शेखचिल्ली की कहानी: कुएं की परियां | Kuen Ki Pariyan Ki Kahani

February 25, 2021 द्वारा लिखित

sheikh chilli kuen ki pariyan ki story

शेखचिल्ली बहुत गरीब था। वो एक नंबर का मूर्ख और कामचोर भी था। उसके घर कई-कई दिनों तक खाना तक नहीं बनता था। ये सब देखकर एक दिन शेखचिल्ली की पत्नी को बहुत गुस्सा आ गया। उसने शेखचिल्ली पर चिल्लाते हुए कहा, ”मैं इस गरीबी से तंग आ चुकी हूं। अब मैं इस हालत में नहीं रह सकती है। जब तक तुम पैसे कमाकर नहीं लाओगे, मैं तुम्हें घर में घुसने नहीं दूंगी।”

इतना कहकर शेखचिल्ली को उसकी पत्नी ने पैसे कमाने के लिए घर से बाहर भेज दिया। साथ ही उसे चार सूखी रोटियां भी दे दी, ताकि रास्ते में भूख लगे, तो खा सके। शेखचिल्ली पत्नी के गुस्से से डरकर काम की तलाश में घर से निकल पड़ा।

शेखचिल्ली सबसे पहले अपने गांव के साहूकार के पास गया। उसने सोचा कि साहूकार उसे जरूर काम पर रख लेगा, लेकिन उल्टा साहूकार ने उसे डांटकर भगा दिया। इसके बाद शेखचिल्ली काम की तलाश में एक गांव से दूसरे गांव में भटकता रहा, लेकिन घर वापस नहीं गया, क्योंकि पत्नी ने गुस्से में कहा था कि बिना नौकरी के घर वापस मत आना।

जब शेखचिल्ली चलते-चलते बहुत थक गया, तो पास में एक कुएं को देखकर उसके चबूतरे पर जाकर बैठ गया। अब उसे तेज भूख भी लग रही थी, तो उसने अपनी पाेटली से सूखी रोटियां बाहर निकालीं, लेकिन उसे इतनी तेज भूख लगी थी कि इन चार राेटियों से उसका पेट नहीं भरने वाला था। रोटियों को देखकर वो बार-बार सोचने लगा कि अगर सारी रोटियां उसने अभी खा लीं, तो बाद में क्या करेगा। इसी उधेड़बुन में शेखचिल्ली हर बार रोटियों को पोटली से निकालकर गिनता और वापस अंदर रख देता।

आखिर में जब उसे कुछ नहीं सूझा, तो उसने कुएं के देवता से मदद मांगने की सोची। वो कुएं के सामने हाथ जोड़कर खड़ा हो गया और बोला, ”हे प्रभू, अब आप ही मदद करो। मुझे तेज भूख लगी है, लेकिन इन चार रोटियों से मेरा पेट नहीं भरने वाला और इन रोटियों को अभी खा लिया, तो कल क्या खाऊंगा? मुझे तो अभी कोई नौकरी भी नहीं मिली है। अब तुम ही बताओ कि मैं क्या करूं?  एक खाऊं, दो खाऊं, तीन खाऊं, या चारों खा जाऊं?” अब उस कुएं में कोई देवता तो रहता नहीं था, जो उसके सवालों का जवाब देता।

उल्टा कुएं में चार परियां रहती थीं, जो शेखचिल्ली की बातें सुनकर डर गईं। उन्हें लगा कि कुएं के बाहर कोई राक्षस आया है, जो उन्हें खा जाएगा। बस इसी डर के मारे चारों परियां राक्षस से दया की भीख मांगने कुएं से बाहर निकल आईं। कुएं से बाहर आते ही उन्होंने शेखचिल्ली के आगे हाथ जोड़कर कहा, ”हे राक्षसराज! आप बहुत शक्तिशाली हैं। आप बेवजह चारों को खाने के बारे में सोच रहे हैं। अगर आप हम पर दया करें, तो हम आपको कुछ ऐसी चीजें दे सकती हैं, तो आपके बहुत काम आएंगी।”

परियों को अपने सामने देखकर शेखचिल्ली हैरान रह गया और समझ नहीं आया कि वो परियों से क्या बोले। शेखचिल्ली को चुप देखकर परियों ने समझा कि राक्षसराज ने उनकी बात मान ली है। इसलिए, उन्होंने शेखचिल्ली को एक कठपुतला और एक कटोरा देते हए कहा,”हे राक्षसराज! यह कठपुतला आपकी हर बात मानेगा। आप जो कहेंगे ये वो ही करेगा और ये कटोरा आप जो खाना चाहेंगे, वाे आपको खाने के लिए देगा।” यह कहकर परियां कुएं में वापस चली गईं।

यह सुनकर शेखचिल्ली बहुत खुश हुआ और सोचा कि अब उसे घर वापस चले जाना चाहिए। ये सारी चीजें देखकर उसकी पत्नी बहुत खुश होगी, लेकिन तब तक बहुत रात हो चुकी थी, इसलिए वो पास के एक गांव पहुंच गया। वहां उसने एक आदमी को रातभर के लिए अपने घर में ठहराने की प्रार्थना की। उसने वादा किया कि इसके बदले वो उसे और उसके परिवार को अच्छी-अच्छी मिठाइयां और पकवान खिलाएगा। यह सुनकर वह व्यक्ति शेखचिल्ली को अपने साथ घर के अंदर ले गया।

