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- प्रेगनेंसी में मूड स्विंग क्या होता है?
- प्रेगनेंसी में मूड स्विंग कब होता है?
- प्रेगनेंसी में क्यों होता है मूड स्विंग?
- गर्भावस्था में मूड स्विंग होने के लक्षण
- प्रेगनेंसी में मूड स्विंग का इलाज
- गर्भावस्था में मूड स्विंग होने से कैसे बचें?
- प्रेगनेंसी में मूड स्विंग कम करने के लिए कौन से योग करने चाहिए?
- गर्भावस्था में मूड स्विंग नियंत्रित करने के लिए क्या खाना चाहिए?
- गर्भावस्था में मूड स्विंग होने पर डॉक्टर के पास कब जाएं?
प्रेगनेंसी में हर महिला अपनी जिंदगी के उस पड़ाव पर होती है, जब उसके शरीर में कई प्रकार के बदलाव होते हैं। कभी-कभी ये बदलाव गर्भवती महिला के लिए स्वास्थ्य समस्या भी बन जाते हैं। इन्हीं समस्याओं में से एक है ‘मूड स्विंग’, जो गर्भावस्था के दौरान लगभग हर महिलाओं को हो सकता है। मॉमजंक्शन के इस लेख में आपको गर्भावस्था में मूड स्विंग के कारण और लक्षण के बारे में जानकारी दी जा रही है। साथ ही आपको यह भी बताया जाएगा कि गर्भावस्था में मूड स्विंग के इलाज के लिए आप किन-किन उपायों को अपना सकते हैं।
आइए, सबसे पहले यह जान लेते हैं कि मूड स्विंग होता क्या है?
प्रेगनेंसी में मूड स्विंग क्या होता है?
प्रेगनेंसी में कई महिलाएं मूड स्विंग की समस्या से ग्रसित रहती हैं। प्रेगनेंसी के दौरान मूड स्विंग होने पर महिलाओं को अपनी भावनाओं को संभालने के लिए परेशानी का सामना करना पड़ता है। साथ ही महिलाओं को घबराहट महसूस होती है और वो अपने होने वाले शिशु के स्वास्थ्य को लेकर भी चिंतित होती हैं (1)।
आइए, अब जानते हैं कि प्रेगनेंसी में मूड स्विंग कब होता है ?
प्रेगनेंसी में मूड स्विंग कब होता है?
प्रेगनेंसी में शरीर के अंदर विभिन्न प्रकार के हार्मोनल बदलाव होते हैं (2)। एक मेडिकल रिपोर्ट के अनुसार, वैसे तो मूड स्विंग की समस्या पूरी गर्भावस्था के दौरान होती है, लेकिन पहली तिमाही के दौरान 6-10 सप्ताह के बीच और तीसरी तिमाही में इसका अनुभव सबसे ज्यादा होता है (3)।
आइए, लेख के इस भाग में अब हम आपको बताएंगे कि प्रेगनेंसी में मूड स्विंग आखिर क्यों होता है ?
प्रेगनेंसी में क्यों होता है मूड स्विंग?
गर्भावस्था के दौरान महिला के शारीरिक स्वास्थ्य के साथ-साथ मानसिक स्वास्थ्य भी जरूरी है। इन 9 महीनों के दौरान हर गर्भवती महिला का मूड यह सोचकर अच्छा हो जाता कि वह मां बनने वाली और कुछ ही समय में नन्हा मेहमान उसकी गोद में होगा। वहीं, कई बार गर्भकाल के दौरान होने वाली तकलीफ और शिशु की देखभाल के बारे में सोचकर मूड बदल भी सकता है। इसलिए, प्रेगनेंसी में मूड स्विंग की समस्या को आम माना गया है। मूड स्विंग होने के अन्य कारणों को नीचे क्रमवार तरीके से बताया गया है (3) :
- चयापचय (Metabolism) में बदलाव के चलते।
- तनाव के कारण।
- चिंता की वजह से।
- थकान महसूस करने के कारण।
- शिशु के स्वास्थ्य को लेकर परेशान रहने के कारण।
- एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन हार्मोन में बदलाव के कारण।
