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प्रेगनेंसी में मूली (Radish) का सेवन : फायदे व नुकसान | Pregnancy Me Muli

सलाद के रूप में खाई जाने वाली मूली, बहुत ही स्वादिष्ट होती है। स्वाद के साथ-साथ इसमें बहुत से स्वास्थवर्धक गुण भी होते हैं। सामान्य दिनों में हम मूली का प्रयोग बड़े आराम से करते हैं, लेकिन गर्भावस्था के दौरान इसका सेवन करना चाहिए या नहीं, यह एक गंभीर विषय हो सकता है। यही वजह है कि मॉमजंक्शन के इस लेख में हम इसी असमंजस को दूर करने का प्रयास कर रहे हैं। यहां आप जान पाएंगी कि प्रेगनेंसी में मूली सुरक्षित है या नहीं। साथ ही इससे जुड़ी अन्य जरूरी जानकारी को भी लेख में साझा किया गया है।

सबसे पहले जानिए गर्भावस्था में मूली के सुरक्षित होने या न होने से जुड़ी जानकारी।

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क्या गर्भावस्था के दौरान मूली का सेवन करना सुरक्षित है?

इस सवाल से जुड़े दो अलग-अलग जवाब अध्ययन में मिलते हैं। एनसीबीआई की वेबसाइट पर प्रकाशित एक शोध में मूली को गर्भावस्था के दौरान न खाने की सलाह दी गई है (1)वहीं, एक अन्य शोध में प्रेगनेंसी में कुछ जरूरी मिनरल्स की बात की गई है, जिसमें सेलेनियम भी शामिल है और इस शोध में मूली को सेलेनियम का एक अच्छा स्रोत बताया गया है (2) ऐसे में प्रेगनेंसी में मूली का सेवन कितना सुरक्षित होगा, यह कह पाना थोड़ा मुश्किल है। इसलिए, गर्भावस्था में बिना डॉक्टरी सलाह के मूली को अपने आहार में शामिल न करें।

आगे जानिए मूली की उचित मात्र के बारे में।

गर्भावस्था में कितनी मात्रा में मूली खाना सुरक्षित है?

अगर डॉक्टर प्रेगनेंसी में मूली के सेवन की इजाजत देते हैं, तो इसकी सीमित मात्रा का सेवन किया जा सकता है। वहीं, प्रेगनेंसी में इसकी ली जाने वाली सही मात्रा से जुड़ा शोध उपलब्ध नहीं है। ऐसे में अपने स्वास्थ्य के अनुसार डॉक्टर से इसके सेवन की सही मात्रा के बारे में जानकारी ली जा सकती है।

अब जानिए गर्भावस्था में मूली खाने का सही समय।

गर्भावस्था में मूली खाने का सबसे अच्छा समय कब है?

जैसा कि हमने ऊपर बताया कि डॉक्टरी सलाह पर ही मूली को प्रेगनेंसी के दौरान आहार में शामिल किया जा सकता है। हालांकि, गर्भावस्था की किस तिमाही में इसका सेवन सुरक्षित होगा, यह कह पाना थोड़ा मुश्किल है, क्योंकि इससे जुड़े सटीक शोध का अभाव है। इसलिए, यह जानकारी भी डॉक्टर से ली जानी चाहिए।

लेख के अगले भाग में जानिए मूली में मौजूद पोषक तत्वों के बारे में।

मूली के पोषक तत्व

मूली कई खास पोषक तत्वों से समृद्ध होती है, इसकी जानकारी हम नीचे दे रहे हैं। जानिए प्रति 100 ग्राम मूली में मौजूद पौषक तत्वों की कितनी मात्रा पाई जाती है (3) :

  • यह शरीर को ऊर्जा देने का काम कर सकती है। इसकी 100 ग्राम मात्रा में 16 केसीएएल ऊर्जा पाई  जाती है।
  • इसकी 100 ग्राम मात्रा में 0.68 ग्राम प्रोटीन, 3.4 ग्राम कार्बोहाइड्रेट, 1.86 ग्राम शुगर और 1.6 ग्राम डाइटरी फाइबर पाया जाता है।
  • इसके अलावा, इसकी 100 ग्राम मात्रा में 25 एमजी कैल्शियम, 10 एमजी मैग्नीशियम, 20 एमजी फास्फोरस, 233 एमजी पोटैशियम, 39 एमजी सोडियम और 0.34 एमजी आयरन पाया जाता है।
  • वहीं, इसमें 14.8 एमजी विटामिन सी और 7 आईयू विटामिन-ए की मात्रा पाई जाती है।
  • फोलेट की बात करें, तो 100 ग्राम मूली में 25 माइक्रोग्राम फोलेट की मात्रा पाई जाती है।
  • इसके अलावा, इसमें थियामिन, नियासिन, राइबोफ्लेविन, जिंक और कॉपर जैसे पोषक तत्व भी पाए जाते हैं।

