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क्या प्रेगनेंसी में मकई/भुट्टा (कॉर्न) खा सकते हैं? | Pregnancy Me Makka Ya Bhutta Khana

गर्भावस्था का दौर जितना सुंदर होता है, उतना ही जटिल भी। इस दौरान गर्भवती को हर चीज का ध्यान रखना पड़ता है और इस लिस्ट में सबसे ऊपर खाद्य पदार्थ हैं। गर्भावस्था में क्या खाना चाहिए? कितना खाना चाहिए? ऐसे कई सवाल महिलाओं के मन में घूमते रहते हैं। ऐसे ही एक खाद्य पदार्थ की बात हम मॉमजंक्शन के इस लेख में करने वाले हैं, जिसका नाम है मकई। इसका सेवन कई तरीकों से किया जा सकता है, लेकिन क्या गर्भावस्था में इसका सेवन करना सुरक्षित है? इस लेख में जानिए गर्भावस्था में मकई खाने के फायदे और नुकसान के बारे में। साथ ही आप यह भी जान पाएंगे कि गर्भावस्था में मकई का उपयोग किस तरह किया जा सकता है।

गर्भावस्था में मकई के बारे में जानने से पहले, आइए आपको बता दें कि प्रेगनेंसी में मक्का खाया जा सकता है या नहीं।

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क्या गर्भावस्था के दौरान मकई/मक्का खाना सुरक्षित है?

जी हां, गर्भावस्था के दौरान सीमित मात्रा में मकई खाना सुरक्षित हो सकता है। यह पोषक तत्वों से भरपूर होती है, इसलिए इसे प्रेगनेंट महिला की डाइट में शामिल करने की बात कही जाती है। यहां यह ध्यान रखना भी जरूरी है कि सभी महिलाओं की गर्भावस्था एक जैसी नहीं होती, इसलिए इसका सेवन करने से पहले एक बार डॉक्टर से परामर्श कर लेना अच्छा विचार हो सकता है (1)

लेख के अगले भाग में जानिए कि गर्भावस्था में मकई को कब खाना चाहिए।

गर्भावस्था में मकई को कब खाना चाहिए?

इस बारे में अभी तक कोई शोध उपलब्ध नहीं है, जिससे यह कहा जा सके कि गर्भावस्था में मकई को कब खाना चाहिए। इसलिए, हम यही सलाह देंगे कि इस बारे में अनुभवी डॉक्टर की मदद जरूर लें।

मकई खाने के समय के साथ यह भी जानना जरूरी है कि गर्भावस्था में कितनी मकई खानी चाहिए।

गर्भावस्था में मैं एक दिन में कितना मक्का खा सकती हूं?

जैसा कि हम ऊपर बता चुके हैं कि गर्भावस्था में उचित मात्रा में मक्के का सेवन करना सुरक्षित है। ऐसे में, एक दिन में आधा कप मकई खाना सुरक्षित हो सकता है, लेकिन इस बारे में भी एक बार अपने डॉक्टर से परामर्श अवश्य लें (1)। यहां भी प्रत्येक गर्भवती महिला की अलग-अलग शारीरिक अवस्था का नियम लागू होता है।

आइए, अब आपको बताते हैं कि मक्का किन पोषक तत्वों का स्रोत होता है और उनकी कितनी मात्रा पाई जाती है।

मकई के पोषक तत्व

मकई में मौजूद पोषक तत्वों के बारे में हम यहां नीचे टेबल के जरिए बता रहे हैं (2) :

पोषक तत्व मात्रा प्रति 100 ग्राम
जल   10.37 ग्राम
ऊर्जा 365 kcal
प्रोटीन 9.42 ग्राम
टोटल फैट 4.74 ग्राम
कार्बोहाइड्रेट 74.26 ग्राम
फाइबर 7.3 ग्राम
शुगर 0.64 ग्राम
मिनरल
कैल्शियम 7 मिलीग्राम
आयरन 2.71 मिलीग्राम
मैग्नीशियम 127 मिलीग्राम
फास्फोरस 210 मिलीग्राम
पोटैशियम 287 मिलीग्राम
सोडियम 35 मिलीग्राम
जिंक 2.21 मिलीग्राम
 कॉपर 0.314 मिलीग्राम
सिलेनियम 15.5 माइक्रोग्राम
मैंगनीज 0.485 मिलीग्राम
विटामिन
थियामिन 0.385 मिलीग्राम
राइबोफ्लेविन 0.201 मिलीग्राम
नियासिन 3.627 मिलीग्राम
पैंटोथैनिक एसिड 0.424 मिलीग्राम
विटामिन-बी 6 0.622 मिलीग्राम
फोलेट, टोटल 19 माइक्रोग्राम
विटामिन-ए, आरएई 11 माइक्रोग्राम
विटामिन-ए, आईयू 214 आईयू
विटामिन-ई (अल्फा टोकोफेरॉल) 0.49 मिलीग्राम
विटामिन-के (फाइलोक्विनोन) 0.3  माइक्रोग्राम
लिपिड
फैटी एसिड (टोटल सैचुरेटेड) 0.667 ग्राम
फैटी एसिड (टोटल मोनोअनसैचुरेटेड) 1.251 ग्राम
फैटी एसिड (टोटल पॉलीअनसैचुरेटेड) 2.163 ग्राम

