check_iconFact Checked

गर्भावस्था में सोने का सही तरीका क्या है? | Pregnancy Me Kaise Sona Chahiye

गर्भावस्था ऐसा समय होता है, जब शरीर में कई तरह के बदलाव होते हैं। इन नौ महीनों में गर्भ में पल रहे शिशु का तेजी से विकास होता है, जिस कारण गर्भवती को थकान, जी-मिचलाना, बेचैनी व शरीर में दर्द जैसी कई शारीरिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है। गर्भवती महिला को ठीक तरह से सोने में भी परेशानी होती है। पहली बार गर्भवती हुईं महिलाएं इस बात से अनजान होती हैं कि गर्भावस्था में कैसे सोना चाहिए और किन बातों का ध्यान रखना चाहिए। इस अवस्था में गलत तरीके से सोना बच्चे के विकास में बाधा उत्पन्न कर सकता है। मॉमजंक्शन के इस लेख में हम इन्हीं तमाम बातों पर चर्चा करेंगे।

In This Article

गर्भावस्था के दौरान सोना मुश्किल क्यों होता है?

गर्भावस्था के दौरान भ्रूण व योनि का आकार बढ़ने लगता है। साथ ही स्तनों का आकार भी बढ़ जाता और भारीपन महसूस होता है। रात को सोते समय बार-बार पेशाब आने जैसा महसूस होता है और कई बार सांस लेने में भी दिक्कत होती है। वहीं, इस अवस्था में डॉक्टर पेट के बल न सोने की सलाह देते हैं, क्योंकि इससे भ्रूण पर दबाव पड़ता है (1)। यह बात बार-बार दिमाग में चलती रहती है और इस कारण से भी गर्भवती को ठीक तरह से नींद नहीं आती। इनके अलावा भी कई कारण होते हैं, जिनके चलते गर्भावस्था काल में सोना मुश्किल हो जाता है। हम उन समस्याओं व उनके समाधान के बारे में आगे विस्तार से बताएंगे।

वापस ऊपर जाएँ

गर्भावस्था के दौरान कितनी नींद पर्याप्त है? | Pregnancy Me Kitna Sona Chahiye

नैशनल इंस्टिट्यूट ऑफ न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर एंड स्ट्रोक के अनुसार, 18 से 64 वर्ष तक की आयु के लोगों को सात घंटे की नींद लेनी चाहिए। वहीं, गर्भवती महिलाओं को रात में 8 घंटे सोना चाहिए और दिन में भी करीब 2 घंटे लेटना चाहिए (2)

आइए, अब जानते हैं कि मां के कम नींद लेने का शिशु पर क्या प्रभाव पड़ता है।

वापस ऊपर जाएँ

क्या कम नींद गर्भ में शिशु को नुकसान पहुंचा सकती है?

गर्भ में पल रहे शिशु को पर्याप्त पोषक तत्वों व ऑक्सीजन की जरूरत होती है। अगर गर्भवती महिला पूरी तरह से नींद नहीं लेती है, तो प्लेसेंटा तक ठीक से रक्त की आपूर्ति नहीं होती। इसका सीधा असर भ्रूण के विकास पर पड़ता है। भ्रूण की हृदय गति कम हो सकती है और उसे खून की कमी भी हो सकती है। यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि जब गर्भवती महिला सो रही होती है, तो उस दौरान भ्रूण तक रक्त व ऑक्सीजन का प्रवाह तेज गति से होता है। साथ ही कम नींद लेने से शरीर में हार्मोंस का निर्माण भी नहीं होता, जिससे भ्रूण को नुकसान हो सकता है (3)

लेख के अगले भाग में इस समस्या से संबंधित कुछ समाधान बताए गए हैं।

वापस ऊपर जाएँ

गर्भावस्था में कम नींद की समस्या व उसके समाधान

गर्भावस्था के दौरान नींद कम आने या न आने के कई कारण हो सकते हैं (1)। हम उन सभी के बारे में पहली, दूसरी व तीसरी तिमाही के अनुसार बताएंगे। साथ ही उनके समाधान भी आपके साथ शेयर करेंगे।

वापस ऊपर जाएँ

1. पहली तिमाही

समस्याएं :

