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प्रीमैच्योर डिलीवरी होने के कारण, लक्षण व बचने के उपाय | Premature Delivery Se Bachne Ke Upay

गर्भावस्था का समय खुशियों से भरा होता है, लेकिन कुछ गर्भवती महिलाओं को जटिलताओं का सामना करना पड़ सकता है। ये जटिलताएं महिला की मानसिक व हार्मोनल बदलाव और शारीरिक गतिविधियों की वजह से आ सकती हैं। ऐसी ही एक समस्या होती है प्रीमैच्योर डिलीवरी, मतलब समय से पहले प्रसव। ऐसे में गर्भावस्था से पहले और उसके दौरान कुछ बातों का ध्यान रखकर प्रीमैच्योर डिलीवरी के खतरे से बचा जा सकता है या उसे कम किया जा सकता है। मॉमजंक्शन के इस लेख में हम इस विषय से जुड़ी हर जानकारी देने का प्रयास करेंगे। आप जानेंगे कि समय से पहले प्रसव होने के क्या कारण होते हैं और उसे कैसे रोका जा सकता है।

लेख के पहले भाग में जानिए कि प्रीमैच्योर डिलीवरी होती क्या है।

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प्रीमैच्योर डिलीवरी होने का मतलब क्या है?

जब महिला का प्रसव गर्भावस्था के 37 हफ्ते पूरे करने से पहले ही हो जाता है, तो उसे प्रीमैच्योर डिलीवरी (समय से पहले प्रसव) कहते हैं। इसे प्रीटर्म या प्रीमैच्योर बर्थ भी कहा जाता है। सामान्य गर्भावस्था 40 हफ्तों में पूरी होती है, लेकिन भ्रूण का शारीरिक विकास 37 हफ्ते तक पूरी तरह से हो जाता है। यही वजह है कि 37 हफ्तों के बाद शिशु के जन्म होना सुरक्षित माना जाता है। गर्भावस्था पूर्ण होने के जितने हफ्तों पहले प्रसव होगा, मां और शिशु के लिए उतना ही असुरक्षित होगा। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, नवजात की मृत्यु का सबसे बड़ा कारण प्रीमैच्योर बर्थ है (1)। इसे तीन भागों में बांटा जा सकता है (2):

  • एक्सट्रिमली प्रीमैच्योर डिलीवरी: अगर प्रसव 23वें से 28वें हफ्ते के बीच होता है।
  • मॉडरैटली प्रीमैच्योर डिलीवरी: 29वें से 33वें हफ्ते के बीच हुई डिलीवरी को मॉडरेटली प्रीमैच्योर डिलीवरी कहा जाता है।
  • लेट प्रीमैच्योर डिलीवरी: अगर प्रसव 34वें से 37वें हफ्तों के बीच हो।

आगे जानिए कि कितना आम है प्रीटर्म बर्थ होना।

प्रीमैच्योर डिलीवरी होना कितना आम है?

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, दुनिया भर में हर साल जन्म लेने वाले बच्चों में लगभग डेढ़ करोड़ बच्चों का जन्म प्रीमैच्योर डिलीवरी से होता है। यह लगभग 10 में से एक बच्चे से ज्यादा है। भारत की बात करें, तो हर साल यहां ढाई करोड़ शिशुओं में 35 लाख शिशु प्रीमैच्योर होते हैं (3)

लेख के अगले भाग में हम आपको प्रीमैच्योर डिलीवरी के कारण के बारे में बताएंगे।

समय से पहले प्रसव होना का कारण

समय से पहले प्रसव कई कारणों से हो सकता है। इसमें आपकी मेडिकल हालत के साथ-साथ जीवनशैली भी शामिल है। नीचे जानिए समय से पहले प्रसव होने के कारण (3):

मेडिकल कंडिशन (मातृत्व कारण):

