के कारण भारी होने वाले स्तन से राहत मिल सकती है। दरअसल, ब्रेस्ट पंप दूध नलिकाओं से सारे दूध को निकालकर ब्रेस्ट को हल्का एहसास दिला सकता है (1) यहां हम स्पष्ट कर दें कि इस आधुनिकता के जमाने में भी भारत में ब्रेस्ट पंप की जगह स्तनपान को प्राथमिकता दी जाती है। डॉक्टर भी गंभीर अवस्था में ही ब्रेस्ट पंप को उपयोग करने की सलाह देते हैं।

लेख में आगे हम ब्रेस्ट पंप के प्रकार से जुड़ी जानकारी दे रहे हैं।

ब्रेस्ट पंप कितने प्रकार का होता है?

बाजार में कई प्रकार के ब्रेस्ट पंप उपलब्ध हैं। इन्हें मुख्य रूप से तीन प्रकार में बांटा जा सकता है, जो इस प्रकार हैं (2):

1. मैनुअल पंप

मैनुअल पंप यानी हाथ से काम करने वाला ब्रेस्ट पंप। इसमें महिला को दूध निकालने का काम खुद करना होता है। सबसे पहले महिला को कप के आकार की शील्ड को स्तन पर लगाकर इस पंप में लगे हुए हैंडल को दबाना होगा। फिर दबाव बनने के कारण स्तन से दूध बाहर को निकलकर उपकरण में लगे हुए बोतल में इकट्ठा होने लगता है। कुछ मैनुअल पंप में ट्यूब भी लगी होती है, जिसकी मदद से दूध को दूसरे कंटेनर में भी इकट्ठा किया जा सकता है।

2. बैटरी पावर्ड ब्रेस्ट पंप 

यह बैटरी से काम करने वाला ब्रेस्ट पंप होता है। कुछ ब्रेस्ट पंप रिचार्जेबल भी हो सकते हैं, जिसे चार्ज करने के बाद उपयोग में लाया जा सकता है। यह आकार में छोटे और आसानी से कैरी करने वाले पंप होते हैं। इसे उपयोग करना भी आसान होता है। इसे यात्रा के दौरान साथ ले जाना आसान होता है।

3. इलेक्ट्रिक ब्रेस्ट पंप 

इलेक्ट्रिसिटी से काम करने वाले ब्रेस्ट पंप को ही इलेक्ट्रिक ब्रेस्ट पंप कहा जाता है। कुछ इलेक्ट्रिक ब्रेस्ट पंप बिजली के साथ ही बैटरी से भी चलते हैं। इस ब्रेस्ट पंप में स्पीड को कम या ज्यादा करने के लिए भी बटन दिए होते हैं।

अब जानते हैं कि ब्रेस्ट पंप का इस्तेमाल करना कब उपयोगी हो सकता है।

ब्रेस्ट पंप का उपयोग कब करें?

सबसे पहली बात तो यह कि शिशु के लिए स्तनपान से बेहतर कुछ नहीं है। फिर भी कुछ परिस्थितियां ऐसी होती है कि मां के लिए स्तनपान करना मुश्किल हो जाता है। ऐसी अवस्था में डॉक्टर विकल्प के तौर पर ब्रेस्ट पंप को इस्तेमाल करने की सलाह दे सकते हैं। ये स्थितियां कुछ इस प्रकार हैं :

  • महिला अपनी वर्किंग लाइफ में लौट गई है और शिशु से घंटों दूर रहती है, तो ब्रेस्ट पंप के जरिए दूध को स्टोर करके बाद में शिशु को पिलाया जा सकता है।
  • शिशु के साथ महिला सफर कर रही हो और इस दौरान स्तनपान कराना सुविधाजनक न हो, तो पंप से स्टोर किया हुआ दूध बच्चे को पिलाया जा सकता है।
  • अगर सी-सेक्शन के बाद महिला स्तनपान कराने की अवस्था में न हो, तो डॉक्टर ब्रेस्ट पंप को इस्तेमाल करने की सलाह दे सकते हैं।
  • कुछ महिलाओं को स्तनपान कराते समय स्तन में तेज दर्द महसूस होता है, तो ऐसी अवस्था में संभव है कि डॉक्टर यह पंप उपयोग करने को कहें।
  • अगर किसी महिला के स्तनों में दूध का उत्पादन अधिक हो रहा हो, तो उसे निकालने के लिए ब्रेस्ट पंप का इस्तेमाल किया जा सकता है (1)