  • बार-बार मूत्र आना : इस अवस्था में खून का प्रवाह बढ़ जाता है, जिसे फिल्टर करने के लिए किडनी को अधिक काम करना पड़ता है। इस कारण अधिक पेशाब आता है। साथ ही प्रोजेस्ट्रोन हार्मोन के स्तर में वृद्धि होने के कारण भी ऐसा होता है (4)। इसके अलावा, गर्भाशय का आकार बढ़ने से मूत्राशय पर दबाव पड़ता है, जिस कारण बार-बार मूत्र आने की समस्या का सामना करना पड़ता है और नींद खराब होती है।
  • शरीर में दर्द : गर्भ में विकसित हो रहे शिशु को संभालने के लिए आपका शरीर तैयार हो रहा होता है। इस कारण से मांसपेशियों और हड्डियों पर दबाव पड़ता है। इससे शरीर में जगह-जगह दर्द महसूस होता है। स्तनाें में सूजन और श्रोणि भाग में ऐंठन आना आम बात होती है, जिस कारण रात को बार-बार नींद खराब होती है (5)
  • उल्टी आना : गर्भावस्था के दौरान जी-मिचलाना या उल्टी आना आम बात होती है (6)। अमूमन ऐसा सुबह या फिर दिन के समय होता है, लेकिन कभी-कभी रात को भी इसका सामना करना पड़ सकता है।

समाधान :

  • सोने का नियम बनाएं : रात में ठीक तरह से नींद आने की समस्या को आप दिन में सो कर कुछ हद तक कम कर सकती हैं। इसके लिए आप अपनी सुविधानुसार शैड्यूल तैयार करें। आप या तो दिन में दो घंटे के लिए सो जाएं या फिर आधे-आधे घंटे की नींद भी ले सकती हैं। अगर आप कहीं काम करती हैं, तो ऑफिस में ऐसी आरामदायक जगह चुन सकती हैं, जहां थोड़ी देर झपकी ले सकें।
  • शाम को कम लें पेय पदार्थ : दिनभर में जितना हो सके पेय पदार्थ का सेवन करें, लेकिन शाम को छह बजे के बाद इसे कुछ कम कर दें। हालांकि, पानी पीती रहें, लेकिन कम मात्रा में। इससे रात को सोते समय बार-बार शौचालय जाने की नौबत कम आएगी।
  • खान-पान पर ध्यान : मॉर्निंग सिकनेस से निपटने के लिए आप अपने खान-पान को बेहतर करें। तली व भुनी हुई चीजों की जगह पौष्टिक आहार खाएं। सुबह कुछ देर टहलें और अदरक वाली चाय या फिर नींबू पानी का सेवन करें। मॉर्निंग सिकनेस की समस्या काफी देर तक कुछ न खाने से भी हो सकती है। इसलिए, सोने से पहले थोड़ी मात्रा में सूखा और ब्लैंड किया खाद्य पदार्थ का सेवन किया जा सकता है। इसके अलावा, सोकर उठने के तुरंत बाद भी ऐसा ही सूखा और फीका खाद्य पदार्थ लिया जा सकता है। इस बारे में आप एक बार अपने डॉक्टर से सलाह ले सकते हैं।
  • व्यायाम : अगर आप गर्भावस्था के दौरान सेहतमंद रहना चाहते हैं और अनिद्रा से निपटना चाहते हैं, तो व्यायाम अच्छा विकल्प हो सकता है। इसे आप सुबह के समय ही करें। ध्यान रहे कि किसी भी तरह का व्यायाम करने से पहले अपने डॉक्टर से जरूर पूछ लें और उसके निर्देशानुसार ही करें।

वापस ऊपर जाएँ

2. दूसरी तिमाही

समस्याएं :

  • सीने में जलन : दूसरी तिमाही में मॉर्निंग सिकनेस जैसी समस्या काफी हद तक कम हो जाती है, लेकिन गर्भाशय का आकार और बड़ा हो जाने के कारण पेट पर दबाव पड़ता है, जिस कारण सीने में जलन जैसी समस्या होती है। जब आप लेटते हो, तो यह समस्या और बढ़ जाती है (7)
  • ऐंठन : इस अवधि में ऐंठन की समस्या बड़ जाती है। अधिकतर महिलाओं को पिंडलियों में ऐंठन महसूस होती है, जिस कारण वह रातभर सो नहीं पाती हैं (5)
  • अजीब से सपने : कुछ गर्भवती महिलाएं अजीब तरह के सपनों का अनुभव करती हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि गर्भावस्था के कारण थकान और अन्य तरह के तनाव के कारण कुछ महिलाओं को बुरे सपने आते हैं। इस कारण से भी उनकी नींद खराब होती है।

