बच्चों के लिए बोर्डिंग स्कूल: प्रकार, फायदे व नुकसान | Bachon Ke Liye Chatrawas

जैसे-जैसे आपका बच्चे की उम्र बढ़ती है, पेरेंट्स की सबसे बड़ी चिंता उसकी शिक्षा के प्रति होने लगती है। बच्चे की शिक्षा के लिए कई विकल्प मौजूद हैं, उन्हीं में एक नाम है बोर्डिंग स्कूल। यही वजह है कि मॉमजंक्शन के लिए लेख में हम बच्चों के लिए बोर्डिंग स्कूलों के लाभ बता रहे हैं। साथ ही यहां पर हमने बच्चों के लिए बोर्डिंग स्कूलों के नुकसान भी बताए हैं।

सबसे पहले जानते हैं कि बच्चों के लिए बोर्डिंग स्कूल अच्छा है या बुरा।

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क्या बच्चों के लिए बोर्डिंग स्कूल अच्छा है या बुरा? | Bache ko chatrawas bhejna

बोर्डिंग स्कून से बच्चे अपने घर तभी वापस आते हैं, जब स्कूल की छुट्टियां हो या किसी आपात स्थिति की समस्या हो। बोर्डिंग स्कूल उन बच्चों के लिए सबसे अच्छा माना जाता है, जिनके पास रहने के लिए घर नहीं है, या उनके आस-पास की स्कूली शिक्षा अच्छी नहीं है या उनकी आर्थिक स्थिति बहुत ही कमजोर है। इसके अलावा, अगर बच्चा किसी तरह की लत का शिकार है, तो उसके लिए बोर्डिंग स्कूल का विकल्प अच्छा माना जा सकता है।

ऐसे में हम यह कह सकते हैं कि पारंपरिक स्कूलों के विपरीत, बच्चों के लिए बोर्डिंग स्कूल काफी हद तक एक अच्छा विकल्प हो सकता है। यह बच्चे की जरूरत और उसकी स्थिति के अनुसार उसके लिए अच्छा या बुरा हो सकता है।

चलिए, अब बोर्डिंग स्कूल के प्रकार भी जान लेते हैं।

बोर्डिंग स्कूल के प्रकार

बच्चों के लिए बोर्डिंग स्कूल कई अलग-अलग तरह के होते है। जहां पर पेरेंट्स अपनी पसंद और जरूरत के अनुसार अपने बच्चे का एडमिशन करा सकते हैं।