  • 18 से कम या 35 वर्ष से ज्यादा उम्र के बाद की गर्भावस्था
  • पिछली गर्भावस्था में प्रीमैच्योर डिलीवरी होना
  • गर्भ में जुड़वां या उससे ज्यादा भ्रूण होना
  • मधुमेह
  • उच्च रक्तचाप (गर्भावस्था के दौरान प्री-एक्लेम्पसिया)
  • पोषक तत्वों की कमी
  • किसी प्रकार का संक्रमण जैसे यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन, योनी संक्रमण
  • आनुवंशिक प्रभाव
  • अगर गर्भाशय में शिशु को इंट्रायूटरिन ग्रोथ रेस्ट्रिक्शन या हाइड्रोसेफली जैसा कोई विकार हो, तो भी समय से पहले डिलीवरी की जा सकती है।

जीवनशैली कारण:

  • मोटापा
  • धूम्रपान या शराब का सेवन
  • अवैध ड्रग्स का सेवन
  • मानसिक तनाव
  • अधिक शारीरिक गतिविधियां
  • खड़े रह कर ज्यादा समय बिताना

प्रीमैच्योर डिलीवरी के कारण के बाद अब आपको बताते हैं कि समय से पहले प्रसव के लक्षण क्या हैं।

प्रीमैच्योर डिलीवरी होने के लक्षण | Premature Delivery Symptoms In Hindi

वैसे तो समय से पूर्व प्रसव होने की सटीक जानकारी सिर्फ डॉक्टर ही दे सकते हैं, लेकिन यहां हम कुछ लक्षण बता रहे हैं, जिनसे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि आपका प्रसव समय से होगा या नहीं (3):

  • योनि से होने वाले स्राव में परिवर्तन आना (स्राव का अधिक होना या फिर रक्त आना)।
  • हर 10 मिनट में पेट में कसाव महसूस होना (मुट्ठी की तरह)।
  • पेल्विक क्षेत्र पर दबाव – जैसे शिशु नीचे की ओर धकेल रहा हो।
  • हल्का पीठ दर्द होना।
  • मासिक धर्म के दौरान पेट में होने वाली ऐंठन जैसा महसूस होना।
  • डायरिया या फिर उसके बिना भी पेट में दर्द होना।

लेख के आने वाले भाग में जानिए कि समय से पहले प्रसव की वजह से महिला को किस प्रकार की जटिलताओं का सामना करना पड़ सकता है।

प्रीमैच्योर डिलीवरी से मां को होने वाली जटिलताएं

जिन महिलाओं का प्रसव 37वें हफ्ते से पहले हो जाता है, उन्हें प्रसव के दौरान और भविष्य में कुछ जटिलताओं का सामना करना पड़ सकता है, जैसे (4):

  • सिजेरियन डिलीवरी
  • स्तनपान करवाने में समस्या
  • कमजोरी और थकान की वजह से शिशु को उठाने में समस्या
  • मधुमेह
  • मिर्गी
  • उच्च रक्तचाप
  • पोस्टनेटल अवसाद और तनाव (प्रसव के बाद होने वाला अवसाद)
  • कम नींद आना
  • ध्यान लगाने में कठिनाई

लेख के अगले भाग में जानिये समय से पहले डिलीवरी होने के निदान के बारे में।

समय से पहले डिलीवरी होने का निदान

अगर आप प्रीमैच्योर डिलीवरी के लक्षण महसूस कर रही हैं, तो डॉक्टर से समय से पहले प्रसव के निदान करवा सकती हैं। ये कुछ इस प्रकार हो सकते हैं (3):

गर्भाशय के कसने पर निगरानी रखना : गर्भावस्था के दौरान, मशीन की मदद से गर्भाशय के कसने पर निगरानी रखी जाती है। फिलहाल, यह मशीन भारत में उपलब्ध नहीं है। अगर गर्भवती महिला को कसाव महसूस होता है, तो अपने डॉक्टर से जरूर संपर्क करना चाहिए।

एंडोवैजिनल अल्ट्रासाउंड : एंडोवैजिनल अल्ट्रासाउंड की मदद से गर्भवती की सर्वाइकल लेंथ (ग्रीवा की लंबाई) नापी जाती है। कम सर्वाइकल लेंथ भी प्रीमैच्योर डिलीवरी का एक कारण हो सकती है।

