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शुक्राणु की कमी (Low Sperm Count) : लक्षण, निदान और इलाज | Sperm Motility In Hindi

‘स्पर्म काउंट’, इस विषय के बारे में हर कोई बात करने से हिचकता है। भारत जैसे देश में आज भी गर्भधारण न कर पाने की वजह का मुख्य कारण महिलाओं में कमी को माना जाता है, जबकि यह सही नहीं है। पुरुष में स्पर्म काउंट की कमी के कारण भी महिला को गर्भधारण करने में परेशानी हो सकती है। यही कारण है कि इस बारे में जागरूकता और खुलकर बात करने की जरूरत है। इसी को ध्यान में रखते हुए हम मॉमजंक्शन के इस लेख में बताएंगे कि गर्भधारण करने के लिए स्पर्म काउंट कितना जरूरी है। साथ ही इसके उपचार व बचाव की जानकारी भी देंगे।

लेख की शुरुआत शुक्राणु में कमी की बेसिक जानकारी से करते हैं।

In This Article

शुक्राणु की कमी का क्या मतलब है?| Sperm Motility In Hindi

किसी भी पुरुष के प्रति मिलीलीटर वीर्य में 1.5 करोड़ से कम स्पर्म काउंट को शुक्राणु की कमी कहा जाता है। आसान भाषा में समझें, तो यह समस्या यौन संबंध के दौरान पुरुष के वीर्य में शुक्राणु की मात्रा कम होने से संबंधित है। वैज्ञानिक भाषा में इस स्थिति को ओलिगोस्पर्मिया (oligospermia) कहा जाता है (1)। वहीं, वीर्य में शुक्राणुओं का खत्म हो जाना एजोस्पर्मिया (azoospermia) कहलाता है (2)एनसीबीआई (नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नॉलोजी इंफॉर्मेशन) की वेबसाइट पर प्रकाशित एक शोध में यह बात सामने आई है कि दुनिया भर में कम से कम 30 मिलियन (3 करोड़) पुरुष बांझपन के शिकार हैं (3) इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि यह कितना गंभीर विषय है।

आगे जानते हैं कि गर्भधारण करने के लिए स्पर्म काउंट कितना होना आवश्यक है।

गर्भधारण करने के लिए स्पर्म काउंट कितना होना चाहिए?| Normal Sperm Count For Pregnancy

अगर बात करें गर्भधारण के लिए स्पर्म काउंट की, तो पुरुष के प्रति मिलीलीटर वीर्य में 15-40 मिलियन (1.5-4 करोड़) स्पर्म काउंट होने चाहिए, तभी महिला के गर्भवती होने की संभावना होती है (4)। देखा जाए तो प्रति एमएल सीमेन में 20 मिलियन (दो करोड़) से अधिक स्पर्म काउंट स्वस्थ स्पर्म काउंट हो सकता है।

लेख के अगले भाग में जानते हैं कि लो स्पर्म काउंट से महिला गर्भवती हो सकती है या नहीं।

क्या कम शुक्राणुओं की संख्या के साथ गर्भावस्था संभव है?| Getting Pregnant With Low Sperm Count

कम शुक्राणु की संख्या या असामान्य शुक्राणु का आकार या गति के कारण महिला के लिए गर्भधारण करना मुश्किल हो सकता है, लेकिन असंभव नहीं। हां, अगर शुक्राणु की संख्या शून्य हो जाती है, तो गर्भवती होना असंभव हो जाता है। आपको जानकर हैरानी होगी कि पुरुष बांझपन के कारण लगभग एक-तिहाई कपल्स को संतान सुख नहीं मिल पाता है (4) (5)। आज विज्ञान ने इतनी तरक्की कर ली है कि कम शुक्राणुओं की समस्या के बाद भी महिला गर्भधारण कर सकती है। लेख में आगे हम इस बारे में विस्तार से बताने की कोशिश करेंगे।

आइए, अब लो स्पर्म काउंट के लक्षण जान लेते हैं।

शुक्राणु कम होने के लक्षण

नीचे जानिए लो स्पर्म काउंट के लक्षण क्या हो सकते हैं :

