विक्रम बेताल की कहानी: सर्वश्रेष्ठ वर कौन - बेताल पच्चीसी नववी कहानी

April 19, 2021 द्वारा लिखित

Story of Vikram Betal Best groom who - Betal twenty five ninth story

राजा विक्रमादित्य बेताल को ले जाने में कई बार विफल रहे, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। इस बार भी उन्होंने बेताल को अपने कंधे पर लादा और आगे बढ़ने लगे। हर बार की तरह इस बार भी बेताल ने राजा को नई कहानी सुनाई। जानिए क्या थी वो कहानी और राजा ने कहानी से जुड़े बेताल के सवाल का क्या जवाब दिया।

एक बार की बात है, उज्जैन शहर में एक राजा राज करता था। उसका नाम वीरदेव और रानी का नाम पद्मा था। उन दोनों की एक बेटी थी रूपमती। एक बार रूपमती अपनी सहेलियों और मंत्रियों के साथ राज्य में घूमने निकली। घूमने के साथ-साथ वह अपनी प्रजा को कुछ भेंट भी दे रही थी। इतने में एक व्यक्ति ने राजकुमारी को एक खूबसूरत साड़ी भेंट में दी। राजकुमारी उस साड़ी को देखकर बहुत खुश हुई।

उसने उस व्यक्ति से पूछा, “आपने यह साड़ी कहां से खरीदी? यह साड़ी बहुत सुन्दर है।” इतने में राजकुमारी के मंत्री ने कहा, “यह साड़ी इन्होंने खुद बनाई है। यह बहुत बड़े कलाकार हैं।” मंत्री की बात सुनकर राजकुमारी आश्चर्यचकित हो गईं। राजकुमारी ने उस व्यक्ति द्वारा बुनी गई दूसरी साड़ियों और कपड़ों को देखने की इच्छा जताई। वह व्यक्ति बहुत खुश हुआ और राजकुमारी को अपने घर चलने के लिए आमंत्रित किया। राजकुमारी ने निमंत्रण स्वीकार किया और उसके घर जाकर कई वस्त्र देखे। वह बहुत खुश हुई और बोली, “मन कर रहा है यहीं रुक जाऊं और आपसे यह कारीगरी सीखूं।” इतना कहने के बाद राजकुमारी अपनी यात्रा पूरी करने के लिए फिर निकल पड़ी।

राजकुमारी थोड़ी आगे बढ़ी ही थी कि आगे से एक व्यक्ति आया और उसने राजकुमारी और उनकी सहेलियों को कहा कि आगे पेड़ के नीचे शेर है। राजकुमारी ने चौंककर उस व्यक्ति से पूछा, “आपको कैसे पता चला? आपने देखा है क्या?” उस व्यक्ति ने कहा, “नहीं राजकुमारी , मुझे मेरे पक्षी दोस्त ने जानकारी दी है।” राजकुमारी फिर चौंकी, उन्होंने पूछा, “क्या आप पक्षियों से बातें करते हैं?” तो उस व्यक्ति ने जवाब दिया कि उसे पक्षियों, जानवरों और पानी में रहने वाले जीवों की भाषा आती है। राजकुमारी यह सुनकर काफी खुश हुई और चिड़ियों और जानवरों की भाषा सीखने की इच्छा जताकर उन्हें महल आने के लिए आमंत्रित किया। उस व्यक्ति ने कहा ये पक्षियां और जानवर ही उनका परिवार है, वो महल कैसे आ सकते हैं। तो राजकुमारी ने उसकी बात का मान रखते हुए कहा, “कभी भविष्य में मौका मिला, तो वह खुद उनके पास यह भाषा सीखने आएगी।” इतना कहकर वह आगे बढ़ गईं।

