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प्रेगनेंसी में प्रोजेस्टेरोन का स्तर कितना रहना चाहिए? | Progesterone Meaning In Hindi

इस बात से तो आप सभी वाकिफ होंगे कि प्रेगनेंसी में हर महिला कई तरह के शारीरिक परिवर्तनों से होकर गुजरती हैं। ऐसे में शरीर में बनने वाले कई हार्मोन खुद-ब-खुद तेजी से बढ़ने लगते हैं। इन्हीं हार्मोन में से एक है प्रोजेस्टेरोन, जो गर्भावस्था के लिए काफी अहम माना गया है। वहीं, आपके और हमारे बीच बहुत से लोग ऐसे भी होंगे, जिन्हें इस हार्मोन के संबंध में कुछ भी न मालूम होगा। इसी बात को ध्यान में रखते हुए मॉमजंक्शन के इस लेख में हम प्रोजेस्टेरोन क्या है और इसकी गर्भावस्था में क्या अहमियत है। यह समझाने का एक छोटा प्रयास कर रहे हैं।

आइए, सबसे पहले हम प्रोजेस्टेरोन क्या है, यह समझ लेते हैं।

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प्रोजेस्टेरोन हार्मोन क्या है? | Progesterone Meaning In Hindi

प्रोजेस्टेरोन एक फीमेल हार्मोन है, जिसका निर्माण महिला के अंडाशय (ovaries) में होता है। इसका स्तर सामान्य महिला के मुकाबले गर्भवती महिलाओं में 10 गुना होता है। यह हार्मोन गर्भावस्था में काफी अहम माना जाता है और गर्भावस्था में कई तरह की अहम भूमिकाएं भी निभाता है (1)। इस संबंध में हम लेख में आगे विस्तार से बात करेंगे।

लेख के अगले भाग में अब हम गर्भावस्था में प्रोजेस्टेरोन की भूमिका को समझने का प्रयास करेंगे।

प्रेगनेंसी में प्रोजेस्टेरोन का क्या महत्व है?

प्रोजेस्टेरोन हार्मोन गर्भधारण की प्रक्रिया में अहम भूमिका अदा करता है। इसके अलावा, यह गर्भावस्था के दौरान भ्रूण के विकास में भी मदद करता है। वहीं, यह समय पूर्व प्रसव के जोखिम को दूर करने में भी सहायक माना जाता है (1) (2)

लेख के अगले भाग में हम जानेंगे कि प्रोजेस्टेरोन का गर्भावस्था पर कैसा असर पड़ता है।

प्रोजेस्टेरोन प्रेगनेंसी को किस तरह प्रभावित करता है?

निम्न बिंदुओं के माध्यम से हम समझ सकते हैं कि प्रोजेस्टेरोन प्रेगनेंसी को कैसे प्रभावित कर सकता है (3)

  • गर्भाशय को गर्भधारण करने के योग्य बनाने में सहयोग प्रदान करता है।
  • दुग्ध निर्माण में मदद कर सकता है।
  • महिला की प्रतिरक्षा प्रणाली को नियंत्रित कर सकता है (4)
  • यह पीरियड सर्कल को नियंत्रित करने का भी काम कर सकता है।

लेख के अगले भाग में अब हम गर्भावस्था में प्रोजेस्टेरोन के सामान्य स्तर के बारे में जानकारी हासिल करेंगे।

प्रोजेस्टेरोन का सामान्य लेवल क्या हैं?

यहां हम गर्भावस्था के चरणों के हिसाब से प्रोजेस्टेरोन के सामान्य स्तर को समझने का प्रयास करेंगे, जो कुछ इस प्रकार हैं (3):

  • पहली तिमाही : 11.2 से 90.0 नैनोग्राम/मिली।
  • दूसरी तिमाही : 25.6 से 89.4 नैनोग्राम/मिली।
  • तीसरी तिमाही : 48 से 150 या 150 से 300 या उससे अधिक नैनोग्राम/मिली।

लेख के अगले भाग में अब हम गर्भावस्था में प्रोजेस्टेरोन कम होने से जुड़ी कुछ अहम बातें जानेंगे।

गर्भावस्था में प्रोजेस्टेरोन स्तर का कम होना क्या है?

