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न्यूकल ट्रांसलुसेंसी (एनटी) स्कैन: प्रक्रिया, परिणाम व लागत | NT Scan Kya Hota Hai

गर्भधारण करने के बाद से ही महिला को कई जांच प्रक्रियाओं से होकर गुजरना पड़ता है। इन जांच प्रक्रियाओं की सहायता से चिकित्सक गर्भवती महिला और भ्रूण के स्वास्थ्य और गतिविधियों की जानकारी रखने की कोशिश करते हैं, ताकि किसी प्रकार की जटिलता आने पर समय रहते उसका निवारण किया जा सके। इन्हीं में से एक जांच प्रक्रिया है, एनटी स्कैन (न्यूकल ट्रांसलुसेंसी स्कैन)। इस स्कैन का इस्तेमाल खासतौर पर बच्चे से संबंधित जोखिमों जैसे भ्रूण के विकास संबंधी विकार, आनुवंशिक विकार, हृदय संबंधी दोष, गर्भपात और गर्भ में ही बच्चे की मृत्यु की आशंकाओं के बारे में पता लगाया जाता है (1)

मॉमजंक्शन के इस लेख में हम आपको एनटी स्कैन क्यों, कब और कैसे किया जाता इसके बारे में विस्तृत जानकारी देंगे।

एनटी स्कैन क्यों, कब और कैसे किया जाता है, इन सवालों के जवाब जानने से पहले जरूरी होगा कि पहले हम यह जान लें कि न्यूकल ट्रांसलुसेंसी स्कैन है क्या।

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एनटी स्कैन क्या है? | NT Scan Kya Hota Hai

एनटी स्कैन (न्यूकल ट्रांसलुसेंसी स्कैन) एक प्रकार का अल्ट्रासाउंड स्कैन है। इसमें गर्भ में मौजूद शिशु के न्यूकल फोल्ड की मोटाई को मापा जाता है। न्यूकल फोल्ड गर्भ में मौजूद बच्चे की गर्दन के पीछे मौजूद टिशू क्षेत्र को कहते हैं। इस जांच की सहायता से गर्दन के पीछे मौजूद टिशू क्षेत्र की मोटाई को मापकर चिकित्सक होने वाले बच्चे में डाउन सिंड्रोम (गुणसूत्र संबंधी एक आनुवंशिक विकार) और अन्य आनुवंशिक समस्याओं का पता लगाने की कोशिश करते हैं (2)

एनटी स्कैन क्या है, यह जानने के बाद अब हम जानने की कोशिश करेंगे कि यह क्यों किया जाता है।

एनटी स्कैन क्यों किया जाता है?

जैसा कि आपको लेख में पहले भी बताया गया कि एनटी स्कैन होने वाले बच्चे में विकास संबंधी विकार, आनुवंशिक विकार, हृदय संबंधी दोष, गर्भपात और गर्भ में ही बच्चे की मृत्यु की आशंकाओं के बारे में पता लगाने के लिए किया जाता है (1)। चिकित्सक को अगर इनमें से किसी भी समस्या के होने की आशंका होती है, तो वह होने वाले बच्चे में डाउन सिंड्रोम (गुणसूत्रों से संबंधित0 विकार) और अन्य आनुवंशिक समस्याओं का पता लगाने के लिए इस जांच को कराने की सलाह दे सकता है। हालांकि, इस टेस्ट को कराना या न कराना गर्भवती की इच्छा पर निर्भर करता है (2)

आगे के लेख में हम जानेंगे कि एनटी स्कैन कब कराना चाहिए।

प्रेगनेंसी के दौरान एनटी स्कैन कब करना चाहिए?

आमतौर पर एनटी स्कैन पहली तिमाही के दौरान किया जाने वाला एक टेस्ट है। गर्भवती इसे गर्भधारण के 11वें से 14वें सप्ताह में करा सकती है। वहीं, कुछ मामलों में इसे समय से पहले भी कराने की सलाह दी जा सकती है (2)इस टेस्ट के लिए फेटल क्राउन रम्प लेंथ (सीआरएल) 45 मिमी से 84 मिमी के बीच होनी चाहिए। इस समय एनटी स्कैन कराने की सलाह इसलिए दी जाती है, क्योंकि इस दौरान फेटल लिम्फैटिक सिस्टम (भ्रूण लसिका तंत्र) विकासशील होता है। साथ ही गर्भनाल का पेरिफेरल रेजिस्टेंस (परिधीय प्रतिरोध) अधिक होता है। इस कारण डाउन सिंड्रोम या क्रोमोसोमल विकारों का आसानी से और सटीक पता लगाया जा सकता है (3)

लेख के आगे के भाग में हम आपको इस जांच से पूर्व की जाने वाली तैयारियों से संबंधित जानकारी देंगे।

न्यूकल ट्रांसलुसेंसी स्कैन करने से पहले की तैयारी

एनटी स्कैन से पूर्व किसी खास तैयारी की जरूरत नहीं होती, क्योंकि यह एक अल्ट्रासाउंड स्कैन है। बस जांच से एक घंटे पहले चिकित्सक लिक्विड यानी पानी या जूस लेने की सलाह देते हैं। साथ ही पेशाब न करने की सलाह देते हैं। कारण यह है कि लिक्विड लेने से मूत्राशय पूरी तरह भर जाता है, जिससे जांच के दौरान भ्रूण के चित्र साफ दिखाई देते हैं (2)

अब हम जानेंगे कि एनटी स्कैन किया कैसे जाता है।

एनटी स्कैन परीक्षण कैसे किया जाता है?