मकई में मौजूद ये पोषक तत्व गर्भावस्था से जुड़ी कुछ समस्याओं से राहत पाने में मदद कर सकते हैं। इसके बारे में जानिए लेख के अगले भाग में।

गर्भावस्था के दौरान मकई के 7 स्वास्थ्य लाभ | Pregnancy Me Corn Khane Ke Fayde

  1. कब्ज से आराम : कब्ज गर्भावस्था के शुरुआती लक्षणों में से एक है (3) गर्भावस्था में मकई कब्ज से कुछ हद तक आराम दिलाने में मदद कर सकती है और यहां इसमें पाया जाने वाला फाइबर काम करता है (2) फाइबर में फैटी एसिड और पानी होता है, जो मल प्रवाह को बढ़ाने में मदद कर सकता है (1) (4)। इस प्रकार गर्भावस्था में कब्ज से राहत पाने में मकई लाभकारी साबित हो सकती है।
  1. आंखों के लिए लाभदायक : मकई में जेक्सैन्थिन और लूटीन (Zeaxanthin and Lutein) नाम के कंपाउंड पाए जाए हैं, जो आंखों को स्वस्थ रखने में आपकी मदद कर सकते हैं। ये आंखों को ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस और उम्र की वजह से होने वाले मोतियाबिंद और मेक्युलर डीजेनरेशन (आंखो की रोशनी कम होना) से बचाते हैं। शोध में पाया गया है कि इन दोनों की कमी से आंखों से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं (5)। गर्भावस्था में जेक्सैन्थिन और लूटीन की जरूरत पर कुछ शोध हुए हैं, जिनमें गर्भवती के लिए इनकी जरूरत की बात की गई है, लेकिन अभी इस पर और शोध की आवश्यकता है (6)
  1. जन्म दोष का खतरा कम करे : नवजात में जन्म दोष के कई कारण हो सकते हैं, जैसे मोटापा, गर्भावस्था में नशा या कुछ दवाइयों का दुष्प्रभाव (7)। ऐसा ही एक कारण है शरीर में फोलेट (फोलिक एसिड) की कमी का होना। गर्भवती में इसकी कमी से होने वाले बच्चे में स्पाइना बिफिडा (रीढ़ का अधूरा विकास) और ऐनिन्सेफली (दिमाग और स्कैल्प का अधूरा विकास) जैसे जन्म दोष हो सकते हैं (8)। मकई में फोलेट की समृद्ध मात्रा पाई जाती है, जिस वजह गर्भावस्था में इसका सेवन करने से फोलेट की कमी की समस्या से बचा जा सकता है और बच्चे के जन्म दोष के खतरे को कम किया जा सकता है (2)
  1. मतली से राहत : मतली और जी मिचलाना भी गर्भावस्था के शुरुआती लक्षणों में शामिल हैं। माहवारी न आने के बाद इन्हें ही गर्भावस्था के सबसे आम लक्षणों में गिना जाता है और इसका अनुभव लगभग हर गर्भवती महिला करती है (3)। इससे कुछ हद तक राहत पाने में मकई का सेवन मदद कर सकता है। मकई में थियामिन नाम का विटामिन पाया जाता है, जो इस समस्या से राहत पाने में मदद कर सकता है (2) (9)
  1. विटामिन-ए का स्रोत : गर्भावस्था के दौरान कई विटामिन लेना जरूरी होता है और ऐसा ही आवश्यक विटामिन है विटामिन-ए। गर्भावस्था के साथ स्तनपान करवाने के दौरान भी विटामिन-ए की कमी होना महिला और शिशु के लिए समस्या बन सकती है। विटामिन-ए भ्रूण के विकास, खासकर उसके फेंफड़ों के विकास में मदद करता है (10)मकई विटामिन-ए का अच्छा स्रोत होता है और इसका सेवन गर्भवती महिला को विटामिन-ए की कमी से बचा सकता है (2)
  1. बालों के लिए लाभकारी : कुछ मामलों में पोषक तत्व जैसे आयरन और जिंक की कमी के चलते महिलाओं को गर्भावस्था में बाल झड़ने की समस्या का सामना करना पड़ सकता है (11)। ऐसे में मकई का सेवन करना लाभकारी हो सकता है, क्योंकि इसमें ये दोनों पोषक तत्व पाए जाते हैं (2)। इस वजह से प्रेगनेंसी में मकई का सेवन करने से गर्भवती महिला को बालों की झड़ने की समस्या से आराम मिल सकता है।
  1. एनीमिया से बचाए : शरीर में आयरन की कमी से एनीमिया की समस्या हो सकती है और गर्भावस्था में एनीमिया की समस्या होना आम है। एनीमिया होने का एक मुख्य कारण आयरन की कमी है। आयरन खून में हीमोग्लोबिन नामक प्रोटीन बनाने का काम करता है, जो पूरे शरीर में ऑक्सीजन पहुंचाता है (12)। गर्भावस्था में आयरन की जरूरत भ्रूण के विकास के लिए भी होती है। मक्का में समृद्ध मात्रा में आयरन पाया जाता है, जो गर्भवती को एनीमिया के खतरे से बचा सकता है (13) (2)