जब घर के सभी सदस्य एक कमरे में बैठे हुए थे, तभी शेखचिल्ली ने अपना कटोरा निकाला और उसे तरह-तरह की मिठाइयां और स्वादिष्ट खाना देने के लिए कहा। इतना कहते ही वहां मिठाइयों और तरह-तरह के व्यंजनों का ढेर लग गया। जब सभी ने पेट भरकर खाना खा लिया, तो घर के मालिक की पत्नी बर्तन साफ करने के लिए जाने लगी, लेकिन शेखचिल्ली ने उसे रोक दिया और कहा कि मेरा कठपुतला ये सारे बर्तन साफ कर देगा। इतना कहना भर था कि कठपुतले ने चुटकियों में सारे बर्तन साफ कर दिए।

शेखचिल्ली के कटोरे और कठपुतले का कमाल देखकर घर के मालिक और उसकी पत्नी के मन में लालच आ गया। फिर शेखचिल्ली के सोते ही उन्होंने उसके झोले से सारी चीजें चुरा लीं और उनकी जगह नकली कटोरा और कठपुतला रख दिया। अगली सुबह शेखचिल्ली उठा और हाथ-मुंह धोकर झोला उठाकर घर की ओर चल दिया।

घर पहुंचते ही उसने पत्नी के सामने बड़ी-बड़ी डींगे मारनी शुरू कर दीं। शेखचिल्ली बोला, ”भाग्यवान, अब तुम्हें कोई भी काम करने की जरूरत नहीं है और न ही खाने-पीने की चिंता करने की जरूरत है। तुम जो कहोगी, वो काम ये कठपुतला कर देगा और जो खाना चाहोगी उसे ये कटोरा तुम्हारे सामने ला देगा”, लेकिन शेखचिल्ली की पत्नी को उसकी बातों पर बिल्कुल भी विश्वास नहीं हुआ। उसने कहा, ”मैं नहीं मानती, तुम साबित करके दिखाओ।” फिर क्या था, शेखचिल्ली ने कटोरे और कठपुतले को अपना करतब दिखाने को कहा, लेकिन लेकिन वो दोनों चीजें तो नकली थीं, तो भला अपना जादू कैसे दिखातीं। ये देखकर शेखचिल्ली की पत्नी और ज्यादा नाराज हो गई और उसे बहुत डांटा।

पत्नी की बात सुनकर शेखचिल्ली उदास हो गया और वापस उसी कुएं के चबूतरे पर जाकर बैठ गया। उसे कुछ सूझ नहीं रहा था कि क्या करे और फूट-फूट कर रोने लगा। उसके रोने की आवाज सुनकर चारों परियां कुएं से बाहर आ गईं और शेखचिल्ली से उसके रोने का कारण पूछा। शेखचिल्ली ने सारी कहानी उन्हें कह सुनाई। उसकी बात सुनकर परियों को हंसी आ गई। उन्होंने कहा, ”हमने तो तुम्हें खतरनाक राक्षस समझा था, इसीलिए तुम्हें खुश करने के लिए वो करामाती चीजें दी थीं, लेकिन तुम तो बहुत ही साधारण इंसान हो। तुम परेशान मत हो। हम तुम्हारी मदद करेंगी। हम तुम्हें एक रस्सी और एक डंडा दे रहे हैं। इन्हें लेकर एक बार फिर उसे घर में जाना, जिन्होंने तुम्हारी चीजें चुराई थी। इस रस्सी से उन्हें बांध देना और डंडे से खूब पीटना। इसके बाद वो परिवार तुम्हें तुम्हारी चीजें वापस दे देगा।” इतना कहते ही परियां कुएं में वापस चली गईं।

परियों की बात मानकर शेखचिल्ली फिर उसी घर में गया। उसने घर के मालिक से कहा, ”इस बार में तुम्हें नया जादू दिखाऊंगा।” उस आदमी ने लालच में आकर शेखचिल्ली को फिर से अपने घर में रुकने की इजाजत दे दी। घर के अंदर जाकर शेखचिल्ली का आदेश मिलते ही जादुई रस्सी ने घर के मालिक और उसकी पत्नी को बांध दिया और डंडे ने उनकी जमकर पिटाई शुरू कर दी। दर्द के मारे दोनों पति-पत्नी जोर-जोर से चिल्लाने लगे और शेखचिल्ली से माफी मांगने लगे। शेखचिल्ली ने कहा, ”तुमने मुझे धोखा दिया है। तुमने मेरा सामान चुराकर मेरा भरोसा तोड़ा है। जब तक तुम मेरी चीजें वापस नहीं करोगे, तब तक ये डंडा नहीं रुकेगा।” इतना सुनते ही पति-पत्नी ने शेखचिल्ली को उसकी चीजें वापस लौट दीं। इसके बाद शेखचिल्ली ने रस्सी और डंडे को रुक जाने का आदेश दिया।

दोनों चीजें मिलते ही शेखचिल्ली खुशी-खुशी वापस घर लौट गया। शेखचिल्ली को देखकर उसकी पत्नी गुस्से में चिल्लाई, ”तुम फिर लौट आए! अगर तुम घर के अंदर घुसे, तो मैं बेलन से तुम्हारी पिटाई करूंगी।” यह सुनकर शेखचिल्ली ने मन ही मन रस्सी और डंडे को आदेश दिया कि वो उसकी पत्नी को बांधे और उसकी पिटाई शुरू कर दे। रस्सी और डंडे का कमाल देखकर पत्नी डर गई और शेखचिल्ली से वादा किया कि वो फिर कभी उसके साथ बुरा व्यवहार नहीं करेगी। इसके बाद कहीं जाकर रस्सी और डंडे से उसे छुटकारा मिला। इसके बाद शेखचिल्ली ने जादुई कठपुतले और कटोरे का कमाल दिखाया।

कहानी से सीख :

हमें कभी किसी के साथ धोखा नहीं करना चाहिए और न ही लालच करना चाहिए। इसका परिणाम हमेशा बुरा ही होता है।

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