यहां हम गर्भावस्था में प्रोजेस्टेरोन का लेवल कम होने संबंधी कुछ हम बातों पर गौर करेंगे, जो कुछ इस प्रकार हैं : 

1. गर्भावस्था में प्रोजेस्टेरोन लेवल कम होने का मतलब क्या है?

जैसा कि हम आपको लेख में पहले ही बता चुके हैं कि गर्भावस्था में महिलाओं में प्रोजेस्टेरोन हार्मोन का स्तर अपने आप बढ़ जाता है। ऐसे में सामान्य रूप से पहली तिमाही के दौरान खून में लगभग 11.2 से 90.0 नैनोग्राम/मिली प्रोजेस्टेरोन होना चाहिए। अगर किसी महिला में यह हार्मोन 11.2 नैनोग्राम/मिली से कम होता है, तो इसे ही प्रोजेस्टेरोन का कम होना कहा जा सकता है (3)

आइए, अब उन कारणों पर चर्चा करते हैं, जिनके चलते प्रोजेस्टेरोन हार्मोन कम होता है।

2. प्रोजेस्टेरोन लेवल कम होने के कारण

निम्न बिन्दुओं के माध्यम से हम उन स्थितियों को समझ सकते हैं, जिनके कारण प्रेगनेंसी में प्रोजेस्टेरोन कम हो सकता है (5)

  • पॉलीसिस्टिक ओवरी (एक हार्मोनल विकार, जो सिस्ट युक्त अंडाशय का कारण बनता है)।
  • थायराइड (थायराइड हार्मोन की असामन्यता)।
  • प्रोलैक्टिन डिसआर्डर (खून में प्रोलैक्टिन हार्मोन की अधिकता)।

आगे हम प्रोजेस्टेरोन लेवल के कम होने के संकेतों और लक्षणों पर चर्चा करेंगे।

3. प्रेगनेंसी में प्रोजेस्टेरोन लेवल कम होने के संकेत व लक्षण

निम्न बिन्दुओं के माध्यम से हम गर्भावस्था में प्रोजेस्टेरोन लेवल कम होने के आम संकेत और लक्षणों को समझ सकते हैं (6)

  • अवसाद।
  • स्पॉटिंग या ब्लीडिंग होना।
  • पेट में दर्द होना।
  • साइको सोमेटिक सिम्पटम्स जैसे :- शरीर में दर्द और थकान।
  • स्तनों में कठोरता और दर्द।
  • अधिक भूख का एहसास होना।
  • चिंता।
  • एक्टोपिक प्रेगनेंसी भी कम प्रोजेस्टेरोन लेवल का कारण हो सकता है।

अब हम आपको प्रोजेस्टेरोन लेवल कम होने के साइड इफेक्ट्स बताएंगे।

4. प्रोजेस्टेरोन लेवल कम होने के साइड इफेक्ट्स क्या हैं?

निम्न बिन्दुओं के माध्यम से हम प्रोजेस्टेरोन लेवल कम होने के साइड इफेक्ट्स को समझ सकते हैं, जो कुछ इस प्रकार हैं (7):

  • समयपूर्व प्रसव
  • हाई ब्लड प्रेशर
  • गर्भाशय का मुंह समय से पहले खुल जाना
  • योनी से रक्त स्त्राव
  • गर्भपात

लेख के अगले भाग में अब हम गर्भावस्था में प्रोजेस्टेरोन लेवल बढ़ने संबंधी कुछ अहम बातें जानेंगे।

गर्भावस्था में प्रोजेस्टेरोन स्तर बढ़ना

यहां हम गर्भावस्था में प्रोजेस्टेरोन लेवल बढ़ने संबंधी अहम बातों पर गौर करेंगे, जो कुछ इस प्रकार हैं :

1. गर्भावस्था में प्रोजेस्टेरोन लेवल बढ़ने का मतलब क्या है?