समाधान :

  • समय से करें भोजन : गर्भावस्था में पाचन तंत्र की प्रक्रिया धीमी हो जाती है। इसलिए, रात को भोजन करने के तुरंत बाद न सोएं। भोजन और सोने में कुछ घंटों का अंतराल रखें, ताकि खाना अच्छी तरह हजम हो जाए और सीने में जलन जैसी समस्या न हो।
  • हल्का भोजन : संभव हो तो रात को हल्का खाना ही खाएं। वहीं, नाश्ता भारी कर सकते हैं, लेकिन पौष्टिकता से भरपूर होना चाहिए।
  • मिर्च-मसाले से परहेज : तले व अधिक मिर्च-मसाले वाले पदार्थ गर्भावस्था के दौरान पाचन तंत्र के लिए अच्छे नहीं होते। साथ ही कार्बोनेट पेय पदार्थों के सेवन से सीने में जलन हो सकती है, इसलिए उन चीजों से परहेज करें। इनकी जगह कैल्शियम युक्त पदार्थों व हरी पत्तेदार सब्जियों का सेवन करें।
  • पैरों को आराम : आप पैरों को दाएं-बाएं और ऊपर-नीचे मोड़कर पिंडलियों में आने वाली ऐंठन से बच सकते हैं।
  • तनाव से राहत : गर्भावस्था में थकान व तनाव होना आम बात है। आप योग व मेडिटेशन के जरिए और मनपसंद किताब व संगीत सुनकर इसे कम कर सकते हैं।
  • काउंसलिंग : अगर आप बुरे या अजीब तरह के सपनों से डर रहे हैं, तो मेडिटेशन करें। अगर इसके बाद भी आराम नहीं मिलता, तो किसी काउंसलर की मदद ले सकते हैं।

वापस ऊपर जाएँ

3. तीसरी तिमाही

समस्याएं :

  • पीठ में दर्द : गर्भावस्था की तीसरी तिमाही में वजन बढ़ जाता है और गर्भाशय का आकार भी पहले से बड़ा हो जाता है। इस कारण से पीठ में दर्द होने लगता है। इस कारण से अधिकतर महिलाओं को रात को सोते समय नींद नहीं आती (5)
  • बार-बार मूत्र आना : पहली तिमाही की तरह इस तिमाही में भी बार-बार मूत्र आने का अहसास हो सकता है। ऐसा शिशु के विकसित होने और श्रोणि के पास आ जाने से होता है।
  • सांस लेने में दिक्कत : पेट के बढ़ने से सांस लेने में दिक्कत महसूस हो सकती है। कई गर्भवती महिलाएं सोते हुए खर्राटे लेना शुरू कर देती हैं। हालांकि, यह कोई समस्या नहीं है, लेकिन कुछ मामलों में स्लीप एपनिया की समस्या हो सकती है। इसमें कुछ सेकंड के लिए सांस रुक जाती है। इससे न सिर्फ नींद खराब होती है, बल्कि शिशु के वजन पर भी असर पड़ता है (8)
  • आरएलएस (RLS) : कभी-कभी ऐसा महसूस होगा कि टांगों के अंदर चींटियां चल रही हैं। इसे रेस्टलेस लेग सिंड्रोम (आरएलएस) कहते है। इससे भी रात की नींद खराब हो सकती है (9)

समाधान :

  • पीठ की देखभाल : अगर पीठ में दर्द हो, तो करवट लेकर लेटना चाहिए। साथ ही दोनों घुटनों के बीच तकिया रखने और हल्के हाथों से पीठ की मालिश करने से भी आराम मिल सकता है। इसके अलावा, डॉक्टर की सलाह पर पीठ दर्द के लिए कुछ व्यायाम भी किए जा सकते हैं।
  • कम पेय पदार्थ : दिनभर पेय पदार्थ और पानी का सेवन अधिक से अधिक करें, लेकिन शाम को इसे कुछ कम कर दें, ताकि रात को सोते समय बार-बार शौचालय जाने की जरूरत महसूस न हो।
  • डॉक्टर से जांच : अगर आप स्लीप एपनिया जैसी समस्या का सामना कर रही हैं यानी रात को सोते समय सांस चढ़ जाने से नींद खुल जाती है और दिनभर थकावट महसूस होती है। इस अवस्था में बिना देरी किए डॉक्टर से संपर्क करें और जांच कराएं।
  • मालिश : रात को सोते समय टांगों में अजीब-सी बेचैनी यानी आरएलएस की दिक्कत महसूस होती है, तो सोने से पहले टांगों की हल्की मालिश करवा लें। साथ ही शाम को थोड़ी देर टहलें जरूर। इसके अलावा, अपने आहार में संतुलित व पौष्टिक खाद्य पदार्थों को शामिल करें। इनमें आयरन और फोलेट की मात्रा जरूर होनी चाहिए, ताकि आरएलएस जैसी समस्या न हो।