इस टेस्ट को करने के लिए जांचकर्ता पेट के निचले भाग में जेल लगाकर ट्रांसड्यूसर (जांच उपकरण) की सहायता से भ्रूण के चित्र को मॉनिटर पर देखता है। इस दौरान मॉनिटर पर काले और सफेद रंग के चित्र दिखाई देते हैं। इनमें से काला भाग तरल को, जबकि सफेद भाग त्वचा को प्रदर्शित करता है (4)।

इस टेस्ट में बच्चे की गर्दन के पीछे मौजूद तरल पदार्थ की मात्रा का अनुमान लगाया जाता है। इस तरल की अधिक मात्रा गर्दन के पीछे मौजूद टिशू की अधिक मोटाई को प्रदर्शित करती है। इसे डाउन सिंड्रोम या अन्य आनुवंशिक विकार के जोखिम की आशंकाओं के तौर पर देखा जाता है। वहीं, तरल की सामान्य मात्रा बच्चे के सामान्य विकास को प्रदर्शित करती है (2) (3)

अब बात करते हैं इस जांच में लगने वाले समय की।

एनटी स्कैन की प्रक्रिया में कितना समय लगता है?

एनटी स्कैन जांच प्रक्रिया एक सामान्य अल्ट्रासाउंड है। इसमें गर्भवती को परीक्षण टेबल पर लिटाया जाता है। इसके बाद जांच उपकरण को गर्भवती के पेट पर लगाकर जांच की जाती है। इसलिए, सामान्य रूप से यह प्रक्रिया करीब 30 मिनट में पूरी हो सकती है।

आइए, अब लेख के आगे के भाग में हम इस जांच के परिणाम के अर्थ को समझते हैं।

एनटी स्कैन के परिणाम का क्या मतलब होता है?

दरअसल, एनटी स्कैन में गर्भ में पलने वाले बच्चे की गर्दन के पीछे के तरल की मात्रा को मापा जाता है। ऐसे में अगर जांच प्रक्रिया में पाया जाने वाला तरल सामान्य मात्रा में उपस्थित होता है, तो इसका अर्थ यह हुआ कि बच्चे में डाउन सिंड्रोम या आनुवंशिक विकार होने की आशंका बहुत कम है। इस परिणाम का अर्थ यह माना जा सकता है कि आपका बच्चा सुरक्षित है। वहीं, इसके उलट अगर पाए जाने वाले तरल की मात्रा सामान्य से अधिक है, तो यह होने वाली जटिलताओं की ओर संभावित इशारा करता है (2)

अब लेख में हम एनटी स्कैन के परिणाम की गणना के बारे में बात करेंगे।

1. एनटी स्कैन के परिणाम को कैसे मापा जाता है?

एनटी स्कैन की जांच के परिणाम को बेहतर ढंग से समझने के लिए जरूरी होगा कि हम इसकी सामान्य वैल्यू को जान लें।

सामान्य परिणाम :

  • 11 सप्ताह पर तरल की मात्रा लगभग 2 mm तक होनी चाहिए।
    13 सप्ताह और छह दिन पर तरल की मात्रा करीब 2.8 mm तक होनी चाहिए।

ध्यान रहे, ऊपर दिए गए आंकड़े एनटी स्कैन के सामान्य परिणाम को प्रदर्शित करते हैं। समय के अनुसार तरल की इससे अधिक मात्रा का अर्थ डाउन सिंड्रोम या आनुवंशिक विकार के बड़े खतरे की आशंका को प्रदर्शित करता है (2)। इस संबंध में विस्तार से आपको डॉक्टर बेहतर बता सकते हैं।

2. स्कैन में कौन सी असामान्यताएं पाई जाती हैं?

अगर एनटी स्कैन में बच्चे की गर्दन के पीछे तरल की मौजूदगी सामान्य से अधिक देखी जाती है, तो बच्चे में निम्न असमान्यताएं पाई जा सकती हैं (2) :

  • डाउन सिंड्रोम
  • ट्राईसोमी 18
  • ट्राईसोमी 13
  • टर्नर सिंड्रोम
  • जन्मजात हृदय रोग

नोट– इस जांच से इस बात की पुष्टि नहीं होती कि बच्चे में डाउन सिंड्रोम या आनुवंशिक विकार में से किस समस्या का जोखिम अधिक है।

क्या एनटी स्कैन भ्रूण लिंग का पता कर सकता है?