फायदों के साथ, प्रेगनेंसी में मकई खाने के कुछ नुकसान भी हो सकते हैं। लेख के अगले भाग में जानिए गर्भावस्था में मकई खाने के नुकसान।

गर्भावस्था में मकई के सेवन से होने वाले दुष्प्रभाव

जैसा कि हम लेख में बता चुके हैं कि गर्भावस्था में सीमित मात्रा में मकई का सेवन करना सुरक्षित है। वहीं, इसका अधिक सेवन करने से कुछ नुकसान भी हो सकते हैं, जैसे :

  1. मधुमेह : मकई में समृद्ध मात्रा में कार्बोहाइड्रेट पाया जाता है, जो शरीर में ग्लूकोज बनने का मुख्य स्रोत होता है। ऐसे में मक्का का अधिक सेवन करने से शरीर में कार्बोहाइड्रेट की मात्रा बढ़ सकती है, जिससे मधुमेह की समस्या हो सकती है (14)
  1. अधिक पोटैशियम : मकई में भरपूर मात्रा में पोटैशियम पाया जाता है (2), जबकि गर्भावस्था में अधिक पोटैशियम का सेवन मधुमेह और प्रीक्लेम्पसिया (गर्भावस्था में अचानक रक्तचाप का बढ़ना) का कारण बन सकता है (15)
  1. अपच : सीमित मात्रा में मकई का सेवन न करने से गर्भवती महिला को अपच की समस्या का सामना करना पड़ सकता है (16)
  1. वजन बढ़ना : गर्भावस्था में मकई का अधिक सेवन करने से वजन बढ़ सकता है। मकई में अधिक मात्रा में कार्बोहाइड्रेट पाया जाता है, जो वजन बढ़ने का कारण बन सकता है (2) (17)

आइए, अब आपको बता दें कि गर्भावस्था में किस प्रकार की मकई का सेवन न करने की सलाह दी जाती है।

गर्भावस्था के दौरान असुरक्षित मकई उत्पाद

  1. पॉपकॉर्न : पॉपकॉर्न में अधिक ट्रांस फैटी एसिड पाया जाता है (18)। यह प्रीक्लेम्पसिया (गर्भावस्था में उच्च रक्तचाप) का कारण बन सकता है (19)
  1. कॉर्न स्टार्च : शोध में पाया गया है कि गर्भावस्था में कॉर्न स्टार्च खाना पिका सिंड्रोम का कारण बन सकता है। यह एक प्रकार का विकार होता है, जिसमें ऐसी चीजें खाने का मन करता है, जो खाद्य पदार्थ नहीं होती हैं, जैसे चाक, स्टार्च व मिट्टी आदि (20)
  1. कॉर्न सिरप : कॉर्न सिरप में शुगर की भरपूर मात्रा पाई जाती है। इस वजह से गर्भावस्था में कॉर्न सिरप का सेवन करने से गर्भवती महिला को कुछ समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। इसके अलावा, होने वाले शिशु की सेहत पर भी बुरा प्रभाव पड़ सकता है (21)। फिलहाल, इस पर अभी और शोध की आवश्यकता है।

