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बच्चों में तुतलाने की समस्या : कारण व इलाज | Bacho Ka Totlapan Kaise Dur Kare

बच्चों को बचपन में कई आदतें लग जाती हैं, जिसे बड़े होने पर छुड़ाना मुश्किल हो जाता है। ऐसे ही एक आदत तुतलाने की है। यह किसी तरह की बीमारी नहीं है, लेकिन समय रहते बच्चों की इस आदत को छुड़ाना जरूरी होता है, ताकि बड़े होने पर वो तुतलाने के कारण हंसी के पात्र न बन जाएं। अब मुख्य मुद्दा यह है कि अगर कोई बच्चा तुतलाता है, तो उसकी इस आदत को कैसे छुड़ाया जाए। मॉमजंक्शन के इस लेख में हम बच्चों में तुतलाने के कारण की जानकारी लेकर आए हैं। साथ ही बच्चों के तुतलाने का इलाज बताएंगे।

चलिए, सबसे पहले जानते हैं कि बच्चों में तुतलाना क्या है।

In This Article

बच्चों में तुतलाना क्या है? | Bacho Ka Totlapan

बच्चों का तुतला कर बात करना एक स्पीच प्रॉब्लम यानी स्पष्ट रूप से बात नहीं कर पाने की समस्या है। जिन बच्चों को तुतलाने या तोतली भाषा में बात करने की समस्या होती है, वे शब्दों का सही तरह से उच्चारण नहीं कर पाते हैं, जिस कारण उनकी बातें स्पष्ट रूप से समझ नहीं आती हैं। वे बोलना कुछ और चाहते हैं, लेकिन शब्द कुछ और निकलता हैं। अक्सर तोतली भाषा में बात करने वाले बच्चे “स” के स्थान पर “थ” का उपयोग करते हैं, जैसे सिंपल को थिंपल बोलते हैं (1)

अब जानते हैं बच्चे कब से तुतलाना शुरू करते हैं और ऐसा कब तक रह सकता है।

बच्चों में तुतलाने की समस्या कब शुरू होती है और किस उम्र तक रहती है?

जब बच्चे बोलना शुरू करते हैं, तो वो शुरुआत में तुतला कर ही बोलते हैं। 3 से 4 वर्ष तक के बच्चों का तुतलाकर बोलना सामान्य माना जाता है। वहीं, अगर बच्चा 5 वर्ष का होने पर भी तुतलाकर बोल रहा है, तो यह चिंता का विषय हो सकता है। इसलिए, बिना समय गंवाए बच्चे को स्पीच-लैंग्वेज पैथोलॉजिस्ट (एसएलपी) के पास लेकर जाना चाहिए। इसकी मदद से बच्चों को तुतलाने से छुटकारा मिल सकता है। फिलहाल, इस संबंध में किसी तरह का स्पष्ट वैज्ञानिक प्रमाण मौजूद नहीं है।

आइए, अब जानते हैं कि बच्चों में तुतलाने के क्या कारण हो सकते हैं।

बच्चों में तुतलाने के कारण

कई माता-पिता को बच्चे के बड़े होने के बाद भी तुतलाने का कारण नहीं पता होता है। इसलिए, वो बच्चों के तुतलाने को ठीक करने में मदद नहीं कर पाते हैं। नीचे हम बच्चों के तुतलाने का कारण बता रहे हैं (2)

  • बच्चों के तुतलाने का एक कारण शब्दों को सही तरह से सीख कर आवाज न निकल पाना हो सकता है।
  • मुंह में जीभ का सही स्थान पर नहीं होने के कारण भी बच्चे तुतला सकते हैं।
  • चिपकी हुई जीभ (due to tongue tie) के कारण भी बच्चा तुतला सकता है।
  • कई बच्चे मानसिक समस्या के कारण भी तुतला सकते हैं।

अब हम बच्चों में तुतलाने के लक्षण के बारे में जानकरी दे रहे हैं।

बच्चों में तुतलाने के लक्षण

यहां हम कुछ ऐसे लक्षण दे रहे हैं, जिनकी मदद से पता लगाया जा सकता है कि बच्चा तुतला रहा है या नहीं।

