क्या आप जानते हैं अच्छी पैरेंटिंग के सही मापदंड?

बच्चे के जन्म के बाद सबसे अहम काम होता है, उसकी परवरिश। इस दौरान माता-पिता को खुद से ये सवाल जरूर पूछने चाहिए कि क्या वो अच्छे माता-पिता हैं? कहीं वो बच्चे के साथ कुछ ऐसा तो नहीं कर रहे हैं, जिससे बच्चे को किसी तरह की हानि पहुंच रही हो या वो दुखी रहता हो? ऐसा इसलिए, क्योंकि बच्चे की परवरिश का मतलब सिर्फ अच्छा भोजन देना और पढ़ाई के लिए स्कूल भेजना ही नहीं है। इन सभी के साथ बच्चे की खुशी, स्वास्थ्य और सही मार्गदर्शन भी जरूरी है। इससे न सिर्फ आप अपने बच्चे के अच्छे दोस्त बन पाएंगे, बल्कि वो भी आपसे खुलकर हर बात कर पाएगा। इसके लिए कुछ खास करने की जरूरत नहीं है, बल्कि रोजमर्रा की आदतों में थोड़ा बदलाव करने की जरूरत है। आइए, जानते हैं इन बदलाव और नई पहल के बारे में।

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1. छोटी-छोटी चीजों का जश्न मनाएं

यहां हम बच्चे की बर्थ-डे पार्टी या सरप्राइज पार्टी की बात नहीं कर रहे, बल्कि बच्चे की छोटी-छोटी उपलब्धियों को जश्न के रूप में मनाने की बात कह रहे हैं। ऐसा इसलिए, क्योंकि इस प्रकार की गतिविधियां बच्चे को आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करती हैं। चाहे बच्चे के स्कूल में अच्छे नंबर आए हों या बच्चे ने कुछ नया सीखा हो, जैसे – साइकिल चलाना, गिटार या पियानो बजाना। इन सभी के लिए एक छोटी-सी पार्टी, तो बनती है। आप आइसक्रीम व पिज्जा पार्टी रख सकते हैं या फिर बच्चे को उसकी पसंदीदा जगह लेकर जा सकते हैं। इससे बच्चे को जीवन में कुछ नया करने व सीखने की प्रेरणा मिलेगी। साथ ही जीवन के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण बना रहेगा।

2. हार के गम से निकलने की कला सिखाएं 

अक्सर देखा जाता है कि बच्चे कभी-कभी छोटी हार सहन नहीं कर पाते हैं। जैसे खेल-कूद में अच्छा प्रदर्शन न करना या स्कूल में अच्छे अंक न लाना। ऐसे में बच्चे को सिखाना होगा कि हार-जीत जीवन के दो पहलू हैं। इससे बच्चा स्ट्रेस में नहीं रहेगा और हार को भी सकारात्मक तरीके से देखेगा। बच्चे को हमेशा यह बताएं कि हार, जीत की तरफ बढ़ाया गया कदम होता है। उसे समझाएं कि हार से निराश होने की जगह कुछ अच्छा करने की कोशिश की जानी चाहिए।

3. ग्रेटिट्यूट यानी कृतज्ञता सिखाएं 

ग्रेटिट्यूट यानी कृतज्ञता सिखाएं 

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आभार व्यक्त करने की कला बच्चे में अवश्य होनी चाहिए। उसे उन मूल चीजों का आभार और सम्मान करना सिखाएं, जिनके बिना जीवन अर्थहीन है। जैसे पानी, खाना, हवा, पेड़-पौधे, घर और परिवार। इन सभी चीजों के प्रति कृतज्ञता का एहसास बच्चे को होना चाहिए। इससे वह जीवन में चीजों की अहमियत को समझेंगे और साथ ही भोजन को बर्बाद भी नहीं करेंगे।