अगर गर्भावस्था की पहली तिमाही में महिला के खून में 90.0 नैनोग्राम/मिली से अधिक प्रोजेस्टेरोन की मात्रा मौजूद होती है, तो इसे गर्भावस्था में प्रोजेस्टेरोन का बढ़ा हुआ स्तर माना जा सकता है (3)गर्भास्व्था में प्रोजेस्टेरोन लेवल बढ़ने के कई कारण हो सकते हैं, जिनके बारे में हम आपको लेख में आगे चलकर बताएंगे।

अब हम गर्भावस्था में प्रोजेस्टेरोन लेवल बढ़ने के कारण जानेंगे।

2. प्रोजेस्टेरोन लेवल बढ़ने के कारण क्या हैं?

गर्भावस्था में प्रोजेस्टेरोन लेवल अधिक बढ़ने के निम्न कारण हो सकते हैं (1):

  • अंडाशय में सिस्ट का जमा होना।
  • एडर्नल ग्लैंड डिसऑर्डर (किडनी के ऊपर मौजूद ग्रंथि से जुड़ी समस्या)।
  • ओवरियन कैंसर (अंडाशय का कैंसर)।
  • ट्वीन प्रेगनेंसी।
  • मोलर प्रेगनेंसी (गर्भावस्था में होने वाली एक दुर्लभ जटिलता)।

अब हम गर्भावस्था में प्रोजेस्टेरोन लेवल बढ़ने के लक्षण के बारे में बात करेंगे।

3. गर्भावस्था के दौरान प्रोजेस्टेरोन लेवल बढ़ने के आम संकेत और लक्षण

गर्भावस्था में प्रोजेस्टेरोन लेवल सामान्य के मुकाबले 10 गुना अधिक बढ़ जाता है, जो सामान्य प्रक्रिया है (1)यही वजह है कि स्पष्ट रूप से गर्भावस्था में जरूरत से अधिक प्रोजेस्टेरोन स्तर के बढ़ने के लक्षण के बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता है। हां, बिंग ईटिंग यानी जरूरत से अधिक खाने की चाह को इसके संकेत के तौर पर जरूर देखा जा सकता है (8)

अब हम प्रोजेस्टेरोन लेवल बढ़ने के साइड इफेक्ट्स के बारे में जानेंगे।

4. प्रोजेस्टेरोन लेवल बढ़ने के दुष्प्रभाव क्या हैं?

गर्भावस्था में प्रोजेस्टेरोन हार्मोन को जरूरी माना गया है। यह भ्रूण के विकास में मदद करता है। इसलिए, महिला के शरीर में बनने वाले प्राकृतिक प्रोजेस्टेरोन के कोई भी ज्ञात दुष्प्रभाव मौजूद नहीं है। हां, मौखिक रूप से प्रोजेस्टेरोन सप्लीमेंट लेने वालों में कुछ साइड इफेक्ट्स जरूर देखने को मिल सकते हैं, जो कुछ इस प्रकार हैं (9):

  • उल्टी और मतली का एहसास।
  • सिरदर्द होना।
  • अत्यधिक नींद आना।

लेख के अगले भाग में अब हम प्रोजेस्टेरोन इंजेक्शन की उपयोगिता के बारे में बात करेंगे।

प्रोजेस्टेरोन इंजेक्शन आपके लिए कैसे उपयोगी हो सकता है? | Progesterone Injection Uses In Hindi

गर्भावस्था के दौरान प्रोजेस्टेरोन की कमी को पूरा करने के लिए विकल्प के तौर पर प्रोजेस्टेरोन इंजेक्शन भी दिए जा सकते हैं। योनि मार्ग और मुंह के जरिए दिए जाने वाले प्रोजेस्टेरोन सप्लीमेंट की तुलना में इसके दुष्प्रभाव कम हो सकते हैं। इन दुष्प्रभावों के बारे में हम लेख में आगे विस्तार से बताएंगे। वहीं, गर्भधारण के बाद इन इंजेक्शन की डोज को डॉक्टर बंद कर देता है (10)। इस बात का ध्यान जरूर रखें कि प्रेगनेंसी में किसी भी प्रकार के प्रोजेस्टेरोन सप्लीमेंट लेने से पहले डॉक्टरी परामर्श जरूर लें।

