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हाइपर एक्टिव बच्चे को संभालने के 10+ तरीके | Hyperactive Bache Ke Liye Tips

बच्चे व्यवहार से नटखट होते हैं और दिनभर शरारते करना उनका स्वभाव होता है। ऐसे बच्चों पर हर किसी को प्यार आता है। वहीं, कुछ बच्चे ऐसे भी होते हैं, जो जरूरत से ज्यादा ऊधम मचाते हैं। ऐसे बच्चे अपनी आदतों के चलते पेरेंट्स की नाक में दम कर देते हैं। अगर उन्हें रोका-टोका जाए, तो गुस्सा हो जाते हैं। ऐसे बच्चों को हाइपर एक्टिव की समस्या हो सकती है। हालांकि, यह किसी तरह की गंभीर बीमारी नहीं होती, लेकिन इसका असर बच्चे के भविष्य पर पड़ सकता है। ऐसे बच्चे को शांत करने के तरीके जानने में मॉमजंक्शन का यह लेख मदद कर सकता है।

इस लेख के पहले भाग में हम हाइपर एक्टिव क्या होता है, इसकी जानकारी दे रहे हैं।

In This Article

हाइपर एक्टिव क्या है?

हाइपर एक्टिव यानी अति सक्रियता एक तरह की समस्या है, जिसमें बच्चे का सामान्य व्यक्तिगत विकास प्रभावित हो सकता है। इस स्थिति में बच्चे बहुत ज्यादा गुस्सैल हो सकते हैं और ठीक तरह से किसी काम में ध्यान नहीं लगा पाते हैं। ऐसे बच्चे किसी भी काम को जल्दी-जल्दी करने का प्रयास करते हैं और जरूरत से ज्यादा बाेलते हैं। साथ ही इस समस्या के कारण बच्चे आसानी से विचलित हो सकते हैं (1)। बच्चों में हाइपर एक्टिव किन कारणों से होता है, इसकी जानकारी आगे लेख में बताएंगे।

आइए, जानते हैं कि किस कारण से बच्चे अति सक्रीय हो जाते हैं।

बच्चे के अति सक्रिय (hyperactive) होने का क्या कारण है?

बच्चों के हाइपर एक्टिव होने के पीछे कई कारण हो सकते हैं। इन कारणों के बारे में नीचे विस्तार से बताया गया है ।

  1. तनाव के कारण- बच्चों का हाइपर एक्टिव होने के पीछे का एक कारण तनाव है। यह तनाव कई तरह का हो सकता है। जैसे कि घर में छोटे भाई या बहन का जन्म होना, माता-पिता का छोटी-छोटी बात पर बच्चे को डांटना, बच्चे से बात किए बिना उसे बॉर्डिंग स्कूल में डालना, बच्चे की प्यारी चीज को उससे दूर कर देना (2)।
  1. भावनात्मक या मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं- बच्चों में भावनात्मक संबंधित समस्या व्यवहार विकारों की तरह ही होती हैं। इसमें चिंता, घबराहट और अवसाद की समस्या से जूझ रहे बच्चे को शांत बैठने में मुश्किल होती है। वहीं, अगर बच्चे के जीवन में डरावनी घटना घटती है, तो वो ठीक से ध्यान नहीं लगा पाते हैं (3)।
  1. मेडिकल कंडीशन- कुछ शारीरिक स्वास्थ्य समस्याएं भी अति सक्रियता का कारण बन सकती हैं। दरअसल, ओवरएक्टिव थायराइड यानी हाइपरथायराइडिज्म के कारण चिंता और अति सक्रियता के लक्षण नजर आ सकते हैं। इसके अलावा, आनुवंशिक समस्या भी अति सक्रियता को बढ़ा सकती है (4)।
  1. नींद की कमी- अगर बच्चे को पर्याप्त नींद नहीं मिलती है, तो वो बेचैन हो सकते हैं। थोड़ा-सा काम करते ही थक जाते हैं और अति सक्रिय का शिकार हो सकते हैं। अगर बच्चे को ठीक से आराम न मिले, तो उनका शरीर अधिक कोर्टिसोल और एड्रेनालाईन हार्मोन बनाता है। ये एक प्रकार के स्ट्रेस हार्मोन होते हैं, जो बच्चे को तनावग्रस्त कर सकते हैं। इससे बच्चे देर तक जग सकते हैं और अधिक ऊर्जावान रह सकते हैं (5)।

चलिए जानते हैं कि बच्चा का हाइपर एक्टिव होना एडीएचडी बीमारी है या नहीं।

अगर बच्चा हाइपर एक्टिव है, तो क्या उसे ADHD बीमारी है?