  • बच्चे का कम बात करना।
  • बच्चे की बातों का सही मतलब समझ नहीं आना।
  • बच्चे का धीमा बोलना।
  • बच्चे को शब्द उच्चारण में समय लगाना।

आइए, अब यह जान लेते हैं कि बच्चों की इस समस्या को कैसे ठीक किया जा सकता है।

तुतलाने का इलाज | Totlepan Ka Ilaj

तुतलाना किसी तरह का रोग नहीं है। इसलिए, इस समस्या को ठीक करने के लिए किसी तरह का मेडिकल ट्रीटमेंट नहीं कराया जा सकता है। इस समस्या को ठीक करने के लिए स्पीच थेरेपी को प्रभावी माना जा सकता है। स्पीच थेरेपिस्ट द्वारा कराई जाने वाली प्रैक्टिस से बच्चे का तुतलाना कम हो सकता है। साथ ही थेरेपिस्ट बच्चों को शब्दों के उच्चारण का सही तरीका भी बता सकता है (1)।  साथ ही योग के जरिए भी इस समस्या को ठीक किया जा सकता है, जिसके बारे में नीचे बताया गया है।

योग मददगार हो सकता है

कुछ व्यायाम ऐसे होते हैं, जिसके माध्यम से जीभ की एक्सरसाइज होती है। इससे बच्चों के तुतलाने पर सकारात्मक प्रभाव दिखाई दे सकता है। इसके लिए जीभ को बहार निकालकर ठोड़ी और नाक को बारी-बारी छूने की कोशिश करने वाली एक्सरसाइज कर सकते हैं। इसके अलावा, जीभ को मुंह के अंदर मोड़कर तालू से लगाने और जीभ को मुंह के अंदर दबाने वाली एक्सरसाइज भी कर सकते हैं। साथ ही योग के जरिए भी इसे ठीक किया जा सकता है। विभिन्न योगासनों के बारे में नीचे विस्तार से बताया गया है, लेकिन इस संबंध में किसी तरह का वैज्ञानिक प्रमाण उपलब्ध नहीं है।

1. कपालभाति :

  • सबसे पहले योग मैट पर पद्मासन या सुखासन की मुद्रा में बैठ जाएं। उसके बाद दोनों हाथों को घुटनों पर रखें।
  • इस स्थिति में रीढ़ की हड्डी सीधी रहेगी।
  • फिर ध्यान लगते हुए सारी चिंताओं को भूल जाएं।
  • उसके बाद लंबी सांस लें और धीरे-धीरे सांस छोड़ दें। इस तरह कम से कम दो से तीन बार करें।
  • फिर मुंह को बंद रखते हुए नाक से जोर-जोर से सांस छोड़ें।
  • सांस छोड़ते समय पेट को अंदर की तरफ खीचें।
  • सांस लेने की प्रक्रिया अपने आप नाके के जरिए होगी।
  • इसे निरंतर करना होगा, इसे करते समय बीच में नहीं रुकना है। साथ ही इस बात का भी ध्यान रखें कि इस प्रक्रिया के दौरान मुंह बंद ही रहना चाहिए।
  • इस प्रक्रिया को 10 से 15 मिनट तक 3-4 राउंड में कर सकते हैं।

2. उज्जाई प्राणायाम :

  • इस आसन को करने के लिए सबसे पहले सुखासन या पद्मासन की मुद्रा में बैठ जाएं।
  • फिर गले को टाइट कर गहरी सांस भरें। इस तरह से सांस लेने पर एक आवाज उत्पन्न होगी। साथ ही सीने को फुलाने का भी प्रयास करें।
  • फिर ठुड्डी को छाती से स्पर्श करें और जब तक हो सके इसी अवस्था में रहते हुए सांस को रोक कर रखें।
  • इसके बाद सिर को ऊपर उठाएं और फिर दाएं हाथ के अंगूठे से दाईं नासिका को बंद करें व बाईं नासिका से सांस को बाहर छोड़ें।