लेख के अगले भाग में अब हम प्रोजेस्टेरोन असंतुलन के इलाज के बारे में बात करेंगे।

प्रेगनेंसी में प्रोजेस्टेरोन असंतुलन के लिए इलाज

प्रोजेस्टेरोन असंतुलन के लिए इलाज के तौर पर डॉक्टर निम्न प्रक्रियाओं को अपनाने का सुझाव दे सकता है।

  • गर्भावस्था में प्रोजेस्टेरोन के असंतुलन के मामले में डॉक्टर मुख्य रूप से प्रोजेस्टेरोन हार्मोन सप्लीमेंट लेने की सलाह देते हैं, जिससे इसकी कमी को पूरा किया जा सके (2) (11)
  • वहीं, कुछ मामलों में डॉक्टर योनी मार्ग से भी इस हार्मोन की पूर्ति करने का सुझाव दे सकते हैं। इलाज की इस विधि में गर्भाशय में प्रोजेस्टेरोन की पर्याप्त मात्रा पहुंच जाती है, लेकिन यह हार्मोन खून में अपने प्रभाव को नहीं छोड़ता है (9) यह मौखिक प्रोजेस्टेरोन की खुराक से बेहतर हो सकता है।

नोट : यह सप्लीमेंट डॉक्टर द्वारा सुझाए जाने पर और संतुलित मात्रा में ही लिए जाने चाहिए, क्योंकि इनके कुछ दुष्परिणाम भी देखने को मिल सकते हैं। ध्यान रहे कि प्रोजेस्टेरोन सप्लिमेंट विशेष रूप से उन महिलाओं को दिया जाता है, जो पहले कभी गर्भपात की समस्या का सामना कर चुकी हैं। इसके अलावा, जो महिलाएं इन्फर्टिलिटी का इलाज कर रही हों, उन्हें दिया जा सकता है।

लेख के अगले भाग में अब हम प्रोजेस्टेरोन असंतुलन के घरेलू उपचार के बारे में बात करेंगे।

प्रेगनेंसी में प्रोजेस्टेरोन असंतुलन के लिए घरेलू उपचार

लेख के इस भाग में हम कुछ घरेलू उपचार बताएंगे, जिनके माध्यम से शरीर में प्रोजेस्टेरोन की कमी को पूरा किया जा सकता है।

1. विटामिन बी-6 और विटामिन सी युक्त खाद्य

प्रोजेस्टेरोन से संबंधित दो अलग-अलग शोध से स्पष्ट होता है कि विटामिन-बी6 और विटामिन सी प्रोजेस्टेरोन के स्तर को बढ़ाने का काम कर सकते हैं (12) (13)। इसलिए इन दोनों विटामिन वाले खाद्य पदार्थों को प्रोजेस्टेरोन असंतुलन के घरेलू उपचार के तौर पर इस्तेमाल में लाया जा सकता है। विटामिन सी युक्त खाद्य में मुख्य रूप से संतरा, ग्रेपफ्रूट, खरबूज, अमरूद, आम, स्ट्राबेरी आदि शामिल हैं (14) वहीं, विटामिन-बी6 के लिए चना, दलिया, केला, चावल और कुछ मछलियों (जैसे :- ट्यूना और सैल्मन) का उपयोग किया जा सकता है (15)

2. जिंक से भरपूर खाद्य

एनसीबीआई (National Center for Biotechnology Information) की वेबसाइट पर प्रकाशित एक शोध में माना गया है कि जिंक सप्लीमेंट प्रोजेस्टेरोन के स्तर को बढ़ाने का काम कर सकते हैं (16)। ऐसे में गर्भावस्था में जिंक से भरपूर नट्स, साबुत अनाज, फलियां, खमीर युक्त खाद्य पदार्थ और चिकन व मछली को उपयोग में लाया जा सकता है (17)

