- अकबर-बीरबल की कहानियां
- अलिफ लैला की कहानियां
- जातक कथाएं
- तेनाली रामा की कहानियां
- नैतिक कहानियां
- पंचतंत्र की कहानियां
- परी कथाएं
- पौराणिक कहानियां
- प्रेरणादायक कहानियां
- महाभारत की कहानियां
- मुल्ला नसरुद्दीन की कहानियां
- रामायण की कहानियां
- रोचक कहानियां
- लघु कथा
- विक्रम बेताल की कहानियां
- शेखचिल्ली की कहानियां
- सिंहासन बत्तीसी की कहानियां
एक जंगल के बीचों-बीच एक तलाब था, जहां जानवर आकर अपनी प्यास बुझाया करते थे। उसी तालाब में एक कछुआ भी रहता था। वह फालतू की बातें बहुत करता था, इसलिए सभी जानवरों ने उसका नाम बातूनी कछुआ रखा हुआ था, लेकिन दो हंस उसके बहुत अच्छे दोस्त थे, जो हमेशा उसका भला चाहते थे।
एक बार गर्मी के मौसम में तालाब का पानी धीरे-धीरे सूखने लगा। जानवर पानी पीने के लिए तरसने लगे। यह देखकर हंसों ने कछुए से कहा कि इस तालाब का पानी कम हो रहा है और हो सकता है कि यह बहुत जल्दी सूख जाए। तुम्हें यह तालाब छोड़कर कहीं और चले जाना चाहिए।
इस पर कछुए ने कहा कि मैं यह तालाब छोड़कर कैसे जा सकता हूं और यहां आसपास कोई तालाब भी नहीं है, लेकिन हंस अपने दोस्त का भला चाहते थे। उन्होंने अपने दोस्त की मदद कर के लिए खूब सोचा और एक तरकीब निकाली।
दोनों हंसों ने कहा कि हम एक लकड़ी लेकर आते हैं, तुम अपने मुंह से उसे बीच में से पकड़ लेना और लकड़ी का एक-एक सिरा हम दोनों पकड़कर तुम्हें यहां से दूर एक बड़े तालाब में ले जाएंगे। उस तलाब में बहुत सारा पानी है और वो कभी नहीं सूखता।
कछुआ उनकी बात मान गया और हंसों के साथ जाने के लिए तैयार हो गया। उड़ने से पहले हंसों ने उसे चेतावनी दी कि वह रास्ते में कुछ भी न बोले। जब हम बड़े तालाब पर पहुंच जाएंगे, तब ही उसे जो बोलना है बोल सकता है।
कछुए ने हां में उत्तर दिया और लकड़ी को पकड़ लिया। वो दोनों हंस लकड़ी को पकड़कर उड़ चले। वो उड़ते हुए एक गांव के ऊपर से निकले। गांव वालों ने ऐसा पहली बार देखा था। सभी तालियां बजाने लगे। यह देखकर कछुए से रहा नहीं गया और बाेला कि नीचे क्या हो रहा है?
जैसे ही उसने बाेलने के लिए मुंह खोला उसके मुंह से लकड़ी छूट गई और वो नीचे गिर गया। ऊंचाई से नीचे गिरने की वजह से कछुआ मर गया और हंस अफसोस करते हुए वहां से चले गए।
कहानी से सीख
हमें बिना वजह और बिना मतलब के कुछ भी नहीं बोलना चाहिए। ऐसा करने से हमारा ही नुकसान होता है।