शेखचिल्ली की कहानी : नुकसान | Nuksan Story In Hindi

February 22, 2021 द्वारा लिखित

Nuksan Story In Hindi

एक दिन शेखचिल्ली घर में बैठा आराम कर रहा था, तभी उसकी अम्मी बोली बेटा अब तुम बड़े हो गए हो। अब तुम्हें भी कुछ काम-धंधा करके घर खर्च में हाथ बंटाना चाहिए। अम्मी की यह बात सुनकर शेखचिल्ली बोला, “अम्मी मैं कौन-सा काम करूं? मुझमें तो कोई हाथ का हुनर भी नहीं कि उसी से मैं कुछ पैसे कमा लूं। इस पर अम्मी बोलीं वजह यह है कि तुम्हारे अब्बा की अब उम्र हो गई है, इसलिए वह अब ठीक से काम नहीं कर पाते। इसलिए, कुछ भी काम करो, लेकिन अब तुम्हें कुछ न कुछ तो करना ही पड़ेगा।

अम्मी के ऐसा कहने पर शेखचिल्ली ने कहा कि अगर ऐसी ही बात हैं, तो मैं कोशिश करता हूं, लेकिन उससे पहले मुझे कुछ खाने को दे दो, मुझे बहुत भूख लगी है। शेखचिल्ली की इस बात पर अम्मी कहती हैं, “ठीक है बेटा, मैं तुम्हें कुछ खाने के लिए बनाकर देती हूं।”

शेखचिल्ली खाना खाकर काम की तलाश में घर से बाहर निकल जाता है। इस वक्त उसके दिमाग में एक ही बात घूम रही थी। मुझे कौन कम देगा? मैं क्या काम कर सकता हूं? यही सोचते हुए वह रास्ते पर चला ही जा रहा था कि अचानक उसकी नजर रास्ते पर जाते एक साहूकार पर पड़ी। साहूकार अपने सिर पर एक घी की हांडी लेकर जा रहा था। वह बहुत थका हुआ था। इस कारण उसने चलने में भी बहुत परेशानी हो रही थी।

जब साहूकार की नजर शेखचिल्ली पर पड़ी, तो उसने शेखचिल्ली से पूछा, “क्या तुम मेरे लिए इस हांडी को लेकर चल सकते हो। इसके बदले में मैं तुम्हें आधा आना दूंगा।”

अब शेखचिल्ली तो निकला ही काम की तलाश में था, तो वो झट से हांडी ले जाने के लिए तैयार हो गया। शेखचिल्ली के हांडी उठाते ही साहूकार बोला कि तुम्हें इस बात का ध्यान रखना होगा कि हांडी से घी गिरना नहीं चाहिए। इसे सही सलामत तुम जब इसे मेरे घर तक पहुंचा दोगे, तब ही मैं तुम्हें आधा आना दूंगा।

बात तय होने के बाद शेखचिल्ली ने हांडी उठाकर सिर पर रख ली और साहूकार के साथ चलने लगा। चलते-चलते शेखचिल्ली अपने ख्यालों में खो गया। वह सोचने लगा कि हांडी साहूकार के घर पहुंचाने के बाद मुझे आधा आना मिलेगा। उस आधे आने से मैं एक मुर्गी का चूजा खरीदूंगा। वह मुर्गी का चूजा जब बड़ा होगा, तो मुर्गी बनेगा। फिर वह मुर्गी अंडे देगी। उन अंडों से उसे बहुत सारी मुर्गियां मिलेंगी। फिर ज्यादा मुर्गियां होंगी, तो ज्यादा अंडे मिलेंगे, जिन्हें वह बेचकर खूब पैसे कमाएगा। जब खूब पैसे आ जाएंगे, तो फिर वह उन पैसों से भैंसे खरीदेगा और शानदार डेयरी बनाएगा। उसके बाद वह अंडे और दूध का व्यापार करेगा और जब उसका व्यापर खूब चल निकलेगा तो वह अमीर बन जाएगा।

शेखचिल्ली का सपना यहीं खत्म नहीं हुआ उसने आगे सोचा कि जब वह अमीर हो जाएगा, तो उसके लिए एक से एक रिश्ते आएंगे। फिर वह किसी खूबसूरत लड़की से शादी करेगा। शादी के बाद उसके करीब एक दर्जन बच्चे होंगे। सब उस पर नाज करेंगे। अब बच्चे ज्यादा होंगे, तो कभी किसी से झगड़ा हुआ, तो वह पिटकर नहीं आएंगे, बल्कि दूसरों को पीटकर आएंगे।

तभी अचानक उसे याद आया कि उसके पड़ोसी के आठ बच्चे हैं, जो हमेशा आपस में झगड़ते रहते हैं। इस ख्याल के साथ वह यह सोचने लगा कि अब उसके एक दर्जन बच्चे हुए, तो वो भी आपस में झगड़ा करेंगे और अपनी-अपनी शिकायतें लेकर मेरे पास आएंगे। अब रोज-रोज की उनकी शिकायतों से मैं तो परेशान हो जाऊंगा। अब परेशान हो जाऊंगा, तो मेरा मूड खराब होगा। अब मूड खराब होगा, तो नारजगी जाहिर करना तो बनता है।

इस सोच के साथ उसने सपने में ही देखा कि उसके लड़के आपस में झगड़ा करने के बाद एक दूसरे की शिकायतें लेकर उसके पास आते हैं और वो अपने आलीशान कमरे में नरम गद्दे पर बैठा हुआ है। बच्चों के शोर और शिकायतों से शेखचिल्ली नाराज होता है और गुस्से में जोर से डांटते हुए कहता है, ‘धत’।

अब शेखचिल्ली अपने सपनों में इतना खो गया था कि उसे यह भी ख्याल न रहा कि उसने सिर पर घी से भरी साहूकार की हांडी उठा रखी है। वह सपने में इतनी जोर से उछलकर बच्चों को डांटते हुए धत कहता है कि उसका पैर रास्ते में पड़े एक बड़े पत्थर से टकरा जाता है। इस कारण घी भरी हांडी जमीन पर गिरकर टूट जाती है और सारा घी जमीन पर फैल जाता है।

हांडी टूटने के कारण साहूकार बहुत नाराज होता है और शेखचिल्ली की जमकर पिटाई कर देता है और शेखचिल्ली का सारा सपना धरा का धरा रह जाता है।

कहानी से सीख : शेखचिल्ली का नुकसान कहानी से सीख मिलती है कि केवल सपने देखने से कुछ नहीं हासिल होता, बल्कि उसके लिए हकीकत में रहकर मेहनत भी करनी पड़ती है।

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