जी हां, बच्चे के हाइपर एक्टिव होने के पीछे एक मुख्य कारण एडीएचडी भी होता है। इस स्थिति में बच्चे को ध्यान लगाने और गुस्सैल व्यवहारों को नियंत्रित करने में परेशानी होती है (6)। इस आधार पर कहा जा सकता है कि अगर बच्चे को हाइपर एक्टिव की समस्या है, तो उसे एडीएचडी बीमारी हो सकती है। साथ ही हर हाइपर एक्टिव बच्चे को एडीएचडी समस्या हो, ऐसा संभव नहीं है। एडीएचडी के 3 प्रकार माने गए हैं-

  1. प्रीडोमिनेंटली इनटेंटिव- इसके अधिकांश लक्षण इनअटेंशन यानी असावधानी के अंतर्गत आते हैं।
  2. प्रीडोमिनेंटली हाइपर एक्टिव/इंपल्सिव- इस प्रकार में अधिकांश लक्षण अतिसक्रिय और गुस्सैल होते हैं।
  3. कंबाइंड- इसमें ऊपर बताए दोनों प्रकार के लक्षण नजर आते हैं।

इस लेख के अगले भाग में हम बता रहे हैं कि हाइपर एक्टिव बच्चे के लक्षण क्या-क्या होते हैं।

हाइपर एक्टिव बच्चे के लक्षण

बच्चे का अति सक्रिय होने का कारण एडीएचडी भी होता है। ऐसे में एडीएचडी के लक्षण हाइपर एक्टिव बच्चे में भी नजर आ सकते हैं। इन लक्षणों को ध्यान में रख कर हाइपर एक्टिव बच्चे को शांत करने के तरीके को अपनाया जा सकता है। यहां हम हाइपर एक्टिव के लक्षण एडीएचडी के प्रकार के आधार पर बता रहे है (6)।

इनअटेंशन के लक्षण :

  • ठीक से ध्यान न दे पाना और स्कूल के काम में गलतियां करना।
  • खेल-कूद में फोकस करने में परेशानी होना।
  • बच्चों से सीधे तौर पर बात करने पर भी बातों को ठीक से न सुनना।
  • निर्देशों का पालन न करना और स्कूल के काम को पूरा न कर पाना।
  • अपने कार्यों और गतिविधियों के समय को व्यवस्थित कर पाने में कठिनाई।
  • बच्चे ऐसे कार्यों से बचते हैं, जिसके लिए मानसिक गतिविधि की जरूरत होती है, जैसे होमवर्क।
  • अपनी चीजों को खोना, जैसे खिलौने, स्कूल असाइनमेंट व पेंसिल आदि।
  • जल्दी गुस्सा होना।
  • अपने रोजमर्रा के काम करना भूल जाना।

हाइपर एक्टिव और इंपल्सिव के लक्षण-

  • बैठकर हाथों या पैरों को हिलना-डुलना या टैप करना।
  • क्लास में एक जगह पर बैठे रहने में परेशानी महसूस करना।
  • हमेशा चलते-फिरते रहना या निरंतर गति में रहना।
  • बिना किसी बात के इधर-उधर भागना।
  • ठीक से चुप बैठ नहीं पाना या खेल नहीं पाना।
  • बहुत ज्यादा बोलना।
  • कोई कुछ पूछे तो जवाब न देना।
  • अपनी बारी का इंतजार न कर पाना।
  • दूसरों की बातचीत, खेल या गतिविधियों में दखल देना।

अब हम हाइपर एक्टिव बच्चे को संभालने के बेहतरीन तरीके बता रहे हैं।

हाइपर एक्टिव बच्चे को संभालने के 10+ बेहतरीन तरीके | hyper active bache ke liye tips

हाइपर एक्टिव बच्चे को संभालना इतना मुश्किल भी नहीं है। बस पेरेंट्स को कुछ टिप्स पर गौर करना चाहिए, जिनके बारे में हम नीचे बता रहे हैं (7)।