आगे पढ़िए कि ब्रेस्ट पंप का उपयोग किस तरह से किया जाना चाहिए

ब्रेस्टपंप का इस्तेमाल कैसे करें  | Breast Pump Kaise Use Kare

जैसे कि हमने पहले ही जानकारी दी है कि मार्केट में ब्रेस्ट पंप के तीन प्रकार मौजूद हैं। ऐसे में इनके उपयोग का तरीका भी अलग-अलग होता है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए हम यहां ब्रेस्ट मिल्क पंप के इस्तेमाल से जुड़ी जानकारियां दे रहे हैं। बस किसी भी पंप को इस्तेमाल करने से पहले उसे अच्छी तरह से स्टरलाइज जरूर करना चाहिए। साथ ही हाथों को भी अच्छे धोना चाहिए। फिर पंप को इस तरह से इस्तेमाल करना चाहिए (3):

1. मैनुअल ब्रेस्ट पंप

  • मैनुअल ब्रेस्ट पंप का उपयोग महिला को खुद से ही करना होता है। इसके आगे के हिस्से में ब्रेस्ट शील्ड और पीछे दूध स्टोर करने के लिए कंटेनर लगा होता है।
  • महिला को हैंडल की मदद से उपकरण को पंप करके खुद ही दूध निकालना होगा।
  • कंटेनर के भरने के बाद उसमें दूसरा कंटेनर लगाकर दूध निकाला जा सकता है।
  • इसके बाद कंटेनर में आए दूध को एयरटाइट बोतल में या उसी कंटेनर में स्टोर कर दें।
  • कुछ मैनुअल पंप को बड़े और दूसरे कंटेनर से भी जोड़ सकते हैं, ताकि बिना परेशानी के देर तक उसमें दूध निकाला जा सके।

2. बैटरी पावर्ड या इलेक्ट्रिक मिल्क ब्रेस्ट पंप

  • अगर बैटरी या इलेक्ट्रिक मिल्क ब्रेस्ट पंप की बात की जाए, तो इसका उपयोग मैनुअल ब्रेस्ट पंप की तुलना में आसान होता है। वैसे इसमें भी मैनुअल ब्रेस्ट पंप की तरह ही ब्रेस्ट शील्ड और कंटेनर होता है, लेकिन इसमें कुछ स्विच भी होते हैं।
  • इनकी मदद से पम्पिंग स्पीड को सुविधानुसार कम या ज्यादा किया जा सकता है। साथ ही इस दौरान हाथ भी फ्री रहते हैं। इन ब्रेस्ट पंप को ऑन करके महिला अपने अन्य काम कर सकती है।

नोट : मैनुअल हो या इलेक्ट्रिक, हर ब्रेस्ट पंप के साथ उसके उपयोग का तरीका समझाने के लिए बुक भी आती है। पंप को अच्छी तरह से इस्तेमाल करने और समझने के लिए उस बुक में बताई गई बातों और निर्देशों का पालन करना जरूरी है।

क्या ब्रेस्ट पंप को इस्तेमाल करना फायदेमंद है? आइए, जानते हैं।

ब्रेस्ट पंप के फायदे | Breast Pump Ke Fayde In Hindi

यहां हम फिर से स्पष्ट कर दें कि ब्रेस्ट पंप के मुकाबले स्तनपान सबसे बेहतर है। फिर भी कुछ अवस्थाओं में ब्रेस्ट पंप का इस्तेमाल करना फायदेमंद माना गया है, जो इस प्रकार हैं (1):

  1. मेडिकल कंडीशन :  जैसा कि हमने ऊपर भी बताया है कि सी-सेक्शन के बाद कुछ महिलाओं के लिए स्तनपान करना मुश्किल हो जाता है। ऐसी अवस्था में ब्रेस्ट पंप का इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके लिए भी कई प्रकार की मेडिकल कंडीशन हो सकती हैं, जिस कारण मां के लिए स्तनपान करना कठिन हो।
  2. फ्लैट निपल्स : कुछ महिलाओं को इस तरह की भी समस्या हो सकती है। इससे शिशु को दूध पीने में असुविधा हो सकती है। ऐसे में ब्रेस्ट पंप सहारा लिया जा सकता है।
  3. कामकाजी महिलाएं : अगर किसी महिला ने डिलीवरी के बाद ऑफिस वर्क शुरू कर दिया है, तो ऐसे में वो ब्रेस्ट पंप से दूध को स्टोर कर सकती है। फिर जरूरत पड़ने पर शिशु को यह दूध पिलाया जा सकता है। बेशक, ऐसी महिलाओं के लिए ब्रेस्ट पंप अच्छा साधन है, लेकिन हम यही सलाह देंगे कि संभव हो, तो स्तनपान ही कराया जाए।
  4. शिशु की असमर्थता : समय से पूर्व पैदा हुए शिशु शारीरिक रूप से कमजोर होते हैं। ऐसे शिशुओं को स्तनपान में समस्या हो सकती है। इसलिए, उन्हें मां के दूध में मौजूद सभी पोषक तत्व देने के लिए ब्रेस्ट पंप का उपयोग किया जा सकता है।
  5. स्तन में गांठ : कुछ महिलाओं के स्तनों से दूध ठीक प्रकार से नहीं निकल पाता है, जिस कारण स्तनों में गांठ बन सकती है। ऐसी समस्या को दूर करने के लिए डॉक्टर की सलाह पर ब्रेस्ट पंप का इस्तेमाल किया जा सकता है।

