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किशोरावस्था में कील-मुंहासे होने के कारण, इलाज व घरेलू नुस्खे | Yuvavastha Me Pimple Kyu Hote Hai

बच्चों के बड़े होने के साथ ही उनमें कई तरह के परिवर्तन होने लगते हैं। इस परिवर्तन के कारण उन्हें छोटी-छोटी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है, जिनमें से एक मुंहासे होना भी है। किशोरावस्था में मुंहासों से परेशान हैं, तो मॉमजंक्शन इससे बचने के तरीके लेकर आया है। इस लेख में हमने किशोरावस्था में पिंपल होने के कारण, लक्षण और घरेलू इलाज बताए हैं। साथ ही इससे संबंधित ट्रीटमेंट और सावधानी के बारे में भी बताया गया है। आप इस लेख को अंत तक पढ़कर किशोरावस्था में मुंहासों से जुड़ी हर तरह की जानकारी हासिल कर सकते हैं।

सबसे पहले जानते हैं कि किशोरावस्था में कील-मुंहासे होना कितना आम है।

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क्या किशोरावस्था में कील-मुंहासे की समस्या आम है?

हां, टीनएज यानी किशोरावस्था में कील-मुंहासे होना काफी आम है (1)एनसीबीआई (नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफॉर्मेशन) की वेबसाइट पर प्रकाशित एक रिसर्च के अनुसार, 16 से 18 वर्ष की आयु के 90 प्रतिशत से अधिक किशोर मुंहासे की समस्या से प्रभावित होते हैं (2)

आइए, आगे जानते हैं कि कील-मुंहासे कितने प्रकार के होते हैं।

किशोरावस्था में कील-मुंहासे के प्रकार

चेहरे पर जितना अधिक तेल बनता है, उतना ही अधिक बैक्टीरिया बढ़ते हैं और मुंहासे होने लगते हैं। इन मुंहासों को कुछ इस प्रकार इनकी गंभीरता के आधार पर बांटा गया है (3) (4)

  • कॉमेडोनिका (Comedonica) – किशोरों को होने वाले मुंहासे में से एक प्रकार कॉमेडोनिका एक्ने है। इसे माइल्ड एक्ने यानी हल्के मुंहासे के नाम से भी जाना जाता है। इस श्रेणी में ब्लैकहेड्स व व्हाइटहेड्स आते हैं।
  • पुस्टुल्स एक्ने (Pustules Acne) – इसे मॉडरेट (मध्यम) मुंहासे कहा जाता है। इस मुंहासे की स्थिति में पिंपल हल्की सूजन दिखाई देती है और हल्का पस भी जम जाता है।
  • नोड्यूल्स एक्ने (Nodules Acne) – मुंहासे के इस प्रकार को काफी गंभीर माना जाता है। इस स्थिति में एक्ने में सूजन हो जाती है और उनमें पीले रंग का पस भर जाता है।

अब हम किशोरों में किन कारणों से कील-मुंहासे हो सकते हैं, इसकी जानकारी देने जा रहे हैं।

किशोरावस्था में कील-मुंहासे होने के कारण

मुंहासे बिना किसी कारण के नहीं होते हैं। ऐसे में किशोरावस्था में कील-मुंहासे होने के पीछे क्या कारण हैं, यह आगे जानिए। यहां हम मुंहासे पैदा करने वाले और उन्हें गंभीर बनाने वाले दोनों कारण के बारे में बता रहे हैं।