लेख के अगले भाग में जानिए कि प्रेगनेंसी में मकई का सेवन करते समय किन बातों का ध्यान रखना जरूरी है।

गर्भावस्था में मकई का सेवन करते समय बरती जाने वाली सावधानियां

  • हमेशा फ्रेश मकई का ही सेवन करें।
  • अगर आप भुट्टे का सेवन नहीं कर रहे हैं, तो उसके छिलके को न उतारें। उसका छिलका उतार कर रख देने से उसके दाने सूखकर कड़क हो सकते हैं।
  • मकई को हमेशा एयर टाइट डिब्बे में रख कर फ्रीजर में रखें।
  • कम भुना हुआ या कच्चा भुट्टा खाना असुरक्षित हो सकता है। इसे हमेशा उबाल कर या अच्छे से भून कर ही खाएं।

मकई के फायदे, नुकसान और पोषक तत्वों को जानने के बाद, लेख के अगले भाग में जानिए मकई को अपने आहार में कैसे शामिल किया जा सकता है।

अपने आहार में मकई को कैसे शामिल करें?

आप नीचे बताए गए तरीके से मकई को अपने आहार में शामिल कर सकते हैं। इसका सेवन विभिन्न तरीकों से किया जा सकता है, लेकिन ध्यान रखें कि सभी का संतुलन बहुत जरूरी है :

  • मकई को सलाद, सूप या सैंडविच में डाल कर खाया जा सकता है।
  • आप भुट्टे को भून कर भी खा सकते हैं।
  • मकई (स्वीट कॉर्न) को उबाल कर और उसमें नमक मिलाकर भी सेवन किया जा सकता है।
  • मकई को उबली हुई किडनी बीन्स के साथ सलाद बनाकार भी खाया जा सकता है।
  • आप चाहें तो मकई को पालक के साथ मिलाकर सब्जी बनाकर भी खा सकते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार हरी पत्तेदार सब्जियों के साथ कॉर्न खाने से उसका ग्लाइसेमिक लोड कम हो जाता है।

नोट : बेशक, यहां मकई के कई फायदे व खाने के तरीके बताए गए हैं, लेकिन इसे खाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूरी है। ध्यान रहे कि आपको अपने न्यूट्रिशनिस्ट से सलाह जरूर लेनी चाहिए।

इस लेख को पूरी तरह पढ़ने के बाद आप अच्छी तरह समझ गए होंगे कि प्रेगनेंसी में मकई खाने के क्या-क्या फायदे हो सकते हैं। इसके फायदों के साथ इसके कुछ नुकसान भी हैं। इसके नुकसानों से बचने के लिए हम यही सलाह देंगे कि गर्भावस्था में मकई का सेवन आप सीमित मात्रा में ही करें। अगर इसका सेवन करने से आपके स्वास्थ्य में कुछ खराबी महसूस होती है, तो तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करें। साथ ही लेख को अपने दोस्तों के साथ शेयर करना न भूलें।

References

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1. Pregnancy and diet by Better Health
2. Corn grain, yellow by USDA
3. Pregnancy – signs and symptoms by Better Health
4. Diets for Constipation by NCBI
5. Dietary Sources of Lutein and Zeaxanthin Carotenoids and Their Role in Eye Health by NCBI
6. Quantification of Lutein + Zeaxanthin Presence in Human Placenta and Correlations with Blood Levels and Maternal Dietary Intake by NCBI
7. Birth Defects by Centers for Disease Control and Prevention
8. Fortification of Corn Masa Flour With Folic Acid in the United States by NCBI
9. Treatment of nausea and vomiting in pregnancy. When should it be treated and what can be safely taken by NCBI
10. The importance of beta-carotene as a source of vitamin A with special regard to pregnant and breastfeeding women by NCBI
11. Diet and hair loss: effects of nutrient deficiency and supplement use by NCBI
12. Anemia by MedlinePlus
13. Iron deficiency in pregnancy by NCBI
14. Carbohydrate Counting & Diabetes by NIDDK
15. Low potassium level during the first half of pregnancy is associated with lower risk for the development of gestational diabetes mellitus and severe pre-eclampsia by NCBI
16. Clerical economics by Google Books
17. Carbohydrate intake and obesity by NCBI
18. Trans Fat by FDA
19. TRANS-FATS OF PROCESSED AND FRIED FOODS – A CHOICE FOR TASTE OR SERIOUS HEALTH PROBLEMS by Academia
20. Intestinal obstruction in a mentally retarded patient due to pica by NCBI
21. Fructose, pregnancy and later life impacts by NCBI

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