  • इरेक्टाइल डिस्फंक्शन (Erectile dysfunction) यानी नपुंसकता भी एक लक्षण हो सकती है (8) हालांकि, यदि हार्मोनल गड़बडी भी है, तो भी यह समस्या हो सकती है। इस टर्म को उन पुरुषों के लिए इस्तेमाल किया जाता है, जिनका यौन संबंध बनाते समय इरेक्शन या तो होता नहीं है या फिर कुछ देर के लिए रहता है।
  • कामेच्छा में कमी होना भी एक लक्षण हो सकता है।

अब बारी आती है लो स्पर्म काउंट के कारणों को जानने की। लेख के अगले भाग में इसी बारे में बताया गया है।

शुक्राणु कम होने के कारण

नीचे जानिए शुक्राणु कम होने के क्या-क्या कारण हो सकते हैं।

  • धूम्रपान करना (9)
  • तंत्रिका तंत्र से जुड़ी कोई समस्या जैसे मल्टिपल स्केलेरोसिस (Multiple Sclerosis) (10)
  • हार्मोनल बदलाव के कारण (11)
  • किसी अज्ञात बीमारी के कारण (11)
  • ज्यादा तंग कपड़े पहनना (11)
  • ज्यादा गर्मी के संपर्क में आना (11)
  • जीवनशैली में बदलाव (12)
  • अधिक शराब का सेवन करना (12)
  • चिंता या तनाव (13)
  • किसी तरह की नशीली दवाइयों का सेवन करना (13)
  • बढ़ता वजन भी एक कारण हो सकता है, लेकिन इस संबंध में मिली-जुली प्रतिक्रिया है (13)
  • सोने में समस्या (13)
  • वेरीकोसील (varicocele) यानी अंडकोष (टेस्टिकल) की नसों में सूजन आने से (1) (14)
  • पोषक तत्वों की कमी भी इसका एक कारण हो सकता है (15)

अब बारी आती है इसके बचाव के बारे में जानने की।

शुक्राणु की कमी से बचाव

नीचे पढ़ें शुक्राणु की कमी की समस्या से बचाव कैसे किया जा सकता है।

  • इससे बचाव के लिए सबसे जरूरी है अपने जीवनशैली में बदलाव करना। धूम्रपान, शराब जैसे चीजों का सेवन बंद करें (13)
  • डाइट में बदलाव करना जरूरी है। पौष्टिक तत्व युक्त डाइट जो स्पर्म क्वालिटी को बढ़ाने में सहायक होते हैं जैसे – जिंक व एंटीऑक्सीडेंट युक्त डाइट को शामिल करें (13) (15) (16)
  • जैसे कि ऊपर बताया है कि स्ट्रेस भी शुक्राणु में कमी का जोखिम कारक है। इसलिए, तनाव को कम करने के लिए किसी थेरेपी या मेडिटेशन का सहारा लिया जा सकता है।

आइए, अब जानते हैं कि इस समस्या का पता कैसे लगाया जा सकता है।

शुक्राणु की कमी का निदान

लो स्पर्म काउंट की जांच निम्न प्रकार से की जाती है (5) (17)

  1. डॉक्टर की पूछताछ – शुरुआत में डॉक्टर कुछ सवाल पूछ सकते हैं। खासतौर से मेडिकल हिस्ट्री से जुड़े जैसे- पहले कोई बीमारी, किसी तरह की दवाइयों का सेवन, किसी तरह की सर्जरी या चोट जो इस तरह की समस्या का कारण बन सकती है।
  1. सीमेन एनलाइसिस – इसके बाद डॉक्टर सीमेन एनलाइसिस टेस्ट की सलाह दे सकते हैं। इसे स्पर्म काउंट भी कहा जाता है। यह पुरुष के वीर्य और शुक्राणु की मात्रा व गुणवत्ता को मापा जाने वाला टेस्ट है। इसमें पुरुष के सीमेन सैंपल की जांच की जाती है। इसमें नीचे बताई गई बातों का ध्यान दिया जाता है :
  • मात्रा (वॉल्यूम): वीर्य की मात्रा
  • शुक्राणु की संख्या: प्रति मिलीलीटर शुक्राणु की संख्या।
  • स्पर्म मूवमेंट: इसे गतिशीलता के रूप में भी जाना जाता है।
  • शुक्राणु की आकृति: इसे आकार के रूप में भी जाना जाता है।
  • शुक्राणु में मौजूद सफेद रक्त कोशिकाएं: शोध में यह बात सामने आई है कि सफेद रक्त कोशिकाएं भी शुक्राणओं के कार्य पर प्रभाव डाल सकती हैं (18) ऐसे में शुक्राणुओं में सफेद रक्त कोशिकाओं का ज्यादा होना संक्रमण का संकेत हो सकता है।