3. अनुलोम-विलोम :

  • इस आसन को करने के लिए दाएं हाथ के अंगूठे और मध्य की उंगली का ही इस्तेमाल किया जाएगा
  • इसके लिए सबसे पहले पद्मासन या सुखासन की मुद्रा में बैठ जाएं।
  • कमर को सीधा रखें और आंखों को बंद कर लें।
  • फिर एक गहरी सांस लें व धीरे-धीरे सांस छोड़ें।
  • अब दाहिने (Right) हाथ के अंगूठे से दाहिनी नासिका को बंद कर लें व बाईं (Left) नासिका से धीरे-धीरे गहरी सांस लें। सांस लेते समय जोर न लगाएं।
  • इसके बाद सबसे छोटी उंगली व रिंग फिंगर की मदद से बाईं नासिका को बंद करते हुए दाईं नासिका से सांस छोड़ें।
  • सांस छोड़ने के बाद दाईं नासिका से ही लंबी गहरी सांस लें और फिर दाईं नासिका को अंगूठे से बंद करते हुए बाईं नासिका से सांस छोड़ें।
  • इस प्रकार एक चक्र पूरा हो जाएगा। ऐसे आप एक बार में पांच चक्र कर सकते हैं।

4. सर्वांगासन :

  • इस योग के लिए मैट या चादर पर पीठ के बल लेटकर दोनों दोनों को हाथों शरीर से सटाकर सीधा रखें।
  • फिर सांस हल्का लेते हुए पहले पैरों को ऊपर उठाएं, फिर कूल्हों और उसके बाद कमर को आराम से ऊपर की ओर उठाएं।
  • इस दौरान हाथों से कमर को सहारा दें और कोहनियों को जमीन से सटा कर रखें।
  • इस बात का भी ध्यान रखें कि दोनों पैर सटे व सीधे होने चाहिए
  • इस अवस्था में शरीर का पूरा भार कंधों, कोहनियों व सिर पर होगा।
  • वहीं, ठुड्डी को छाती से स्पर्श करने का प्रयास करें।
  • थोड़ी देर इस मुद्रा में रहने की कोशिश करें और नियमित रूप से सांस लेते रहें।
  • उसके बाद सांस छोड़ते हुए पहले वाली मुद्रा में वापस आ जाएं।

5. सिंघासन :

  • इस आसन के लिए सबसे पहले मैट पर पद्मासन की मुद्रा में बैठ जाएं।
  • इसके बाद दोनों हाथों को आगे रखें व घुटनों को जमीन पर टिकाएं। हाथों की दिशा अंदर की तरफ यानी शरीर की तरह होनी चाहिए।
  • फिर जीभ को जितना बहार निकाल सकें, उतना निकालें।
  • इसके बाद आंखों को अच्छी तरह से खोलकर ऊपर आसमान की तरफ देखें।
  • फिर लंबी सांस लें व मुंह से शेर की तरह आवाज निकालें।
  • इस अवस्था में दो से तीन मिनट तक रहें।
  • इस प्रक्रिया को 5-7 बार कर सकते हैं।

6. शंख मुद्रा :

  • इसके लिए बाएं हाथ के अंगूठे को दाएं हाथ की चारों उंगलियों से पकड़ लें।
  • फिर दाएं हाथ कें अंगूठ को बाएं हाथ की मध्यम उंगली से मिलाएं।
  • इससे हाथ शंख के आकार का दिखाई देगा।
  • इसके बाद हाथाें को कुछ देर छाती से सटाकर रखें और सामान्य गति से सांस लेते रहें।

चलिए जानते है, बच्चों के तुतलाने का घरेलू इलाज में किन चीजों का उपयोग किया जा सकता है।

बच्चों में तुतलाने के लिए घरेलू इलाज | Tutlane Ka Desi Ilaj

हमारे बड़े बुजुर्ग कहते है कि जो बच्चे तुतलाते हैं, उन्हें कुछ घरेलू सामग्रियों के मदद से ठीक किया जा सकता है। फिलहाल, इन घरेलू उपचार को लेकर किसी तरह का वैज्ञानिक शोध उपलब्ध नहीं है।