  1. गर्ल्स बोर्डिंग स्कूल: इस प्रकार के बोर्डिंग स्कूल में सिर्फ लड़कियों को ही एडमिशन दिया जाता है। अगर कोई पेरेंट्स नहीं चाहते हैं कि उनकी लड़की लड़कों के बीच पले-बढ़े या उन्हें किसी बात का डर होता है, तो वह अपनी बेटी का एडमिशन गर्ल्स बोर्डिंग स्कूल में करा सकते हैं। इसके अलावा, ऐसा भी माना जाता है कि गर्ल्स बोर्डिंग स्कूल में लड़कियों को भविष्य के लिए बेहतर तरीके से तैयार किया जाता है। उन्हें यह सिखाया जाता है कि उन्हें अपनी भविष्य की जरूरतों के लिए किसी अन्य पर निर्भर रहने की आवश्यकता नहीं हो सकती है।
  1. बॉयज बोर्डिंग स्कूल: गर्ल्स बोर्डिंग स्कूल की तरह, ब्वॉयज बोर्डिंग स्कूल भी होता है। यहां सिर्फ लड़कों को ही पढ़ाया जाता है। यहां पर भी बच्चे निजी जीवन के बजाय भविष्य को बेहतर बनाने वा खुद के करियर को पूरा समय के लिए अपनी पढ़ाई कर सकते हैं।
  1. को-एड बोर्डिंग स्कूल: इस तरह के बोर्डिंग स्कूल में लड़के और लड़कियां दोनों को ही एडमिशन दिया जाता है। यहां बिना किसी संकोच के किसी भी लिंग को एडमिशन दिया जाता है और सभी को एकसमान शिक्षा दी जाती है।
  1. प्राइवेट बोर्डिंग स्कूल: इस तरह के बोर्डिंग स्कूल पूरी तरह से निजी तौर पर आधारित होते हैं। यहां के नियम-कानून पूरी तरह से यहां की संस्था तय करती है, जो कभी भी बदले जा सकते हैं। आमतौर पर इस तरह के बोर्डिंग स्कूलों की संख्या भी काफी अधिक है। यह सरकारी बोर्डिंग स्कूलों के मुकाबले अधिक खर्चीले भी होते हैं। इसके अलावा, इन्हें सरकार की तरफ से किसी तरह की सहायता राशि भी नहीं मिलती है।
  1. क्रिश्चियन बोर्डिंग स्कूल: क्रिश्चियन बोर्डिंग स्कूल पूरी तरह से कैथोलिक शिक्षा पर विश्वास करती है। यहां कि खासियत है कि यहां पर किसी भी धर्म या समुदाय के बच्चे एडमिशन ले सकते हैं, लेकिन इनमें एडमिशन लेने के बाद उन्हें पूरी तरह से कैथोलिक नियम व कानूनों का पालन करना पड़ता है। ऐसा न करने पर बोर्डिंग स्कूल बच्चे को निष्काषित भी कर सकता है।
  1. मिलिट्री बोर्डिंग स्कूल: इस तरह के बोर्डिंग स्कूल में 80 फीसदी बच्चे सेना या सैन्य कार्मिक के परिवार से संबंधित होते हैं। बाकी 20 फीसदी सामान्य वर्ग के बच्चों को भर्ति दिया जाता है। ऐसा माना जाता है कि सभी तरह के बोर्डिंग स्कूलों के मुकाबले आर्मी या मिलिट्री बोर्डिंग स्कूल के नियम-कानून सबसे सख्त होते हैं। ये पूरी तरह से सरकारी सहायता राशि पर चलते हैं।
  1. चिकित्सीय बोर्डिंग स्कूल: इस बोर्डिंग स्कूल में उन छात्रों को एडमिशन दिया जाता है, जिन्हें किसी तरह के मादक या नशीले पदार्थों के सेवन की लत होती है। यहां पर इन्हें भावनात्मक और शारीरिक रूप से सुधार के लिए ट्रेनिंग दिया जाता है।
  1. इंटरनेशनल बोर्डिंग स्कूल: इंटरनेशनल बोर्डिंग स्कूल में अंतर्राष्ट्रीय स्तर के बच्चों को एडमिशन दिया जाता है। इसमें मुख्य रूप से अंतरराष्ट्रीय कंपनियों, संगठनों, गैर सरकारी संगठनों, दूतावास के कर्मचारियों के बच्चों को जगह दी जाती है।
  1. हाई बोर्डिंग स्कूल: इस बोर्डिंग स्कूल में 8वीं कक्षा से छात्रों को एडमिशन दिया जाता है। जहां पर उन्हें सामान्य शिक्षा दी जाती है। यहां पर किसी भी लिंग या किसी भी स्थान के बच्चे एडमिशन ले सकते हैं।
  1. जूनियर बोर्डिंग स्कूल: यह एक तरह से स्कूल शिक्षा के स्तर पर आधारित होता है। जहां पर बच्चों को 6-8 ग्रेड के अनुसार छात्रों को शिक्षा दी जाती है।

