भगवान श्री गणेश की जन्म कथा | Ganesh Ji Ka Janam

July 15, 2020 द्वारा लिखित

Ganesh Ji Ka Janam

गणेश जी के जन्म और हाथी वाले सिर की कहानी बहुत रोचक है। शिवपुराण के मुताबिक देवी पार्वती एक दिन हल्दी का उबटन लगा रही थी। तभी माता के कक्ष मे नंदी आ पहुंचा। यह देखकर उन्हें बहुत दुख हुआ। उन्होंने सोचा कि वह घर में अकेली रहती हैं, इसलिए जब जिसका मन करता है, उनके कक्ष में आ जाता है। अब मुझे एक ऐसा बेटा चाहिए, जो मेरे साथ रहे और किसी को अंदर न आने दें। यह सोचते-सोचते मां का उबटन सूख गया था। वो उबटन को धोने लगीं। उसी उबटन से उन्होंने एक बालक बनाया और उसमें प्राण डाल दिए। उस बालक को माता पार्वती ने कहा, “तुम मेरे पुत्र हो और तुम्हें हमेशा मेरी आज्ञा को मानना होगा। उन्होंने आगे कहा, “देखो पुत्र, अब मैं स्नान के लिए अंदर जा रही हूं। तुम यह ख्याल रखना कि घर के अंदर कोई भी न आ पाए।”

माता पार्वती का आदेश मिलते ही आज्ञा पालन के लिए गणेश भगवान द्वार पर जाकर खड़े हो गए। कुछ देर बाद वहां भगवान शिव जी आए। उन्होंने जैसे ही अंदर जाने का प्रयास किया, तो भगवान गणेश ने उनको रोक दिया। शिव शंभू ने उन्हें बहुत समझाने की कोशिश की। जब वह नहीं मानें, तो भगवान ने गुस्से में आकर गणेश जी का सिर धड़ से अलग कर दिया। उसी वक्त पार्वती स्नान करके बाहर आई और अपने पुत्र गणेश का सिर जमीन पर पड़ा देखकर क्रोधित हो गईं। उन्होंने भोलनाथ से नारजगी जताई और गणेश को वहां खड़ा करने की वजह भी बताई।

इसके बाद पार्वती माता का गुस्सा शांत करने के लिए भगवान शिव ने हाथी का सिर गणेश के धड़ से जोड़ दिया। साथ ही यह भी आशीर्वाद दिया कि सभी देवताओं की पूजा से पहले पूरी दुनिया गणेश जी की पूजा करेगी।

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