3. मैग्नीशियम से भरपूर खाद्य

मैग्नीशियम की अधिकता शरीर में प्रोजेस्टेरोन के स्तर को बढ़ावा देने में सहायक माना जाता है। इस बात की पुष्टि जर्नल ऑफ ह्यूमन रिप्रोडक्टिव साइंस के एक शोध से होती है। शोध में माना गया है कि कैल्शियम और मैग्नीशियम की पूर्ति शरीर में प्रोजेस्टेरोन की बढ़ोतरी से संबंध रखते हैं (18) ऐसे में घरेलू उपाय के तौर पर मैग्नीशियम युक्त खाद्य जैसे :- फल (केला, एप्रीकोट, एवोकाडो), नट्स, मटर, फलियां, साबुत अनाज और दूध लिए जा सकते हैं (19)

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

क्या गर्भावस्था के दौरान प्रोजेस्टेरोन लेवल कम होने से गर्भपात का खतरा है?

हां, प्रोजेस्टेरोन लेवल कम होने से गर्भपात का खतरा हो सकता है (1)

फॉल्स पॉजिटिव प्रोजेस्टेरोन लेवल का क्या मतलब है?

जब गर्भावस्था न होने के बावजूद प्रोजेस्टेरोन हार्मोन का स्तर महिला में बढ़ता है, तो इसे फॉल्स पॉजिटिव प्रोजेस्टेरोन लेवल कहा जाता है।

प्रोजेस्टेरोन क्या है और गर्भावस्था में इसकी क्या भूमिका है, यह समझने के बाद अब आप इसकी उपयोगिता को अच्छे से समझ गए होंगे। ऐसे में अगर आपको भी लेख में बताए गए लक्षण महसूस होते हैं, तो उन्हें बिल्कुल भी नजरअंदाज न करें और बिना देर किए डॉक्टर से सम्पर्क करें। इसका मतलब यह भी नहीं कि आप इन लक्षणों के दिखते ही परेशान हो जाएं। प्रोजेस्टेरोन हार्मोन की कमी या बढ़ोत्तरी को केवल प्रोजेस्टेरोन टेस्ट के माध्यम से ही जाना जा सकता है। किसी भी समस्या के लक्षण व्यक्ति को केवल स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करने का इशारा मात्र होते हैं। इसलिए, लेख को एक बार अच्छे से पढ़ें और हासिल जानकारी के आधार पर ही किसी निष्कर्ष पर पहुंचे।

References

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1. Progesterone Test By Medlineplus
2. Hormones in pregnancy By Ncbi
3. Serum progesterone By Medlineplus
4. Progesterone Modulation of Pregnancy-Related Immune Responses By Ncbi
5. Luteal insufficiency in first trimester By Ncbi
6. Lowered Plasma Steady-State Levels of Progesterone Combined With Declining Progesterone Levels During the Luteal Phase Predict Peri-Menstrual Syndrome and Its Major Subdomains By Ncbi
7. Association of maternal serum progesterone in early pregnancy with low birth weight and other adverse pregnancy outcomes By Researchgate
8. The Interactive Effects of Estrogen and Progesterone on Changes in Emotional Eating Across the Menstrual Cycle By Ncbi
9. Use of progestagens during early pregnancy By Ncbi
10. Early stop of progesterone supplementation after confirmation of pregnancy in IVF/ICSI fresh embryo transfer cycles of poor responders does not affect pregnancy outcome By Ncbi
11. Progesterone By Medlineplus
12. Nutritional factors in the etiology of the premenstrual tension syndromes By Ncbi
13. Serum Antioxidants Are Associated with Serum Reproductive Hormones and Ovulation among Healthy Women By Ncbi
14. Vitamin C By Medlineplus
15. Vitamin B6 By Medlineplus
16. The effect of low dose zinc supplementation to serum estrogen and progesterone levels in post-menopausal women By Ncbi
17. Zinc in diet By Medlineplus
18. Changes in serum calcium, magnesium and inorganic phosphorus levels during different phases of the menstrual cycle By Ncbi
19. Magnesium in diet By Medlineplus

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