लेख में आगे बढ़ते हुए ब्रेस्ट पंप के नुकसान पर एक नजर डाल लेते हैं।

ब्रेस्ट पंप के नुकसान 

ब्रेस्ट पंप के फायदे के साथ ही कुछ नुकसान भी हैं। क्या हैं वो नुकसान जानने के लिए लेख को आगे पढ़ें (4) (5):

  1. शिशु से बॉन्डिंग : इसमें कोई संदेह नहीं कि स्तनपान कराने से मां और शिशु के बीच एक आत्मीय संबंध बनता है। इसके उल्ट ब्रेस्ट पंप के जरिए बोतल में दूध इकट्ठा करके पिलाने पर इस रिश्ते के बीच रुकावट पैदा कर सकता है।
  2. स्तनों में दर्द : ऐसा माना जाता है कि बार-बार ब्रेस्ट पंप इस्तेमाल करने से स्तनों पर नकारात्मक असर पड़ता है। इससे स्तनों में सूजन आ सकती है, जिससे स्तनों में दर्द शुरू हो सकता है। इसके अलावा, निप्पल के टिश्यू भी क्षतिग्रस्त हो सकते हैं।
  3. दूध की सप्लाई : कुछ मामलों में यह भी देखा गया है कि ब्रेस्ट पंप इस्तेमाल करने से स्तनों में दूध का उत्पादन कम हो सकता है। वहीं, जब शिशु स्तनपान करता है, तो स्तनों में दूध का उत्पादन सामान्य बना रहता है।
  4. संक्रमित दूध : पंप के जरिए निकालकर बोतल में स्टोर किया गया दूध कुछ समय बाद खराब हो जाता है। बोतल में स्टोर किए गए दूध में जल्द ही बैक्टीरिया पनपने लगते हैं और सभी पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं। ऐसा दूध पीने से शिशु बीमार हो सकता है।
  5. दांतों पर असर : शिशु के जबड़ों और दांतों के लिए स्तनपान को अच्छा माना गया है। वहीं, बोतल से दूध पीने से दांतों पर नकारात्मक असर पड़ता है।
  6. पंप की सफाई : ब्रेस्ट पंप को हर बार इस्तेमाल करने से पहले अच्छी तरह स्टरलाइज करने की जरूरत होती है। अगर इसे ठीक तरह से साफ न किया जाए, तो दूध में बैक्टीरिया पनप सकते हैं और उस दूध को पीने से शिशु बीमार हो सकता है।
  7. इम्यून सिस्टम : यह तो सभी जानते हैं कि मां के दूध में सभी जरूरी पोषक तत्व होते हैं। इसलिए, स्तनपान करने से शिशु को सभी पोषक तत्व मिलते हैं, जिससे उसका इम्यून सिस्टम धीरे-धीरे बेहतर होने लगता है। वहीं, ब्रेस्ट पंप से निकाले गए दूध से शिशु को सभी पोषक तत्व नहीं मिल पाते हैं।

आगे हम ब्रेस्ट पंप से संबंधित कुछ मिथकों के बारे में बताएंगे।

ब्रेस्ट पंप के बारे में गलत धारणाएं व मिथक

ब्रेस्ट पंप के उपयोग को लेकर लोगों में अलग-अलग धारणाएं हैं। ऐसे ही कुछ मिथकों के बारे में हम आगे विस्तार से बता रहे हैं।

मिथक 1 – बोतल युक्त ब्रेस्ट मिल्क पीने से बच्चे को पर्याप्त एंटीबॉडी नहीं मिलते हैं।

इसमें कोई शक नहीं है कि स्तनपान करने से शिशु को एंटीबॉडी मिलते हैं। इन एंटीबॉडिज से शिशु की रोग-प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मदद मिल सकती है (6)। कुछ लोगों का मानना है कि ब्रेस्ट मिल्क पंप से निकाले हुए दूध से शिशु को पर्याप्त एंटीबॉडी नहीं मिल पाती हैं।