  • हार्मोनल परिवर्तन – टीनएज में मुंहासे होने का सबसे बड़ा कारण हार्मोनल बदलाव को माना जाता है। दरअसल, यौवन के समय शरीर में अधिक मात्रा में एंड्रोजन हार्मोन बनाने लगता है, जो मुंहासे उत्पन्न कर सकते हैं (3)
  • जेनेटिक (आनुवंशिकी) – मुंहासे होने का एक कारण जेनेटिक भी हो सकता है। यह समस्या परिवार की एक पीढ़ी या किसी सदस्य को होने के कारण अन्य लोगों को भी हो सकती है (5)
  • तनाव – तनाव के कारण भी मुंहासे की समस्या बढ़ सकती है। जी हां, अगर किसी को हल्के मुंहासे हैं, लेकिन वो अक्सर तनावग्रस्त रहता है, तो उसके मुंहासे बढ़ सकते हैं। तनाव मुंहासे की समस्या को गंभीर बना सकते हैं (6)
  • खाद्य पदार्थ- मुंहासों होने के पीछे खानपान की अहम भूमिका होती है। एक वैज्ञानिक अध्ययन के मुताबिक, दूध, मछली और अन्य फैट युक्त खाद्य पदार्थ पिंपल को बढ़ाने और गंभीर बनाने काम कर सकते हैं (7)
  • कॉस्मेटिक और दवाएं- चिपचिपे सौंदर्य प्रसाधन और कुछ दवाएं मुंहासों को गंभीर बना सकते हैं। किशोरावस्था में इन दोनों कारणों से भी मुंहासे उत्पन्न व गंभीर हो सकते हैं (1)

चलिए, अब जान लेते हैं कि किशोरावस्था में कील-मुंहासे होने पर क्या लक्षण नजर आते हैं।

किशोरावस्था में कील-मुंहासे होने के लक्षण

किसी भी समस्या के उत्पन्न होने से पहले उसके लक्षण दिखाई देने लग जाते हैं। इन लक्षणों को समझकर सही समय पर सावधानी बरतने से समस्या को गंभीर होने से रोका जा सकता है। इसी वजह से हम नीचे कुछ बिंदुओं के माध्यम से किशोरावस्था में मुंहासे के लक्षण की जानकारी दे रहे हैं (1):

  • स्किन बम्प्स यानी त्वचा पर उभार दिखाई देना
  • पेप्यूल्स (छोटे लाल दाने) होना
  • सफेद या पीले मवाद युक्त छोटा लाल उभार
  • त्वचा पर लाल निशान बनना
  • व्हाइटहेड्स (उभार जिसमें सफेद पस हो)
  • ब्लैकहेड्स (उभार जो ऊपर से काले दिखते हो)

आगे जानिए कि टीनएज में कील-मुंहासे होने से कैसे बचा जा सकता है।

किशोरावस्था में कील-मुंहासे होने से बचाव

किशोरावस्था की कुछ स्थितियों में मुंहासे होने से बचा जा सकता है। इसके लिए नीचे दी गई बातों को ध्यान में रखें (1) (7) (8)

  • मुंहासे की समस्या से बचने के लिए चेहरे को दिन में दो बार अच्छे से जरूर धोएं। इससे त्वचा के अतिरिक्त तेल और मृत कोशिकाओं को हटाने में सहायता मिल सकती है।
  • व्यायाम के बाद चेहरे पर पसीना अधिक आता है, जिसे साफ करने के लिए चेहरे को अच्छी तरह पानी से धोएं।
  • ध्यान दें कि बार-बार चेहरा धोने से उसे नुकसान भी पहुंच सकता है, इसलिए हानिकारक केमिकल युक्त प्रोडक्ट का इस्तेमाल करने से बचें। दो बार से ज्यादा चेहरा धोने का मन करे, तो सिर्फ पानी से चेहरा धोएं।
  • त्वचा को स्वस्थ रखने के लिए कुछ दिनों के अंतराल में स्किन एक्सफोलिएट करें। इससे त्वचा अच्छी तरह से साफ होगी और मुंहासे होने का जोखिम कम हो जाएगा।
  • चेहरे को बार-बार स्क्रबिंग करने या धोने से बचें। इससे त्वचा को नुकसान पहुंच सकता है।
  • दिन में ज्यादा से ज्यादा पानी पिएं। अधिक पानी पीने से शरीर के टॉक्सिन बाहर निकलते हैं।
  • ट्रांस फैट और अन्य तैलीय खाद्य पदार्थों का सेवन सीमित मात्रा में ही करें।
  • तनाव मुक्त रहने की कोशिश करें।
  • अपने बालों को पीछे की ओर रखें, ताकि बाल चेहरे पर न आएं।
  • चेहरे को बार-बार छूने से बचें और पिंपल हो गया है, तो उसे न छुएं और न ही निचोड़ें।
  • अगर किसी का स्कैल्प तैलीय है, तो हफ्ते में तीन दिन बालों को  शैम्पू से धोएं। स्कैल्प का ऑयल भी चेहरे पर आकर  स्किन को ऑयली बना सकता है, जिससे मुंहासे हो सकते हैं।