एनटी स्कैन सामान्य तौर पर होने वाले बच्चें में डाउन सिंड्रोम या आनुवंशिक विकार की आशंकाओं का पता लगाने के लिए किया जाता है। इस टेस्ट के माध्यम से भ्रूण के लिंग का पता लगाना संभव नहीं है। वहीं, लिंग जांच कानूनन अपराध है, इसलिए हम इस संबंध में की जाने वाली किसी भी जांच का समर्थन नहीं करते हैं   (5)

नोट : भ्रूण के लिंग की जांच करना कानूनन जुर्म है।

लेख में आगे हम बता रहे हैं कि इस टेस्ट के परिणाम कितने खरे होते हैं।

न्यूकल ट्रांसलुसेंसी स्कैन के परिणाम कितने सही होते हैं?

इस जांच की सटीकता की बात करें, तो इसके परिणाम 29 या इससे अधिक प्रतिशत तक सही हो सकते हैं  (6)। वहीं, इस जांच के परिणामों की सटीकता जांचकर्ता के अनुभव और उपयोग में लाई जाने वाली मशीनों पर भी निर्भर करती है   (7)

आइए, अब जान लेते हैं कि इस टेस्ट को करवाने से कुछ फायदा होता है या नहीं।

एनटी स्कैन परीक्षण के लाभ

एनटी स्कैन के माध्यम से होने वाले बच्चे में भ्रूण के विकास संबंधी विकार, आनुवंशिक विकार, हृदय संबंधी दोष, गर्भपात और गर्भ में ही बच्चे की मृत्यु की आशंकाओं के बारे में पता लगाया जा सकता है (1)। इस कारण इस जांच की सहायता से इन जोखिमों का पता लगाने के साथ-साथ उनसे संबंधित उपचारों को भी अपनाया जा सकता है। इस तरह बच्चे में होने वाली समस्याओं को समय रहते ठीक करने का एक मौका मिल जाता है।

क्या यह टेस्ट हानिकारक हो सकता है। आइए, जानते हैं इस बारे में।

एनटी स्कैन परीक्षण के नुकसान

जानकारी के लिए बता दें कि एनटी स्कैन एक प्रकार का अल्ट्रासाउंड टेस्ट है, जिसमें जांच के दौरान गर्भवती के पेट के निचले हिस्से पर जेल लगाकर एक उपकरण चलाया जाता है। यह भ्रूण की गतिविधियों को मॉनिटर पर प्रदर्शित करता है। इस कारण इस टेस्ट के कोई भी ज्ञात दुष्परिणाम नहीं है, लेकिन कुछ मामलों में ऐसा माना जाता है कि अल्ट्रासाउंड मानव शरीर में बायो इफेक्ट (टिशू या हड्डियों में गर्मी पैदा होना) डाल सकता है (8)

आइए, अब इस टेस्ट पर होने वाले खर्च की भी बात कर लेते हैं।

एनटी स्कैन परीक्षण की लागत क्या है?

एनटी स्कैन परीक्षण में आने वाली लागत की बात करें, तो इसके लिए आपको 700 से लेकर 1500 रुपये तक खर्च करने पड़ सकते हैं। वहीं, शहर और पैथोलोजी के आधार पर लागत कम या ज्यादा हो सकती है।

अब तो आप गर्भावस्था में एनटी स्कैन की भूमिका के बारे में अच्छे से जान ही गए होंगे। साथ ही आपको यह भी पता चल गया होगा कि किन स्थितियों में डॉक्टर आपको इसकी सलाह दे सकता है। लेख के माध्यम से आपने यह भी जाना कि इस टेस्ट को गर्भावस्था की किस अवधि में कराना लाभदायक साबित हो सकता है और इसके फायदे क्या-क्या हो सकते हैं। अगर आप भी मां बनने वाली हैं, तो यह लेख आपको भविष्य में होने वाले जोखिमों से संबंधित जानकारी पाने में सहायक साबित हो सकता है।

References

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1. Normal reference range of fetal nuchal translucency thickness in pregnant women in the first trimester, one center study By Ncbi
2. Nuchal translucency test By Medlineplus
3. What is fetal nuchal translucency? By Ncbi
4. Nuchal translucency scan By Fetalmedicine
5. Accuracy of sonographic fetal gender determination: predictions made by sonographers during routine obstetric ultrasound scans By Ncbi
6. The Associations of Nuchal Translucency and Fetal Abnormalities; Significance and Implications By Ncbi
7. Accuracy of nuchal translucency measurement depends on equipment used and its calibration. By Ncbi
8. Benefits and risks of ultrasound in pregnancy. By Ncbi

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