यात्रा लंबी थी। यात्रा करते-करते राजकुमारी की तबीयत खराब होने लगी। राजकुमारी को वैध के पास ले जाया गया। उस वैध ने राजकुमारी को उनके यहां आराम करने को कहा और जड़ी-बूटी दी। उस दवा के सेवन से कुछ ही घंटों में राजकुमारी ठीक हो गईं। राजकुमारी ने उस वैध का धन्यवाद किया। वहां बैठे अन्य मरीजों ने वैध के बारे में राजकुमारी को कई बातें बताई कि वो कैसे सबकी सेवा करते हैं और उनकी दवाइयों से कई लोग ठीक हो गए हैं। ये सब सुनकर राजकुमारी ने वैध को कहा, “आप बहुत अच्छा और पुण्य का काम कर रहे हैं। मेरा भी मन है कि मैं भी दूसरों की ऐसे ही सेवा करूं।”

फिर राजकुमारी अपनी यात्रा पूरी करने आगे निकल पड़ी। वह थोड़ी दूर ही गई थी कि उसका पैर जानवरों के लिए बिछाए गए एक जाल में फंस गया। राजकुमारी मदद के लिए चिल्लाने लगी। उसकी सहेलियां और मंत्री भी मदद के लिए पुकारने लगे। इतने में एक वीर ने अपनी सूझबूझ और तीरंदाजी से राजकुमारी को जाल से बाहर निकाला। राजकुमारी खुश हुई और उसने वीर का धन्यवाद किया। साथ ही उससे दोबारा मिलने की इच्छा जताकर वहां से चली गई।

इसके बाद राजकुमारी लंबी यात्रा के बाद महल लौट आई। घर लौटने के बाद राजा ने उन्हें बताया कि आसपास के राज्यों से राजाओं और राजकुमारों के रिश्ते आने लगे हैं। राजकुमारी ने पिता की बात सुनी और कहा कि उन्हें कोई राजा या राजकुमार नहीं, बल्कि कोई साधारण व्यक्ति चाहिए। उन्होंने पिता से कहा, “मैंने इस यात्रा में यह जाना कि साधारण मनुष्य भी बहुत ज्ञानी, मेहनती और महान होते हैं। इसलिए, मुझे कोई साधारण व्यक्ति ही जीवनसाथी के रूप में चाहिए।” राजा ने बेटी की बात को मानते हुए स्वयंवर की घोषणा की। उस स्वयंवर की बात उन चारों व्यक्तियों तक भी पहुंची जिनसे राजकुमारी यात्रा के दौरान मिली थी।

वो चारों राजकुमारी के स्वयंवर में पहुंचे। कहानी यहां तक पहुंची ही थी कि हर बार की तरह इस बार भी बेताल ने कहानी को बीच में रोकते हुए विक्रम से सवाल पूछा बैठा। बेताल ने पूछा, “राजकुमारी के सामने चार वर थे, एक कपड़े बनाने वाला कलाकार, एक भाषा ज्ञानी, एक वैध और एक वीर। अब बताओ इसमें से राजकुमारी के लिए सर्वश्रेष्ठ वर कौन था? किसके गले में राजकुमारी ने स्वयंवर की माला डाली? जल्दी बताओ वरना मैं तुम्हारा सिर फोड़ दूंगा।”

राजा विक्रम ने जवाब देते हुए कहा, “कलाकार बहुत धनी व्यक्ति था, लेकिन राजकुमारी को धन की क्या कमी। इसलिए, राजकुमारी कलाकार का चुनाव नहीं करेंगी। वहीं, दूसरा व्यक्ति जो भाषा ज्ञानी है, वह मनोरंजन के लिए ठीक है। तीसरा वैद्य है, जो एक अच्छा व्यक्ति है, समाज की सेवा करता है। अगर उसकी तुलना उस वीर से की जाए तो राजकुमारी वीर का ही चुनाव करेंगी। राजा का कोई बेटा नहीं है, इसलिए वीर दामाद ही राज्य की रक्षा कर सकता है। इसलिए, राजकुमारी का सर्वश्रेष्ठ वर वो वीर व्यक्ति ही है।

विक्रम की बात सुनकर बेताल खुश हो गया, लेकिन हर बार की तरह विक्रम के बोलते ही बेताल फिर पेड़ पर जाकर लटक गया।

कहानी से सीख:

मौका मिलने पर वीर और बुद्धिमान व्यक्ति को अपने जीवन का हिस्सा जरूर बनाना चाहिए।

Was this article helpful?
thumbsupthumbsdown

category related iconCategory