मिथक 2 – स्टोर ब्रेस्ट मिल्क हर समय मां के दूध के समान ताजा रहता है।

अगर ब्रेस्ट मिल्क को पंप करने के बाद तुरंत शिशु को पिलाया जाए, तो वह मां के दूध के समान ही ताजा होता है। ऐसा कुछ घंटों तक स्टोर करके रखे दूध के साथ नहीं होता है। स्टोर ब्रेस्ट मिल्क पोषक जरूर होता है, लेकिन उसे स्तनपान करते समय बच्चे को मिलने वाले दूध जितना ताजा नहीं कहा जा सकता है। ऐसे में यह एक मिथक है कि ब्रेस्ट मिल्क स्टोर करने से वह हर समय ताजा रहता है।

ध्यान रहे कि दूध को साफ, एयर टाइट कंटेनर में डालकर फ्रिज में स्टोर करें। वहीं, जिस दिन ब्रेस्ट मिल्क पंप करें उस दिन की डेट और टाइम बोतल पर जरूर नोट करें। इसे सिर्फ 6 से 8 घंटे के लिए रूम टेम्परेचर में स्टोर किया जा सकता है (7)

मिथक 3 – ब्रेस्ट पंप करना एक कठिन प्रक्रिया है। 

रिपोर्ट्स के अनुसार, कुछ महिलाओं ने ब्रेस्ट पंप के उपयोग से दर्द और सूजन होने की शिकायत की है (4)। शुरुआत में कुछ महिलाओं को ब्रेस्ट पंप का उपयोग करने में असुविधा या कठिनाई हो सकती है। अगर किसी को इंफेक्शन हो जाए, तो दर्द जरूर हो सकता है। इसलिए, शिशु को दूध पिलाने के लिए स्तनपान की तरह आसान और सुविधाजनक प्रक्रिया और कुछ नहीं है।

मिथक 4 – पंप का प्रयोग करने से स्तन ढीले होते हैं। 

विशेषज्ञों के अनुसार, ब्रेस्ट पंप का उपयोग करने से ही स्तन ढीले हो सकते हैं।

मिथक 5 – पम्पिंग मां और बच्चे के रिश्ते को बाधित करती है।

हां, कुछ हद तक यह तथ्य सही है। वहीं, जो महिलाएं स्तनपान कराने में असमर्थ होती हैं, वो शिशु को नहलाकर, उसे दुलार करके, उसे गोद में लेकर, उसके साथ खेलकर भी अपने और शिशु के बीच बंधन बना सकती है।

मिथक 6 – अगर आप पम्पिंग कर रहे हैं, तो आप शिशु को स्तनपान नहीं करा सकते हैं।

ऐसा बिल्कुल नहीं है। अगर महिला के पास शिशु को स्तनपान कराने का वक्त नहीं है, तो वह ब्रेस्ट पंप का उपयोग कर सकती हैं। फिर जब भी वक्त मिले महिला बच्चे को सीधे स्तनपान भी करा सकती हैं। इसी वजह से यह सिर्फ एक मिथक है।

मिथक 7 – पम्पिंग के कारण स्तनों से रिसाव हो सकता है।

जैसे कि हमने ऊपर जानकारी दी है कि पम्पिंग से दूध की आपूर्ति में सुधार हो सकता है (1), लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं है कि सिर्फ ब्रेस्ट पंप के उपयोग से स्तनों से रिसाव होता है। गर्भावस्था के बाद स्तनों में अधिक दूध होने के कारण दूध का रिसाव होना सामान्य है। ऐसे में इसे मिथक कहा जा सकता है।

इसमें कोई शक नहीं है कि मां और शिशु के लिए स्तनपान से बेहतर कुछ नहीं है। फिर भी कुछ अवस्थाएं ऐसी बन जाती हैं कि ब्रेस्ट पंप का सहारा लेना पड़ता है। ऐसी महिलाएं पूरी सावधानी के साथ ब्रेस्ट पंप का इस्तेमाल करें। साथ ही इसे उपयोग करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें। उम्मीद है कि यह लेख पढ़ने के बाद आपकी ब्रेस्ट मिल्क पंप से जुड़ी हर शंका दूर हुई होगी। साथ ही इस लेख को अन्य महिलाओं के साथ भी जरूर शेयर करें।

References

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1. Breast Pumps By FDA
2. Pregnancy and birth: Expressing breast milk: Are some methods better than others? By NCBI
3. Using a Breast Pump By FDA
4. Breast pump adverse events: reports to the food and drug administration By NCBI
5. Injury and Infection By FDA
6. Breastfeeding provides passive and likely long-lasting active immunity By NCBI
7. Breastfeeding FAQs: Safely Storing Breast Milk By KidsHealth

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