4. पौष्टिक खाने की आदत

बच्चों का रुझान फास्ट फूड्स की तरफ जल्दी बढ़ जाता है। इनमें मैदे से बनाई गईं और तली हुई चीजें अधिक होती हैं। ऐसे में बच्चे के अच्छे स्वास्थ्य के लिए उन्हें पौष्टिक खाना खाने के लिए प्रेरित करें। बच्चे को समझाएं कि फल, सब्जी, जूस, ड्राई फ्रूट्स व सलाद आदि शरीर को स्वस्थ बनाते हैं। साथ ही उन्हें जंक फूड्स के नुकसान भी बताएं। इसके अलावा, बच्चे को यह भी बताएं कि बाजार में मिलने वाली चीजों को पौष्टिक तरीके से घर में भी बनाया जा सकता है। जैसे आटा नूडल्स को खूब सारी सब्जियों के साथ हेल्दी तरीके से बनाया जा सकता है। ऐसा करने से बच्चा हेल्दी खाने का सेवन करेगा और उनका महत्व भी समझेगा।

5. बच्चे के साथ अच्छा बॉन्ड बनाएं

आप चाहते हैं कि बच्चे आपसे हर बात शेयर करें, लेकिन ऐसा होता नहीं है। क्या कभी आपने खुद से पूछा है, ऐसा क्यों होता है? ध्यान रहे बच्चे की मन की बात जानने के लिए उनके साथ आपका अच्छा बॉन्ड होना जरूरी है। अगर आप सोचते हैं कि बच्चे के मन में डर पैदा करके सब कुछ जाना जा सकता है, तो आप गलत हैं। ऐसा करने से गलत परिणाम सामने आ सकते हैं। इसलिए, जरूरी है कि बच्चे को समय-समय पर ट्रिप पर लेकर जाएं और  कभी-कभी घर में कुकिंग या अन्य काम करते वक्त उन्हें शामिल करें। आप उनके साथ उनका फेवरेट गेम भी खेल सकते हैं। समय मिलने पर उसके साथ कुछ देर बैठकर बात करें।

6. न ज्यादा लाड न फटकार

बच्चों को न अधिक फटकार लगाएं और न ही ज्यादा प्यार लुटाएं। इन दोनों का संतुलन बनाकर चलें। बच्चे को किस बात पर डांटना चाहिए, इसका खास ख्याल रखें। अगर आप नंबर कम आने पर या घर में ठीक से पढ़ाई न करने पर बच्चे को डांट रहे हैं, तो सावधान हो जाएं। इन सब चीजों के लिए बच्चे को प्यार से समझाना चाहिए, जिससे बच्चे के अंदर डर पैदा न हो और वो आपकी बातों का महत्व समझे। हां, अगर बच्चा बड़ों की इज्जत नहीं करता है या बड़ों से ठीक से बात नहीं करता है, तो आप उन्हें हल्की फटकार लगाकर समझा सकते हैं कि बड़ों का सम्मान और सही व्यवहार कितना जरूरी है।

7. आपस में कॉर्डिनेट करें

बच्चे की परवरिश के दौर में माता-पिता को खास सामंजस्य और सूझबूझ का परिचय देना होता है। खासकर तब जब बच्चे को किसी एक ने डांट दिया हो। अक्सर हमने देखा है कि जब बच्चे को मां डांट देती हैं, तो पिता कहते हैं चलो में मम्मी को मारूंगा, समझाउंगा या कुछ और, लेकिन यह किसी भी परिस्थिति को संभालने का सही तरीका नहींं है। अगर किसी एक के द्वारा डांट खाने पर बच्चा आपके पास आता है, तो आपको उससे प्यार से पूछना चाहिए कि उसने ऐसा क्या किया है, जिस वजह से उसे डांट पड़ी। फिर उसे बताएं कि उस गलती का परिणाम क्या हो सकता है या फिर उस कार्य को किस तरह से किया जाए ताकि डांट न पड़े।

अगर आप बच्चे को जीवन का सबसे बड़ा तोहफा देना चाहते हैं, तो ऊपर बताई गईं बातों का पालन जरूर करें। इन टिप्स को अपनाकर आप अपने बच्चे के भविष्य को सही दिशा दे सकते हैं। साथ ही इस बात का ध्यान जरूर रखें कि एक दोस्त बनकर आप अपने बच्चे का ख्याल ठीक से रख सकते हैं। आपकी हर छोटी-बड़ी बात बच्चे पर गहरा असर डालती है, इसलिए सोच-समझकर ही हर काम करें। बच्चे के लिए परिवार के साथ प्यार से बिताए गए समय से ज्यादा यादगार कुछ नहीं होता है।

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