लेख के इस भाग में आपको मूड स्विंग के लक्षणों के बारे में बताया जा रहा है।
गर्भावस्था में मूड स्विंग होने के लक्षण
गर्भावस्था में मूड स्विंग के लक्षण कुछ इस प्रकार हैं (4):
- अजीब व्यवहार करना, जैसा उन्होंने पहले कभी नहीं किया हो।
- किसी भी चीज के लिए कड़ी प्रतिक्रिया देना।
- जल्दी से गुस्सा हो जाना।
- किसी भी बात की जिद पकड़ना।
आइए, लेख के अगले भाग में जानते हैं कि प्रेगनेंसी में मूड स्विंग का इलाज कैसे करें।
प्रेगनेंसी में मूड स्विंग का इलाज
आमतौर पर मूड स्विंग की समस्या कुछ हफ्तों में अपने आप ही ठीक हो जाती है (1)। इसके अलावा भी मूड स्विंग का इलाज कुछ इस प्रकार किया जा सकता है :
योग के जरिए – गर्भावस्था के दौरान योग के जरिए भी आप मूड स्विंग की समस्या का इलाज कर सकती हैं। दरअसल, योग के जरिए तनाव और थकान को कम किया जा सकता है, जो मूड स्विंग की समस्या का कारण बन सकते हैं (3), (5)। आगे लेख में योगासन की विभिन्न मुद्राएं भी बताई जाएंगी, जिन्हें करके आप मूड स्विंग को कम कर सकती हैं। ध्यान रहे कि इन योगासनों को आप योग्य योग प्रशिक्षक की देखरेख में ही करें।
मसाज के जरिए – मसाज थेरेपी के जरिए भी आप मूड स्विंग ठीक कर सकती हैं। एक वैज्ञानिक अध्ययन के अनुसार, गर्भावस्था में मसाज चिंता को दूर कर नींद में सुधार कर सकता है, जिससे कुछ हद तक मूड स्विंग की समस्या से राहत पाई जा सकती है (6)। ध्यान दें कि गर्भावस्था में मसाज डॉक्टरी परामर्श और विशेषज्ञ की देखरेख में ही करवाएं। गलत तरीके से किए गए मसाज के कारण दुष्प्रभाव भी हो सकते हैं।
दवाओं के जरिए – कुछ मामलों में मूड स्विंग की समस्या गंभीर रूप ले सकती है। ऐसे में डॉक्टर दवा लेने की सलाह दे सकते हैं। ध्यान रहे कि बिना डॉक्टर की सलाह गर्भवती महिला को किसी भी तरह की दवा नहीं लेनी चाहिए।
लेख के अगले भाग में आपको बताया जाएगा कि गर्भावस्था में मूड स्विंग से कैसे बचा जा सकता है।
गर्भावस्था में मूड स्विंग होने से कैसे बचें?
गर्भावस्था में मूड स्विंग की समस्या से बचने के लिए आप निम्नलिखित तरीकों को अपना सकते हैं। इसके बारे में आपको नीचे क्रमवार रूप से बताया गया है।
- भरपूर नींद लें (7)।
- खुश रहें।
- अपने पार्टनर के साथ समय बिताएं।
- पार्क में सुबह टहलने जाएं, लेकिन पूरी सावधानी बरतें।
- अल्कोहल और धूम्रपान से दूर रहें (7)।
- अपने दोस्तों के साथ समस्या को साझा करें।
- व्यायाम करें, जिससे आपका मूड बूस्ट होगा (8)। गर्भावस्था के दौरान किए जाने वाले व्यायाम के बारे में डॉक्टर से सलाह जरूर लें।
- अन्य बच्चों से खुलकर बात करें और उनका साथ इंजॉय करें।
- खुद को मॉर्निंग सिकनेस के लिए तैयार करें।
- पर्याप्त नींद जरूर लें।
- मां बन चुकी महिलाओं से बात करें और उनके अनुभव लें।
- नियमित रूप से व्यायाम, योग व मेडिटेशन करें।
आइए, अब नीचे आपको प्रेगनेंसी में मूड स्विंग कम करने के लिए योगासन के बारे में बताया जा रहा है।
प्रेगनेंसी में मूड स्विंग कम करने के लिए कौन से योग करने चाहिए?