टेस्ट का रिजल्ट निम्न प्रकार से हो सकता है:

सामान्य परिणाम:

  • वीर्य की सामान्य मात्रा (वॉल्यूम) 1.5 से 5.0 एमएल प्रति इजेकुलेशन हो सकती है।
  • शुक्राणु की संख्या 2 करोड़ से 15 करोड़ (20 से 150 मिलियन) शुक्राणु प्रति मिलीलीटर या उससे भिन्न हो सकती है।
  • कम से कम 60% शुक्राणुओं का आकार सामान्य होना चाहिए।

नोट: लैब और परीक्षण के तरीके के अनुसार सामान्य आंकड़ों के परिणाम में थोड़ा उतार-चढ़ाव या बदलाव हो सकते हैं। इस बारे में अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर से सलाह जरूर लेनी चाहिए।

असामान्य परिणाम: असामान्य परिणाम पुरुष बांझपन की समस्या की ओर इशारा कर सकते हैं। उदाहरण के लिए, अगर शुक्राणु की संख्या बहुत कम या बहुत अधिक है, तो पुरुष बांझपन का संकेत हो सकता है। वीर्य की एसिडिटी और वीर्य में मौजूद व्हाइट ब्लड सेल्स पुरुष की फर्टिलिटी को प्रभावित कर सकते हैं, क्योंकि हो सकता है कि वीर्य में इंफेक्शन हो। परीक्षण से शुक्राणु के असामान्य आकार या असामान्य मूवमेंट के बारे में भी जांच से पता लग सकता है।

  1. ब्लड टेस्ट – हार्मोन स्तर की जांच के लिए ब्लड टेस्ट कराने की सलाह दी जा सकती है।
  1. टेस्टिकुलर बायोप्सी – अंडकोष से टिश्यू का एक टुकड़ा निकालने के लिए टेस्टिकल बायोप्सी सर्जरी की जाती है। इसमें एक माइक्रोस्कोप से टिश्यू की जांच की जाती है। यह तब किया जाता है, जब सीमेन एनालिसिस से एब्नॉर्मल स्पर्म के संकेत मिलते हैं और अन्य परीक्षणों से कोई कारण नहीं पता चल पाता है (19) (20)
  1. अल्ट्रासाउंड स्कैन – प्रजनन अंगों की तस्वीरें लेने के लिए, जैसे कि प्रोस्टेट ग्रंथि।

अब जान लेते हैं, शुक्राणु की कमी से क्या जटिलताएं हो सकती है।

शुक्राणु की कमी से होने वाली जटिलताएं

अगर बात करें शुक्राणु की कमी से होने वाली जटिलताओं की, तो इस बारे में वैज्ञानिक प्रमाण की कमी है। हालांकि, अनुमान के तौर पर कह सकते हैं कि यह शारीरिक, मानसिक और आर्थिक हर तरीके से कपल को प्रभावित कर सकता है।