लेख के अगले भाग में जानिए कि नींद न आने से क्या-क्या हो सकता है।

वापस ऊपर जाएँ

गर्भावस्था में नींद न आने से समस्या

प्रेगनेंसी के दौरान रात को अच्छी तरह न सोने से गर्भवती को उच्च रक्तचाप व गर्भावधि मधुमेह जैसी समस्या का सामना करना पड़ सकता है। इतना ही नहीं स्लीप एपनिया, अधिक वजन, अनियंत्रित ग्लूकोज का स्तर व भूख बढ़ने जैसी समस्या भी हो सकती है। साथ ही गर्भ में पल रहे शिशु तक पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन व रक्त की सप्लाई नहीं हो पाती है, जिस कारण उसका विकास रुक जाता है। इसके अलावा, समय से पूर्व डिलीवरी का अंदेशा बढ़ जाता है। आंकड़ों के अनुसार 14.6 प्रतिशत महिलाओं में यह समस्या पाई गई है (10) कम नींद के कारण निम्न प्रकार की समस्याएं भी हो सकती हैं।

  • जन्म के दौरान शिशु का वजन कम हो सकता है।
  • सिजेरियन डिलीवरी की आशंका बढ़ सकती है।
  • गर्भवती महिला को दिनभर ज्यादा थकावट महसूस हो सकती है।
  • किसी भी काम को करने में एकाग्रता कम हो सकती है।
  • इम्यून सिस्टम प्रभावित हो सकता है।
  • त्वचा पर झाइयां नजर आ सकती हैं।
  • गर्भवती महिला को तनाव तक का सामना करना पड़ सकता है।

आगे जानिए कि किस अवस्था में सोना सबसे बेहतर होता है।

वापस ऊपर जाएँ

प्रेगनेंसी में किस प्रकार सोना चाहिए | Pregnancy Me Sone Ka Tarika

गर्भावस्था के दौरान पीठ या पेट के बल लेटना मां व शिशु दोनों के लिए सुरक्षित नहीं होता। यहां हम लेटने की कुछ अवस्थाएं बता रहे हैं, जो पहली, दूसरी और तीसरी तिमाही के लिए सबसे उपयुक्त हैं।

वापस ऊपर जाएँ

इस तरह सोना है बेहतर

  • पेट या कमर के बल लेटने से बेहतर है कि करवट लेकर सोएं। डॉक्टरों के अनुसार, सबसे बेहतर मुद्रा बाईं ओर करवट लेकर सोने की है। दाईं तरफ सोने से गर्भाशय का भार लिवर पर पड़ता है।
  • बाईं ओर लेटने से शिशु को प्लेसेंटा के जरिए पर्याप्त ऑक्सीजन व पोषक तत्व मिल पाते हैं। रक्त का प्रवाह भी सामान्य रहता है, जो मां व शिशु दोनों के लिए अच्छा है (11)
  • बेशक, एक तरफ लंबे समय तक सोना मुश्किल है, इसलिए बीच-बीच में दाईं ओर करवट लेकर लेट सकते हैं, लेकिन सिर्फ थोड़ी देर के लिए ही।
  • कोशिश करें कि ज्यादातर बाईं ओर करवट लेकर ही सोएं। साथ ही घुटनों को मोड़कर सोएं और दोनों घुटनों के नीचे तकिया रख सकते हैं।
  • अगर आप पीठ के बल लेटना चाहते हैं, तो आधे-बैठने की मुद्रा में लेटें यानी कमर से ऊपरी हिस्से के पीछे तकियों को रखें। इससे सीने में जलन से बचा जा सकता है। ध्यान रहे कि गर्भावस्था की पहली तिमाही ऐसी होती है, जिसमें बाईं ओर करवट लेकर लेटने की आदत डाल ली जाए, तो आगे चलकर समस्या नहीं होती।