लेख के अगले हिस्से में किशोरों के कील-मुंहासे के इलाज से संबंधित जानकारी पढ़िए।

किशोरावस्था में कील-मुंहासे का ट्रीटमेंट

किशोरावस्था में मुंहासे की समस्या को ठीक करने के लिए कुछ ट्रीटमेंट का सहारा लिया जा सकता है। पिंपल ट्रीटमेंट में ये सब शामिल हो सकते हैं।

  • टॉपिकल – डॉक्टर त्वचा पर लगाने के लिए लोशन दे सकते हैं। कई दिनों तक लोशन लगाने के बाद भी मुंहासों में फर्क नजर न आने पर पुनः डॉक्टर को दिखाएं (9)
  • ओरल मेडिकेशन – मुंहासे की समस्या से राहत पाने के लिए ओरल मेडिकेशन का भी सहारा लिया जा सकता है। इस मेडिकेशन के दौरान डॉक्टर एंटीबायोटिक दवाई दे सकता है। इससे पिंपल्स से राहत मिल सकती है (1)
  • थेरेपी – थेरेपी द्वारा मुंहासों का उपचार किया जा सकता है। इस संबंध में प्रकाशित एक वैज्ञानिक अध्ययन के मुताबिक, लाइट थेरेपी से मुंहासों के बैक्टीरिया को नष्ट किया जा सकता है। बैक्टीरिया के खत्म होने पर मुंहासे कम हो सकते हैं (10)
  • होम्योपैथी (Homeopathy) – मुंहासों के लिए होम्योपैथिक इलाज की मदद लेना भी एक अच्छा उपाय साबित हो सकता है। विशेषज्ञ के निर्देशानुसार, इस उपचार को करने से मुंहासों से छुटकारा मिल सकता है (11)

अब हम कील-मुंहासे के लिए असरदार घरेलू उपचार बताने जा रहे हैं।

किशोरावस्था में कील-मुंहासे का घरेलू उपचार

कील-मुंहासे के इलाज के लिए लोग अक्सर घरेलू तरीका ढूंढते हैं। घरेलू तरीके त्वचा के लिए सुरक्षित हो सकते हैं, क्योंकि इनमें किसी प्रकार का केमिकल नहीं होता है। बस तो आगे पढ़िए किशोरावस्था में मुंहासे के लिए घरेलू उपचार। 

  • एलोवेरा जेल 

टीनएज के दौरान पिंपल्स की समस्या से छुटकारा दिलाने में एलोवेरा जेल अहम भूमिका निभा सकता है। एनसीबीआई की वेबसाइट पर पब्लिश एक वैज्ञानिक अध्ययन की मानें, तो एलोवेरा जेल में एंटी-एक्ने प्रभाव होता है, जो मुंहासे की समस्या से राहत दिलाने का काम कर सकता है (12)। इसके लिए ताजा एलोवेरा जेल को सीधे मुंहासों से प्रभावित त्वचा पर लगा सकते हैं।

  • टी ट्री ऑयल

मुंहासों के घरेलू उपचार की सूची में टी ट्री ऑयल का भी नाम शामिल है। इस संबंध में प्रकाशित एक वैज्ञानिक शोध में दिया हुआ है कि टी ट्री ऑयल युक्त जेल में एंटीमाइक्रोबियल और एंटी-इंफ्लेमेटरी प्रभाव होते हैं। इनके कारण माइल्ड से मॉडरेट मुंहासे की समस्या कुछ कम हो सकती है (13)। ऐसे में मुंहासों के लिए टी ट्री ऑयल को प्रभावी कहा जा सकता है। 