  1. शारीरिक समस्या – कम शुक्राणुओं की संख्या वाले लोगों में उच्च रक्तचाप, अधिक बॉडी फैट, हानिकारक कोलेस्ट्रॉल की उच्च मात्रा होने का जोखिम हो सकता है। इसके अलावा, कम शुक्राणु वाले पुरुषों में मेटाबॉलिक सिंड्रोम का स्तर भी उच्च हो सकता है। यह ऐसी स्थिति है, जिसमें शरीर में कई प्रकार के रोग जैसे -हृदय रोग, स्ट्रोक व मधुमेह के जोखिम कारक बढ़ जाते हैं।
  1. मानसिक समस्या – पार्टनर का गर्भवती न होना और बच्चे की चाह किसी भी कपल को चिंता या अवसाद में डाल सकती है। मानसिक तनाव के चलते पति-पत्नी में अनबन भी शुरू हो सकती है।
  1. आर्थिक जटिलता – पति-पत्नी को कई तरह की शारीरिक जांच करवानी पड़ती हैं। वहीं, कुछ मामलों में आईवीएफ (IVF-इन विट्रो फर्टिलाइजेशन) की जरूरत भी हो सकती है। हालांकि, यह तकनीक सहायक तो हो सकती है, लेकिन कुछ लोगों के लिए काफी महंगी साबित हो सकती है।

लेख में आगे इस समस्या से संबंधित इलाज के बारे में बताया गया है।

शुक्राणु की कमी का इलाज

इस समस्या का इलाज मरीज की विभिन्न प्रकार की जांच रिपोर्ट व उसकी स्वास्थ्य स्थिति पर निर्भर करता है। फिलहाल, हम यहां इसके इलाज की सामान्य प्रक्रिया बता रहे हैं (2)

  1. काउंसिलिंग- कुछ मामलों में दवाइयों के साथ-साथ काउंसिलिंग का भी सुझाव दिया जा सकता है। इस दौरान मरीज के यौन संबंध के मुद्दे व इरेक्शन सहित अन्य विषयों के बारे में भी सलाह-परामर्श की प्रक्रिया चलती है। कई बार काउंसलिंग सेशन बिना दवाइयों के हो सकता है।
  1. हार्मोन थेरेपी – मस्तिष्क में पिट्यूटरी ग्रंथि गोनाडोट्रोपिन नामक हार्मोन जारी करती है, जो शुक्राणु पैदा करने के लिए अंडकोष को उत्तेजित करती है। इसलिए, गोनाडोट्रोपिन का अपर्याप्त स्तर भी इसका एक कारण हो सकता है। ऐसे मरीज को डॉक्टर गोनाडोट्रोपिन हार्मोन को दवा के रूप में दे सकते हैं। इससे शुक्राणु उत्पादन को बढ़ावा मिल सकता है।
  1. सर्जरी – कुछ मामलों में जैसे अंडकोष (टेस्टिकल) की नसों का बढ़ना या उसमें सूजन आने की स्थिति में सर्जरी एक विकल्प हो सकता है। यह छोटी-सी सर्जरी हो सकती है।
  1. आर्टिफीशियल इनसेमिनेशन – इसमें सीमेन को कलेक्ट, वॉश और इक्कट्ठा करने के बाद पार्टनर के गर्भाशय में डाला जाता है। इस विकल्प को निम्न परिस्थितियों में चुना जा सकता है :
  • पुरुष के वीर्य में स्पर्म काउंट बहुत कम हो।
  • अगर व्यक्ति के वीर्य में एंटीबॉडी हो, जो शुक्राणु के खिलाफ काम करने लगे।
  • अगर महिला का सर्विकल म्यूकस (गर्भाशय ग्रीवा से निकलने वाला तरल पदार्थ) असामान्य हो।
  1. आईवीएफ- आईवीएफ यानी इन विट्रो फर्टिलाइजेशन वह प्रक्रिया है, जिसमें पुरुष के स्पर्म और महिला के एग को मिलाया जाता है। यह प्रक्रिया लैब में की जाती है। डॉक्टर इसी तरह की कुछ अन्य प्रक्रियाओं जैसे – इंट्रा सायटोप्लास्मिक स्पर्म इंजेक्शन (ICSI- Intra-cytoplasmic sperm injection) और इंट्रायूटेरिन इनसेमिनेशन (IUI-Intrauterine Insemination) का सुझाव दे सकते हैं।
  1. जीवनशैली में बदलाव – इनफर्टिलिटी का एक कारण बिगड़ी हुई जीवनशैली भी है (010)। ऐसे में डॉक्टर लाइफस्टाइल को बदलने के सुझाव भी दे सकते हैं। यहां लाइफस्टाइल बदलाव का मतलब सिर्फ खान-पान में बदलाव नहीं है, बल्कि शारीरिक संबंध बनाने के तरीके में भी बदलाव का सुझाव शामिल है। इसमें अधिक बार यौन संबंध बनाना और ओव्यूलेशन के समय के दौरान शारीरिक संबंध बनाने का सुझाव दिया जा सकता है। उदाहरण के लिए ओव्यूलेशन के पहले, दौरान और बाद में, कुछ दिनों के भीतर हर दिन या हर दूसरे दिन यौन संबंध बनाने से यह सुनिश्चित करने में मदद मिल सकेगी कि सही वक्त पर शुक्राणु एग तक पहुंचते है या नहीं। इसके अलावा, शारीरिक संबंध बनाने के दौरान ल्युब्रिकेंट (एक प्रकार का तरल या चिकना पदार्थ) का कम से कम या न करना भी इसमें शामिल है।