  1. काली मिर्च– ऐसा कहा जाता है कि बच्चों को काली मिर्च के साथ बादाम पीसकर खिलाने से तुतलाना कम हो सकता है। दरअसल, इस मिश्रण के नियमित सेवन से बच्चों के बोलने का तरीका साफ और स्पष्ट हो सकता है।
  1. सौंफ- बच्चों की तुतलाहट को कम करने के लिए घरेलू उपचार के रूप में सौंफ भी उपयोगी साबित हो सकती है। इसके लिए एक गिलास पानी में लगभग 5 ग्राम सौंफ पीसकर डालें और फिर पानी को आधा होने तक उबाल लें। इसके बाद पानी में लगभग 50 ग्राम तक मिश्री और एक गिलास दूध मिला लें। इसे कुछ देर तक उबालें और बच्चे को पीने के लिए दें। इसके नियमित इस्तेमाल से बच्चों के तुतलाहट में परिवर्तन नजर आ सकता है।
  1. बादाम- तुतलाने वाले बच्चों के लिए बादाम का सेवन लाभकारी साबित हो सकता है। इसलिए, ऐसे बच्चों को रातभर भीगे हुए लगभग 10 बादाम को पीसकर चालीस ग्राम मक्खन के साथ खाने के लिए देना चाहिए। इससे बच्चों के तुतलाहट में सुधार हो सकता है।
  1. आंवला- आंवला के आयुर्वेदिक गुण के कारण बच्चों के तुतलाने को ठीक करने के लिए उपयोगी माना जा सकता है । इसके लिए बच्चों को प्रतिदिन एक कच्चा आंवला खाने के लिए दे सकते हैं या फिर आधा चम्मच आंवला पाउडर में एक चम्मच देसी घी मिलाकर भी खाने के लिए दे सकते हैं।
  1. छुहारा- बच्चों के तुतलाहट को ठीक करने के लिए छुहारे का भी घरेलू उपचार के तौर पर सेवन किया जा सकता है। इसके लिए बच्चे को रात में सोने से करीब एक घंटे पहले एक गिलास दूध में छुहारा उबालकर उसे पीने के लिए दें।
  1. ब्राह्मी तेल- ऐसा कहा जाता है कि ब्राह्मी के तेल से बच्चे के सिर की मालिश करने से तुतलाहट की समस्या से छुटकारा मिल सकता है। इसके लिए प्रतिदिन शाम को कुछ समय निकालकर ब्राह्मी तेल को हल्का गर्म करके बच्चे के सिर की मालिश करें।
  1. फिटकरी- तुतलाने वाले बच्चों के लिए फिटकरी भी उपयोगी साबित हो सकती है। दरअसल, फिटकरी कई औषधीय गुणों से समृद्ध होती है, जो बच्चों के तुतलाने को ठीक कर सकती है। इसके लिए बच्चों को भुनी हुई फिटकरी कुछ मिनट तक मुंह में रखने के लिए दें। इससे कुछ ही दिनों में बच्चों के शब्द उच्चारण में परिवर्तन नजर आने लगेगा। ध्यान रहे कि बच्चा फिटकरी को निगल न ले।
  1. अदरक- अदरक को कई तरह से समस्या से छुटकारा पाने के लिए उपयोग किया जाता है, जिनमें से एक तुतलाहट भी हो सकता है। बड़े-बुजुर्ग तुतलाने वाले बच्चों के इलाज में अदरक या अदरक पाउडर को शहद में मिलाकर सेवन करने की सलाह देते हैं।
  1. मिश्री- मिश्री के सेवन से भी बच्चों का तुतलाना कम हो सकता है। बच्चों में मिश्री का असर जल्दी दिखाई दे सकता है

नोट: अगर कोई बहुत ही छोटे बच्चे की तुतलाहट ठीक करने के लिए इन खाद्य सामग्रियों का इस्तेमाल करना चाहता है, तो पहले डॉक्टर से जरूर पूछ लेना चाहिए।