प्रेगनेंसी में मूड स्विंग की समस्या से बचने के लिए योग करने से गर्भवती महिलाओं को काफी राहत मिल सकती है। यहां हम कुछ ऐसे ही योगासानों के बारे में बता रहे हैं (5), (9):
- भद्रासन : इसका अभ्यास करने के फायदे मूड स्विंग को ठीक करने में देखे जा सकते हैं। यह आसन मानसिक तनाव से राहत दिला सकता है, जो मूड स्विंग में आराम दिलाने के लिए लाभकारी हो सकता है।
- कटि चक्रासन : इस योगासन को प्रेगनेंसी के दौरान मूड स्विंग को कम किया जा सकता है। दरअसल, इसे करने से मेंटल स्ट्रेस को कम करने में मदद मिलती है, जिससे बहुत हद तक मूड स्विंग में आराम मिल सकता है।
- मत्स्य क्रीड़ासन : मत्स्य क्रीड़ासन का अभ्यास भी मूड स्विंग की स्थिति में लाभदायक हो सकता है। दरअसल, इस योग को करने से नींद में सुधार होता है, जिससे मूड स्विंग की समस्या में आराम मिल सकता है।
- ताड़ासन : इस योगासन को करने से मानसिक संतुलन को बनाए रखने में मदद मिलती है। जो मूड स्विंग के लिए भी फायदेमंद हो सकता है।
- प्राणायाम : प्राणायाम में अनुलोम-विलोम का अभ्यास किया जा सकता है। अनुलोम-विलोम व्यक्ति पर शारीरिक और मानसिक रूप से सकारात्मक प्रभाव डालता है, जिसका लाभ मूड स्विंग में मिल सकता है। इसके अतिरिक्त भ्रामरी प्राणायाम भी किया जा सकता है, क्योंकि इसका अभ्यास दिमाग को शांत करने का काम कर सकता है।
नोट – गर्भावस्था में योग के जरिए मूड स्विंग की समस्या से बचने के लिए किसी भी योग को करने से पहले एक बार डॉक्टर की सलाह अवश्य लें। साथ ही योग्य योग ट्रेनर की देखरेख में ही योग को करें।
लेख के इस भाग में बताया जाएगा कि गर्भावस्था में मूड स्विंग की समस्या से बचने के लिए आपको कौन से आहार का सेवन करना चाहिए।
गर्भावस्था में मूड स्विंग नियंत्रित करने के लिए क्या खाना चाहिए?
गर्भावस्था में मूड स्विंग को नियंत्रित करने के लिए आप विभिन्न प्रकार की सब्जियां, फल, नट्स, बीज, साबुत अनाज व फलियां आदि को अपने आहार में शामिल कर सकते हैं। मूड स्विंग से बचने के लिए एक संतुलित आहार के सेवन की बात की जाती है। ये खाद्य पदार्थ कुछ इस प्रकार हैं (10) (11)।
- मछली का सेवन चिंता और अवसाद के लक्षणों को ठीक करने का काम कर सकता है।
- चावल व ओट्स जैसे फाइबर युक्त खाद्य पदार्थ पेट के लिए अच्छे बैक्टीरिया को बढ़ावा दे सकते हैं, जिसका मानसिक स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
- फल और सब्जियों के सेवन से जरूरी पोषक तत्व मिलते हैं, जिस कारण स्वास्थ्य ठीक रहता है और मूड स्विंग से राहत मिलती है।
- दही भी पेट में अच्छे बैक्टीरिया को बढ़ावा देते हैं, जो मानसिक स्वास्थ्य के लिए लाभदायक हो सकता है।
इन खाद्य पदार्थों में ऐसे गुण पाए जाते हैं, जो मानसिक स्वास्थ को बेहतर करने के लिए प्रयोग किये जा सकते हैं। इन खाद्य पदार्थों को गर्भावस्था में खाया भी जा सकता है ।
गर्भावस्था में मूड स्विंग होने पर डॉक्टर के पास कब जाएं?
बात की जाए अगर वैज्ञानिक रिपोर्ट की तो प्रेगनेंसी में मूड स्विंग की समस्या दो हफ्तों के बाद अपने आप ठीक हो जाती है (1)। वहीं, अगर दो हफ्तों के बाद भी मूड स्विंग की समस्या बनी रहे, तब तुरंत डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए।
आपने इस लेख में पढ़ा कि प्रेगनेंसी के दौरान महिलाओं में मूड स्विंग की समस्या कैसे और क्यों बनती है। साथ ही आपको यह भी बताया गया कि प्रेगनेंसी में मूड स्विंग की समस्या से कैसे बचा जा सकता है। हालांकि, इस दौरान गर्भवती के साथ जितना अच्छा व्यवहार पेश कर सकें, उतना अच्छा होगा। कोशिश करें कि गर्भवती को किसी भी घरेलू स्थिति के बारे में ज्यादा न सोचना पड़े। गर्भावस्था से जुड़ी ऐसी ही और रोचक जानकारी के बारे में जानने के लिए जुड़े रहें हमारे साथ।
संदर्भ (References):
2. What are some common signs of pregnancy? By NICHD
3. Pregnant Women’s Condition and Awareness About Mood Swings: A Survey Study in Bangladesh By Researchgate
4. First-time pregnant women’s experiences in early pregnancy By NCBI
5. Yoga in Pregnancy: A boon to Motherhood By Researchgate
6. Pregnant Women Benefit From Massage Therapy By NIH
7. Taking Care of Your Mental Health During Pregnancy By KidsHealth
8. Staying Healthy During Pregnancy By KidsHealth
9. Yoga in Pregnancy By NIH
10. Mood and food By Better Health
11. Pregnancy and Diet By Better Health