  1. बच्चे के लिए रूटीन बनाएं- बच्चे के पूरे दिन के लिए रूटीन तैयार करें। इसमें सुबह जागने के समय से लेकर सोने के समय तक का पूरा शेड्यूल बनाए और बच्चे को उसे पालन करने के लिए भी कहें।
  1. आर्गनाइज्ड रहने के लिए कहें- बच्चे को शांत रखने के लिए उनका संगठित तरीके से रहना जरूरी है। ​बच्चे को हमेशा एक ही जगह पर स्कूल बैग, कपड़े और खिलौने रखने के लिए प्रोत्साहित करें। इससे वे अपने चीजों को कम खोएगा और परेशान भी कम करेगा।
  1. डिस्ट्रैक्शन को मैनेज करें- हाइपर एक्टिव बच्चे को शांत रखने के लिए डिस्ट्रैक्शन को मैनेज करने की आवश्यकता होती है। उदाहरण के लिए अगर बच्चा होमवर्क कर रहा है, तो टीवी बंद रखें और कोशिश करें कि आसपास शांत वातावरण बना रहे।
  1. विकल्पों को सीमित करें- अपने बच्चे को अतिउत्तेजित महसूस न कराएं। उन्हें किसी भी चीज सीमित विकल्प दें। उदाहरण के लिए उसे पहने के लिए ज्यादा की जगह सिर्फ दो ड्रेस में से किसी एक को चुनने के लिए कहें।
  1. साफ बात करें- बच्चों से जो भी बात करें, वो स्पष्ट होनी चाहिए। उनसे ज्यादा घुमा-फिराकर बातें न करें।
  1. प्लानिंग में मदद- बच्चे के काम को सरल बनाने के लिए उनके काम को विभाजित करें। अगर बच्चे का काम अधिक समय लेगा, तो उन्हें जल्दी काम शुरू करने के लिए कहें और बीच-बीच में ब्रेक लेने के लिए कहें। साथ ही काम को प्लानिंग के साथ करने के लिए उनकी मदद करें। उन्हें बताएं कि स्टेप बाय स्टेप आगे बढ़ने से काम आसान हो जाएगा। इससे उन्हें ​तनाव नहीं होगा।
  1. पुरस्कार दें- बच्चों को अच्छे काम के लिए प्रेरित करें और जब वो ऐसे करें, तो उन्हें प्रोत्साहित करने के लिए पुरस्कार जरूर दें। साथ ही उन्हें समझाएं कि अपने लक्ष्य को पूरा करने के लिए छोटे-छोटे कदम उठाएं।
  1. अनुशासन का पालन- हाइपर एक्टिव बच्चे को शांत रखने के लिए उन्हें अनुशासित रखना जरूरी है। उन्हें डांटने, चिल्लाने या मारने की जगह, उनकी छूट में कुछ कमी करें। साथ ही कुछ सख्त नियम भी बना सकते हैं। बस ध्यान रहे कि इन सख्त नियमों के चलते बच्चा जिद्दी न हो जाए।
  1. सकारात्मक अवसर- एडीएचडी वाले बच्चों को कुछ काम तनावपूर्ण लग सकते हैं। ऐसे में उन चीजों का पता लगाएं, जिसे आपका बच्चा अच्छे से कर सके और उसी क्षेत्र में उन्हें आगे बढ़ने के लिए बढ़ावा दें। अगर उसे खेल, म्यूजिक या पेंटिंग में से कुछ भी पसंद है, तो उसे वो काम करने के लिए प्रेरित करें।
  1. स्वस्थ जीवनशैली- अति सक्रीय बच्चे को शांत रखने के लिए स्वस्थ जीवन देना भी जरूरी है। इसलिए, ध्यान दें कि उसे खाने में सभी पोषण तत्व मिलें और पर्याप्त नींद भी मिले।
  1. गले लगाएं- अति सक्रीय बच्चा जब अधिक परेशान करने लगे, तब उसे प्यार से गले लगाकर सहलाना चाहिए। पेरेंट्स की यह गतिविधि भावनात्मक रूप से काम करती है। इससे बच्चा शांत हो सकता है। यह तरीका अधिकतर बच्चों के लिए काम करता है।

बच्चे का हाइपर एक्टिव होना किसी तरह की बीमारी नहीं है। हां, यह किसी अन्य समस्या का लक्षण जरूर हो सकता है। इसलिए, समय रहते बच्चे पर ध्यान देना और जरूरत महसूस होने पर विशेषज्ञ की सलाह लेना सही निर्णय हो सकता है। इससे हाइपर एक्टिव होने की वजह से दूसरी समस्याओं को बढ़ने से रोका जा सकता है। हम उम्मीद करते हैं कि इस लेख में दी गई जानकारियां आपके लिए उपयोगी साबित होंगी।

References

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  1. Hyperactivity
    https://medlineplus.gov/ency/article/003256.htm
  2. Early life stress induces attention-deficit hyperactivity disorder (ADHD)-like behavioral and brain metabolic dysfunctions: functional imaging of methylphenidate treatment in a novel rodent model
    https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC5334429/
  3. Behavioral and emotional disorders in childhood: A brief overview for pediatricians
    https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC5803568/
  4. Hyperthyroidism
    https://medlineplus.gov/ency/article/000356.htm
  5. Sleep patterns and the risk for ADHD: a review
    https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC3630973/
  6. What is ADHD
    https://www.cdc.gov/ncbddd/adhd/facts.html
  7. Treatment of ADHD
    https://www.cdc.gov/ncbddd/adhd/treatment.html
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