संस्कृत से संस्कृति और हिंदी से हिंदुस्तान की पहचान है, ऐसा अक्सर कवि कहते हैं। बात भी सही है, हिंदुस्तान में सबसे ज्यादा बोली जाने वाली कोई भाषा है, तो वो हिंदी ही है। इसी वजह से इसे राजभाषा कहा जाता है। अब अगर इस राजभाषा को पढ़ने, लिखने या बोलने में बच्चों व बड़ों को परेशानी आए, तो चिंता का विषय है। अंग्रेजी और अन्य विदेशी भाषा के चक्कर में कई लोग अपनी हिंदी भाषा की अहमियत को भूल रहे हैं। कुछ लोगों को इसे सीखना मुश्किल भी लगता है, जबकि ऐसा नहीं है। इसी वजह से हम हिंदी दिवस के अवसर पर बता रहे हैं कि हिंदी सीखना क्यों जरूरी है और इसे आसान तरीके से कैसे सीखा जा सकता है।
बच्चे हिंदी कैसे सीखें
इंग्लिश में जिसे वॉवेल्स और कॉन्सोनेंट कहते हैं, उसे हिंदी में स्वर और व्यंजन कहा जाता है। हिंदी में 11 स्वर और 33 व्यंजन होते हैं। इन सभी की ध्वनी को ध्यान में रखकर हिंदी को आसानी से सीखा जा सकता है। नीचे हम हिंदी सीखने के आसान तरीके बता रहे हैं।
- उच्चारण ध्वनी : किसी भी भाषा में महारत हासिल करने के लिए उसके उच्चारण की ध्वनी के बारे में समझना जरूरी है। ऐसा ही हिंदी के साथ भी है। हिंदी में तो इसे सीखना और भी आसान है। इसमें शब्दों को कई भागों में बांटा गया है। कुछ शब्द बोलते समय जीभ मुंह के किसी भी भाग को स्पर्श करती है, जैसे – क, ख, ग आदि। इसी तरह से कुछ शब्दों का उच्चारण नाक से होता है, जैसे – ण, न, म आदि। वहीं, कुछ शब्द बोलते समय हवा को बाहर निकाला जाता है, जैसे – श, ष, स आदि। इसलिए, बच्चे को पहले सभी स्वरों व व्यंजनों का सही उच्चारण समझाना जरूरी है।
- किताबों से सीखें हिंदी : जी हां, हिंदी पुस्तकों को पढ़ने से भी बच्चे हिंदी को कुछ हद तक सीख सकते हैं। बच्चों के लिए सुंदर व रंग-बिरंगी तस्वीरों वाली कविता-कहानी की किताबें लेनी चाहिए। वहीं, बड़ों को द्विभाषी किताब लेनी चाहिए। इस किताब में एक भाषा वो होनी चाहिए, जिसमें व्यक्ति को माहरत हासिल हो।
- स्त्रीलिंग व पुल्लिंग की पहचान : अंग्रेजी और तमिल भाषा के विपरीत हिंदी में सजीव के साथ-साथ निर्जिव को भी लिंग से संबोधित किया जाता है। इसे रटकर सीखना मुश्किल है। इसी वजह से कुछ नियम हम बता रहे हैं, जिसे ध्यान में रखकर स्त्रीलिंग व पुल्लिंग के बीच अंतर को समझा जा सकता है।
- ई (E) से खत्म होने वाले शब्द स्त्रीलिंग होते हैं। वहीं, अ और आ से खत्म होने वाले शब्द पुल्लिंग होते हैं।
- देश के नाम पुल्लिंग और उनकी भाषाओं के नाम स्त्रीलिंग होते हैं।
- नदियों के नाम स्त्रीलिंग और समुद्रों के नाम पुल्लिंग होते हैं।
- कार्टून और किड्स फिल्में : आजकल बच्चे कार्टून और फिल्मों से जल्दी सीखते हैं, इसलिए बेहतर होगा कि बच्चों को हिंदी काटूर्न व किड्स फिल्में दिखाएं। इसमें बोले गए कुछ खास डायलॉग्स उनके साथ दोहराएं।