फीटल फाइब्रोनेक्टिन : यह फीटल यानी भ्रूण की कोशिकाओं से निकलने वाला प्रोटीन होता है। योनि स्राव में इसकी मात्रा होने से समय से पहले प्रसव होने का खतरा बढ़ सकता है। इसलिए, टेस्ट के जरिए योनि स्राव में प्रोटीन की मात्रा को नापा जाता है।

अगर निदान से स्पष्ट हो जाए कि समय से पहले प्रसव होने की आशंका है, तो नीचे बताए गए इलाज से उसे कुछ हद तक रोका जा सकता है।

समय से पहले प्रसव रोकने का इलाज

समय से पहले प्रसव को रोकने के लिए डॉक्टर कुछ मेडिकल ट्रीटमेंट का उपयोग कर सकते हैं, जो कुछ इस प्रकार है (5) (6) :

  1. हॉर्मोन ट्रीटमेंट: गर्भावस्था के 16वें से 37वें हफ्ते तक महिला के शरीर में प्रोजेस्ट्रोन नाम का हॉर्मोन दिया जाता है। यह हॉर्मोन गर्भावस्था के दौरान महिला के शरीर में बनता है। शोध से पता चला है कि शरीर में प्रोजेस्ट्रोन की मात्रा बढ़ने से यह प्रीमैच्योर डिलीवरी को 33 प्रतिशत तक कम कर सकता है।
  2. सर्वाइकल सेरेक्लेज: यह ट्रीटमेंट उन महिलाओं को दिया जाता है, जिनका सर्विक्स (गर्भाशय ग्रीवा) कमजोर होने लगता है। इस अवस्था में गर्भाशय भ्रूण का वजन नहीं संभाल पाता और सर्विक्स जल्दी खुल जाता है। ऐसा होने पर गर्भपात या फिर समय से पहले प्रसव का खतरा बढ़ जाता है। इस ट्रीटमेंट में सर्विक्स के आसपास एक टांका लगाया जाता है, जिसे गर्भावस्था के 37वें हफ्ते आसपास खोल दिया जाता है।
  3. एंटीबायोटिक: जैसा कि हम बता चुके हैं कि समय से पहले प्रसव किसी संक्रमण की वजह से भी हो सकता है। ऐसे में डॉक्टर आपको एंटीबायोटिक लेने की सलाह दे सकते हैं।
  4. स्टेरॉयड: प्रीमैच्योर डिलीवरी के इलाज के लिए स्टेरॉयड लेने की भी सलाह दी जाती है। गर्भावस्था के 24वें से 34वें हफ्तों के बीच स्टेरॉयड जैसे बीटामेथासोन (betamethasone) दी जाती है, जो प्रीटर्म बर्थ के खतरे को कम कर सकती है। स्टेरॉयड को 37वें हफ्ते तक भी ले सकते हैं, लेकिन इसका निर्णय आपके डॉक्टर ही लेंगे।
  5. टोकोलाइसिस: यह एक प्रकार की दवा होती है, जो प्रीमैच्योर डिलीवरी के खतरे से पीड़ित महिलाओं को दी जाती है। माना जाता है कि यह प्रीमैच्योर डिलीवरी को कुछ समय के लिए रोक सकती है। टोकोलाइसिस के उपयोग पर शोध उपलब्ध हैं, लेकिन यह कितनी असरदार है, इस बारे में अभी अधिक रिसर्च नहीं हुई है।

नोट: ऊपर बताई गई कोई भी दवा डॉक्टर से परामर्श किए बिना न लें।

लेख के अगले भाग में जानिए कि किस प्रकार प्रीटर्म डिलीवरी के खतरे को कम किया जा सकता है।

प्रीमैच्योर डिलीवरी होने से कैसे बच सकते हैं? | Premature Delivery Se Bachne Ke Upay

प्रीमैच्योर डिलीवरी के खतरे से बचने के लिए, उसके कारणों से बचना जरूरी है। सिर्फ गर्भावस्था के दौरान ही नहीं, बल्कि गर्भवती होने से पहले भी महिला को नीचे बताई गई बातों का ध्यान रखना जरूरी है (3):