  • दालचीनी और शहद

दालचीनी और शहद का उपयोग करके मुंहासों को दूर किया जा सकता है। एनसीबीआई की वेबसाइट पर प्रकाशित वैज्ञानिक रिसर्च के अनुसार, दालचीनी और शहद दोनों में एंटीबैक्टीरियल प्रभाव होते हैं। इसी वजह से इनका मिश्रण मुंहासे के कारण बनाने वाले बैक्टीरिया को खत्म करने में मदद कर सकता है।  यही कारण है कि इन दोनों के मिश्रण को एंटी एक्ने उत्पाद बनाने में भी इस्तेमाल किया जाता है (14)

  • लहसुन का उपयोग 

लहसुन में कई औषधीय गुण होते हैं, जिनके  कारण इसका उपयोग कई समस्याओं से बचने के लिए किया जाता है। इन्हीं समस्याओं में से एक मुंहासे भी है। जी हां, लहसुन मुंहासों से राहत दिलाने का काम कर सकता है। इससे जुड़ी एक अध्ययन की मानें, तो लहसुन में मौजूद एंटी-माइक्रोबियल, एंटी इंफ्लेमेटरी और एंटी-ऑक्सीडेंट गतिविधियों के कारण यह मुंहासों से राहत दिला सकता है (15)

  • फिश ऑयल

मुंहासे के उपचार के लिए फिश ऑयल का भी उपयोग किया जा सकता है। एक वैज्ञानिक अध्ययन से पता चलता है कि मछली के तेल में एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट प्रभाव होते हैं। ये दोनों प्रभाव मुंहासे की गंभीरता को कम करने में सहायक हो सकते हैं। इससे मुंहासों को जल्दी ठीक करने में मदद मिल सकती है (16)

चलिए, अब जानते हैं कि किशोरावस्था में कील-मुंहासे होने पर ध्यान रखने वाली जरूरी बातें।

किशोरावस्था में कील-मुंहासे होने पर किन बातों का ध्यान रखें

कील-मुंहासे की समस्या होने पर कुछ बातों को ध्यान में रखना जरूरी होता है। इससे मुंहासे की समस्या को बढ़ने से रोकने में मदद मिल सकती है। क्या हैं ये बातें आगे जानिए (17)

  • मुंहासे से प्रभावित हिस्से को छूने से बचें। इससे मुंहासों को गंभीर होने से रोका जा सकता है।
  • पिम्पल को दबाने और निचोड़ने से बचना चाहिए।
  • मुंहासों पर क्रीम न लगाएं।
  • चेहरे को धोने के बाद मुंहासे वाले भाग को मुलायम कपड़े से थप-थपाकर पोंछें।
  • मुंहासे वाले हिस्से को किसी भी स्थिति में कपड़े से न रगड़ें।

इस लेख में आगे जानिए कि मुंहासे के लिए डॉक्टर से कब संपर्क करना चाहिए।

डॉक्टर से कब परामर्श करें?

अब आगे जानिए कि मुंहासे की समस्या होने पर डॉक्टर से संपर्क कब करना चाहिए (1)

  • बेहतर देखभाल और मुंहासों के लिए निर्धारित ओवर-द-काउंटर दवाई को लेने के महीने बीत जाने पर भी पिंपल्स से राहत न मिलने पर।
  • मुंहासे की समस्या गंभीर होने पर, जिसके कारण पिंपल्स के आसपास लाल निशान दिखाई देने लगते हैं।
  • मुंहासे के खत्म होने के बाद उसके निशान नजर आ रहे हैं, विशेषज्ञ की सलाह लें।
  • अगर मुंहासे के कारण तनाव पैदा होता है, तो डॉक्टर से मदद लें।

किशोरावस्था में मुंहासे होना आम है। ऐसे में मुंहासे को लेकर ज्यादा सोचने और परेशान होने की आवश्यकता नहीं है, अन्यथा यह गंभीर हो सकते हैं। इस दौरान लेख में बताई गई ध्यान देने वाली बातों और टिप्स पर गौर करके इन्हें गंभीर होने से रोका जा सकता है। साथ ही मुंहासों से राहत पाने के लिए ऊपर बताए गए घरेलू इलाज को भी अपना सकते हैं। इससे मुंहासों को बढ़ने से रूका जा सकता है और इनकी स्थिति में कुछ सुधार हो सकता है।

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