- शब्दों का खेल : इंग्लिश या किसी अन्य भाषा जिसे आप समझते हों, उसके एक शब्द को हिंदी में सोचें कि क्या हो सकता है। सोचने के बाद भी जवाब न मिले, तो घर में जिसे हिंदी आती हो उनकी या फिर गूगल ट्रांसलेट की मदद ले सकते हैं। इससे हिंदी के नए शब्द और वाक्य में उनका प्रयोग करना जल्दी से सीखा जा सकता है। इसके अलावा, वाक्य का लिंग पहचानने और सही उच्चारण से संबंधित खेल भी घर में खेलकर हिंदी को अच्छी तरीके से सीखा जा सकता है। यह ट्रिक छोटे बच्चों के भी काम आ सकती है।
- लिखें कैसे : अब हिंदी बोलना और समझने के बाद हिंदी लिखने की बारी आती है। इसके लिए बोले गए सभी स्वर और व्यंजन को लिखना सीखना होगा। इसके लिए किसी भी वर्णमाला और अन्य हिंदी किताब की मदद भी ली जा सकती है। जब अक्षर लिखने आ जाएं, तो व्याकरण की ओर बढ़ना चाहिए। हिंदी व्याकरण एक व्यापक क्षेत्र है, इसलिए किसी हिंदी शिक्षक की मदद लेना सही रहेगा।
हिंदी क्यों है जरूरी
“निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल, बिन निज भाषा ज्ञान के, मिटन न हिय के सूल”
जब तक हम अपनी मातृभाषा को तरजीह नहीं देंगे, तब तक हम किसी अन्य भाषा के प्रति अपना समर्पण नहीं दिखा सकते हैं। हिंदी को सीखने का बस यही एक कारण नहीं है, बल्कि अनगिनत हैं, जिनमें से कुछ बारे में हम यहां बता रहे हैं:
- हिंदी इसलिए भी सीखना जरूरी है, क्योंकि हमें जानने वाले, रिश्तेदार व अन्य सभी उसी भाषा में संपर्क करते हैं। इसे जन मानस की भाषा यानी सभी लोगों द्वारा आसानी से बोली जाने वाली भाषा भी कहा जाता है। हिंदी भाषा सबको एकजुट करती है।
- हिंदी को जिस लिपि में लिखा गया है, वह देवनागरी है। इसे विश्वभर में वैज्ञानिक और उन्नत लिपि कहा जाता है। इस लिपि पर गर्व करते हुए भी हिंदी को सीखना चाहिए। अब तो दुनिया भर में 7 भाषाओं में वेब एड्रेस बनाए जा रहे हैं, जिनमें हिंदी भी शामिल है।
- इसके अलावा, एक राज्य से दूसरे राज्य जाना हो, तो भी हिंदी ही काम आएगी। उत्तर भारत में सभी हिंदी जानते हैं। दक्षिण भारत में भी बड़ी संख्या में लोग इस भाषा से परिचित हैं। ऐसे में हिंदी का ज्ञान चीजों को समझने में मदद करेगा और सफर को आसान बना देगा। आप जानते ही होंगे कि विदेशी भी आज के समय हिंदी सीखने के लिए भारत आते हैं। क्यों न हम भारत में रहने वाले सभी हिंदी को तरजीह दें और इसे सीखने की कोशिश करें।
- सबसे खास बात यह भी है कि जब विदेशी अपनी भाषा को बोलने से झिझकते या शर्म नहीं करते, तो हमें भी गर्व से हिंदी बोलनी चाहिए।
वैसे, अंग्रेजी सीखने और बोलने में कुछ गलत नहीं है, लेकिन हिंदी को पीछे छोड़ देना दरकिनार करना सही नहीं है। आखिर हिंदी हम भारतीयों की पहचान है। विदेशी भी आज के समय हिंदी सीखने और समझने की कोशिश करते हैं, तो क्यों न हम हिंदुस्तानी होकर अपने देश की शान हिंदी को आगे बढ़ाएं, जिन्हें नहीं आती उन्हें सिखाएं।
जय हिंद, जय हिंदी!