अब पढ़ें बच्चों के लिए बोर्डिंग स्कूल के फायदे।

बच्चे को बोर्डिंग स्कूल भेजने के फायदे | Chatrawas bhejne ke fayde

बोर्डिंग स्कूल के कई फायदे हैं, जिनके बारे में हम नीचे बता रहे हैं।

  1. बेहतर आत्मविश्वास: बोर्डिंग स्कूलों की सबसे बड़ी खासियत है कि ये बच्चों के आत्मविश्वास को बढ़ाने पर जोर देते हैं। यह छात्रों को पूरी तरह से आत्मनिर्भर बनाने पर जोर देते हैं।
  1. अच्छा सामाजिक विकास: इस तरह के स्कूल में बच्चों को सामाजिक तौर पर भी पूरी तरह से तैयार किया जाता है। पढ़ाई के साथ-साथ उनके सामाजिक स्तर को भी ऊंचा उठाने पर भी ध्यान दिया जाता है।
  1. अनुशासित जीवन: बोर्डिंग स्कूल के अनुशासन काफी कड़े होते हैं। ऐसे में यहां पढ़ने वाले बच्चों को कई कड़े नियमों का अनुशासन करना पड़ता है, जो उन्हें जीवन में एक अनुशासित जीवन की तरफ प्रेरित करता है। इससे वे न सिर्फ घर के नियमों का पालन निष्ठा से करते हैं, बल्कि अपने आस-पास के माहौल से जुड़े नियमों का भी पूर सम्मान करते हैं।
  1. सोचने-समझने की बेहतर क्षमता: इन स्कूलों में बच्चों को पूरी तरह से आत्मनिर्भर बनने व रहने के लिए प्रेरित किया जाता है। ऐसे में भविष्य के लिए क्या अच्छा है, इस बारे में उनके सोचने-समझने व तर्क करने की क्षमता भी अन्य बच्चों से उच्च हो सकती है।
  1. सामान्य जीवन: इस तरह के स्कूलों में सभी बच्चों को एक सामान शिक्षा दी जाती है। उनके साथ एक जैसा ही व्यवहार किया जाता है। फिर वो चाहे किसी भी धर्म, समुदाय या आर्थिक स्थिति से जुड़े क्यों न हो। इससे उनके मन में सभी के लिए एक जैसी ही भावना का विकास होता है। जो उन्हें सामाज में हर किसी व्यक्ति के प्रति एक ही जैसा नजरिया रखने के लिए प्रेरित भी करता है।
  1. मजबूत शारीरिक एक्टिविटीज: बोर्डिंग स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों को पढ़ाई व अनुशासन के साथ ही विभिन्न तरह की शारीरिक गतिविधियों, खेल-कूद के प्रति भी ट्रेनिंग दी जाती है। जिस वजह से बोर्डिंग स्कूल के बच्चे पढ़ाई के साथ-साथ शारीरिक गतिविधियों में भी अच्छा प्रदर्शन करने में माहिर हो सकते हैं।

साथ ही बोर्डिंग स्कून में पढ़ने के कुछ नुकसान भी पढ़ें।

बच्चे को बोर्डिंग स्कूल भेजने के नुकसान

हर सिक्के के दो पहलू होते हैं। यही वजह है कि हम बच्चे को बोर्डिंग स्कूल भेजने के नुकसान को भी अनदेखा नहीं कर सकते हैं। जिस तरह बच्चे को बोर्डिंग स्कूल भेजने के फायदे हैं, उसी तरह बच्चे को बोर्डिंग स्कूल भेजने के नुकसान भी हैं। इसके बारे में नीचे पढ़ें।

  1. परिवार से कम लगाव: बच्चे अगर माता-पिता व अपने दोस्तों के साथ रहना ही पसंद करते हैं। जिस वजह से अक्सर बोर्डिंग स्कूल में बच्चे अपनी मर्जी के खिलाफ भेजे जाते हैं। यही वजह है कि पेरेंट्स का जबरन बच्चे को बोर्डिंग स्कूल में भेजने पर उनका लगा धीरे-धीरे घर से कम हो सकता है।
  1. दुर्व्यवहार का शिकार होना: वैसे तो बोर्डिंग स्कूल नियमों के बहुत सख्त होते हैं। वहां हर बच्चे को एक समान ही रखा जाता है, लेकिन साथ में पढ़ने वाले कुछ सहपाठी ऐसे भी हो सकते हैं, तो बच्चे के कोमल व्यवहार को देखकर उनका शारीरिक या मानसिक शोषण भी कर सकते हैं। ऐसे में बहुत ही कम बच्चे होते हैं, जो इसके खिलाफ शिकायत कर पाते हैं। वहीं, अधिकतर बच्चे डर की वजह से इस तरह के दुर्व्यवहार को सहते रहते हैं।
  1. प्रतिस्पर्धा की होड़: प्रतिस्पर्धा की होड़ हर क्षेत्र में बनी हुई है। इसका प्रभाव बोर्डिंग स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों पर भी देखा जा सकता है। उन्हें शारीरिक व मानसिक रूप से अपने सहपाठियों व अन्य लोगों से आगे बढ़ने के लिए अधिक दबाव दिया जाता है।
  1. निजी जीवन कम होना: बोर्डिंग स्कूल के बच्चे अपने परिवार से लेकर, रिश्तेदारों व दोस्तों से काफी समय तक दूर रहते हैं। इस दौरान उनके जीवन में सिर्फ उनके स्कून के नियम-कानून ही पूरी तरह से मायने रखते हैं। ऐसे में बोर्डिंग स्कूल के बच्चे अपने निजी जीवन से थोड़ा कम अवगत हो सकते हैं। कहीं न कहीं उन्हें अपने हिसाब से जीने का विकल्प बहुत ही कम मिल पाता है।
  1. उम्र से अधिक परिपक्वता होना: बोर्डिंग स्कूल अपने नियनों के लिए काफी सख्त होते हैं। इस वजह से बोर्डिंग स्कूल के बच्चे अपनी उम्र के अनुसार जल्द ही जिम्मेदारियों को समझने योग्य बन जाते हैं। ऐसे बच्चों में सामान्य बच्चों की तरह मौज-मस्ती करने या उझलकूद करने जैसी गतिविधियां बहुत ही कम होती है।