स्क्रॉल करके पढ़ें प्रेगनेंसी में मूली के सेवन से होने वाले स्वास्थ्य लाभ।

गर्भावस्था के दौरान मूली के स्वास्थ्य लाभ

डॉक्टरी परामर्श पर अगर मूली का सीमित मात्रा में सेवन किया जाए, तो इसके कुछ स्वास्थ्य लाभ भी हो सकते हैं। हालांकि, इन स्वास्थ्य फायदों से जुड़े सटीक शोध उपलब्ध नहीं हैं। नीचे बताए जा रहे मूली के फायदे इसके पोषक तत्वों पर आधारित हैं। अब पढ़ें आगे –

  • मूली में मौजूद कैल्शियम हड्डियों को मजबूत करने में मदद कर सकता है। वहीं, इसमें मौजूद पोटैशियम, रक्तचाप को नियंत्रित करने में सहायक हो सकता है। इसके अलावा, मूली में मौजूद मैंगनीज, मस्तिष्क की कार्यप्रणाली और नर्व फंक्शन में सहायक हो सकता है (4)
  • इसमें फोलेट की अच्छी मात्रा पाई जाती है और फोलेट होने वाले बच्चे में न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट (दिमाग और रीढ़ से संबंधित) के जोखिम को कम करने में मदद कर सकता है (5)
  • वहीं, इसमें मौजूद विटामिन-सी (एक एंटीऑक्सीडेंट) शरीर को फ्री रेडिकल्स के प्रभाव से बचाने में मदद कर सकता है। साथ ही हीलिंग प्रक्रिया को बढ़ा सकता है और शरीर में आयरन के सही अवशोषण को बढ़ावा दे सकता है। इसके अलावा, यह त्वचा, हड्डी और कनेक्टिव टिशू के लिए भी लाभकारी माना जाता है (6)
  • वहीं, इसमें मौजूद फाइबर पाचन तंत्र को सही रखने के साथ-साथ कब्ज जैसी समस्या के जोखिम को कम करने में मदद कर सकता है (7)
  • इसके अलावा, मूली का सेवन यूरीनरी इन्फेक्शन और अल्सर के जोखिम को कम करने में भी मदद कर सकता है (8)
  • इसके अलावा, एक अध्ययन में मूली के एंटीमाइक्रोबियल (बैक्टीरिया को खत्म करने वाला) और चिंता को कम करने वाले गुण का भी पता चलता है (8)

अब जानिए मूली खाने से होने वाले दुष्परिणामों के बारे में।

गर्भावस्था के दौरान मूली खाने के साइड इफेक्ट

डॉक्टरी परामर्श के बिना और अधिक मात्रा में मूली का किया गया सेवन निम्नलिखित दुष्परिणामों का कारण बन सकता है  –

  • इसमें हाइपोग्लाइसेमिक यानी ब्लड शुगर को कम करने वाला प्रभाव पाया जाता है। अगर किसी गर्भवती का ब्लड शुगर बहुत कम है, तो इसका सेवन रक्त शर्करा को और कम करने का काम कर सकता है (9)
  • जैसा कि हमने ऊपर बताया कि इसमें फाइबर भी मौजूद होता है और फाइबर की अधिक मात्रा गैस, पेट फूलने और ऐंठन की समस्या का कारण बन सकती है (7)
  • इसमें पोटैशियम की अधिक मात्रा पाई जाता है और ऐसे में अधिक मात्रा में पोटैशियम का सेवन हाइपरकैलीमिया (रक्त में पोटैशियम की अधिक मात्रा) का कारण बन सकता है। इससे कमजोरी, किडनी फेल्योर और हृदय संबंधी समस्या का जोखिम बढ़ सकता है (10)
  • वहीं, एनसीबीआई के एक शोध की मानें, तो प्रेगनेंसी में मूली का सेवन बच्चे में ब्लोटिंग यानी पेट फूलने की समस्या का जोखिम बढ़ा सकता है (1)
  • इसके अलावा, अगर मूली को ठीक से धोकर उपयोग में न लाया गया, तो यह बैक्टीरियल संक्रमण का कारण भी बन सकती है, क्योंकि मूली जमीन के अंदर पैदा होती है और ऐसे में वो जमीनी बैक्टीरिया से संक्रमित हो सकती है।

लेख में आगे जानिए मूली खाने से पहले बरती जाने वाली सावधानियां।

मूली का सेवन करते समय बरती जाने वाली सावधानियां

मूली को आहार में जोड़ने से पहले कुछ आसान बातों का पालन किया जाए, तो मूली से होने वाले दुष्प्रभावो को रोका जा सकता है –