वापस ऊपर जाएँ

इस मुद्रा से करें परहेज

  • प्रेगनेंसी के शुरुआत में आप पीठ के बल लेट सकते हैं, लेकिन लंबे समय तक ऐसा करना सही नहीं है।
  • पीठ के बल ज्यादा देर तक लेटने से गर्भाशय का दबाव पीठ की मांसपेशियों, रीढ़ की हड्डियों व रक्त नलियों पर पड़ सकता है। इससे शिशु तक रक्त का संचार ठीक तरह से नहीं हो पाता (12)
  • इससे मांसपेशियों में दर्द व सूजन आ सकती है और रक्तचाप कम हो सकता है।
  • स्लीप एपनिया जैसी समस्या का सामना करना पड़ सकता है।

Image: Shutterstock

वापस ऊपर जाएँ

गर्भावस्था के दौरान अच्छी और गहरी नींद के लिए टिप्स? | Pregnancy Me Kaise Sona Chahiye

  • सोते समय एक से अधिक तकियों का इस्तेमाल करें। एक तकिया अपने घुटनों के बीच, तो एक अपने पेट के नीचे रखें। इससे आपको आराम मिलेगा और अच्छी नींद आएगी।

Image: Shutterstock

  • रात को सोने से पहले भारी-भरकम, मिर्च-मसाले और तले हुए खाने से परहेज करें। इसकी जगह सोने से करीब दो घंटे पहले हल्का भोजन करें और कुछ देर टहलें। अगर आपका मन करे या डॉक्टर कहे, तो सोने से पहले एक गिलास दूध या फिर हर्बल चाय पी सकते हैं।
  • सुबह के समय योग व हल्के-फुल्के व्यायाम करने से भी रात को अच्छी नींद आ सकती है।
  • सोने से पहले आप अपने हाथों, पैरों, गर्दन व सिर की मालिश करवा सकते हैं। इससे मांसपेशियों में आया तनाव कम होता है और आराम मिलता है।
  • गहरी और लंबी सांसें लेने से भी मांसपेशियों में आए तनाव से राहत मिलती है और हृदय की गति सामान्य होती है, जिस कारण नींद आने में समस्या नहीं होती।
  • जिस कमरे और बेड पर आप सोएं वह साफ-सुथरा और माहौल शांत होना चाहिए।

वापस ऊपर जाएँ

बेशक, सोना हर किसी के लिए जरूरी है। इससे हम अगले दिन पूरी ऊर्जा के साथ फिर से काम करने के लिए खुद को तैयार कर पाते हैं। वहीं, एक गर्भवती महिला के लिए सोना और भी ज्यादा जरूरी है, क्योंकि उसके पर्याप्त नींद लेने से गर्भ में पल रहे शिशु का विकास बेहतर तरीके से होता है। हमें उम्मीद है कि इस लेख के जरिए आपको इसका महत्व समझ आ गया होगा और जो महिलाएं गर्भवती हैं, उन्हें इसके जरिए अपनी नींद से जुड़ी समस्याओं का हल मिल गया होगा। इस लेख को उन महिलाओं के साथ जरूर शेयर करें, जो गर्भवती हैं।

References

MomJunction's articles are written after analyzing the research works of expert authors and institutions. Our references consist of resources established by authorities in their respective fields. You can learn more about the authenticity of the information we present in our editorial policy.

1. Sleep disorders in pregnancy By NCBI
2. How much sleep do I need? By NICHD
3. Maternal Sleep and Fetal Outcome By citeseerx
4. Physiologic and pharmacokinetic changes in pregnancy By NCBI
5. Body changes and discomforts By womenshealth
6. Nausea and Vomiting of Pregnancy By NCBI
7. Treatment of heartburn and acid reflux associated with nausea and vomiting during pregnancy By NCBI
8. Sleep breathing disorders in pregnancy By NCBI
9. Restless legs syndrome and pregnancy: A review By NCBI
10. Sleep Disorders Linked to Preterm Birth in Large California Study By UCSF
11. RISK and the Pregnant Body By NCBI
12. Back to basics: avoiding the supine position in pregnancy By NCBI

Was this article helpful?
thumbsupthumbsdown
The following two tabs change content below.