अब बात करते हैं शुक्राणु बढ़ाने की दवा के बारे में।

शुक्राणु बढ़ाने की दवा | Shukranu Badhane Ki Tablet | Sperm Badhane Ki Ayurvedic Medicine

दवाइयां – अगर प्रजनन मार्ग किसी तरह का संक्रमण हो, तो ऐसे में इसका इलाज दवाओं के साथ किया जा सकता है। हालांकि, कभी-कभी संक्रमण का सही तरीके से इलाज किया भी जाए, लेकिन अगर टिश्यू को किसी प्रकार की क्षति हुई है, तो भी शुक्रणओं की गिनती पहले जैसी सामान्य नहीं हो सकती है। ऐसे में संक्रमण का तुरंत इलाज करना जरूरी है।

अगर बात करें शुक्राणु बढ़ाने की दवा के बारे में, तो इस बारे में डॉक्टर मरीज की स्थिति के अनुसार सटीक जानकारी दे सकते हैं। बिना डॉक्टरी परामर्श के दवाइयों का सेवन हानिकारक हो सकता है। हां, खान-पान में बदलाव और शुरुआत में घरेलू उपाय के तौर पर शुक्राणु बढ़ाने के लिए कुछ विशेष पौष्टिक तत्व युक्त आहार का चुनाव कर सकते हैं। जैसा कि हमने ऊपर जानकारी दी है कि पौष्टिक तत्व में कमी भी इसका एक कारण हो सकता है, तो इसी को ध्यान में रखते हुए हम शुक्राणु बढ़ाने के आहार की जानकारी भी दे रहे हैं।