  • सबसे पहले प्रेगनेंसी में बिना डॉक्टरी परामर्श के मूली को अपने आहार में शामिल न करें।
  • ताजी मूली को उपयोग में लाएं।
  • उपयोग करने से पहले मूली को पानी से अच्छी तरह धोकर किसी सूती कपड़े से पोंछ लेना चाहिए। इससे मूली पर लगी मिट्टी और अन्य गंदगी हट जाएगी।
  • मूली को अच्छे से पकाकर ही खाएं।
  • सलाद के रूप में मूली को खाने से पहले डॉक्टरी परामर्श जरूर लें।
  • चाकू और चॉपिंग ट्रे को भी अच्छे से धो लेना चाहिए।

लेख के अगले भाग में जानिए मूली को आहार में कैसे शामिल करें।

मूली को अपने आहार में कैसे शामिल कर सकते हैं

मूली को निम्नलिखित तरीकों से आहार में शामिल किया जा सकता है  –

  • सलाद के रूप में मूली को खाया जा सकता है।
  • मूली की सब्जी बनाकर खा सकते हैं।
  • मूली का पराठा बनाया जा सकता है।
  • मूली को वेजिटेबल सूप में शामिल किया जा सकता है।
  • मूली का रायता।

अगर आप मूली के पराठे खाना चाहती हैं, तो चिंता न करें, उसकी रेसिपी भी आपको यहीं मिल जाएगी।

मूली के पराठे की रेसिपी

सामग्री :

  • गेहूं का आटा –  4 कटोरी
  • तेल – आवश्यकतानुसार
  • मूली – 2-3 मध्यम आकार की
  • हरी मिर्च – 2 बारीक कटी हुई (वैकल्पिक)
  • हरा धनिया – 1 बड़ा चमच्च बारीक कटा
  • भुना जीरा – 1/2 छोटी चम्मच
  • नमक – स्वादानुसार
  • पानी – आटा गूंथने के लिए

बनाने की विधि :

  • सबसे पहले आधी कटोरी आटा अलग निकाल कर रख दें। बचे हुए आटे में नमक और दो चम्मच तेल अच्छी तरह मिला लें और थोड़ा-थोड़ा पानी मिलाते हुए नरम आटा गुंथ लें और आटे को आधे घंटे के लिए ढक कर अलग रख दें।
  • मूली की अच्छी तरह धोकर साफ कर लें। फिर इसे छिल कर कद्दूकस कर लें।
  • कद्दूकस की हुई मूली में से सारा अतिरिक्त पानी निचोड़ कर अलग कर दें। फिर इसमें बारीक कटी हरी मिर्च, धनिया, स्वादानुसार नमक व भुना जीरा मिलाएं।
  • अब आटे की थोड़ी बड़ी लोई बनाएं और सूखे आटे की मदद से 4-5 इंच व्यास की रोटी बेल लें।
  • अब रोटी के बीच में तैयार मूली का मसाला रखें। रोटी को चारो तरफ से उठा कर बीच में लाएं और मसाले को पैक करें। इस प्रकार कि यह फिर से लोई की तरह बन जाए।
  • मसाले से भरी लोई को सूखे आटे की सहायता से पुनः बेलें। इस प्रकार इन्हें गोल पराठो का आकार दें।
  • अब तवा गर्म करने रखें। जब तवा मध्यम गर्म हो जाए, तब इस पर पराठा डालें।
  • पराठे को सामान्य पराठो की भांति दोनों तरफ तेल लगाकर सेकें।
  • लीजिए तैयार है, मूली का स्वादिष्ट पराठा। अब इसे मनचाही चटनी या दही के साथ खाए।

उम्मीद है कि इस लेख को पढ़ने के बाद अब आप समझ गई होंगी कि प्रेगनेंसी में मूली सुरक्षित है या नहीं। यहां हम फिर बता दें कि प्रेगनेंसी में मूली के सेवन से जुड़े सटीक शोध का अभाव है, इसलिए बिना डॉक्टरी परामर्श के इसका सेवन न करें। वहीं, अगर डॉक्टर इसके सेवन की इजाजत देता है, तो बताई गई सावधानियों का पालन जरूर करें। आशा करते हैं कि यह लेख आपको पसंद आया होगा। ऐसे ही रोचक तथ्यों के लिए पढ़ते रहिए मॉमजंक्शन।

References

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1. Factors affecting maternal nutrition and health: A qualitative study in a matrilineal community in Indonesia by ncbi
2. Minerals in Pregnancy and Lactation: A Review Article by ncbi
3. Radishes, raw by usda
4. Radish by betterhealth
5. Folic acid in diet by medlineplus
6. Vitamin C by medlineplus
7. Dietary Fiber by medlineplus
8. Deciphering the Nutraceutical Potential of Raphanus sativus—A Comprehensive Overview by ncbi
9. Radish (Raphanus sativus) and Diabetes by mdpi
10. High potassium level by medlineplus

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