  • किशोरावस्था में गर्भवती होने से बचें।
  • गर्भावस्था से पहले और गर्भावस्था के दौरान वजन का ध्यान रखें।
  • संतुलित आहार लें और नियमित रूप से व्यायाम करें।
  • अगर आपको आहार से पूरा पोषण न मिल पा रहा हो, तो आप पोषक तत्वों के सप्लीमेंट्स भी ले सकती हैं।
  • उच्च रक्तचाप और मधुमेह से बचें।
  • यौन संक्रमण से बचें।
  • शराब और धूम्रपान का सेवन न करें।
  • योजना के साथ गर्भवती होने का निर्णय लें।
  • अपनी दो गर्भावस्थाओं के बीच कम से कम दो साल का अंतर रखें।
  • स्वयं को मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ रखें।

डॉक्टर कब प्रीमैच्योर डिलीवरी कराने की सलाह देते हैं?

गर्भावस्था में कुछ समस्याएं इतनी बढ़ जाती है, जिससे मां और होने वाले शिशु की जान जोखिम में पड़ जाती है। ऐसे में डॉक्टर प्रीमैच्योर डिलीवरी करने का निर्णय ले सकते हैं। ये अवस्थाएं कुछ इस तरह की हो सकती हैं (3):

  • प्री-एक्लेम्पसिया (गर्भावस्था के दौरान उच्च रक्तचाप) (7)
  • संक्रमण (8)
  • भ्रूण में किसी प्रकार का जन्म दोष (9)
  • गर्भवती को उच्च मधुमेह (10)
  • गर्भावस्था में खून की कमी (11)
  • गर्भवती का शारीरिक रूप से कमजोर होना (12)

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

अगर समय से पहले डिलीवरी का दर्द शुरू हो जाए तो क्या करें?

अगर आपको समय से पहले डिलीवरी का दर्द शुरू हो जाए, तो तुरंत अपने चिकित्सक से संपर्क करें। अगर दर्द की वजह से आप ऐसा करने में असमर्थ हों, तो अपने साथी या परिजनों को डॉक्टर से बात करने के लिए कहें।

क्या अगली प्रेगनेंसी में भी मुझे प्रीमैच्योर डिलीवरी होने का खतरा है?

जी हां, अगर आपको अपनी पहली गर्भावस्था में समय से पहले प्रसव हुआ था, तो अगली गर्भावस्था में भी ऐसा होने की आशंका बढ़ सकती है। ऊपर लेख में हम स्पष्ट कर चुके हैं कि यह प्रीमैच्योर डिलीवरी के आम कारणों में से एक है (3)

ध्यान रखें कि प्रीमैच्योर डिलीवरी न सिर्फ आपके लिए, बल्कि होने वाले शिशु के लिए भी खतरनाक हो सकती है। इसे टालने का सबसे आसान तरीका है कि आप गर्भवती होने के पहले से ही अपना ध्यान रखना शुरू कर दें। ऐसी चीजों से दूर रहें, जो प्रीटर्म डिलीवरी का खतरा बढ़ा सकती हैं। साथ ही अपनी हर शारीरिक और मानसिक अवस्था के बारे में अपने चिकित्सक को बताएं। गर्भावस्था आपके जीवन के सबसे सुखद अनुभवों में से एक है। किसी भी बात की चिंता या स्ट्रेस न लें और इसके हर क्षण का आनंद उठाएं। हम उम्मीद करते हैं कि इस लेख के द्वारा आपको समय से पहले प्रसव से जुड़ी हर जानकारी मिल गई होगी।

References

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1. Preterm birth by World Health Organization
2. Why Is 40 Weeks So Important by Department of Health, New York State
3. Preterm birth by National Health Portal
4. Impact of preterm birth on maternal well-being and women’s perceptions of their baby: a population-based survey by NCBI
5. What treatments are used to prevent preterm labor and birth by US Department of Health and Human Services
6. The management of preterm labour by NCBI
7. High Blood Pressure During Pregnancy by CDC
8. Infection and preterm birth by NCBI
9. Adverse Birth Outcomes by America’s Children and the environment
10. Diabetes During Pregnancy by CDC
11. The relationship between maternal anemia during pregnancy with preterm birth: a systematic review and meta-analysis by NCBI
12. Sleep duration, vital exhaustion, and odds of spontaneous preterm birth: a case–control study by NCBI

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