अब जानते हैं ऐसे आहार, जिनके सेवन से स्पर्म काउंट में सुधार हो सकता है।

शुक्राणु बढ़ाने वाले आहार | Foods To Increase Sperm Count

नीचे पढ़ें शुक्राणु बढ़ाने वाले आहारों के बारे में।

  1. टमाटर – डाइट में टमाटर शामिल कर सकते हैं। एनसीबीआई की वेबसाइट पर प्रकाशित एक शोध में टमाटर के जूस को इनफर्टिलिटी के दौरान लाभकारी पाया गया है (21)। इसके अलावा, टमाटर में मौजूद विटामिन-सी भी इसके लिए लाभकारी हो सकता है (15)
  1. अनार – अनार या अनार के जूस का सेवन भी किया जा सकता है। अध्ययन बताते हैं कि अनार का जूस टेस्टोस्टेरोन के स्तर और शुक्राणु की गुणवत्ता में सुधार कर सकता है और यौन रुचि को बढ़ा सकता है। चूहों पर किए गए एक अध्ययन से पता चला है कि लगभग आठ सप्ताह तक रोज अनार के रस के सेवन से स्पर्म कोशिकाओं में सुधार हो सकता है (22) (23)
  1. जिंक फूड – जिंक युक्त आहार भी स्पर्म काउंट में सुधार करने में सहायक हो सकता है। जिंक के लिए फलिया, नट्स व सीफूड जैसे आहारों का सेवन किया जा सकता है (16)
  1. कद्दू के बीज का तेल – इसमें विटामिन ए व टैनिन जैसे जरूरी एंटीऑक्सीडेंट होते हैं, जो स्पर्म काउंट को बढ़ाने में सहायक हो सकते हैं (24)। इसका सेवन सलाद व पास्ता के साथ किया जा सकता है। इसके अलावा, विशेषज्ञ की सलाह के अनुसार कद्दू बीज के तेल का टैबलेट भी ले सकते हैं। इतना ही नहीं कद्दू के बीज के तेल के अलावा, कद्दू बीज का सेवन भी कर सकते हैं।
  1. कौंच बीज – चाहें तो कौंच बीज या कौंच बीज पाउडर का सेवन भी किया जा सकता है। इस विषय में इनफर्टाइल पुरुषों पर किए गए शोध में कौंच बीज के सेवन से उनके स्पर्म काउंट में सुधार पाया गया है (25) (26) (27)। ऐसे में इसे स्पर्म काउंट के लिए गुणकारी माना जा सकता है।
  1. कलौंजी का तेल – एक चौथाई चम्मच कलौंजी का तेल दूध के साथ सेवन किया जा सकता है। दरअसल, एनसीबीआई की वेबसाइट पर प्रकाशित एक शोध के अनुसार, इंफर्टिलिटी में कलौंजी का तेल हर्बल दवा की तरह काम कर सकता है। दो महीने तक प्रतिदिन 5 एमएल कलौंजी के तेल के सेवन से इन्फर्टाइल पुरुषों के सीमेन क्वालिटी में सुधार हो सकता है (28) ऐसे में इसका सेवन लाभकारी हो सकता है।

अब सवाल यह उठा है कि कब डॉक्टर से परामर्श लिया जाए।

डॉक्टर के पास कब जाएं

इस सवाल कि अगर बात करें, तो कपल को कई मामलों में डॉक्टर के पास जाने कि जरूरत हो सकती है। जिनके बारे में हम नीचे जानकारी दे रहे हैं :

  • अगर शारीरिक संबंध बनाने के पुरुष में इरेक्शन नहीं होता है।
  • अगर यौन संबंध बनाने के दौरान इजेकुलेशन जल्दी हो रहा हो।
  • अगर कोई कपल लंबे समय से गर्भधारण के लिए प्रयास कर रहा हो, लेकिन सकारात्मक परिणाम न मिलें, तो डॉक्टरी परामर्श लेना आवश्यक है।
  • अगर कोई व्यक्ति पहले से ही डॉक्टरी सलाह ले रहा हो और अगर इस दौरान कभी कोई असुविधा महसूस हो।

समय तेजी से बदल रहा है। अब इस पुरानी विचारधारा से बाहर निकलने की जरूरत है कि बांझपन की समस्या सिर्फ महिलाओं को होती है। कुछ मामलों में पुरुषों के साथ भी ऐसा हो सकता है। इसलिए, कम स्पर्म काउंट पर खुलकर बात करने की जरूरत है। हमारा इस लेख के जरिए यही उद्देश्य है कि इस गंभीर विषय पर वक्त रहते ध्यान दिया जाए और डॉक्टर से उचित इलाज करवाया जाए। ऐसी ही अन्य महत्वपूर्ण जानकारी के लिए पढ़ते रहें मॉमजंक्शन।

References

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4. Sperm counts and fertility in men: a rocky road ahead- Science & Society Series on Sex and Science By NCBI
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6. Male Infertility ; Evidences, Risk Factors, Causes, Diagnosis and Management in
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7. Trends of male factor infertility, an important cause of infertility: A review of literature By NCBI
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11. Oligospermia By Science Direct
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25. Mucuna pruriens improves male fertility by its action on the hypothalamus-pituitary-gonadal axis By NCBI
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