बोर्डिंग स्कूल में भेजने से पहले कुछ बातों का ध्यान रखना भी है जरूरी।

बच्चे को छात्रावास भेजते वक्त ध्यान रखने योग्य बातें

अगर आपने अपने बच्चे को बोर्डिंग स्कूल भेजने का फैसला किया है, तो यहां कुछ चीजें हैं जो आपको उन्हें भेजने से पहले ध्यान में रखनी चाहिए, जैसेः

  • बच्चे की उम्र- बोर्डिंग स्कूल में दाखिला लेने वाले बच्चों के लिए उम्र की एक सीमा की गई है। ऐसे में अगर बच्चे की उम्र बोर्डिंग स्कूल के नियम के अनुसार है, तो भी इसका फैसला करने से पहले अपने बच्चे से एक बार बात जरूर करें।
  • बच्चे की जिम्मेदारियां- अधिकतर माता-पिता अपने बच्चों के लिए एख अनुशासित जीवन के लिए बोर्डिंग स्कूल का चुनाव करते हैं। ऐसे में अगर किसी बच्चे की परवरिश बहुत ही लाड़-प्यार में की गई है, तो उसे बोर्डिंग स्कूल में बहुत सारी दिक्कतों का समाना करना पड़ सकता है, क्योंकि वहां के नियम बहुत ही सख्त होते हैं।
  • बोर्डिंग स्कूल के फायदे व नुकसान- पेरेंट्स को इस बात पर सबसे पहले गौर करना चाहिए कि बोर्डिंग स्कूल भेजने से उनके बच्चे को क्या फायदे और नुकसान हो सकते हैं। अगर बच्चा बिगड़ैल स्वाभाव का है या पेरेंट्स के पास बच्चे के लिए समय नहीं है या बच्चा किसी लत का शिकार है, तो ऐसे में बोर्डिंग स्कूल का चुनाव करना अच्छा विकल्प हो सकता है।
  • बच्चे का करियर- अगर पेरेंट्स बच्चे को बोर्डिंग स्कूल में दाखिला दिलाना चाहते हैं, तो उन्हें इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि भविष्य में उनका बच्चा किस तरह के करियर का चुनाव करना चाहता है। अगर बोर्डिंग स्कूल बच्चे को उनके मनपसंद करियर में मदद करेगा, तो ही उसे बोर्डिंग स्कूल भेजें।

तो दोस्तों इस लेख में हमनें बच्चों के लिए बोर्डिंग स्कूलों के लाभ व इसके नुकसान से जुड़ी अहम जानकारियों को साझा किया है। अगर आप अपने बच्चे को छात्रावास भेजना चाहते हैं, तो यहां बताई गई बातों पर गौर जरूर करें। साथ ही बच्चे को भी बोर्डिंग स्कूल के बारे में जरूर बताएं। एक बात का और भी ध्यान रखें कि बच्चे के लिए चुने गए बोर्डिंग स्कूल की सारी जानकारी को इक्ठ्ठा करें। भरोसेमंद बोर्डिंग स्कूल में ही अपने बच्चे का दाखिला कराएं।

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