आइए, अब इस समस्या के संबंध में माता-पिता के लिए कुछ काम के टिप्स जान लेते हैं।

माता-पिता किस तरह से बच्चे की तुतलाहट को दूर कर सकते हैं? | Bacho Ka Totlapan Kaise Dur Kare

बच्चे की तुतलाहट को दूर करने में माता पिता की अहम भूमिका हो सकती है। इसलिए, यहां हम उनके लिए कुछ काम की बातें लेकर आए हैं।

  • अगर किसी का बच्चा तुतलाकर बात करता है, तो कई बार उनके माता-पिता बच्चे के तुतलाने में साथ देने लग जाते हैं। इसकी जगह माता-पिता बच्चे को समझाएं कि तुतलाकर बात नहीं करते।इसके अलावा, कभी भी उनपर हंसे नहीं, ऐसा करने से वे तुतलाकर बात करने के लिए प्रोत्साहित हो सकते हैं और जानबूझकर तुतलाकर बात कर सकते हैं।
  • बच्चे को हर किसी की बात ध्यान से सुनने के लिए कहें। जब बच्चे ध्यान से सुनेंगे, तो सुने हुए शब्दों का सही उच्चारण करने का प्रयास करेंगे
  • बच्चे जब बोलना शुरू करते हैं, तब उन्हें एक साथ ज्यादा शब्द बोलने के लिए कहने की बजाय कम शब्दों को सही से बोलने के लिए कहें। इससे उन्हें सभी शब्दों का सही उच्चारण आसानी से समझ में आ जाएगा।
  • जब बच्चा माता-पिता से बात करें, तो उन्हें बच्चों की बातों को ध्यान से सुनना चाहिए। इससे बच्चे आराम-आराम से बात करेंगे, जिससे उनका उच्चारण स्पष्ट हो सकता है।
  • बच्चों को सही से बात करना सिखाने के लिए हर दिन कुछ घंटे का समय निकालें और उनके साथ बातें करें। इससे आप बच्चों को तुतलाकर बात करने से रोक सकते हैं।

नीचे हम उस अवस्था के बारे में बता रहे हैं, जिसमें तुरंत डॉक्टर से मिलना चाहिए।

डॉक्टर के पास कब जाएं

तुतलाहट की कुछ स्थितियों में बच्चों को डॉक्टर के पास ले जाने की सलाह दी जाती है, जो निम्न प्रकार से हो सकती हैं।

  • अगर बच्चे 5 साल या इससे अधिक उम्र का हो गया है और फिर भी तुतलाता है, तो उसे स्पीच थेरेपिस्ट या डॉक्टर के पास ले जाएं।
  • अगर बच्चे को बोलते समय तकलीफ महसूस होती है, तो उसे डॉक्टर के पास ले जाएं।
  • बच्चा तुतलाने के साथ ही हकलाना भी शुरू कर दे, तो बिना देरी किए डॉक्टर या स्पीच थेरेपिस्ट से संपर्क करें।

बच्चों का तुतलाना कोई गंभीर समस्या नहीं है। बस छोटी-छोटी बातों को ध्यान में रखते हुए इसे ठीक किया जा सकता है। इसे ठीक करने के लिए स्पीच थेरेपी भी प्रभावी साबित हो सकती है। ऐसे में अगर किसी का बच्चा तुतलाता है, तो इस लेख में बताए गए टिप्स, घरेलू उपचार और योग की मदद ले सकते हैं। हम उम्मीद करते कि हमारा यह लेख आपको पसंद आया होगा। बच्चों से जुड़ी ऐसे कई छोटी-बड़ी बातें जाने के लिए आप हमारी वेबसाइट पर मौजूद अन्य लेख को पढ़ सकते हैं।

References

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1. Speech Problems By Kidshealth
2. Lisp Detection and Correction Based on Feature Extraction and Random Forest Classifier: Proceedings of the Fourth ICMEET 2018 By Researchgate

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